अर्जुन को रोज रात को सपना आता।हसीन सपना।सपने में उसे एक सुंदर लडक़ी नजर आती।और दिन भर वह सोचता रहता सपने में दिखने वाली लड़की कौन है?उसका नाम क्या है?सपने में आने वाली लड़की हकीकत मे है या फिर उसकी कल्पना मात्र है।
सच्चाई जानने केलिय वह हर जगह बस स्टैंड,रेलवे स्टेशन,बाजार और पार्को मे और भीड़ जहाँ भी उसे नजर आती।वह सपने में दिखने वाली लड़की को तलाश करने लगा।उसे जगह जगह खोजने लगा।वह उसे कहीं भी नही मिली।तब उसने मां लिया सपने बन्द आंखों का भृम होते हैं जो नींद खुलने पर टूट जाते हैं।वह लडक़ी भी एक सपना ही थी।और जैसे और सपने सच नही हॉते ।यह भी कैसे हो सकता है।नसपना आना तो बन्द नही हुआ।भले ही असल मे वह लडक़ी उसे कहई भी नही मिल रही थी।लेकिन सपने में तो रोज रात को आ रही थी।
और वह सपना उसे बेचैन भी करता और सोचने को मजबूर भी।
लेकिन एक दिन
वह गुजर रहा था एक पुराने रास्ते से इस रास्ते मे विविध प्रकार के पेड़ों की कतारें थी।सूरज उदय हो रहा था।सूरज की लालिमा ने क्षितिज में लाल नारंगी रंग का मनोहारी दृश्य बना रखा था।उसकी नजर एक पेड़ के नीचे गयी तो वह चोंक गया।उसके सपनो में आने वाली रूपसी बाला साक्षात खड़ी थी।सूरज की किरणें उसके बालो पर पड़ रही थी।जिसमे उसके बाल सोने से दमक रहे थे।चेहरा उसका फूल सा खिला हुआ था।जैसी वह रोज रात को सपने में देखता था।वह बिल्कुल वैसी ही थी।वो ही रूप,वो ही नैन नक्स
और उस पर नजर पड़ते ही वह सोचने लगा।उसका सपना कोरा सपना नही था।जो हकीकत में तब्दील नही होते।वह रोज रात को जो सपना देख रहा था।वो बिल्कुल सच्चा था।उसके सपनो की सुंदरी आज उसे मिल ही गयी थी।
और वह ठहर गया।उसके कदम वही रुक गए।वह दूर से खड़ा उसे देखता रहा।वह पेड़ के नीचे खड़ी होकर ध्यान की मुद्रा में सूर्य को नमस्कार कर रही थी।कुछ देर बाद उसने आंखे खोली और वह चहल कदमी करने लगी।वह चहल कदमी करते हुए आगे चलती गयी और उसकी नजरो से ओझल हो गयी।
और वह रोज उस रास्ते पर जाने लगा।वह उसे उसी जगह मिलती।उसी मुद्रा में।वह उसे टकटकी लगाए देखता रहता।
पहले वह उसे दूर से देखता था।पर धीरे धीरे उसकी दूरी घटने लगी।औऱ एक दिन वह उसके बहुत करीब पहुंच गया और धीरे से बोला,"हलो"
उसने नजरे उठाकर देखा जरूर पर उसके होठ नही खुले।फिर भी वह रोज उसके करीब जाकर खड़ा हो जाता।जब वह चहल कदमी करने लगती तो वह उससे कुछ दूरी बनाकर उसके साथ साथ चलता।चलते हुए उसकी नजर स्वप्न सुंदरी पर ही जमी रहती लेकिन वह उसकी तरफ नही देखती थी।काफी दिनों कि चुप्पी के बाद उसने एक दिन उसके साथ चलते हुए साहस बटोरकर उससे कहा,"तुम बहुत सुंदर हो।स्वर्ग से उतरी अप्सरा सी।"
वह कुछ बोली नही बस तिरछी नजरो से उसे देखा भर था।
उसे चुप देखकर फिर वह आगे बोला,"मुझे तुम से प्यार हो गया है।"
उसकी बात सुनकर वह चलती रही।कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर उसने अपने दिल की बात उससे कह दी,"मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं"
उसकी बात सुनकर उसके कदम तेज हो गये और वह आंखों से ओझल हो गयी
और वह रोज जाता लेकिन वह जगह खाली होती वह उसे नही मिलती थी।उसने उसके सपने में आना भी छोड़ दिया था।दिन पर दिन बीते और अब उसे विश्वास हो गया कि वह अब नही मिलेगी
और तभी एक दिन वह उसे जरा गयी।उसे खुसी हुई।वह उसकी तरफ बढ़ा तभी एक बच्ची दौड़ती हुई आयी और उससे लिपटकर बोली
मम्मी खेलो न
जिसे वह कुंवारी समझ रहा था।वह विवाहित थी और उसके कदम ठहर गये थे