Nafrat e Ishq - 13 in Hindi Love Stories by Sony books and stories PDF | नफ़रत-ए-इश्क - 13

The Author
Featured Books
Categories
Share

नफ़रत-ए-इश्क - 13

अवार्ड फंक्शन....,

मुंबई के एक सेवन स्टार होटल में आज के अवार्ड फंक्शन के लिए एक ग्रांट इवेंट अरेंज किया गया था।जहां पर यशवर्धन रायचंद को बतौर चीफ गेस्ट बुलाए गया था। इस शर्त पर के, भले ही विराट को बेस्ट बिजनेसमैन का अवार्ड मिले, लिकिन अभय रायचंद केलिए एक स्पेशल अवार्ड क्रिएट किया जाए। और ऐसा ही हुआ था। अभय रायचंद केलिए" बेस्ट अवार्ड फॉर क्रिएटिव एक्सीलेंसी"का अवार्ड रातों रात क्रिएट किया गया था।

माइक के सामने खड़ा एंकर उनके तारीफों के पुल बांधे जा रहा था। लेकिन यशबर्धन की नजरों जैसे आते वक्त से ही किसी खास के इंतजार में ही थे।

अभय और सिद्धार्थ वहीं आसपास बैठे हुए बिजनेस के बारे में ही बात करने में व्यस्त थे ।

तभी उस इवेंट में श्लोक के शब्दों में कहें तो किसी हॉलीवुड हीरो की तरह विराट अग्निहोत्री की एंट्री होती है ।सबकी नजर एक टक विराट पर ही ठहर जाती है ।विराट तेज कदमों से चलते हुए सीधे सामने के row में पड़े चेयर पर बैठ जाता है ।जिस पर पहले से ही उसका नाम लिखा हुआ था। उसके साइड में बैठे सिद्धार्थ और अभय एक नजर उस पर डालते हैं ।लेकिन विराट पैरों के ऊपर पैर डाल कर किसी प्रिंस की तरह चेयर पर टिक जाता है। जैसे उसके अलावा उस पूरे हॉल में और कोई भी ना हो। सब रिपोर्टर्स की नजर उसपर पड़ती है ,तो श्लोक सबको रोकते हुए बोला,

"प्लीज एक बार इवेंट खत्म हो जाने दीजिए, फिर विराट अग्निहोत्री आपके सारे सवालों का जवाब देंगे ।तब तक प्लीज शांति बनाए रखें।"

कहते हुए श्लोक विराट के पास बैठ जाता है। और विराट को परेशान देख फिक्र भरी आवाज में,

"क्या हुआ भाई ,परेशान क्यों है आप?"

विराट कॉल पर कॉल लगाते हुए,"जान कॉल नहीं पिक कर रही है। और ना ही मेरे मैसेज का कोई जवाब दे रही है ।"

विराट  परेशान होते हुए बोला।

श्लोक उसे मजाकिया अंदाज में अपना फोन देखते हुए,

" अरे भाई रात को ज्यादा चढ़ गई होगी, टल्ली होकर पड़ी होगी अपने बेड में ।आप फिकर मत कीजिए।"

बोलते हुए वो किसी की जलती नजर अपने ऊपर महसूस करता है ,और डरते हुए जब नजर उठाकर देखा तो विराट उसे आग गलती नजरों से देख रहा था ।

उसे देखकर ही श्लोक को महसूस हुआ के उसका दिल , गुर्दा सब निकल कर बाहर आने वाला है ।कुछ पल के लिए उसे वो फूल चिल्ड हाल में भी रेगिस्तान की तपती गर्मी महसूस होने लगी। वो अपनी टाई का नट ढीली करते हुए हकलाते आवाज में,

"भाई , वो, में तो वो बस में वो मजाक ,

वो कुछ और बोलना, विराट की नजरों को देख उसके होठों खुद ब खुद खामोश हो गए।

विराट उसे देखकर दांत पीसते हुए दबे लफ्जों में बोला,

"वो जितनी भी टल्ली हो जाए ,मेरी कोई भी स्पेशल दिन मिस नहीं करती है ।और ना ही ऐसा कभी हुआ है कि वो मेरे मैसेज या कॉल का जवाब न दे । अगर वो नहीं आई है या कॉल पिक नहीं कर रही है इसका मतलब है कि वो ठीक नहीं है ।"

