From Aqi to rural driving to livelihood.. my country in Hindi Anything by Review wala books and stories PDF | Aqi से देहाती ड्राइविंग से रोजी रोटी तक.. मेरा देश

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Aqi से देहाती ड्राइविंग से रोजी रोटी तक.. मेरा देश

आधुनिकता का पैमाना 

आधुनिकता की चकाचौंध में,
शहर की जनता खो रही है।
आकर्षण में बंधी हुई,
अपनी बर्बादी बो रही है।

ए.क्यू.आई. बढ़ता जाता,
सांसों में घुलता जहर।
प्रकृति की पुकार अनसुनी,
हम बढ़ते जा रहे हैं शहर।

धुएं की चादर ओढ़े,
आसमान भी रोता है।
हरियाली की जगह अब,
कंक्रीट का जंगल होता है।

आधुनिक जीवन की चाह में,
हमने सब कुछ खो दिया।
स्वच्छ हवा, नीला आसमान,
सब कुछ धुंधला हो गया।

आओ मिलकर सोचें,
कैसे बचाएं इस धरा को।
आधुनिकता के साथ-साथ,
संभालें प्रकृति की धरोहर को।

अब आता हूं देहाती स्टाइल ड्राइविंग पर.. 

शहरों की सड़कों पर, देहाती ड्राइविंग का आलम,
पार्किंग की समस्या, बन जाती है कालम।

गांव की सड़कों पर, जहां खुला आसमान,
शहर में वही ड्राइविंग, बन जाती है तूफान।

पार्किंग की जगह, जैसे सोने की खान,
हर कोई चाहता है, अपनी गाड़ी का सम्मान।

गलियों में गाड़ियों की, लगी रहती है कतार,
पार्किंग की लड़ाई में, खो जाता है प्यार।

एक जगह के लिए, होती है जंग,
कभी-कभी तो, हो जाता है संग्राम।

गलत पार्किंग से, होती है परेशानी,
दूसरों की गाड़ी, फंस जाती है बेचारी।

शहर की सड़कों पर, ये रोज़ का किस्सा,
पार्किंग की समस्या, बन गई है हिस्सा।

समाधान की तलाश में, भटकते हैं लोग,
शहर की इस भीड़ में, खो जाते हैं लोग।

पार्किंग की समस्या, है एक बड़ी चुनौती,
सभी को मिलकर, ढूंढनी होगी इसकी कुंजी।

शहर की सड़कों पर, लानी होगी व्यवस्था,
तभी खत्म होगी, ये पार्किंग की समस्या।

आओ मिलकर करें, एक नया प्रयास,
शहर की सड़कों को, बनाएं एक खास।

पार्किंग की समस्या, हो जाए दूर,
शहर की सड़कों पर, हो जाएं हम सब मजबूर।

इस कविता के माध्यम से, एक संदेश है मेरा,
पार्किंग की समस्या को, मिलकर सुलझाएं हम सबेरा।
(बेतहाशा बेरोजगारी के दिन और रोजगारों की कमियों के चलते कुछ नए ideas...) 

एक अनोखा रोजगार: पार्किंग टी-शर्ट का जादू

   प्रस्तावना
एक दिन, रमेश अपने दोस्तों के साथ चाय की चुस्कियों के बीच एक अनोखा विचार लेकर आया। उसने सोचा, "क्यों न एक टी-शर्ट पर किसी पार्किंग कंपनी का नाम लिखकर फ्री पार्किंग में जाकर पैसे वसूले जाएं?" दोस्तों ने पहले तो हंसी में उड़ा दिया, लेकिन फिर सोचा, "क्यों न इसे आजमाया जाए?"

योजना
रमेश ने एक टी-शर्ट पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा, "पार्किंग कंपनी - पार्किंग शुल्क वसूली विभाग"। उसने अपने दोस्तों को भी इस योजना में शामिल किया और सबने अपनी-अपनी टी-शर्ट्स तैयार कर लीं। 

   पहला दिन
पहले दिन, रमेश और उसके दोस्त शहर के सबसे बड़े मॉल की फ्री पार्किंग में पहुंचे। रमेश ने अपनी टी-शर्ट पहनी और एक नकली रसीद बुक भी साथ ले आया। जैसे ही कोई गाड़ी पार्क होती, रमेश बड़े आत्मविश्वास से उनके पास जाता और कहता, "सर, पार्किंग शुल्क 50 रुपये।"

  प्रतिक्रिया
पहले कुछ लोग तो चौंक गए, लेकिन रमेश की आत्मविश्वास भरी आवाज और टी-शर्ट देखकर उन्होंने पैसे दे दिए। रमेश और उसके दोस्तों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वे सोचने लगे, "वाह! ये तो बड़ा आसान है।"

   मजेदार मोड़
लेकिन, जैसे-जैसे दिन बीतता गया, लोगों को शक होने लगा। एक सज्जन ने रमेश से पूछा, "भाई, ये पार्किंग तो फ्री है। फिर ये शुल्क क्यों?" रमेश ने तुरंत जवाब दिया, "सर, ये नई नीति है।" लेकिन सज्जन ने मॉल के सुरक्षा गार्ड को बुला लिया।

   अंतिम परिणाम
सुरक्षा गार्ड ने रमेश और उसके दोस्तों को पकड़ लिया और मॉल के मैनेजर के पास ले गए। मैनेजर ने हंसते हुए कहा, "भाई, ये तो फ्री पार्किंग है। तुम लोग किस कंपनी से हो?" रमेश ने झिझकते हुए कहा, "सर, हम तो बस मजाक कर रहे थे।"

   मैनेजर ने रमेश और उसके दोस्तों को चेतावनी दी और खुद यहि करने लगा 
पापी पेट का सवाल था 
समय एसा ही चल रहा है 
कुछ और भी आपको याद आया क्या 
नहीं आया तो आ जाएगा 
य़ह समय लोगों ग़लत तरीके से आमदनी कराने का है 
ऊपर वाले भी यहि कर रहे हैं