I can see you - 50 in Hindi Love Stories by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 50

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आई कैन सी यू - 50

कहानी में अब तक हम ने देखा के रोवन सुरंग से जब निकला तो उसने अपने आप को कब्रिस्तान के बाहर पाया। मशाल उठा कर दौड़ते हुए वो झोंपड़ी तक पहुंचा। सुरंग का दरवाज़ा बाहर खुला था जिसे उसने बहुत मशक्कत से तोड़ा था। उसने बाबा को इतना पीटा के उसका कचूमर निकल आया था। इस से भी उसका दिल नहीं भर तो उसने बाहर आ कर झोंपड़ी में आग लगा दी। आग बड़ी तेज़ी से फैल गई और रोवन लूसी को लेकर अपनी गाड़ी के पास आ गया। 
कार में लूसी को जल्दी में बैठाया और तेज़ी से गाड़ी चलाने लगा। उसने कई बार लूसी को आवाज़ लगाई लेकिन उस ने एक बार भी अपनी आंखें नहीं खोली। रोवन उसकी हालत देख कर घबरा रहा था और फर्राटे से गाड़ी चला कर शहर की ओर जाने लगा। 
इधर झोंपड़ी से ढोंगी बाबा के चीखने चिल्लाने की भयानक आवाज़ गूंज रही थी। वो जल जल कर मर रहा था। कुछ देर आवाज़ आती रही फिर वो जल कर राख हो गया। अब सिर्फ फूस के और बांस के जलने की कड़कती आवाज़ थी। बाबा के साथ साथ उसकी दहशतनाक बुराइयां भी जल कर राख हो गई इस लिए अब उस जगह शांति महसूस हो रही थी। इस लंबी रात में हुए हलचल के बारे में किसी को कानों कान खबर नहीं हुई।

झुमकी बड़ी होशियारी से उसी जगह गई जहां उसने लड़की के शरीर में प्रवेश किया था। वहां जा कर लेट गई और फिर उसके जिस्म से बाहर आ गई। लड़की जाग उठी और हैरानी से उठ कर बैठ गई। घबराहट और परेशानी में उसका गला सूखा हुआ था और आंसुओ से चहरा गिला था। उसने सहमे हुए अपने चारों ओर देखा। खुद को अपने बिस्तर पर पा कर उसे लगने लगा के उसने ये सब कुछ सपना देखा है। अपनी मां को आवाज़ दे कर फुट फूट कर रोने लगी। उसकी मां ने आ कर उसे संभाला। उसने बताया के उसने बहुत बुरा सपना देखा।

इधर रोवन अस्पताल के तलाश में शहर पहुंचा। जो सब से पहले मिला वोही लूसी को लेकर गया। उसे इमरजेंसी में ले जाया गया और फिर डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू किया। 
रोवन को बाहर रुकने को कहा और लूसी को अंदर कमरे में रखा गया। अब रोवन बहुत थका हुआ महसूस करने लगा था लेकिन फिर भी चैन की सांस नहीं ले सकता था जब तक उसे लूसी के लिए अच्छी खबर न मिल जाए, अपनी एक एक सांस के साथ वो लूसी के सांसों की सलामती के लिए दुवाएं कर रहा था। 
बाहर बेंच पर हताश हुए बैठा हुआ खुद को बहुत लाचार और कमज़ोर महसूस करते हुए उसकी आंखें झिलमिला रही थी। 
सुबह की रौशनी फैल चुकी थी। परिंदे शोर मचाते हुए अपने अपने आशियानों से उड़ते फिर रहे थे। रौशनी फैल तो गई थी लेकिन अब तक रोवन की आंखों में अंधेरा छाया हुआ था। एक आध घंटे बाद डॉक्टर बाहर आए, आते ही उन्होंने रोवन से पूछा :" आप पेशेंट के गार्डियन हैं?

रोवन एक उम्मीद के साथ :" जी मैं ही हूं! वो मेरी वाइफ है। अब वो कैसी है डॉक्टर? वो ठीक हो जाएगी न?

डॉक्टर ने एक थकान भरी सांस ली और कहा :" देखिए बात दरअसल ये है कि उनका काफी खून बह चुका है इस लिए उन्हें खून की ज़रूरत है और सर पर गहरी चोट भी है। सिटी स्कैन आने तक हम कुछ कह नहीं सकते कि उनकी हालत कैसी है पर अगर समय पर ब्लड डॉनर मिल जाए तो उनकी जान पर से एक खतरा टल जायेगा!"

  "मैं दूंगा खून जितनी ज़रूरत है। मेरा ब्लड ले लीजिए पर कैसे भी कर के मेरी वाइफ को बचा लीजिए डॉक्टर!"

रोवन ने मिन्नते करते हुए कहा। 

डॉक्टर ने पूछा :" आपका ब्लड टाइप कौन सा है?

रोवन ने जल्दी में जवाब दिया :" मेरा B+ हैं लूसी का टाइप मुझे मालूम नहीं!"

