अनामिका सोच रही थी कि राजीव के पापा मम्मी को तो केवल पैसे कमाने की ही पड़ी है दो मिनट रुक कर उसे देखा तक नहीं और चले गए। ऐसे शराबी के साथ जीवन बिताना कितना मुश्किल है। तभी उसके इन विचारों पर अचानक ब्रेक लग गया, जब जोर-जोर से दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ सुनाई दी। राजीव जाग चुका था और अपने आप को कमरे में बंद पाकर उसका गुस्सा तीव्र गति से बढ़ता जा रहा था। अनामिका ने जाकर दरवाज़ा खोला। दरवाज़ा खुलते से राजीव ने बिना कुछ सोचे, बिना कुछ समझे, अपने अनियंत्रित गुस्से के काबू में आकर अनामिका के गाल पर एक तमाचा लगा दिया।
राजीव ने कहा, "तेरी हिम्मत कैसे हुई बाहर से दरवाज़ा बंद करने की? बचपन से आज तक कभी किसी ने मेरे साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया। अरे किसी ने कभी डांटा तक नहीं है और तू ...!"
अनामिका का गुस्सा भी इस समय अनियंत्रित हो रहा था उसने भी उसी स्वर में कहा, "बंद नहीं करती तो क्या करती? जबरदस्ती कर रहे थे तुम मेरे साथ।"
"जबरदस्ती ...? यह क्या बक रही है शादी की है तुझसे ..."
"तो ...? शादी की है तो क्या? क्या बलात्कार करोगे मेरे साथ? मैं एक शराबी को जबरदस्ती अपने आप को सौंप दूं, यह चाहते हो तुम? लेकिन शायद तुम भूल गए शादी कोई लाइसेंस नहीं है समझे। बिना मेरी मर्जी के तुम मुझे हाथ भी नहीं लगा सकते।"
"अरे जा, तेरे जैसी न जाने कितनी लड़कियाँ मेरे साथ सोने के लिए तरसती हैं। मुझे चाहती हैं पर मुझे तू पसंद आ गई। तेरी सुंदरता मुझे भा गई। इसीलिए मैंने तेरा भाग्य खोल दिया और तुझे अपना लिया, तुझसे शादी की। शादी के बाद तो पति-पत्नी साथ में ...।"
"चुप हो जाओ तुम। तुम ऐसे इंसान हो यदि मालूम होता तो मैं तुमसे कभी शादी नहीं करती। तुम्हारी इस दौलत का मुझे कोई लालच नहीं है। जिन्हें होगा वही तुम्हारे साथ सोने के लिए तरसती होंगी, मैं नहीं। मैं मेरे घर वापस जा रही हूँ," कहते हुए अनामिका जैसे ही पलटी तो उसने देखा कि सामने उसके पापा मम्मी खड़े हैं और उनकी आंखों से आंसू बहते चले जा रहे हैं।
रात को अरुण को अनामिका को लेकर बहुत डरावने सपने आए थे। इसलिए उनका मन नहीं माना और वह अचानक उससे मिलने चले आए । यहाँ आकर उन्होंने जो देखा वह देखकर उन्हें यह विश्वास हो गया कि उन्होंने धोखा खा लिया है। इस समय वह अनामिका का बर्बाद होता जीवन अपनी आंखों के सामने ही देख रहे थे।
अनामिका रो रही थी उसने जैसे ही अपने पापा मम्मी को देखा वह दौड़ कर अपने पापा के सीने से लिपट गई। ।
राजीव अब भी बेशर्मों की तरह व्यवहार कर रहा था। उसने कहा, "आपकी बेटी के तो नखरे ही निराले हैं। इसने तो मुझे कमरे में बंद कर दिया था। पूछिए इससे क्या कुसूर है मेरा? मैं इसके साथ ...!"
वह आगे कुछ कहता इससे पहले अनामिका ने आकर उसके गाल पर एक तमाचा लगाते हुए कहा, "बड़ों की मान मर्यादा का ख़्याल तक नहीं है तुम्हें। किसके सामने क्या कहना चाहिए किसी ने यह भी नहीं सिखाया तुम्हें।"
तभी राजीव का हाथ भी उठने लगा तो अनामिका के पापा बीच में आ गए। उन्होंने कहा, "दामाद जी आप प्लीज शांत हो जाइए। अभी इस समय हम हमारी बेटी को वापस लेकर जा रहे हैं। जब भी आप शांति से बात करने के मूड में हो, आ जाना।"
इसके बाद उन्होंने अनामिका का हाथ पकड़ा और कहा, "चलो बेटा यहाँ तुम्हारा खुश रहना मुश्किल है। तुम्हें धन दौलत, शौक की वस्तुएँ, ऐशो आराम सभी मिल जाएगा लेकिन जो तुम्हें चाहिए वह प्यार नहीं मिलेगा।"
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः