Competition between wife vs god in Hindi Spiritual Stories by Review wala books and stories PDF | पत्नि जी vs भगवान जी का competition

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पत्नि जी vs भगवान जी का competition

" बिना चेन के मन है बेचेन,यही है न आपकी शिकायत " स्वामी जी ने पूछा
" चेन और चैन,दो अलग शब्द हैं स्वामी जी " राम लाल बोला
" देखो,बिना चेन का मन क्या बेचेन नहीं होगा,और चेन नही तो चैन कहाँ से मिलेगा ?"
राम लाल की आँखे खुल गई
" अब चेन किसी को पसंद नहीं होती न,तो सबसे पहले आप मन को suggestion दो ,यह चेन नहीं है,यह समर्पण भी नहीं है,यह अर्पण है बस "
" अर्पित किसको करूँ?"
" अपने मन को कहिये कि वो बन्धने नहीं, अपने  नियंत्रक के पास जा रहा है "
" यह बंधन है पर इस चन्चल मन को कैसे समझाऊँ?"
" बंधन नहीं मुक्ति का द्वार है,एक नियंता है जो इसे मुक्त करके चैन प्रदान करेगा "
"मेरी नियंत्रक तो पत्नी है "
" पत्नी क्योकि आप गृहस्थी हो, साथ साथ आप को ,ईश्वर पर भी अधिक ध्यान देना ही है "
" तो यह कम्पिटिशन है क्या पत्नी और ईश्वर मे?"
" नही,दोनो एक दूसरे के पूरक है,आप ध्यान  करो पर् खाना आदि न मिले तो कैसे करोगे?"
" जी समझ मे आ गया,अब मेरी निराशा कम हो जाएगी,पत्नी की हेल्प तो लेनी ही पड़ेगी चैन लेने के लिए,साथ साथ  मुझे ईश्वर को  भी पाना है न,कर लूंगा न "
" तथास्तु " स्वामी जी बोले 

आगे चर्चा करते हैं.. 
यह एक दिलचस्प और गहन विषय है। गृहस्थ जीवन और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन बनाना एक महत्वपूर्ण पहलू है। आइए इस पर विस्तार से चर्चा करें:

   गृहस्थ जीवन और आध्यात्मिकता का संतुलन

  1. गृहस्थ जीवन का महत्व
गृहस्थ जीवन में पत्नी का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। वह न केवल परिवार की देखभाल करती है, बल्कि घर के सभी सदस्यों के लिए एक स्थिर और सुरक्षित वातावरण भी प्रदान करती है। गृहस्थ जीवन में पत्नी का योगदान निम्नलिखित है:
- परिवार की देखभाल. : बच्चों की परवरिश, बुजुर्गों की सेवा, और पति का सहयोग।
- घर का प्रबंधन. भोजन, सफाई, और अन्य घरेलू कार्यों का प्रबंधन।
- **भावनात्मक समर्थन**: परिवार के सदस्यों के लिए भावनात्मक सहारा और प्रेरणा का स्रोत।

  2. आध्यात्मिकता का महत्व
आध्यात्मिकता का अर्थ है ईश्वर के प्रति समर्पण और ध्यान। यह व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। आध्यात्मिकता के लाभ निम्नलिखित हैं:
- मानसिक शांति. : ध्यान और प्रार्थना से मन को शांति मिलती है।
- आत्मविकास. आत्मज्ञान और आत्मविकास की दिशा में प्रगति।
- सकारात्मक ऊर्जा. जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण और ऊर्जा का संचार।

    3.गृहस्थ जीवन और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन
गृहस्थ जीवन और आध्यात्मिकता एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों का संतुलन बनाना आवश्यक है ताकि व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए आध्यात्मिक उन्नति भी कर सके। इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- *समय प्रबंधन. दिनचर्या में समय का सही प्रबंधन करके गृहस्थ और आध्यात्मिक कार्यों के लिए समय निकालें।
- सहयोग और समझ. पति-पत्नी एक दूसरे के कार्यों और जिम्मेदारियों को समझें और सहयोग करें।
- संतुलित दृष्टिकोण. : जीवन के हर पहलू में संतुलन बनाए रखें, चाहे वह गृहस्थ जीवन हो या आध्यात्मिकता।

   4. उदाहरण
मान लीजिए, आप सुबह का समय ध्यान और प्रार्थना के लिए निर्धारित करते हैं। इसके बाद, आप अपने गृहस्थ कर्तव्यों का पालन करते हैं। इस प्रकार, आप दोनों क्षेत्रों में संतुलन बना सकते हैं। यदि आप ध्यान करते हैं लेकिन भोजन आदि की व्यवस्था नहीं होती, तो ध्यान में भी मन नहीं लगेगा। इसलिए, दोनों का संतुलन आवश्यक है।

निष्कर्ष
गृहस्थ जीवन और आध्यात्मिकता में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाकर, आप अपने जीवन को अधिक समृद्ध और संतुलित बना सकते हैं।