Anokha Vivah - 10 in Hindi Love Stories by Gauri books and stories PDF | अनोखा विवाह - 10

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अनोखा विवाह - 10

सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंटा हो गया था पर वो अब तक बाहर नहीं आई थी एक बार फिर सुहानी ने अपनी हरकतों से अनिकेत को गुस्सा दिला दिया था ,,,,,,,,

अनिकेत - कोई समस्या है क्या ,, तुम बाहर क्यों नहीं आ रही हो 

सुहानी - हमें साड़ी पहनना नहीं आता,,,,,,, अनिकेत मन में - मुझे तो पहले ही लग रहा था कि जरूर कुछ गड़बड़ है 

अनिकेत लगभग चिल्लाते हुए - तो इतनी देर से क्यों नहीं बताया,,,,,,,,,,,,,,एक बार फिर बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है,,,,,,,,,, अनिकेत जाकर दरवाजा खोलता है ,,,,,,,,,,,,,, हां मां,,,,,,,,,,,,,,,तेरी पत्नी अभी तैयार नहीं हूई नीचे सब इन्तजार कर रहे थे ,,,,,,,,,,,,अरे मां अब आप ही कुछ करिए उसे साड़ी पहननी नहीं आती ,,,,,,,,,,,,,,,,, सावित्री जी अपने माथे पर हथेली मारती हूई - हे राम कैसी दुल्हन को ब्याह लाए हैं हम कुछ आता ही नहीं है उसे तो ,,,,,,,,,,,,अरे मां अआप परेशान नहीं हो मैं सब सिखा दूंगा,,,,,,,,,,,,,,,,अरे बेटा तू कैसे सिखा देगा 16 साल में अपने घर में तो कुछ सीखी नहीं तो अब ये कौन सा सब कुछ सीख लेगी,,,,,,,,, अनिकेत का चेहरा एकदम से सख्त हो गया था वो अपने मन में,,,,,,,,,,, मां ये अनिकेत प्रताप सिंह की वाइफ है सिंह इन्टरप्राइजेज के होने वाले सीईओ की वाइफ ,,अगर नहीं आता है कुछ तो उसे सीखना पड़ेगा, मैं उसे सब कुछ सिखाऊंगा ,,,,,,,,,,,,,, अनिकेत अपनी सोच से बाहर आता हुआ ,,,,,,,,,,,,अरे मां आप हैं ना सब सिखा देंगी अच्छा अभी तो उसे साड़ी पहना दीजिए,,,,,वरना दादू गुस्सा होंगे,,,,,,तब तक मैं छोटे के कमरे में फ्रेश हो जाता हूं 

सावित्री जी थोड़ी देर में सुहानी के साथ नीचे आती हैं,,, सावित्री जी- बहू सबसे पहले दादा जी का आशीर्वाद लीजिए फिर एक एक कर सबका आशीर्वाद लीजिए ,,,,

सुहानी आगे बढकर सब बड़ों का आशीर्वाद लेती है 

समीर आप भी अपनी भाभी से आशीर्वाद लीजिए और शिवम कहां है वो अभी तक सो रहा है क्या,,,,,,,,,,,,,,,, नहीं दादू मैं तो जग गया हूं,,,,,,,,,,,,,,,, सावित्री जी मानसी और मिली कहां हैं,,,,,,,,,,,,,,,,, पिताजी वो तो कॉलेज के लिए तैयार हो रही हैं,,,,,,,,,,,आज कोई कहीं नहीं जाएगा सबसे कह दीजिए अपनी भाभी के साथ समय बिताएं ,,,,,,,,,,जी पिता जी 

सीढ़ियों से अनिकेत फोन पर किसी से बात करता हुआ नीचे आ रहा था ,,,,,,,,,,,,,,अखण्ड प्रताप अनिकेत को इस तरह आता हुआ देखते हैं तो थोड़ा तेज आवाज में अनिकेतऽऽऽ ,,,,,, अनिकेत फोन रखता हुआ ,,,,,,,जी दादू ,,,,, 

अखण्ड प्रताप - यहां आइये , और बहू के साथ खड़े होकर आशीर्वाद लीजिए,,,,,,,,, अनिकेत - पर दादू आज मेरा कॉलेज जाना बहुत जरूरी है,,,,,,,,,, अखण्ड प्रताप - कुछ जरूरी नहीं है,,,,आपने ही कहा था कि हम में से कोई भी आपकी पत्नी के फैसले नहीं ले सकता और आज तो बहू की पहली रसोई है उन्हें क्या बनाना है और फिर कैसा बना है ये सब आपको ही तो बताना है आपने जिम्मेदारी ली है ना ,,,,,,,,,,,,,,,,,हां पर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर वर कुछ नहीं जाइये और बताइए अपनी पत्नी को कि क्या बनेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, अनिकेत, सुहानी का हाथ पकड़ते हुए,,,,,,,, चलो ,,,,,,,,

अनिकेत सीधा जाकर सुहानी को किचन में खड़ा कर देता है 

अनिकेत , सुहानी से - ये बताओ क्या बना लेती हो 

सुहानी - हमने कभी कुछ नहीं बनाया

अनिकेत लगभग चिल्लाते हुए,,क्या तुम्हें कुछ बनाना ही नहीं आता ,,,,,,ओह गॉड 

मांऽऽऽऽऽ मांऽऽऽऽऽ,,,,,,,,,,,,,,,

सावित्री जी किचन में आते हुए,,,,,,,,,,,,, क्या हुआ इतना चीख क्यों रहे हैं ,,,,,,,,,,, मां मेरा आज कॉलेज जाना बहुत जरूरी है,,,प्लीज़ आप आज देख लेंगी प्लीज़ मां