डॉक्टर ने अफसोस जताया :" आपका ब्लड नहीं चलेगा! उनका o- है। वो सिर्फ o- ही ले सकती है। हम ने ब्लड बैंक में कॉन्टैक्ट किया है। ये टाइप बहुत ज़्यादा कॉमन नहीं हैं तो प्रॉब्लम हो सकती है। उनके पास होगा तो आसानी से मिल जाएगा लेकिन अगर आपके या आपकी वाइफ की फेमिली में से किसी का o- टाइप है तो उन्हें फौरन बुला लीजिए!"

रोवन ने जेब से मोबाइल निकालते हुए कहा :" मैं अपनी फेमिली से पूछता हूं लेकिन आप भी कोशिश कीजिए जितनी जल्दी हो सके!"

डॉक्टर हां में सर हिला कर वहां से चले गए। लूसी को मरहम पट्टी कर के सिटी स्कैन के लिए ले जाया गया था। 

रोवन ने सब को कॉल करना शुरू किया। सब से पहले उसने रूमी को कॉल किया। अभी वो उठी भी नहीं थी। सुबह सुबह रोवन का कॉल देख कर थोड़ा सा घबरा गई और पल भर में बहुत से बुरे ख्यालों ने दस्तक दे दी। उसने  जल्दी में फोन उठा कर कहा :" हेलो मामा क्या हुआ?

रोवन ने हड़बड़ी में पूछा :" रूमी तुम ये बताओ के हमारे पूरे खानदान में किसी का o- ब्लड टाइप है क्या? जल्दी बताओ!"

रूमी ने भी फौरन सोचते हुए कहा :" o- तो हमारे परिवार में कोई नज़र नहीं आ रहा है मामा। किस को चाहिए वैसे?

रोवन ने जल्दी में सिर्फ इतना कहा :" मैं फुलवारी के एक हॉस्पिटल में हूं। लूसी को गहरी चोट लगी है। बस मां को मत बताना!"

उसने जल्दी में फोन काट दिया। ये खबर सुन कर रूमी का दिल बैठा जा रहा था। सुबह सुबह दिल की धड़कने फड़फड़ाने लगी तो उसने अपने दिल पर हाथ रख कर दुवाएं की और बिस्तर से उठी। 
रोवन ने कियान को कॉल किया। रिंग जा रही थी और साथ ही रोवन के मन में ये बात चल रही थी के लूसी तो शायद एडॉप्टेड है पता नहीं भाई बहन का खून मिलेगा भी या नहीं, लेकिन एक उम्मीद के साथ उसने कॉल किया। कियान भी सो रहा था। उसकी एक आदत थी के वो मोबाइल साइलेंट कर के सोता है और नौ बजे से पहले नहीं उठता। 
रोवन ने बार बार फोन किया लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। आठवीं बार कॉल करते हुए उसे ख्याल आया के शायद वो अब भी नाराज़ है इस लिए उसके कॉल को इगनोर कर रहा है। लेकिन असल में तो वो सो रहा था। 

रोवन बहुत ज़्यादा परेशान हो रहा था। जान हलक पर अटकी हुई थी। जितने लोग उसके कॉन्टैक्ट में थे उसने सभी को कॉल किया लेकिन अब तक किसी ने नहीं कहा के o- ब्लड है। 
इतने में एक नर्स वहां आई, उसने रोवन से कहा :" सर आपको कोई ब्लड डॉनर मिला ?

रोवन ने कान में फोन लगाए हुए ही जवाब दिया :" अब तक नहीं मिला! मैं कोशिश कर रहा हूं।"

नर्स ने कहा :" सर रहने दीजिए! ब्लड बैंक से ब्लड मिल गया है। हमें लगा के परिवार के लोग खून देंगे तो ज़्यादा बेहतर होगा!"

" थैंक गॉड ब्लड मिल तो गया अब जल्दी कीजिए प्लीज़!"

रोवन ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा। उसके ज़ख्मी हाथों को देख कर नर्स बोली :" सर आप भी इंजर्ड हैं!...अंदर चलिए मैं आपकी इंजरी साफ कर देती हूं।"

रोवन ने इनकार करते हुए कहा :" सिस्टर प्लीज़ मेरी वाइफ पर ध्यान दीजिए! ये छोटी सी इंजरी है इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता! आप जा कर उसे देखिए!"

उनके मना करने से नर्स चली गई। लूसी को ब्लड चढ़ाया गया। 
रोवन इतना थक कर चूर हो गया था के उसकी पलकें भारी हो रही थी। बार बार लूसी को सोच कर आंखें भर आती। कई बार ऊपर की ओर देखते हुए भगवान से विनती करता के लूसी की जान बख्श दे। 

लूसी को अब तक होश नहीं आया था। डॉक्टर ने कहा के अगर कुछ घंटों में होश न आए तो कुछ भी हो सकता है। यानी कोमा में भी जा सकती है। 
रूमी और उसका भाई आर्यन आठ बजे तक हॉस्पिटल पहुंच चुके थे। अब रोवन के मन को थोड़ी सी हिम्मत मिली थी। फिर भी उसका दिल छलनी हो रह था। जैसे जैसे समय बीत रहा था वैसे वैसे उसकी बेचैनी और घबराहट बढ़ती जा रही थी। 

To be continued.......