कहते हुए विराट गुस्से से श्लोक की ओर देखने लगा। फिर यूं ही देखते हुए वापस से बोला,

"इसलिए इवेंट खत्म होने से पहले पता लगाओ कि वो कहां है ,और कैसी है।"

"जी भाई ।"

कहते हुए श्लोक वहां से उठकर जाने लगा। विराट उसे रोकते हुए,

"कल वो अपने डैड के घर गई थी । आई एम sure वहीं पर कुछ हुआ होगा ।पता करो और उससे कांटेक्ट हो तो बोलना मुझे तुरंत कॉल करें ।"

"जी भाई ।"

बोलकर श्लोक खड़ा हुआ और वहां से जाने लगा।

"श्लोक "

विराट पीछे से आवाज देता है ।श्लोक रूक गया और पीछे मुड़कर देखता है।विराट अपने सीट से उठकर अपने कोर्ट का बटन बंद करते हुए उसके करीब आता है और उसके सामने खड़ा होकर बोला ,

"जब कोई इंसान समझ में ना आए तो इसका ये मतलब नहीं कि वो इंसान गलत है ।अगर किसी की बारे में अपनी राय देनी हो तो उस इंसान को पूरी तरह से समझ लेना, और अगर वो इंसान ना समझ में आए तो उसके बारेमे कोई राय मत देना।"

विराट की बात सुनकर श्लोक अपनी नज़रें नीचे कर लेता है।

विराट उसकी झुकी नज़रों को देख अपने चेहरे की भाव बदलते हुए थोड़ा मुस्कुरा कर बोला ,

"अब ऐसे भोंदू सा शक्ल मत बना। इतना बनठन कर आया है ,ऐसी शकल बनाएगा तो कौन लड़की पटेगी तुखसे?"

"सॉरी भाई। "

विराट की बात सुनकर श्लोक ने कहा और मुस्कुरा दिया।

विराट उसके कंधे को थपथापा कर,

"चल अब जल्दी से जा।जान के बारे में पता लगा और मुझे बता ।"

"जी भाई "

कहते हुए श्लोक किसी को फोन लगाते हुए वहां से चला गया।

और विराट फिरसे अपने वही एक्सप्रेशनलेस चेहरे पर वापस आकर अपनी जगह पर बैठ गया।

सिद्धार्थ एक नजर विराट पर डालता है जो इस वक्त बिना किसी भाव अपने फोन पर बिजी था ।फिर अभय की तरफ देखते हुए बोला,

"ये विराट अग्निहोत्री कुछ ज्यादा ही एटीट्यूड नहीं दिखा रहा है?"

अभय जो बेपरवा बैठे हुए था सिद्धार्थ की बात सुनकर एक नजर विराट के और देखता है ,और दूसरे ही पल स्टेज पर यशवर्धन के तरफ नजर डालकर बोला,

"चलो कोई तो है जो यशवर्धन रायचंद के सामने डटकर खड़ा होने की ताकत रखता है ।"

सिद्धार्थ उसकी बात सुनकर उसके और अजीब नजरों से देखते हुए बोला ,

"भाई आप भी ना , जब भी देखो दादू के पीछे ही पड़े रहते हैं।"

उसकी बात सुनकर अभय एक तिरछा मुस्कुराते हुए बोला,

"गलत , ये काम बस यशबर्धन रायचंद को ही सोभादेता है। दूसरों की जिंदगी में दखलअंदाजी करना और उनके पीछे पड़े रहना ।

अभय ने कहा और सिद्धार्थ के और देख, वहां से उठकर जाने लगा।

"भाई अवॉर्ड तो आप को भी मिलनेवाला है। फिर जा कहां रही हैं आप?"

