अनामिका को शगुन देकर सरगम ने राजीव के साथ इस रिश्ते पर दोनों परिवारों की रजामंदी की मोहर लगा दी। अब तो शहनाई बजने की तैयारियाँ दोनों तरफ़ ही शुरू कर दी गईं । बिना समय व्यर्थ गंवाए उन लोगों ने चट मंगनी और पट ब्याह रचा दिया।
आज अनामिका और राजीव की सुहाग रात थी। अनामिका सुहाग की सेज पर बैठी राजीव का इंतज़ार कर रही थी। वह बहुत खुश थी क्योंकि उसके पापा मम्मी की ख़ुशी में ही उसने अपनी भी ख़ुशी ढूँढ ली थी। जब शादी हो ही रही है तो फिर दुखी होने से भी क्या होगा और फिर राजीव ने भी तो उसे आश्वासन दिया था कि विवाहोपरांत भी वह उसकी सभी इच्छा पूरी कर सकती है। अपने खूबसूरत जीवन के और अभी आने वाले सुंदर पलों के सपनों में खोई अनामिका अपने राजीव का इंतज़ार करती रही।
काफी समय तो वह इंतज़ार प्यार भरा लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे समय बढ़ता ही जा रहा था। अब उसे बेचैनी महसूस होने लगी थी और इरिटेशन भी हो रहा था। ये क्या बात है वह इंतज़ार कर रही है और राजीव को उसके लिए कोई एहसास ही नहीं है कि उसे जल्दी आना चाहिए। फिर भी अनामिका इंतज़ार करते हुए बार-बार घड़ी की तरफ़ देखती रही और उसकी टिक-टिक की आवाज़ को सुनती रही परंतु राजीव नहीं आया। अब अनामिका को नींद आ रही थी, उसने सोचा और इंतज़ार करने से अच्छा है वह अपनी नींद ही पूरी कर ले। वह लेट गई और तभी उसकी आँख लग गई।
कुछ जागी, कुछ सोई अनामिका को लगभग ढाई बजे ज़ोर से दरवाज़ा बंद करने की आवाज़ आई तो वह चमक कर उठ बैठी। उसने देखा कि सामने शराब के नशे में चूर राजीव उसकी तरफ़ आ रहा था। अनामिका को पहले से ही शराब से बहुत ज़्यादा नफ़रत थी। वह उठकर खड़ी हो गई। राजीव इस समय अपनी प्यास बुझाने के लिए बेकरार था । वह अनामिका की तरफ़ आया और बिना कुछ कहे उसे बिस्तर की तरफ़ खींचने लगा। ना बात ना चीत, ना दो पल का इंतज़ार, भूखे शेर की तरह वह अनामिका को पा लेना चाह रहा था। अनामिका बिल्कुल ऐसा महसूस कर रही थी मानो शादी करके राजीव को यह सब करने का लाइसेंस मिल गया है।
अपने आप को छुड़ाते हुए उसने कहा, "राजीव तुम होश में नहीं हो, छोड़ो मुझे। तुम्हारे पास से मुझे शराब की बदबू आ रही है। प्लीज तुम जाओ यहाँ से।"
"अरे अनु मैं जाने के लिए थोड़ी आया हूँ। मैं तो तुम्हें पाने के लिए आया हूँ। तुम मना नहीं कर सकतीं, शादी की है मैंने तुमसे।"
राजीव बिल्कुल होश में नहीं था, वह अनामिका के साथ सुहाग रात मनाना चाह रहा था पर ऐसी सुहाग रात ...? अनामिका ऐसी सुहाग रात मनाने के लिए कतई तैयार नहीं थी। उसने तो सोचा था राजीव आएगा, प्यार से उसका घूंघट उठायेगा, प्यार भरी बातें करेगा और जब वह भी उसके साथ थोड़ी सहज हो जाएगी तब ..., लेकिन अनामिका का यह रंगीन सपना तो शराब के अंदर घोल कर राजीव ने अपने अंदर उतार लिया था। वह भूल गया था कि सुहाग रात के लिए उसकी पत्नी के भी कुछ सपने होंगे जिन्हें पूरा करने की जिम्मेदारी उसकी थी।
राजीव की ऐसी हरकत से अनामिका हैरान और परेशान थी। वह इस तरह से अपना समर्पण नहीं करना चाहती थी। अपना सब कुछ प्यार से अर्पण करना और मजबूरी में हाथ खड़े करके समर्पण कर देना दोनों में बहुत अंतर होता है।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः