Devil Ceo's Sweetheart - 81 in Hindi Love Stories by Saloni Agarwal books and stories PDF | डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 81

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 81

अब आगे,

अपनी बात कहकर अब मुखिया जी वहां उन दोनों के पास से अब राजवीर के मीटिंग हॉल की ओर मुड़ गए तो अब प्रधान जी ने सरपंच जी से कहा, "अरे सरपंच जी चलो, देखो मुखिया जी तो चले गए..!" 

प्रधान जी की बात सुनकर अब सरपंच जी ने उनसे कहा, "अरे जाने दो वैसे भी मुखिया जी कुछ ज्यादा ही सत्यवादी है इसलिए उनका हमारे साथ न होने में ही भलाई है..!" 

अपनी बात कहकर अब सरपंच जी, प्रधान जी को देखकर मुस्कराने लगे तो अब प्रधान जी भी उनको देखकर मुस्करा गए क्योंकि वो इतने सालों में सरपंच जी की फ़िदरत तो जान ही गए थे कि वो कैसे स्वभाव के हैं..! 

वही दूसरी तरफ, बनारस के हाइ फाई मॉल में, 

अब खुशी उस शॉप के मैनेजर के केबिन से बाहर आ ही रही थी कि उसने देखा कि कोई एम्प्लॉय अपने हाथों में बहुत ही केयर के साथ उस मोस्ट एक्सपेंसिव लॉन्ग इवनिंग बैक लेस गाउन को लेकर आ रहा है जो अभी कुछ देर पहले रूही ने पहन रखा था तो अब खुशी ने अपनी तेज़ आवाज में उस एम्प्लॉय से पूछा, "तुम्हारे पास ये इवनिंग गाउन कहा से आया..!" 

खुशी के ऐसे तेज आवाज में पूछने से पहले तो वो एम्प्लॉय डर ही गया था क्योंकि खुशी ने एकदम से उससे पूछ लिया था और अभी तक खुशी ने जो कुछ उन दोनों फीमेल एम्प्लॉय के साथ करा था उन सब बातों को भूलने में अभी उन लोगों को बहुत समय लगने वाला था..!

जब खुशी को अपनी बात का जबाव नहीं मिला तो अब खुशी उस एम्प्लॉय के पास पहुंच गई और उसने उस एम्प्लॉय से पूछा, "तुम लोगों को सीधी बात समझ में नहीं आती है क्या..?" 

खुशी आगे कुछ बोलती उससे पहले ही उस एम्प्लॉय ने अपने डर को कंट्रोल करते हुए खुशी से कहा, "वो मैम, मुझे ये ड्रेस वहां रखी हुई मिली और वैसे भी इस इवनिंग गाउन सेक्शन के इंचार्ज ने मुझे ये ड्रेस लाने को बोला था तो मैने वहा से उठा ली..!" 

उस एम्प्लॉय की बात सुनकर, अब खुशी ने अपने मन में कहा, "मैं, इस लड़की (रूही) का क्या करू और जब मैने इससे बोल दिया था कि जब तक मै वापस न आ जाऊं ये ड्रेस मत उतारना तो फिर उसने ऐसा क्यों करा..!" 

खुशी ने अपने मन में ये कहा ही था कि उनके कान में किसी के चलने की आवाज सुनाई पड़ी तो वो अपने होश में वापस आ गई और उसने देखा कि उसके सामने खड़ा एम्प्लॉय अब वहां से बिलिंग एरिया में जा रहा था जहां से कोई भी व्यक्ति अपनी ड्रेस को खरीद के लेकर जा सकता है तो अब खुशी ने उस एम्प्लॉय को रोकते हुए कहा, "रुक जाओ..!" 

खुशी की आवाज को दुबारा सुनकर अब वो एम्प्लॉय रुक गया और हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए अपने मन में कहने लगा, "भूत पिसाच निकट नहिं आवै, महाबीर जब नाम सुनावै..!" 

वो खुशी के नाम और व्यवहार से इतना डर चुका था कि उसको इंसान और भूत प्रेत में अंतर ही खत्म हो गया था और अब वो बोले ही जा रहा था कि खुशी उसके पास पहुंच गई और उसने उस एम्प्लॉय से कहा, "ये इवनिंग गाउन मुझे दे दो..!" 

खुशी ने अपनी बात कही ही थी कि वो एम्प्लॉय फिर से अपनी ही सोच में चला गया और फिर कुछ देर बाद उसने खुशी से कहा, "पर..पर मैम..!" 

वो एम्प्लॉय आगे बोल पाता उससे पहले ही खुशी ने उस एम्प्लॉय के हाथ से वो इवनिंग गाउन उसके हाथ से ले लिया और फिर खुद उस शॉप की बिलिंग एरिया की तरफ बढ़ गई..!" 

और वो एम्प्लॉय बस खुशी को जाता हुआ देखता रह गया और साथ में अपने ही मन में बोलने लगा, "अब क्या मैं अपने सीनियर को क्या जबाव दूंगा और वो मुझ पर बेवजह ही गुस्सा करने लगेंगे और मेरी एक बात भी नहीं सुनेंगे..!" 

वही अपनी बात कहकर अब वो एम्प्लॉय कुछ सोचने लगा कि वो अब अपने सीनियर एम्प्लॉय से क्या बोलेगा और वो सोच ही रहा था कि तभी वहां उस एम्प्लॉय का सीनियर और उस इवनिंग गाउन सेक्शन के इंचार्ज उस एम्प्लॉय के पास पहुंच गया और उसने उस एम्प्लॉय पर गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, "यहां क्यों खड़ा हुआ है और मैने तुझे एक काम दिया था न तो जा जाके उस इवनिंग गाउन को लेकर आ और हां बहुत ही ध्यान और आराम से लेकर आना..!" 

जब उस हेड इंचार्ज को लगा कि उसके जूनियर एम्प्लॉय ने उसकी बात का कोई भी जबाब ही नहीं दिया तो अब उसने उसके कंधे से उसको हिलाते हुए उससे गुस्से से कहा, "समझ में आ गया या किसी और तरीके से समझाऊं..!" 

अपने हेड इंचार्ज के ऐसे हिलाने पर उस एम्प्लॉय को होश आ गया और उसकी बात का जबाव देते हुए उसने उससे कहा, "जी सर, मैं अभी लेकर आता हु..!" 

और अपनी बात कहकर वो एम्प्लॉय वहां से फिर से उस इवनिंग गाउन सेक्शन की तरफ बढ़ गया और उसका हेड इंचार्ज उस एम्प्लॉय को जाते हुए देखकर अपने आपसे कहने लगा, "कभी कभार इसका दिमाग काम करना बंद कर देता है और मैं इस पर गुस्सा नहीं करना चाहता हु पर मैं भी क्या करू मेरे सीनियर (पार्टी वेयर ड्रेस इंचार्ज) का ऑर्डर है उसको तो नहीं ताल सकता हु और तबतक तो बिल्कुल भी नहीं जब तक मेरी बहन की शादी अच्छे से नहीं हो जाती है..!" 

अपनी बात कहकर अब वो हेड इंचार्ज वहां से बिलिंग एरिया की तरफ बढ़ गया और वही दूसरी तरफ रूही ने अपने पुराने वाले कपड़े दुबारा से पहन लिए थे पर फिर भी उसकी खूबसूरती में कोई असर नहीं पड़ा था क्योंकि वो है ही इतनी सुंदर की वो कुछ भी पहन ले खूबसूरत ही लगती थीं..!

वही रूही, अब खुशी के आने का इंतजार कर रही थी और जब उससे ज्यादा इंतेज़ार नहीं हुआ तो वो अब उस इवनिंग गाउन सेक्शन से बाहर की ओर जाने लगी..!

वही रेहान अपनी छोटी बहन को ढूंढते हुए फिर से गर्ल्स सेक्शन की तरफ पहुंच चुका था क्योंकि उसको खुशी से रूही के बारे मे बात करनी थी और वो रूही के बारे मे सोचते हुए ही जा रहा था कि..!

वो अचानक से किसी लड़की से टकरा गया और उस लड़की का भी बैलेंस बिगड़ गया और वो लड़की जैसे ही फर्श पर गिरने को हुई तो उस लड़की ने अपनी आंखे बंद करली पर रेहान ने उसको संभाल लिया और उसका एक हाथ उस लड़की की कमर पर चला गया पर जैसे ही रेहान ने उस लड़की को गौर से देखा तो देखता ही रह गया..! 

क्यूंकि वो लड़की और कोई नहीं बल्कि हमारी "रूही" ही थी और जब रूही को लगा कि वो तो फर्श पर गिरी ही नहीं तो उनसे अपने आंखों को धीरे धीरे खोलने लगी तो अब उसकी नजर उसके सामने खड़े रेहान पर चली गई जिसकी वजह से उसने अपने आंखे दुबारा से बंदकर ली..! 

वही रेहान तो रूही को अपने चेहरे पर मुस्कान लिए उसको बस एक टक निहारे ही जा रहा था और रूही की इस हरकत से रेहान के चेहरे पर जो मुस्कान थी वो अब और गहरी हो चुकी थी पर ये रूही नहीं देख पाती अगर उसकी आंखे खुली हुई भी होती तो भी क्यूंकि रेहान ने अपने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था..!

