कहानी में अब तक हम ने देखा के रोवन सुरंग से निकलने के लिए जद्दोजहद करने में लगा था। उसे एक कच्ची दीवार मिली जिसमें मुक्के मारने की वजह से उसका हाथ भी लहूलुहान हो रहा था। वोही दूसरी तरफ झुमकी लूसी को रोवन के कहने के मुताबिक बंदूक देने की कोशिश कर रही थी लेकिन लूसी को बेहोश और रस्सियों में जकड़ा हुआ देखा तो निराश हो कर इधर उधर भागते हुए कोई उपाय ढूंढने लगी।
लूसी की हालत ठीक नहीं थी। उसके जिस्म में श्वेत रक्त कोशिकाएँ (white blood cells) कम होने की वजह से खून रुक नहीं रहा था। अगर समय पर उसका इलाज न हुआ तो ज़्यादा खून बहने की वजह से उसकी जान को खतरा हो जाएगा लेकिन इस बात से अनजान वो जाहिल किस्म का दिमागी मरीज़ बाबा उसे ज़िंदा रख कर ही उसका दिल निकालना चाहता है। पर सवाल ये है कि सुबह तक वो ज़िंदा रह पाएगी भी या नहीं?
आधी रात गुज़र चुकी थी। अब इस सियाह रात में सिर्फ और सिर्फ सन्नाटा ही था लेकिन एक खामोश जंग छिड़ी थी जिसमें एक पति सुरंग में अपनी पत्नी को बचाने के लिए लड़ रहा था तो एक बच्ची लगाव और हमदर्दी की वजह से मदद करने की कोशिश में भटक रही थी तो वहीं जिसके लिए ये सब कुछ हो रहा था वो पल पल मर रही थी।
घनघोर अंधेरे और सन्नाटे में बस अदृश्य शक्तियों की ही चहल पहल थी। वहां आसपास दूर दूर तक कुत्ते भी नहीं हुआ करते क्यों के बाबा ने सब को मार मार कर डरा रखा था। झुमकी ने कब्रिस्तान से नज़र आ रहे गांव की तरफ देखा फिर हवा की रफ्तार में वहां चली गई। वहां जा कर एक फूस के घर में घुसी जहां उसने सब से पहले किसी लड़की को ढूंढा जिसके ऊपर वो हावी हो सके, उसकी तलाश खत्म हुई और वो एक चौदह पंद्रह साल की सोती हुई लड़की के शरीर में प्रवेश कर गई। लड़की के जिस्म का सहारा ले कर वो सीधा कब्रिस्तान की ओर दौड़ी, अब उसे कब्रिस्तान तक चल कर ही जाना था क्यों के किसी के जिस्म में प्रवेश करने के बाद वो उसे उड़ा कर नहीं ले जा सकती।
भागते भागते कब्रिस्तान तक पहुंची। पहले उसने सुराख से झांक कर देखा तो पाया के ढोंगी बाबा लूसी की ओर पीठ कर के बैठा ज़मीन पर रेखाएं खींच कर कोई नक्शा बना रहा है। शायद अपनी किसी शैतानी रस्म पूरी करने की तैयार कर रहा है। उसे काम में व्यस्त देख कर झुमकी ने मौके का फायदा उठाना चाहा। उसने बंदूक को अपने कमर में छुपाया और दबे पांव अंदर पहला कदम रखा। जहां लूसी को बांध कर एक खंभे से टेक लगा कर बैठाया गया था वो वहां उसके ठीक पीछे गई और उसके कान के पास फुसफुसा कर उसे जगाने लगी :" दीदी!...दीदी उठ जाओ जीजू ने बंदूक भेजा है इस राक्षस को मारो! दीदी!"