अभय रुकते हुए सिद्धार्थ के तरफ़ देख कर बेपरवा अंदाज में बोला,

"जिसने अवार्ड खरीदा है वही रिसीव भी करलेंगे। हमे किसी अवार्ड की ज़रूरत नहीं है। हम अपनी काबिलियत जानते हैं।"

कहते हुए अभय जाने लगा।

"हेलो mr रायचंद।"

अभय जो अभी आगे की तरफ कदम बड़ा ही रहा था अचानक पीछे से किसी की आवाज सुनकर ठहरकर पीछे मुड़कर देखने लगा।

विराट अपनी चेयर से उठकर उसके और कदम बढ़ाकर अपने हाथ उसके और बढ़ाते हुए,

"कंग्रॅजुलेशन मिस्टर रायचंद। उस अवार्ड के लिए जो रातों-रात बस आपके लिए ही क्रिएट किया गया है ।"

बोल कर वो एक व्यंग भरे भाव से मुस्कुराता है। अभय उसके चेहरे के भाव को समझते हुए उसके ही लहजे में उससे हाथ मिलाते हुए बोला,

"आपको भी कंग्रॅजुलेशन मिस्टर अग्निहोत्री ,उस अवार्ड के लिए जिससे आप डिजर्व करते हैं ।"

कहते हुए वो भी मुस्कुराने लगा।

अभय कुछ और बोलने को था कि तभी स्टेज पर विराट का नाम अनाउंस होता हुआ सुनकर बात बदल कर बोला,

"लीजिए आपका नाम भी अनाउंस हो गया ।जाइए और अपना डे इंजॉय कीजिए ।"

कहते हुए वो विराट का कंधा थपथपा कर वहां से जाने लगा।

विराट उसे पीछे से रोकते हुए ,

"मिस्टर रायचंद ऐसे कैसे? मेरी कामयाबी पर एक ताली आप के ओर से तो बनता ही है ।अब इतनी औकात तो मेरी बन ही गई है के रायचंद के सामने खडा हो सकूं।

विराट ने कहा और अजीब सी नजर से अभय को देखकर स्टेज के तरफ चला गया।

रायचंद हाउस

चित्रा जी और सरगम हाल में एक बड़े से सोफे पर एक साथ ही बैठे हुए ढेर सारी साड़ियां और गहनों को एक-एक करके परख रहे थे ।वहीं पर नीचे बैठे हुए दो औरतें एक ही साथ साड़ी और गहनों को गिफ्ट पैक करते हुए एक साइड रख रहे थे ।

तपस्या अधि नींद में सीडीओ से नीचे आती है ,और आलस भरी आवाज में आधे अधूरे आंख खोल कर ,

"गुड मॉर्निंग चाची।गुड मॉर्निंग मां ।"

दोनों चित्रा जी और सरगम तपस्या की तरफ देखती है जो अभी एक पिंक कलर की वन पीस नाईट ड्रेस पहने हुए किसी छोटी बच्ची की तरह उनके सामने खड़ी थी।

चित्रा जी तपस्या को देख मुस्कुराते हुए ,"आइए बच्चा"

तपस्या उनके पास आकर सोफे पर बैठ जाती है ।और उनके गोद में सर रखकर मुं बनाते हुए "सब ऑफिस चले गए क्या?"

चित्रा जी उसके सवालों का जवाब देते हुए "नहीं बेटा बस आपके पापा और चाचू ऑफिस गए हैं ।बाकी आपके भाई और आपके दादू अवार्ड फंक्शन में गए हैं।"

तपस्या एक्साइटमेंट के साथ उठकर बैठ जाती है और मुस्कुराते हुए बोली  "तो फिर आज तो भाई को अवार्ड मिलने वाला होगा ना? बेस्ट बिजनेसमैन ऑफ द ईयर का।"

सरगम जी थोड़ा मायूस सी हो कर "नहीं बच्चा आपके भाई को नही,कहते कहते वो रुक गई।

सामने आते हुए समर के ऊपर उनकी नजर पड़ती है ।और वो तपस्या के और देख बोली,"बिजनेस के बारे मे सवाल जवाब अपने चाचू से ही कर लिजिए।"