कुछ देर बाद,

रूही ने फिर से थोड़ी हिम्मत करके अपनी आंखे खोल ली और फिर जब दुबारा से रूही और रेहान की नजरें एक दूसरे से मिली तो दोनों एक दूसरे को देखते ही रह गई और कोई भी अगर रूही और रेहान को देखता तो ऐसा ही लगता मानो कोई दो प्यार करने वाले एक दूसरे की आंखों में खोए हुए हो और फिर उस इवनिंग गाउन सेक्शन से एक औरत जिसकी उम्र करीब 45 से 50 वर्ष होगी वो अपने हाथ में एक ड्रेस लेकर निकल रही थी तो..!

वो जैसे ही दाएं तरफ से निकलने की कोशिश करती तो कभी बाएं तरफ से निकलने की मगर वो कही से भी निकल नहीं पा रही थी क्योंकि रूही और रेहान रास्ते के बिल्कुल बीचोबीच खड़े हुए थे और इसी वजह से वो औरत अब तंग आ चुकी थी तो उसने थोड़ी तेज आवाज करके रेहान और रूही को देखते हुए कहा, "अरे ओ लैला और मजनू इतना ही शौक है इश्क लड़ाने का तो जाकर कही और लाडाओ और ये रास्ता तुम्हारे बाप दादा की जागीर नहीं हैं तो थोड़ा साइड हटो..!" 

उस औरत ने अपनी बात कही ही थी कि अबतक वहां दुबारा से भीड़ इक्कटा हो चुकी थी मगर किसी के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि रूही के लिए एक भी गलत शब्द भी बोल सके क्यूंकि उन लोगों ने खुशी का वो खतरनाक रूप देख लिया था..!

मगर वहां कोई और भी था जिसको ये सब देखकर बहुत ज्यादा ही गुस्सा आ रहा था और उसका बस चलता तो वो उसी समय रेहान और उस औरत को मौत के घाट उतार देता और उस औरत को रूही और खुशी के बारे में कुछ भी नहीं पता था क्यूंकि वो तो अभी कुछ समय पहले ही आई थी और उस औरत की पूरी बात सुनकर कर रेहान और रूही को होश आ गया और रेहान ने रूही को ठीक से खड़ा करके उसकी कमर पर से अपना हाथ हटा लिया था पर रूही से तो अपना सिर शर्म से ऊपर भी नहीं उठाया जा रहा था और वही रेहान अब उस औरत को घूरे जा रहा था..!

रूही का सिर नीचे झुका देखकर अब उस औरत ने उसकी बेइज्जती करते हुए उससे कहा, "कपड़े देखकर लगता है मिडिल क्लास से ही होगी और इश्क अपने से ऊंचे घरों के लड़कों के साथ लड़ाएंगी और इसीलिए कहते है कि जितनी चादर हो उतने ही पैर फैलाया करो नहीं तो तुम्हारे ये पर कटने में ज्यादा देर नहीं लगेगी क्योंकि ये अमीर घर के लड़के बस तुम्हारा इस्तेमाल करेंगे और ऐसे ही छोड़ देंगे..!" 

उस औरत की बात सुनकर पहले ही रूही की आंखों में अंशु आ चुके थे और अब वही रूही की आंखों में से वो अंशु बहने भी लगे थे क्यूंकि ये आज दूसरी बार हुआ था और दोनों में रूही की कोई गलती नहीं थी वही जब रेहान ने रूही की आंखों से अंशु बहते देखे तो उसका गुस्सा तो पहले ही उस औरत और उसकी बातो से बढ़ गया था और अब अपने सबर की हद भी पार कर चुका था और अब रेहान ने अपने गुस्से में उस औरत को देखते हुए उससे कहा, "जब खुद की बेटी चरित्रहीन हो तो फिर तुम जैसी औरतों को कोई अधिकार नहीं कि वो किसी भी लड़की को कुछ भी कह सके..!"

रेहान की बात सुनकर अब रूही अपना सिर उठाकर रेहान को ही देखने लगी और वही वहां खड़े लोगो की नजर भी अब रेहान पर ही आकर टिक चुकी थी और वहीं उस औरत ने पहले तो रेहान को देखा और फिर गुस्से से चिल्लाते हुए उससे कहा, "तुम्हारी हिम्मत भी केसे हुई मेरी बेटी के बारे मे ऐसा बोलने की बताओ मुझे..!" 

उस औरत की बात सुनकर अब रेहान ने उनसे कहा, "जब खुद की बेटी ऐसी ऐसी जगहों पर मिले जहां कोई किसी शरीफ घर की लड़की का जाना तो दूर उसके बारे में सोचना भी उसके लिए पाप हो तो उस चरित्रहीन लड़की की मां को दूसरे की बेटी पर उंगली उठाने का कोई हक नहीं है और क्यों मैने सही कहा न मिसेज पूनम भल्ला..!" 