सावित्री जी-  ठीक है जाइये लेकिन पिताजी को पता चला तो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,, अनिकेत - अरे मां मैं पीछे से निकल जाऊंगा

ठीक है लेकिन जल्दी आइयेगा ,,,,,,,,,,,,,,हां मां कोशिश करूंगा

सावित्री जी किचन में सुहानी को सब कुछ बहुत अच्छे से समझा रही थीं लेकिन सुहानी कुछ भी नहीं समझ पा रही थी थक हार कर सावित्री जी सुहानी को किचन में छोड़ बाहर आ गई ,,,,,,,

दोपहर का 1बज रहा था अनिकेत को गए हुए दो घण्टे हो गए थे ,,, लेकिन सुहानी अभी कुछ भी नहीं बना पाई थी 

अनिकेत घर के अन्दर आता हुआ,,,,,,,,,,,,,,,,, मां प्लीज़ लंच लगवा देंगी ब्रेकफास्ट के टाइम तो मैं चला गया था 

सावित्री जी - बेटा आपकी पत्नी नें सुबह से कुछ नहीं बनाया है मैंने इतना समझाया पर उसे तो कुछ भी करना नहीं आता और आपके दादा जी नें भी सबसे कह दिया है कि वो आपकी पत्नी की पहली रसोई ही खाएंगे

अनिकेत शॉक्ड होकर - क्या दादू ने अब तक कुछ नहीं खाया तो फिर अपनी मेडिसीन भी नहीं ली होगी ,,,ओह गॉड दादू कहां है मां,,,,,,,,,,,,,,,,, बेटा वो तो अपने कमरे में हैं,,,,,,,,,,,,,,,,, मां मैं दादू से मिलकर आता हूं वरना उन्हें पता चल जाएगा कि मैं घर पर नहीं इतना कहकर अनिकेत अखंड प्रताप के कमरे में जाने लगता है

अखण्ड प्रताप का कमरा

अनिकेत कमरे में अखण्ड प्रताप को जमीन पर बेहोश देखता है तो वो अखण्ड प्रताप का सिर अपने हाथ पर रखते हुए गाल थपथपाता है और उनको आवाज देता है  दादूऽऽ दादूऽऽ

अनिकेत तेज से बुलाता है मां,,,,,,,, मां ,,,,,,,पापा ,,,,,,,,,,सावित्री जी कमरे के अन्दर का दृश्य देखकर आश्चर्यचकित हो जाती हैं,,,,,,,,,,,,,,, सावित्री जी-- बेटा क्या हुआ पिता जी को  

एक एक कर सभी कमरे के अन्दर आते हैं,,,,,,,,

संजय - सूरज जल्दी डॉक्टर को फोन करके बुलाओ ,,बेटा इन्हें बेड पर लेटाओ ,,,लाओ मैं भी हेल्प करता हूं

थोडी देर बाद

अखण्ड प्रताप के कमरे में - डॉक्टर सक्सेना क्या हो गया है पिता जी को ये बेहोश क्यों हो गए,,,,,,,,,,,,,डॉक्टर - अरे घबराइए मत सूरज जी सर् बिल्कुल ठीक हैं बस इन्होंने आज शायद दवा नहीं ली है अपनी,,पर कोई नहीं मैंने इन्हें इंजेक्शन दे दिया है बहुत जल्दी इन्हें होश आजाएगा , चलिए अच्छा इनका ख्याल रखिए अब मैं चलता हूं ,,,,,,,,,,,,,,,,,चलिए मैं आपको बाहर तक छोड़ देता हूं,( संजय प्रताप सिंह डॉक्टर से कहते है

 कमरे में सब अखण्ड प्रताप के आस पास बैठे थे तभी सावित्री जी कहती हैं,,,ये लड़की पता नहीं चाहती क्या है पहले तो धोखे से अनिकेत की पत्नी बन गई और अभी भी इसका मन नहीं भरा,,,,,,,,,ये सब सुन अनिकेत का गुस्सा बढ़ता जा रहा था,, लेकिन तभी वह जादू की तरफ देखकर परेशानी से कहता है ," दादू भी ना अजीब चीज पकड़ लेते हैं कुक से बनवाकर खा लेते,,,,,तभी सावित्री जी कहती हैं आज मैं इस लड़की को छोडूंगी नहीं,,,,,,वो जैसे ही कमरे से बाहर कदम रखने वाली होती हैं तभी अनिकेत उनके पीछे कन्धे पर हाथ रखते हुए उन्हें रोक कर कहता है,,,,,,,,,,,, मां अपनी पत्नी के साथ क्या करना है और क्या नहीं इसका फैसला सिर्फ मैं करूंगा और आप टेंशन मत लीजिए मैं हूं ना आप ये बताइये वो है कहां,,,,,,,,,,,,,मुझे नहीं पता आराम कर रही होगी कहीं बैठी ,,,,,,,,,,,,,,,,,चलिए ठीक है मां मैं देखता हूं.................


आखिर क्या होगा अनिकेत का अगला कदम देखते हैं नेक्स्ट पार्ट में........