तपस्या मुड़कर देखती है तो समर चलकर उसी के और ही आ रहे थे। वो भाग कर उनके पास जाती है और उनको गले लगाते हुए ,

"गुड मॉर्निंग चाचू।"

तपस्या की बात सुनकर समर मजाकिया अंदाज में बोले,

वैसे तो प्रिंसेस ये मॉर्निंग नहीं आफ्टरनून हो चला है ,फिर भी आप लंदन से आई हैं तो ,आपके लिए मॉर्निंग ही समझ लेते हैं ।"

बोलते कर वो तपस्या के माथे को चूम लेते हैं।

तपस्या उन्हें सवालिया नजरों से देख कर,

"इस वक्त आप यहां? आप को तो आफिस में होना चाहीए था।"

समर सरगम के ओर नजर डाल कर,

" हमारे स्टडी टेबल के उपर कुछ फाइल रखे हुए हैं। किसीको बोल दिजिए हमे लाकर दें।"

समर ने कहा और वापस से तपस्या के और देखकर,

"कुछ पूछ रहि थीं आप?"

इससे पहले कि तपस्या कुछ बोलती सरगम समर को देखते हुए,

"आप इस बख्त घर पर, आफिस से जल्दी आ गए?"

उनकी बात सुनकर समर व्यंग से मुस्कुराते हुए बोले ,

"फिक्र मत कीजिए धर्म पत्नि जी आप को परेशान करने नहीं आए हैं। एक मीटिंग केलिए जाना है। बस कुछ फाइल्स लेने आए थे । अभि जा ही रहें हैं।"

उनकी बात सुनकर सरगम कुछ नहीं बोलि। बस एक नजर समर के और डाल कर मुं फेर कर जानें लगी।

तपस्या उन्हें देख कर,

"चाचू दिस इज नॉट फेयर। चाची ने तो बस यूं हीं पुछ लिया था।"

कहते हुए तपस्या नाराज हुए समर को ही घूरे जा रही थी।

समर अचानक से अपना भाव बदल कर सरगम के कलाई खिंच कर उन्हें अपने ओर लाते हैं। और उन्हे कमर से पकड़ कर अपने ओर करते हुए बोले,

"तो हम भी कहां सीरियस थे, हम भी मजाक ही कर रहे थे।"

कहते हुए वो सरगम के कानों के पास हलका झुक कर धीमी आवाज में बोले,

"हमे पता है धर्म पत्नि जी हमारा आप के आस पास रहना आप को बिलकुल गवारा नहीं। लेकिन अच्छा होगा के हम अपना ये गुस्सा और नफरत वाला गेम बेडरूम तक ही रखें । क्यों के हम नहीं चाहते के इन सब बातों का तनु या प्रिंसेस पर कोई असर पड़े। उनके नजरों में हम एक परफैक्ट कपल हैं, तो उनका ये भ्रम बनाए रखते हैं।"

समर ने कहा और सरगम के गाल को हलका चूम कर उन्हें छोड़ दीया।

सरगम अपने नम आंखों को साफ करते हुए हलका मुस्कुराकर,

"आप चाय कॉफी कुछ लेंगे?"

समर ना में सिर हिला ते हुए सरगम के ओर दिखने लगें।

तपस्या उन्हें टोक ते हुए सरारती अंदाज में,

हमे पता हे चाचू के चाची बहत खुबसूरत लग रही हैं । लिकिन उन्हों आप बाद में निहार लिजिएगा। अभी आप हमें बताइए भाई को अवार्ड नहीं मिला तो किसे मिला है ?किसकी ये हिम्मत हुई ,यशवर्धन रायचंद के पोते अभय रायचंद के हाथों से अवार्ड छीन सके? उसे जानकारी नहीं है क्या अभी हम आ गए हैं ?नाक में दम कर देंगे उस स्टुपिड इंसान के ।"

