Shubham - Kahi Deep Jale Kahi Dil - 31 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 31

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 31

"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -३१)

डॉक्टर शुभम और रूपा फ़ोन पर बातचीत करते हैं।
रूपा बताती है कि बच्चों में युक्ति जैसा गुण न आना चाहिए।
अब आगे..


डॉक्टर शुभम:-'मैंने अकेले ही अपने संस्कारों से बच्चों को पाला है।  मेरी जिम्मेदारी बच्चों के प्रति है,फिर भी मैं ख्याल रखूंगा।  सब कुछ ईश्वर के अधीन है।'

रूपा:-'मैं तुम्हें इसलिए सावधान कर रही हूं कि मां-बाप के गुण-दोष बच्चों में भी आ जाते हैं।  अगर तुमने तब भी मुझसे शादी की होती तो बात कुछ और होती।  प्रांजल और परितोष को माँ का प्यार मिल जाता और  उनकी सार-संभाल कर सकती।  मैं जानती हूं कि आपकी परवरिश बहुत अच्छी हुई लेकिन आपको एक साथी की जरूरत है । अकेले यह काम करना आसान नहीं है।मैं उन परेशानियों के बारे में सोच रहा हूं जिनका आपने सामना किया होगा।'

डॉक्टर शुभम:- 'आप कब से बूढ़े हो गए?  यदि आप एक डॉक्टर हैं, तो एक डॉक्टर की तरह सोचें। नकारात्मक विचार बहुत काम आते हैं। बहुत सोचकर सेहत खराब हो जाती है।  मुझे लगता है कि तुम्हें आराम की ज़रूरत है। क्या तुम कुछ दिनों के लिए अपने पूना चचेरे भाई के घर जाओ। या उन्हें तुम्हारे घर बुलाया करो। तुम्हें भी अच्छा लगेगा और तुम्हारे भाई को भी । तुम्हारे माता-पिता की मृत्यु के बाद तुम अकेली  हो गई हो। तुम मेरी चिंता मत करके अपनी सेहत बिगाड़ रही हो।"

सहसा रूपा की रोने की आवाज सुनाई दी।
डॉक्टर शुभम हैरान रह गए.
डॉक्टर शुभम:- 'क्या हुआ रूपा?  कोई परेशानी है ? तुम बात करते-करते रो क्यों पड़ी?  क्या हुआ? कुछ तो बताओ, बताओगी तो पता चलेगा कि तुम्हें क्या तकलीफें है।'

रूपा कुछ सँभलकर बोली-'मुझे तुम्हारी चिंता है और तुम्हें मेरी, पर अचानक मुझे उस दिन तुम्हारी युक्ति काधूर्त व्यवहार याद आ गया।'

डॉक्टर शुभम:-'याद आया?  अतीत में क्यूं चली जाती हो? युक्ति ने तुम्हारे साथ  क्या किया था?  तुम्हें परेशान किया था?'

रूपा:- 'शुभम मैंने तुम्हें अपना मान लिया है, तुम जानते हो कि मैं अब भी तुमसे बेहद प्यार करती हूं।  मैंने युक्ति के लिए कितना कुछ किया, उसके जुड़वा बच्चों को कैसे पाला जाए, सब समझाया, साथ ही उसे डेढ़ महीने तक अपने घर में रखा।  फिर भी उसने मेरी कद्र नहीं की। उसने मेरी तरफ कुछ नफरत भरी नजरों से देखा। युक्ति शंकाशील थी।परन्तु मैंने तुम्हारा आदर किया और तुम्हें रखा, यद्यपि वह बार-बार मेरा अपमान करती थी।फिर भी मैंने उसकी तरस खाकर उसकी सेवा की।  युक्ति को बच्चे पालना नहीं आता था। मैं उसे बार-बार समझाती थी, लेकिन वह सिरियस नहीं थी।मुझे तुम्हारे बच्चों पर तरस आता था कि कहीं फिर युक्ति मानसिक परेशानी के कारण कुछ न कर बैठें।'

डॉक्टर शुभम:- 'मुझे नहीं पता कि आपके साथ युक्ति ने क्या था या मुझे याद नहीं है लेकिन मैं आपसे माफी मांगता हूं लेकिन क्या हुआ था?'

रूपा:-'युक्ति की डिलीवरी मैंने की थी।डिलीवरी के बाद जब मेरे मम्मी-पापा विदेश चले गए तो युक्ति को डेढ़ महीने तक मेरे घर पर रखा गया।  घर में एक दाई और महिला नौकर रखी गई थी।  एक दिन युक्ति ने मुझ पर चाकू से हमला कर दिया लेकिन मैंने तुमसे बात नहीं की। मुझे चिंता थी कि कहीं तुम्हारी जिंदगी बर्बाद न हो जाए, मैं तुम्हारे बच्चों के कमरे में छिप गई और दरवाजा बंद कर लिया। युक्ति बहुत उग्र हो गयी थी, मैंने आवाज़ लगाकर उसे शांत रहने के लिए कहा, लेकिन वह शांत नहीं हो रही थी। इसी बीच महिला नौकर और दाई आ गईं और युक्ति को नियंत्रण में रखा।  मैं अक्सर डर जाया करती थी।एक बार तुम्हें बताने की कोशिश की लेकिन बता नहीं सकी। दरअसल, युक्ति बार-बार गुस्सा हो जाती थी। यह आपकी सबसे बड़ी गलती थी कि आपने युक्ति से शादी कर ली। तुम जानते थे कि उसकी मानसिक स्थिति अच्छी नहीं है।लेकिन आप युक्ति की चाल में फंस गए ताकि आपके और अस्पताल की बदनामी न हो। तुम्हें अपनी इच्छा के विरुद्ध विवाह करना पड़ा। मैं जानती हूं कि तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो और आज भी करते हो।'

बोलते-बोलते रूपा भावुक हो गईं और रो पड़ीं।

रूपा:- "यह आपकी सबसे बड़ी गलती थी कि आपने युक्ति से शादी कर ली। लेकिन आप क्या कर सकते थे? आप युक्ति की चाल में फंस गए। आपने अपनी इच्छा के विरुद्ध ऐसा किया ताकि बहुत अधिक उपद्रव न हो और आपकी और आपकी  अस्पताल की बदनामी न हो।  और युक्ति के साथ शादी करनी पड़ी।'
( जब शुभम की बेटी प्रांजल आयेगी तो क्या होगा? प्रांजल अपने साथ कौन सा प्लान लेकर आने वाली है? रूपा की जिंदगी का दूसरा राज़ क्या था? युक्ति रूपा को मारने के लिए क्यूं उतारु हो गई थी? पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- कौशिक दवे