Jungle - 21 in Hindi Thriller by Neeraj Sharma books and stories PDF | जंगल - भाग 21

Featured Books
Categories
Share

जंगल - भाग 21

                 ( 21) एपिसोड  जंगल का 

            ---------------------------------------

        Dsp तरुण के आगे उसने सब कुछ फरोल दिया, जो हलातो के दर्द उसे दुखी कर रहे थे। फिर सारी कहानी दोस्ताने पन से सुना दी, सब कुछ कहने के बाद वो चुप था।----"दर्द आपने ज़ब दे, इतना तरुण जी "---" तो आँखो मे आंसू के इलावा और कुछ नहीं होता। "

       तरुण चुप था। उसने बहुत बारीकी से समझा था। यहाँ से भारत को अपमान मिलना था, वही से वो करवाई को इल्जाम देना चाहता था।

      एक बार फिर से "किसी बूआ को " रंगे हाथ से पकड़ना या छूट करना चाहता था। कि और लोग इस के बहकावे मे  न आये। सिर्फ जानता था " राहुल को "

कौन है" बुआ " उसका मकसद कया है। बढ़ावा आतकवाद को देना तो नहीं... हाँ पक्का यही होगा, तरुण कि आँखो मे रोशनी की किरणे थी, " एक दम से वो अटका, " राहुल तुम आज से कभी अकेले नहीं होंगे कही भी.... तुम्हारा पीछा हो रहा है, उसको आज तक की सब खबर है, आपने बच्चे को बाहर माधुरी सँग भेजो। " मेरी सुनो, वो अकेली है, उसके पास होने का दिखावा करो, वो तेरे बच्चे की खातिर थोड़ी जिंदगी दाए पर लगा देगी। " राहुल एक दम से ठिनका।

"ओह, सर मैंने सोचा ही नहीं " राहुल की जैसे चीख निकली हो। वो राहुल को केहने लगा " स्त्री  को कोई प्यार करने वाला, थामने वाला कोई हो, फिर बात बने, समझे। " राहुल सोच के चुप था।" बहुत शातिर नहीं, बस शातिर बनो। " तरुण ने उसके कंधे पे हाथ रखते हुए कहा।

     "ओके सर। " राहुल ने कहा।

     " अगली तरतीब सोचते है, कया करना है। " 

" हाँ तेरा काम कार कैसा है अब, शेयर मार्किट का जुआ काफ़ी खेलते हो !" तरुण ने एक मीनान से पूछा।

मेंगो शेक का गिलास भरा हुआ उसके आगे था।

राहुल चुप था। "शेयर मार्किट बहुत घटिया गेम, पैसे कब उड़ गए पता ही नहीं चला, कब लालच आ गया पता ही नहीं चला। " एक मीनान से बोला।

" हाँ ---- सब्र इसमें काहे का, सब गोल माल ही है " राहुल बात सुन के हस पड़ा।

"पहले तुम भेजो, आपने बच्चे जॉन को, और माधुरी को,  बाहर... " रुक कर बोला तरुण dsp  कुछ सास लेकर।

"फिर देखे गे, आगे का मिशन...." तरुण ने लमी सास खींच ते कहा।

खूब... ठीक.. चलो मै चलता हुँ, " उसने हाथ मिलाया, और वो उसे बाहर तक छोड़ने के लिए तरुण आया।

                  -----------***-----------

                    मुक़म्मल तो किसी को भी आज तक कुछ नहीं मिला, फिर हम सब्र कयो नहीं करते। अब बात करता हुँ, तरुण की दूरदरिश्ता की, वो जो कह रहा था, वही हो रहा था।

        हवाई फायर न करता तो शायद उसे अगवा कर लिया जाता। और  " वो होता " किसी बंद नुमा अंधेर कोठरी मे, कौन वही, राहुल ने सोचा।

------------------------------------------------

जल्दी आ रहा है  थ्रीलर उपन्यास 

लिखत नीरज शर्मा का दूसरा प्रकाशन 

      बे धड़क कलम से " 22 किश्त पूरी करने के बाद 

           " देश के दुश्मन "  नया ¡! राहुल  की धारावाहिक एंट्री। 

------------------------------------------------------

वो भाग चुके थे। कितने लाजबाब संटक सीन से गुज़र हुआ था। राहुल घर मे था.... साथ था उसका बे तरतीब अतीत... धुंधला सा।

                                       नीरज शर्मा 

                                    शहकोट, जालंधर।