तपस्या नौटंकी भरी अदा से समर की ओर देख बोलने लगी।

उसकी बात सुनकर समर उसी के ही लहजे में बोले,

"विराट अग्निहोत्री है नाम उसका ।फिलहाल तो वही रायचंद के नाक में दम करके रखा हुआ है ।"

समर की बात सुनकर तपस्या उन्हें आंखें छोटी और नाक पर गुस्सा लिए घूरते हुए बोला ,

"एक बार मुलाकात तो करवा दीजिए उस विराट अग्निहोत्री से।छोड़ेंगे नहीं उसे मार डालेंगे हम ।"

कहते हुए वो चेहरे पर पड़े बालों को फूंक से उड़ाने लगी।

उसकी बात सुनकर समर हंसते हुए उसकी नाक पकड़ ते हुए बोले ,

"छोड़िएगा मत पकड़ के ही रखियेगा उन्हें। आज आपके वेलकम पार्टी में आ रहे हैं । सारा बदला लीजिएगा ।"

दूसरे ओर अवॉर्ड फंक्शन्स में.....

विराट स्टेज पर बड़े ही अदब से चलकर जाता है। उसकी स्टाइल उसकी पर्सनालिटी ,उसकी हर एक मूव के लिए अब तक वो एक स्टाइल आइकन बन चुका था। लड़कियां तो लड़कियां लड़कों के नजर भी उसी पर ही टिके हुए थे।

विराट स्टेज पर जाकर यशवर्धन जी से अवार्ड रिसीव करता है। यशवर्धन एक टक बस उसे ही देखे जा रहे थे। सायद अन्दर ही अंदर कुछ तसल्ली कर रहे थें।वहीं विराट खुद को हर मुमकिन नॉर्मल रखने की कोशिश करता है। भले ही उसके अन्दर तुफानो के बवंडर चल रहे थें। अतीत की हर एक तसबीर उसके आंखों के सामने एक एक कर किसी फ्लैशबैक की तरह रोल हुए जा रहे थें ।फिर भी वो खुद के अंदर की तूफान को खुद में ही दबा कर बेहद अदब और रिस्पेक्ट के साथ बोला,

"थैंक यू सो मच सर आपके हाथ से ये अवार्ड रिसीव करना it means a lot to me"

कहते हुए वो मुस्कुरा देता है।

यशवर्धन कुछ पल उसके और देखते हैं और मन ही मन कुछ तसल्ली करने के बाद विराट की पीठ थपथपा कर बोले,

"आई एम प्राउड ऑफ यू, बरखुरदार हमें अच्छे लगते हैं वो लोग जो अपनी लक्ष्य के प्रति सीरियस और फॉक्स रहते हैं ।"

कहते हुए वो नीचे फर्स्ट रो में खड़े अभय के ऊपर एक सर्द नजर डालते हैं ।लेकिन अभय को कुछ खास फर्क नहीं पड़ता ।और वो चुपचाप दो-तीन बार क्लैप करते हुए वहां से चला जाता है।

शो की होस्ट विराट के और देखते हुए दो लफ्ज़ बोलने के लिए रिक्वेस्ट करते हैं। विराट को तो जैसे इसी पल का इंतजार था । वो एक नजर यशवर्धन पर डालकर हल्का मुस्कुराते हुए माइक के पास चलकर खड़ा हो गया और हाथ में पकड़े अवार्ड को देखकर बोलने लगा,

"थैंक्स एवरीवन मुझे इस इज्जत से नवाज ने के लिए ।लेकिन इसके असली हकदार में नहीं बल्कि वो है जिनकी वजह से आज में इस मुकाम पर हूं ।और वो है मिस्टर यशवर्धन रायचंद ।"

ये सुनकर सब उसे हैरानी से देखने लगे। उन सब में सबसे हैरान खुद यशवर्धन रायचंद ही थे ।विराट सब की कंफ्यूजन को दूर करते हुए यशवर्धन जी के और देख बोला ,

