Nafrat e Ishq - Part 12 in Hindi Love Stories by Umashankar Ji books and stories PDF | Nafrat e Ishq - Part 12

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Nafrat e Ishq - Part 12


मनीषा के दिमाग में सहदेव की बेवफाई का हर एक दृश्य स्पष्ट था। रात भर उसने करवटें लीं, उसकी आंखों में गुस्सा और दिल में प्रतिशोध था। उसने खुद से वादा किया कि सहदेव को उसकी हर हरकत का जवाब देना होगा। 

अगली सुबह  

ऑफिस में हलचल थी। हर कोई अपने काम में व्यस्त था। सहदेव अपने केबिन में था, लेकिन उसका ध्यान कहीं और था। उसने एक बार फिर खुद को शीशे में देखा और मुस्कुराया। 

"अरे भाई, बड़े खुश नजर आ रहे हो। क्या बात है?" आदित्य ने ठहाका लगाते हुए कहा।  

"कुछ नहीं, बस एक नए प्रोडक्ट की एडवर्टाइजमेंट सोच रहा हूं।" सहदेव ने अपनी मुस्कान दबाते हुए जवाब दिया।  

"तो फिर जल्दी सोचो, भाई। ये डेडलाइन हमें मार डालेगी।" आदित्य ने मजाकिया अंदाज में कहा और सहदेव के पास एक फाइल रखते हुए बोला, "ये कंपनी चाहती है कि ऐसा थॉट दो जो उनके प्रोडक्ट को घर-घर में फेमस कर दे।"  

सहदेव ने फाइल उठाई और आदित्य के जाते ही उसे ध्यान से पढ़ना शुरू किया।  

तभी काव्या, फाइनेंस डिपार्टमेंट से निकलकर क्रिएटिविटी डिपार्टमेंट में दाखिल हुई। उसकी चाल में एक अदा थी और चेहरे पर हल्की मुस्कान।  

"हेलो हैंडसम, क्या चल रहा है?" काव्या ने चुटकी लेते हुए पूछा।  

सहदेव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "तुम्हें देखकर तो सब कुछ सही लग रहा है।"  

काव्या ने हल्का सा हंसते हुए कहा, "थोड़ी मदद करोगे क्या?"  

"तुम कहो, मदद तो जरूर होगी," सहदेव ने अपने स्वर में आत्मविश्वास लाते हुए कहा।  

काव्या ने एक फाइल उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा, "बस इसमें अकाउंट्स का मिलान कर देना। अगर कोई गड़बड़ी हो तो पेंसिल से मार्क कर देना। बाकी मैं संभाल लूंगी।"  

सहदेव फाइल को देखने ही वाला था कि तभी सिक्योरिटी ऑफिसर अंजू आ गई।  

"सहदेव, मैनेजर मनीषा आपको अपने केबिन में बुला रही हैं। तुरंत चलिए।"  

मनीषा का केबिन  

मनीषा खिड़की के पास खड़ी थी। उसकी नजरें सहदेव पर थीं, जो काव्या के साथ फ्लर्ट कर रहा था। उसके हाथों में कॉफी का कप था, लेकिन उसका ध्यान पूरी तरह से उस पल पर था।  

"तो ये है तुम्हारा असली चेहरा, सहदेव। नाइट क्लब में मेरे साथ वो सब कुछ करने के बाद अब तुम्हें मेरी याद तक नहीं। और अब ये काव्या?" मनीषा के अंदर का गुस्सा उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था।  

उसने अंजू को फोन किया और सहदेव को तुरंत बुलाने को कहा।  

सहदेव ने जैसे ही मनीषा का केबिन खोला, वहां का माहौल एकदम ठंडा और गंभीर था।  

"आपने बुलाया?" सहदेव ने थोड़ा झिझकते हुए पूछा।  

मनीषा ने उसे घूरते हुए कहा, "हां, बुलाया। बैठो।"  

सहदेव चुपचाप कुर्सी पर बैठ गया। मनीषा ने उसके सामने एक फाइल रखी और कहा, "ये नया प्रोजेक्ट है। इसे पूरा करने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।"  

"लेकिन मैम, ये तो मेरे डिपार्टमेंट का काम नहीं है।"  

"अब ये तुम्हारा काम है। और याद रहे, इसमें कोई गलती नहीं होनी चाहिए।" मनीषा की आवाज में आदेश साफ झलक रहा था।  

सहदेव ने फाइल उठाई और बाहर निकल गया।  



मनीषा ने अपने गुस्से को शांत करने के लिए गहरी सांस ली। उसने खुद से कहा, "अब समय आ गया है कि तुम अपनी हरकतों का परिणाम भुगतो।"  

उसने अपने फोन से सहदेव की हर बातचीत और हरकत पर नजर रखने का प्लान बनाया।  



सहदेव के आसपास अब लोग उसकी हर हरकत को नोटिस करने लगे थे। मनीषा ने धीरे-धीरे उसके खिलाफ ऑफिस में माहौल बनाना शुरू कर दिया।  

काव्या, जो पहले सहदेव से खुलकर बात करती थी, अब थोड़ा झिझकने लगी।  

"क्या हुआ, तुम मुझसे ऐसे दूर क्यों हो रही हो?" सहदेव ने एक दिन पूछा।  

"कुछ नहीं, बस थोड़ा काम ज्यादा है," काव्या ने नजरें चुराते हुए जवाब दिया।  



सहदेव अब हर दिन थोड़ा परेशान दिखने लगा। मनीषा ने उसके खिलाफ ऑफिस में छोटे-छोटे षड्यंत्र रचने शुरू कर दिए थे।  

एक दिन, जब सहदेव अपने डेस्क पर काम कर रहा था, तो उसके ईमेल पर एक अनजान मेल आया।  

"तुम्हारे सारे राज मेरे पास हैं। अगर नहीं चाहते कि सब कुछ सबके सामने आए, तो मुझसे मिलो।"  

सहदेव के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं। उसने तुरंत मेल का जवाब दिया, "तुम कौन हो?"  

लेकिन कोई जवाब नहीं आया।  



मनीषा ने धीरे-धीरे सहदेव को उसके ही जाल में फंसाना शुरू कर दिया। उसने ऑफिस में उसकी छवि को खराब करने के साथ-साथ उसकी पर्सनल लाइफ में भी उथल-पुथल मचाई।  

अब सहदेव को एहसास होने लगा था कि उसके साथ कुछ बड़ा होने वाला है।  

लेकिन क्या वह मनीषा के इरादों को समझ पाएगा? या फिर मनीषा अपने मिशन में कामयाब होगी?  

(अगले अध्याय में जानिए, जब मनीषा और सहदेव का आमना-सामना होगा और उनके बीच की सच्चाई सामने आएगी।)