Krick Or nakchadi - 2 in Hindi Love Stories by krick books and stories PDF | Krick और Nakchadi - 2

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Krick और Nakchadi - 2

" कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क्रिक को तो यही लगता था की अगर मेरी किस्मत मे नकचडी का प्रेम है तो वो मुझे मिल ही जायेगी अगर नही है तो कितनी भी कोशिस कर लू हम दूर ही हो जायेंगे। यहाँ पर नकचडी क्रिक को ही अपने सपनो का राजकुमार मानती थी। वो क्रिक को ही अपना जिवन साथी मान ने लगी थी। स्कूल मे वो मुझसे मिलने के बहुत से बहाने ढूंढती रहती थी और मे भी बहाने ढूंढता था जैसे की अगर हमारे क्लास मे कोई पार्टी सेमिनार या कुछ भी हो तो उसके तो मजे ही मजे होते थे। क्युकी वो  हमारे क्लास मे आ जाती थी मे भी उसके क्लास मे डस्टर या चोक लेने के बहाने जाता रहता था जिससे की मे उसे देख सकु। कभी कभी क्लास के बाहर भी घूमते रहते थे जैसे की चलती क्लास मे एक ही समय पे अपने अपने क्लास मे से बाहर पानी पीने के बहाने हम मिलने के लिए मस्ती करने के लिये निकल पडते थे फिर शांति से वापस आते थे और ब्रेक मे तो साथ मे ही हम दोनों रहते थे कभी कभी तो मिलने के लिये भी भुखा रहना पडता था प्यार से ही पेट भर जाये तो खाने की जरूरत ही क्या रहती है  !

"वो केहते है ना की प्यार मोहब्बत मे भुख नही लगती और नींद भी नही आती बस यही होता था हमारे साथ!"

कभी कभी वो मेरे लिये उसके मम्मी के हाथो का बनाया हुआ खाना टिफिन मे लेकर आती थी उसकी मम्मी को भी ये पता था की वो किसी के लिये खाना लेकर जाती है  जो हम साथ मे खाते थे वैसे खाना तो बहाना था सच तो ये था की एक दूसरे के साथ वक्त बिताना था ! "

"एक बार हमारी स्कूल मे ऐनुयुअल फंक्शन था जिसके अंदर हमने भी डांस मे हिस्सा लिया था मुझे इतना भी अच्छा नही आता था लेकिन नकचडी तो डांसर ही थी उसे बहुत ही अच्छा डांस आता था । एक बार गलती से उसका टेड्डी बियर हमारी होस्टल मे उनके ग्रुप वाले लेकर आये थे जिसका रोल एक नाटक मे करना था तो वो गलती से मुझसे फट गया था मतलब और उसके अंदर से जो रू वगेरा होता है वो बाहर आ गया था हुआ यू की आप तो जानते ही है की लड़कियों को टेड्डी को हग करना वगेरा पसंद है लेकिन लड़को को ऐसी मुलायम तकिये जेसी चीज ही लगती है जिसके साथ में बॉक्सिंग कर रहा था जिसकी वजसे टेड्डी का एक पर टूट गया यार कितना फन्नी वो सीन था लेकिन ये बात नकचडी को पता चले उसके पहले से ही मेने सुई धागे से टेड्डी को ठीक कर दिया अगर उसे पता चलता की मेने ही टेड्डी को मारा था और ये सब हुआ तो दोस्ती का तो पता नही लेकिन मेरा मुह वो पक्का तोड़ देती क्युकी की नकचडी को भी बॉक्सिंग आती ही थी और ऐसी बातो मे लड़कियों को गुस्सा भी बहुत जल्दी आ जाता है ! वैसे उसे बहुत गुस्सा आता था लेकिन जब से मेरी दोस्ती हुवी तब से वो भी मेरे जैसी ही शांत बन गई दोस्ती का प्रभाव जैसा संग वेसा ही रंग! 

" हमारे जिवन मे हमे अच्छे दोस्त बनाने चाहिए दोस्तो से हमे बहुत सारी चीजे सीखने मिलती है वो कहते है ना की एक अच्छा दोस्त पूरी लाइब्रेरी के समान होता।"

"कुछ लोग हमे सिखाते है कुछ लोग हमारा इस्तेमाल करके चले जाते है और कुछ लोग तो भरोसा ही तोड के चले जाते है हमारे आस पास के पाँच लोग हमारा भविस्य निर्धारित करते है अगर वो पांच लोग होशियार और संस्कारी है तो छटे संस्कारी आप बनोगे अगर वो पांच लोग गुस्से वाले, समय बर्बाद करने वाले, लड़ने - झगड़ ने वाले होगे तो आप भी वैसे ही बन जाओगे इस लिये कई बार इनसे अच्छा अकेले रहना होता है! "

नकचडी  बहुत ही सुंदर थी और उस से भी प्यारी उसकी क्यूट हरखते थी जो मेरा मन हर लेती थी मेरा दिल जीत लेती थी एक बार उसने मुझे कपल वॉच गिफ्ट की थी एक उसके लिये और एक मेरे लिये सायद वो आज भी अलमारी मे कही सम्भाले के रखी है मुझे पेंटिंग बनाने का बहुत शोख़ है में ने उसके लिये स्कूल मे बहुत सारे चित्र बनाये थे मेने उसके भी चित्र बनाये है उसका चेहरा मेरे दिलो दिमांग मे बसता था जो मे बिना देखे ही बना लेता था क्रिक नकचडी को इतना प्यार करता था की एक बार  क्या हुआ हमारे पुरे साल मे जो जो कार्यक्रम होते थे वो सब एक किताब मे स्कूल वाले छपवा देते थे की ऐसा ऐसा हमारी स्कूल मे होता है जिसकी वजसे मार्केटिंग होती और ऐडमिशन भी होते थे तो उस किताब मे नकचडी का और मेरा भी फोटो छपा हुआ था जो मेने कटिंग कर के निकाल लिया था जब होस्टल मे क्रिक को नकचडी को देखने का मन करता तो वो ही देखता था जब  नकचडी को ये बात पता लगी तो वो भी हसने लगी और बोली मेरे पागल मे तुम्हे मेरा छोटा सा फोटो ही दे दे ती हूँ तुम उसे ही देख कर मुझे याद कर लेना तब क्रिक भी खुशी से मुस्कुराने लगा था तब  क्रिक ने नकचडी को पूछा की मेरे पास तो तेरी फोटो है जिससे मे तुम्हे याद करूँगा लेकिन तुम्हे फोटो की जरूरत नही है क्या ? तब  नकचडी ने जवाब दिया " जिसका सुंदर चेहरा दिल मे बसा लिया हो उसे फोटो की क्या जरूरत जैसे राधा कृष्ण को याद करती है वैसे मे भी अपने कान्हा को याद अपने दिल से करूँगी " बस इतना ही सुनते क्रिक की आँखों मे आसु आने लगे और उसने नकचडी को गले लगा लिया और दोनों ही प्रेम के आसु की गंगा मे भीगने लगे । 

"जिस आँखों मे सामने वाले के लिये  प्रेम होता है उन आँखों को अश्रुओ से भी भीगना पडता है जब प्रेम और लगाव सीमा लांघ देते है तब आँखों से प्रेम की गंगा बहने लगे जाती है । !! राधे कृष्ण !! 

" चलो दोस्तो चलता हूँ अगले पार्ट मे फिर मिलता हूँ । "