"जब मैं छोटा था तब से mr यशबर्धन को देखकर ही बिजनेस के दाव पेंच सीखा हूं। उनके ही इंटरव्यूज पढ़ कर उनके इतिहास समझकर ही में आज इस पोजीशन पर हूं ।तो इसलिए इस अवार्ड की असली हकदार मिस्टर यशवर्धन ही है।"

कहते हुए वो रिस्पेक्ट के साथ यशवर्धन के सामने आंखें झुका देता है ।यशवर्धन का सीना कुछ ज्यादा ही चौड़ा हो जाता है ।और उनकी आंखों में कुछ अलग ही चमक आ जाती है ।उन्हें सिद्धार्थ नीचे चेयर पर बैठा विराट को देख गुस्से से जल भुन रहा था।

इवेंट खत्म हुआ विराट भी मीडिया के सवालों का जवाब देकर वहां से जाने लगा । इस बीच न जाने कितनी बार वो जानवी को और श्लोक को कॉल लगा चुका था ।आखिर में श्लोक कॉल पिक करता है।

विराट कॉल पर,

"श्लोक तुझे जान के बारे में पता करने भेजा था, खुद को गायब करने नहीं ।"

विराट गुस्से से बोला।

दूसरे ओर से कुछ फिक्र और भारी आवाज में,

"भाई वो हम लोग सिटी हॉस्पिटल में है।"

ये सुनकर विराट एक पल केलिए थम जाता है । फिर जगह और मौके की नजाकत को देख खुद को संभाल कर एक कोने में जाकर धीमी आवाज में बोला,

"जान ठीक तो है ना श्लोक ?"

दूसरी ओर से श्लोक उसे समझाते हुए ध्यान से बोला ,

"भाई आप पैनिक मत होना ,बस ध्यान से सुनना । क्यों के मुझे पता है आप इस वक्त इवेंट में है ,और उस यशवर्धन की नजर आप पर ही होगी ।"

विराट उसकी बात सुनकर इधर-उधर& देखता है। कुछ रिपोर्टर्स उसके तरफ ही देख रहे थे । और यशबर्घन चल कर उसके ही और आ रहे थें। विराट आंखें बंद कर एक गहरी सांस लेकर खुद को नॉर्मल करते हुए बोला,

"बस इतना बोल ,जान ठीक है या नहीं ?बाकी हम बाद में बात कर लेंगे ।"

श्लोक शांति से बोला,"जी भाई वो बिल्कुल ठीक है । और अभी में डॉक्टर से ही बात कर रहा था बस उसने कुछ ज्यादा ही स्लीपिंग पिल्स खा लिए थे। उसी के असर से ही बेहोश है ।"

श्लोक जो हॉस्पिटल में जानवी के कैबिन के दरवाजे के पास ही खड़ा होकर बात कर रहा था ,चलकर जानवी के करीब खड़ा हुआ। जानवी बेहोशी में बेड पर लेटी हुई थी। विराट उसकी बात सुनकर कुछ वक्त ख़ामोश रहा। फिर बोला ,

"मैं यहां से जल्दी निकलने की कोशिश करता हूं ।जब तक मैं वहां ना पहुंचूं जान के साथ ही रहना ।समझा?"

कहते हुए यशवर्धन जी को अपने बस 10 कदम की दूरी पर देख फोन कट कर देता है। श्लोक कुछ कहने को हुआ लेकिन उससे पहले ही फोन कट चुका था। ये देखकर श्लोक एक नजर जानवी के ऊपर डालकर मन ही मन बोला,

"कहां इस पागल के पास भाई ने मुझे फंसा दिया । ना जाने कब उठ जाए और उल जुलूल हरकतें करने लगे। इसे तो यहां नहीं बल्कि पागलखाने में एडमिट करना चाहिए ।दो-चार शौक लगेंगे तो अपने आप ही सीधी हो जाएगी ।"

कहते हुए श्लोक उसके पास पड़े चेयर पर बैठ गया और मोबाइल पर बिजनेस न्यूज देखने लगा।



कहानी आगे जारी है ❤️ ❤️