अग्निजोत्रि हाऊस
विराट अपने कमरे से निकल कर सीधे ऊपर के फ्लोर पर जाता है। जहां परणीति का कमरा था। कमरे का दरवाज़ा खौल कर सामने का नजारा देख, उसके कदम थम गए। साइड सोफे पर बैठे 2 नर्स उठकर उसे विश करते हुए कुछ कहनेको थे के वो हाथों के इशारों से उन्हे रोक लेता है। और वहीं खड़े हुए पीहू और परिणिती को दिखने लगा।
पीहू परिणीति के सीने पर सिर रख सोई हुई थी। और परी का हाथ बेहोशी में ही पीहू को कस कर थामे हुए थे।
ये नजारा देख कर ही विराट के आंखों नम हो गई। और यो दो कदम पीछे हट कर दीवार के पास ही टिक कर खडा हो गया।
तभी उसका फोन जो उसने अपने हाथ में पकड़ रखा था वाइब्रेट मोड पर बजने लगा। उसने फ्लैश हो रहे नाम पर एक नजर डाला फिर पीहू और परिणिती को एक नजर दिखकर बालकनी के तरफ़ चला गया।
विराट फोन पर...,
"जी मेहेरा अंकल बोलिए , क्या हालचाल हैं रायचंद हाऊस के। आज तो जस्न का माहोल होगा ना। यशबर्धन की लाडली जो वापस आई है।"
विराट ने कहा और नफरत भरे अंदाज में स्माइल करने लगा।
दुसरी ओर से रायचंद हाऊस के स्टडी रूम मे खडा वो सक्स मुसकुराते हुए बोला,
"नहीं बेटा। यहां तो खामोशी ही है। सायद मीडिया और रिपोर्टर्स के डर से। यशबर्धन नहीं चाहता है के welcome party से पहले तपस्या के आने की खबर किसीको पता चले।"
ये सुनकर विराट हंस ते हुए बालकनी में पड़े काउच पर आराम से बैठ गया। और बोला "नहीं अंकल, मीडिया से नहीं बल्के एक 16 साल के बच्चे के एक वादे और दावे से डर गया यशबर्धन।"
फिर रुकते हुए बोला,"वो सब छोड़िए अंकल बताइए कॉल क्यों किया?"
Mr मेहरा स्टडी रूम में खड़े चारों ओर नजर डालकर वापस विराट से बात करते हुए बोले ,
"विराट अग्निहोत्री की सारी इनफॉर्मेशन जो यशवर्धन ने मंगवाई थी उस्तक पहुंचा दिया है ।तुमसे काफी इंप्रेस हो गए हैं। इतना के अपने पोती के वेलकम पार्टी में खुद इनवाइट करने वाले हैं।"
ये सुनते ही विराट ज़ोर जोर से हंसने लगा। और अचानक अपने डेवल अवतार में आकर बोला ,
"Idiot, जिससे दूर रखने केलिए अपने पोती को सात समंदर पार भेजा था उसे ही खुद वेलकम करने केलिए बुला रहा है।"
कहते हुए उसने "रखता हुं अंकल। कल अवार्ड फंक्शन में मुलाकात होगी।"बोलकर फोम कट करदिया।
विराट वहीं पर कुछ पल बैठा रहा। फिर सिर टेढ़ा किए उसने एक नजर परिणिती और पीहू पर नजर डालकर देखा। और हलका मुस्कुरा दिया।
फिर वहीं काउच पर लीन होकर लेट गया और कुछ सोच ते हुए बिना किसी भाव बोला,
"मेरे बारेमे अंदाजे लगाना छोड़ दे यशबर्धन। तू बस उतना ही जान पाएगा जितना में चाहता हुं।"
कहकर एक सुकून से भरी सांस लेकर उसने अपनी आँखें बंद करली। परणिति और पीहू के बारेमे सोचते हुए मुकुराने लगा।
रायचंद हाउस
यशवर्धन डिनर खत्म कर के सीधे अपने कमरे में चले गए।रायचंद हाउस में उनका कमरा अपने आप में ही किसी पैलेस से कम नहीं था। अदब से सजाया हुआ सामान ,कमरे की रॉयल लुक, यशवर्धन रायचंद के सोच को ही रिप्रेजेंट कर रहा था।
यशवर्धन अपने कमरे में आकर सीधे कोने में पड़े अपनी आराम कुर्सी पर बैठ जाते हैं। दीवार पर लगे हुए अपनी धर्मपत्नी तपस्या रायचंद की( उनकी पत्नी के नाम पर ही उन्होंने अपनी पोती का नाम रखा हुआ था) तस्वीर को बड़े ही प्यार से निहार ने लगते हैं। और तस्वीर के साथ बात करते हुए बोले ,
"नहीं जानते हैं धर्मपत्नी जी, की हम सही हैं या गलत है। लेकिन एक बात जानते हैं कि, अगर दोबारा से हमारे इज्जत हमारी रुतबे और हमारे गुरुर पर बात आई तो हम वही करेंगे जो हम ने 12 साल पहले किया था। चाहे उसकेलिए हमे किसी भी हद तक जाना क्यों ना पड़े।"
कहते हुए वो उठकर तसबीर के क़रीब चले गए।हाथों से तस्वीर को सहलाते हुए बोले,
" धर्मपत्नी जी, आपको एक सीक्रेट बताऊं?"
कहते हुए वो तस्वीर के थोड़ा और करीब चले गए और धीमे से बोले ,
"आप हमेशा कहते थे ना कि हमारा दिल पत्थर का है। और हम एक निडर इंसान है, लेकिन आपके इस निडर पति को एक 15 /16 साल के बच्चे ने डरा दिया ।और इस कदर डरा दिया कि हमने अपने दिल के टुकड़े को आपकी परछाई को खुद से इतना दूर भेजना पड़ा। इसलिए नहीं कि हम उसे लड़के से डर गएथे ,बल्कि इसलिए क्योंकि यशवर्धन रायचंद की बस एक ही कमजोरी है और वो है उसकी पोती तपस्या रायचंद ।"
कहते हुए उनके चहरे पर परेशानी और नर्वसनेस साफ छलक रही थी।
वो खुद से ही बड़बड़ाने लगे,"प्रिंसेस को उस रात के बारेमे कभी पाता नहीं चलनि चाहीए।"
कहते हुए उनके अतीत के किताब में से कुछ पन्ने पलट ते हुए 12 साल पहले के उस रात पर ठहर गई।
फ्लैशबैक...,
आज रायचंद हाऊस में त्योहारों का माहौल था । हो भी क्यों ना ? यशबर्धन रायचंद की पोती तपस्या रायचंद की 15th बर्थडे पार्टी जो थी।शहर के बहुत बड़े-बड़े रईस बिजनेसमैन और हस्तियों को रायचंद हाऊस में बुलाया गया था। और यशबर्धन उन्हे अपनी सनोसौकत दिखाने में बिजी थे।
तभी एक गार्ड आया और उनके कानों के पास झिझक कर बोला,
"सर वो प्रमोद काश्यप का बेटा आया हे। बोल रहा हे तपस्या बेबी से मिलना हे।"
"धक्के मारकर बाहर निकालदो उसे?"
गार्ड की बात सुनकर यशबर्धन गुस्से से बोले।
"बहत रोका सर। सुन ही नहीं रहा। कहता हे के तपस्या बेबी से मिले बगर हिलेगा तक नहीं।"
गार्ड ने कहा और सिर झुका कर खडा हो गया।
"तो हाथ पैर तोड़कर किसी नाले में फेंक दो, मुनिसीपलटी वाले लावारिश लाश समझकर उठा लेंगे।"
"इतना सब करने की ज़रूरत नहीं दादू। बस एक बार प्रिंसेस से बात करवा दीजिए। में चुपचाप चला जाऊंगा।"
यशबर्धम गार्ड के ऊपर से नजर हटाकर आई हुई आवाज की ओर देखते हैं ।तो वीर परेशान हुए उनके ही करीब आकर बोल रहा था।
यशबर्वीघन बीर के ओर एक नजर डालकर गुस्से से चीख कर उसके पास आकर खड़े हो गए । और इससे पहले की वीर कुछ और बोल पाता एक हाथ से उसकी बालों को घसीट कर दूसरे हाथ से खींच कर उसके गालों में लगातार थप्पड़ कसने लगे ।जैसे अपने अंदर की सारी नफरत और गुस्सा वीर पर निकाल रहे हों। वो लड़खड़ाकर नीचे गिर जाता है। लिकिन फिर भी वही घुटनों के बल बैठ कर उनके पैरों के पास मिन्नतें करते हुए बोला ,
"दादू प्लीज बस एक बार। आप जितना चाहे मार लो लेकिन प्लीज एक बार प्रिंसेस से बात करवा दो ।"
यशवर्धन बड़े ही बेदर्द तरीके से उसके सीने पर एक लात मारते हुए बोले,
"गंदी नलिका कीड़ा हे तु। हिम्मत केसे हुई हमे दादू बुलानेकी? मालिक हैं हम तेरे। तेरा बाप मामूली सा एक नौकर था हमारे पास। तेरा बाप भी गंदी नलिका कीड़ा था और तेरी बहन भी। बड़ा शौक चढ़ा था ना तेरी बहन को मेरी पोते से शादी करके रायचंद खानदान की बहू बनने की। बहुत शॉर्टकट तरीका निकाला था तुम्हारे परिवार ने अमीर बनने का।और देख कैसी हालत कर दी मैंने तुम लोगों की और इससे बत्तर नहीं चाहता तो चुपचाप यहां से चला जा।"
कहते हुए वो अन्दर जाने लगे।
"प्रिंसेस से मिले बगैर मैं यहां से हिलूंगा तक नहीं ।वीर ने कहा और वहीं पर घुटनों के बल बैठ गया।
"नहीं मिलना चाहती हमारी प्रिंसेस तुझसे। तेरा शक्ल तक देखना नहीं चाहती ।जो तुम्हारी बहन ने उसके भाई के साथ किया और तुम्हारे बाप ने मेरे साथ किया ,उसके बाद तो वो तुम्हारी शक्ल तक नहीं दिखेगी। इससे पहले के धक्के मार कर तूझे बाहर निकालू जाओ यहां से।"
यशवर्धन जी ने कहा और एक नफरत भरी नजर उसे पर डालकर वहां से जाने लगे।
"नाहीं मेरे बाबा ने और नाहीं परी दी ने किसीको धोका दिया हे। और अगर प्रिंसेस को यकीन नहीं, में ये खुद प्रिंसेस के ज़ुबान से सुनना चाहता हुं।"
ये सुनकर यशबर्धन वीर को कुछ कहने ही वाले थे के तभी रायचंद हाउस के अंदर से एक वीर की उम्र का ही लड़का जो दिखने में काफी रॉयल और रईसज्यादा लग रहा था चलकर बाहर आकर खड़ा हो गया ।और वीर की तरफ देखकर व्यंग भरे अंदाज में बोला,
"तपस्या ने मुझे उनके बेस्ट फ्रेंड के खातिरदारी करने के लिए भेजा है। वो अभी अपने दूसरे royal फ्रेंड्स के साथ बिजी हैं। तुझ जेसे फटीचर केलिए उनके पास टाइम नहीं हे।"
वो लडका व्यंग से तिरछा मुस्कुराते हुए कहा।
यशबर्धन उस लडके के कंधे पर हाथ थपथपा कर बोले,
"इस गंदी नाली के कीड़े से उलझ ने कि ज़रूरत नहीं। इसे गार्ड्स देख लेंगे ।आप चलिए अंदर सिद्धार्थ ।"
सिद्धार्थ उनके हाथों को पकड़ते हुए मजाकिय अंदाज में बोला