रेहान ने अपनी बात पूरी करी ही थी कि उस औरत ने हैरानी के साथ रेहान से फिर से पूछा, "तू..तुम्हे मेरा ना..नाम कैसे पता है और कौन हो तुम..?" 

पूनम जी की बात सुनकर अब रेहान ने अपनी पैंट की एक जेब में अपना हाथ डालते हुए अपने दूसरे हाथ से अपने चेहरे पर से अपना मास्क हटाते हुए और फुल एटीट्यूट के उनसे कहा, "मेरा नाम "रेहान श्रीवास्तव" है अब याद आया या और कुछ भी बताऊं..!" 

और वही खड़ी काफी भीड़ अब अपना सारा काम छोड़कर रेहान और पूनम जी को ही देख रही थी और साथ में पूनम जी के चेहरे के उड़े हुए रंग को देखकर तो अब सबको यकीन हो ही चुका था कि बात कुछ और ही निकलने वाली है और जरूर से रेहान कुछ धमाका करना वाला है और इसलिए ही वहां खड़े लोग ये जानने के लिए उत्सुक थे कि आगे क्या होने वाला है..! 

रेहान के अपने चेहरे पर से मास्क हटाने से वहां खड़े दो लोग शॉक में थे जिसमें से पहली रूही ही थी क्यूंकि उसके सामने वो शख्स खड़ा था जिसने उसको चेजिंग रूम में वो बैक लेस हॉट एंड सेक्सी लॉन्ग इवनिंग गाउन में देखा था और उसको देखते ही रह गया था और साथ में उसको फर्श पर गिरने से बचाने वाला भी रेहान ही था और दूसरी पूनम जी थी क्योंकि उनकी बेटी को रेहान ने एक बार नहीं कही बार ऐसी जगहों में रंगे हाथ पकड़ा था जहां लड़कियां अपने जिस्म का व्यापार करती हैं क्योंकि रेहान भी अपने परिवार के लोगों की तरह ही एक पुलिस ऑफिसर था और वो प्रयागराज में पोस्टेड था..! 

पूनम जी को ऐसे हैरान देखते हुए अब रेहान ने अपने चेहरे पर एक टेड़ी मुस्कान लाते हुए उनसे पूछा, "क्या हुआ मिसेज भल्ला आपने तो कुछ कहा ही नहीं तो क्या मैं ही यहां खड़े लोगो को आपकी बेटी की काली करतूतों से सामना करवाऊं..!" 

रेहान की बात सुनकर अब पूनम जी को होश आ गया और उनके चेहरे पर अबतक घबराहट के भाव नजर आने लगे थे और उन्होंने डरते हुए अब रेहान से कहा, "न..नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते हो मेरी बेटी ऐसी नहीं थी और उसकी दोस्त ने उसको इस काम में फंसा दिया था और वो तो ये सब करना भी नहीं चाहती थी मगर वो परिस्थितियों के आगे मजबूर हो गई थी..!" 

अपनी बात कहकर अब पूनम जी ने रेहान के सामने अपने दुपट्टे से को लेकर झोली फैलाते हुए उससे कहा, "मैं सबके सामने तुमसे अपनी इकलौती बेटी के अच्छे भविष्य की भीख मांगती हु और अब वो ये सब कभी नहीं करेगी और वो सब दुबारा से उसकी जिंदगी में वापस से न हो इसी वजह से हमने वो जगह भी छोड़ दी और जिससे हम अब अपनी बेटी को एक बार फिर से अच्छी जिंदगी दे सके..!" 

पूनम जी की बात सुनकर अब रेहान कुछ बोल पाता उससे पहले ही वहां उस भीड़ में से एक आदमी निकल आया और जिसकी उम्र करीब 55 से 60 वर्ष होगी और उन्होंने पूनम जी से कहा, "मिसेज भल्ला, आप अपने से कम उम्र के लड़के के सामने झोली फैलाकर क्यों खड़ी हो और कल से तो मेरे बेटे और आपकी बेटी की शादी के सारे फंक्शन शुरू हो रहे है और इसलिए कुछ रस्मो के मुताबिक मेरी पत्नी शगुन का सामान लेकर आपके ही घर गई हुई है और मुझे पता होता आप यहां है तो हम लोग साथ में ही चलते क्योंकि मेरी पत्नी अभी कुछ समय पहले ही इसी मॉल से निकली है..!" 

To be Continued......❤️✍️

कैसे जानता है रेहान उस औरत को और अपना ही नाम रेहान के मुंह से सुनकर इतना हैरान क्यों हो गई थी और अब वो एम्प्लॉय कहा से उस एक्सपेंसिव ड्रेस को अपने हेड इंचार्ज को लाकर देंगे जबकि उसको तो खुद खुशी ही लेकर चली गई है..?

हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोबेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।