Shubham - Kahi Deep Jale Kahi Dil - 30 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 30

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 30

"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -३०)

युक्ति का भाई डाक्टर शुभम को युक्ति की कहानी बताता है।

अब आगे...


रवि:-'युक्ति नेपकिन लेने गई। मां ने कुछ सोचा और बाद में नींबू पानी में जहर डाल दिया। युक्ति नैपकिन ले आई और नींबू पानी में जहर डालना चाह रही थी, मां ने कहा कि नींबू पानी में तुमने जहर मिलाया गया है।  जहरीले तरल पदार्थ को सही जगह पर रख दिया गया है। अब इसमें  शुगर मिलाना बाकी है। मानसिक विकार के कारण युक्ति को अधिक कुछ याद नहीं रहता था, उसे लगता था कि उसने जहर मिला दिया है।  फिर  शुगर डालकर पापा को दे दी। जिसे पिता ने पी लिया।  युक्ति समझ गई कि इसी वजह से पिता की मौत हुई है।'

डॉक्टर शुभम:-"क्या कोई पत्नी अपने पति के लिए ऐसा कर सकती है? क्या कोई माँ अपनी बेटी को इस तरह फंसा सकती है? मुझे विश्वास नहीं होता। क्या आप अपनी कल्पना से बात कर रहे हैं या यह सच है? मनगढ़ंत कहानी तो नहीं है, अपने आप को बचाने के लिए?क्या आपके पास कोई सबूत है?"

रवि:- "डॉक्टर साहब, पहले तो मैं भी मानने को तैयार नहीं था। क्या कोई मां अपने बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है? मेरी मां को युक्ति से बहुत स्नेह था। लेकिन आखिरकार युक्ति की जिद और घर में शरारती हरकतों के कारण, मुझे लगा कि माँ को उससे थोड़ी नफरत है। मेरे पिता पहले ऐसे नहीं थे, लेकिन अपनी जिद के कारण वह इतना नीच कदम उठाने को तैयार हो गए। मेरी माँ ने अपने अंतिम क्षणों में कबूल किया कि उन्होंने नींबू पानी में जहर मिलाया था । उसके बाद मैंने इसे साबित करने के लिए एक कबूलनामा तैयार किया। लेकिन माताजी ने खुद स्वीकार किया ।अपने अंतिम क्षणों में गुजराती में कबूलनामा पर हस्ताक्षर किए थे। मेरे पास इसकी एक फोटो कॉपी है। युक्ति की अस्थिर मानसिक स्थिति के कारण मैं इसे अपने पास नहीं रख सकता। मुझे अपने हितों के बारे में सोचना होगा। अब मुझे अपना करियर बनाने पर ध्यान देना होगा।'' 

इतना कहने के बाद रवि ने अपनी मां का कबूलनामा डॉक्टर शुभम को दे दिया.

डॉक्टर शुभम ने रवि को धन्यवाद दिया और कन्फेशन लिया।
जाने के लिए छुट्टी ले ली।
जाते समय डॉक्टर शुभम ने रवि से पूछा कि जरूरत पड़ने पर वह कोर्ट में उपस्थित होंगे?
पहले तो रवि ने मना कर दिया लेकिन फिर अंत में मान गया और रवि ने कहा कि वह उसका नया पता एक कागज में लिख देगा लेकिन वह युक्ति की ज़िम्मेदारी नहीं लेना चाहता।
आख़िरकार डॉक्टर शुभम ने रवि से छुट्टी ले ली।
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अलार्म बजते ही डॉक्टर शुभम की आँखें झपक गईं।
ओह देखा ,सुबह हो गई।  नींद भी नहीं आई,सुबह के साढ़े पांच बजे थे।
डॉक्टर शुभम सोचने लगे कि आज युक्ति की पुरानी यादें ताज़ा हो गईं।

डॉक्टर शुभम को नींद आ रही थी  इसलिए वह सोने की कोशिश करने लगे।

सुबह अलार्म बजते ही डॉक्टर शुभम की आँखे खुल गई। डॉक्टर शुभम सोचने लगे कि आज तो युक्ति की पुरानी यादें ताज़ा हो गईं।

डॉक्टर शुभम की आंखों में नींद आ रही थी इसलिए वह सोने की कोशिश करने लगे।

लगभग एक घंटे तक सोने के बाद, डॉक्टर शुभम ने अपनी सुबह की दिनचर्या शुरू की।

डॉक्टर शुभम अस्पताल जाने के लिए तैयार हुआ 
तभी बेटी प्रांजल का मैसेज आया..
देखा... अच्छा  प्रांजल का मैसेज है 
पढ़ने लगे..
सुप्रभात पापा, मैं और मेरी दोस्त दिव्या हमारे घर  आ रहे हैं। दिव्या आपसे मिलकर जल्द ही चली जाएगी। ठीक है.. अलविदा.. पापा..

यह मैसेज पढ़कर शुभम खुश हो गया।
शुभम खुश हो गया।आखिरकार बेटी आ रही है, इसके लिए क्या तैयारी करूं? 

लेकिन फिर सोचा कि नहीं..नहीं.. अगर उसकी सहेली भी आएगी तो ...जब वो लोग आएंगे तो मैं फैसला करूंगा.

शुभम को रूपा की याद आई।  अभी तक रूपा का फोन नहीं आया।

तभी रूपा का मैसेज आया..
क्या मैं आपको कॉल कर सकती हूं?

जब डॉक्टर शुभम रूपा को मैसेज करने जा रहा था तभी रूपा का कॉल आ गया।

नमस्ते..सुप्रभात डॉक्टर शुभम्।  अस्पताल सेवा के लिए आप तैयार हो गये? क्या मैं ने ग़लत टाइम पर कोल किया है?

डॉक्टर शुभम:- 'रूपा, गुड मॉर्निंग।  मेरा मज़ाक मत उड़ाओ।डॉक्टर बनने के बाद हमें मरीज की सेवा पर ध्यान देना चाहिए।'

रूपा:-' हाँ.. डॉक्टर हाँ.. आप सही हैं लेकिन हमें पारिवारिक जीवन के बारे में भी सोचना है।'

डॉक्टर शुभम:- 'आप सही कह रहे हैं। लेकिन जिंदगी में संतुलन बनाकर चलना होगा। अब सुनो, मेरी प्रांजल  मेरे घर पर आ रही है।लेकिन मुझे लगता है कि प्रांजल कोई सरप्राइज देगी।'

रूपा:-'हाँ बहुत बढ़िया।  प्रांजल आये तो मेरे घर आकर ले कर आना।  आपने कैसे जाना कि  प्रांजल आपको सरप्राइज देने वाली है?  मैं तो बस यही कह रही है कि आपके दोनों बच्चे बहुत होशियार हैं। लेकिन मुझे समझ नहीं आया कि आपने क्यूं जीवन में संतुलन की बात की? अस्पताल की सेवा और साथ साथ बच्चों की जिम्मेदारी।मैं अस्पताल में काम करने के साथ-साथ सामाजिक व्यवहार में भी रहती हूं।  अगर आपने संतुलन बनाए रखा होता तो आप इस स्थिति में नहीं होते।खैर.. मैं आपकी स्थिति जानता हूं कि आपने युक्ति से शादी तो कर ली, लेकिन आपने गलत फैसला लिया था।  आपको इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि बच्चों में युक्ति जैसा कोई गुण  न आए।'
( क्रमशः)
- कौशिक दवे