"ये तो सही कहा आपने दादू ।गंदी नाली का कीड़ा ही तो है। ये भी और इसकी वो बहन भी, जो अभय भाई के पीछे पड़ी हुई थी। अरे नहीं ,बस अभय भाई के पीछे ही क्यों न जाने कितने अमीर लड़कों के पीछे पड़ी हुई थी ।अच्छा हुआ अभय भाई बच गए । दोनों भाई बहन एक जेसे हैं। बहन अभय भाई के पीछे पढ़ी हुई हे और भाई तपस्या के पीछे।"
कहकर वो गुस्से से एक पैर उठाकर वीर के सीने के और जोर से बढ़ाने लगा । वीर उसके पैरों को हवाओं में ही रोकते हुए नफरत और गुस्से से बोला,
" गंदी नाली ,hmmmm,गंदी नाली का कीड़ा ही तो हूं मैं। सही कहा।"
कहते हुए नफरत और दर्द के मिले जुले भाव से पागलों की तरह हसने लगा। और यशवर्धन जी के और देख बोला ,
"तो दुआ कीजिए मिस्टर यशवर्धन रायचंद के ये गंदी नाली का कीड़ा आज गंदी नाली में ही बह जाए। क्योंकि अगर आज मैं बच गया,
कहते हुए वो एक नफ़रत भरी नजर से रायचंद हाउस को देखने लगा। और वापस से यशवर्धन की नजर से नजर मिलाकर बोला,
"जो आज अगर मैं बच गया तो इस रात के लिए तुम सब मरते दम तक पछताओगे ।और यही गंदी नलिका कीड़ा एक दिन तुम्हारे इस रायचंद हाउस की सोभा बढ़ाएगा ।तुम्हारा दामाद बनकर। और खुद तुम अपनी पोती का हाथ मेरे हाथ में दोगे।"
कहते कहते ही वो पंजों के बल उठनेकी कोषिस करते हुए दर्द भरी आह के साथ अपने होठों से बहते खून को अपने अस्थिन से साफ़ करते हुए बोला,
"और अगर ऐसा हुआ तो खुद तुम अपनी बर्बादी की दास्तान अपने हाथों से लिखोगे।"
बोलकर एक सर्द नजर सिद्धार्थ पर डालकर हस्ते हुए बोला,
"आज मैं मर गया तो प्रिंसेस तेरी ।और अगर मेरी किस्मत और तेरी बदकिस्मती से मैं बच गया तो ,
कहते हुए वो यशवर्धन की ओर एक नफरत भरी नजर डालकर बोला ,
"अमानत रहेगी मेरी प्रिंसेस आपके पास।because she is only mine,लेने आऊंगा और उनके ही हाथों आपके और आपके पूरे खानदान का और आप के इस रियासत का बली चढ़ाऊंगा ।"
बोलकर वो कुछ पल यूं ही अन्दर हल के तरफ दिखने लगा। जेसे किसी के आनेका इंतजार में हो। फिर खुद से ही कुछ सोच कर एक अजीब ढंग से मुस्कुराते हुए यशबर्धन जी के ओर मुड़कर उन्पर एक गहरी नज़र डाल कर वहां से चला गया।
Present day
यशवर्धन जी अचानक से अपने ख्यालों से बाहर आते हैं। काफ़ी सहमे हुए लगरहे थे वो इसबक्त। माथे पर हलकी हलकी पसीने की बूंदे चिल्ड ऐसी में भी साफ़ दिखरही थी। वो खुद को संभाल कर गहरी सांस लेते हुए खुद से ही बोले,
"कुछ तो था उन आंखों में जो हम आज तक भूल नहीं पाए। पता है के अब तक उस बच्चे का वजूद तक मिट ही चुका होगा। एक बच्चे की भी क्या औकात जो यशबर्धन को धमकी दे, लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों उसके आंखों में उसके बातों में जो जुनून था वो चाह कर भी हम अपने दिमाग से निकाल नहीं पाए हैं ।"
कहते हुए घबराहट उनके आवाज में साफ़ झलक रही थी। फिर खुद को ही समझाते हुए खुद से ही बोले,
"बस ये 10 दिन जैसे तैसे बीत जाए ।सिद्धार्थ का प्रिंसेस की साथ शादी ठीक-ठाक से हो जाए। बस हमरा वो डर भी उसी रोज ही उनके सात फेरों के साथ खत्म हो जाएंगी।"
बोलकर वो थोड़े परेशान भाव से तसबीर को ही एक टक देख रहे थें।
क्या तपस्या की शादी सिद्धार्थ से करवाने में सफल हो पाएंगे यशवर्धन?
या वीर अपना किया वादा पुरा करेगा???
जानने केलिए आगे पड़ते रहीं। ❤️ ❤️