लूसी को होश नहीं आया बल्कि अब उसमें कुछ ही जान बची थी।
ढोंगी बाबा के कान इतने तेज़ थे कि उसने फुसफुसाहट सुन ली और फौरन मुड़ कर देखा। उसने जैसे ही एक लड़की को वहां देखा उसकी शैतानी आँखें चमक उठी और उसकी तरफ झपटा की इतने में झुमकी ने गोली चला दी। निशाना सही न होने की वजह से गोली बाबा के हाथ में लगी और वो दर्द से कराह उठा लेकिन साथ ही उसने झुमकी पर वोही लाल रंग की धूल फेंक दी, उसके ऐसा करते ही झुमकी लड़की की शरीर से बाहर आ गई और कमज़ोर हो कर गिर पड़ी। वो लड़की भी बेहोश हो गई।
झुमकी होश में थी पर बहुत कमज़ोर थी। उठ भी नहीं पा रही थी बस बाबा को घूरते हुए देख सकती थी। ढोंगी बाबा ने अपने गोली लगे हाथ पर किसी तरह की जड़ी बूटी वाला लेप लगाया और उस पर कुछ मंत्र पढ़ कर एक कपड़े से बांध दिया।
जिस लड़की के जिस्म का सहारा लिया था बाबा ने उसके हाथ पैर बांधते हुए हंसते हुए कहा :" क्या नसीब पाए हैं हम! आज तो शैतान हम पर बहुत मेहरबान है। उसने तो मेरे भाग्य ही खोल दिए!...शिकार खुद चल कर शिकारी के पास आ रहा है वाह।"
फिर उसने झुमकी की ओर देखा और राक्षस जैसे गंदे दांत दिखाते हुए कहा :" तुमको क्या लगा छोटी बच्ची! सिर्फ चमकती मुहर वाली लूसी ही तुमको देख सकती है? हम भी तुमको देख सकते हैं और क़ैद भी कर सकते हैं। अच्छा किया जो तुम इस लड़की को ले आई वैसे भी बहुत दिनों से किसी लड़की का दिल नहीं निकाला था। आज तो दो दो दिल खाने को मिलेगा! एक तो सब से खास दिल जिसके बाद तो हम शैतानों का महाराजा बन जाएंगे और एक तो बस मेरी शैतानी ताकत को एक मटर के दाने के बराबर बढ़ाएगी।"
झुमकी मन दिल तड़प उठा। अब उसे याद आने लगा के कैसे उसके हमज़ाद का दिल निकाला गया था और कितनी दरिंदगी के साथ इस मलून दैत्य ने उसे चबाया था। वो गुस्से और तपड़ में चीख उठी :" दानव! दानव कहीं के ! नर्क में जाओ तुम मेरी बला से!"
उसके चीखने के बीच ढोंगी बाबा ने खुश होते हुए कहा :" अब बस कुछ ही पल बचे हैं भोर होने में!....दो दो दिल! दो दो दिल!"
कुछ देर में लड़की को होश आ गया और फिर अपने आप को बंधा हुआ पा कर बहुत रोने गिड़गिड़ाने लगी लेकिन छटपटाने के अलावा और कोई चारा नहीं था।
ढोंगी बाबा पागलों की तरह दोहरा दोहरा ये शब्द कह कर खुश हो रहा था कि वहां गोली चली। एक दमदार बंदूक से जिसकी गोली जिस्म को फाड़ते हुए बाहर निकल जाती है। झुमकी की आंखें चमक उठी जब उसने देखा के गोली राक्षस बाबा के कंधे को आरपार कर गई है। उसमें जोश भर आया और उठ खड़ी हुई, आसपास देखने लगी के गोली किस ने चलाई? तभी दरवाज़े को लाट मारते हुए रोवन बंदूक तान कर अंदर आया। उसने फूस के दीवार में बनी सुराख से गोली मारी थी। उसके हाथों से खून निकल कर हाथों की चमड़ी लाल हो गई थी।
गोली लगने की वजह से बाबा चीख पड़ा और कराहते हुए जड़ी बूटी का लेप लेने अपने झोले की ओर बढ़ा लेकिन इतने में रोवन शेर की तरह उस पर टूट पड़ा और एक ज़ोर दार मुक्का उसके चहरे पर मारा जिस से उसका जबड़ा हिल गया।
अब वो बिना रुके पूरी ताक़त से उसे पीट रहा था। एक एक लात घुसे में उसके खौलते हुए खून को सुकून मिल रहा था। बीच बीच में झुमकी उसका हौसला बढ़ाने के लिए चिल्ला कर कहती :" छोड़ना मत जीजू! मारो इसे मारो और मारो! इसका भरता बना दो जीजू !"
भले ही रोवन उसकी आवाज़ सुन नहीं पा रहा था।
वो लड़की भी खुश हो गई और उसके आंखों में उम्मीद की एक किरण झिलमिलाने लगी।
रोवन अपना सारा गुस्सा ढोंगी बाबा के जिस्म पर निकाल रहा था। मारते हुए उसने कहा :" मैं तुझे गोली से नहीं मारूंगा! कुचल कर मारूंगा ताकी एक एक सांस लेने में तुझे मौत का स्वाद चखने को मिले!"
ढोंगी बाबा ने कई बार मंत्र पढ़ने की कोशिश की लेकिन रोवन ने तूफान की तरह उसे ऐसे जकड़ लिया था के उसे कुछ भी करने का या सोचने तक का भी मौका नहीं दे रहा था। जी भर के पीटने के बाद उसने एक बार खुद को रोका और लूसी की तरफ देखा। उसे खून से सराबोर देख कर फिर उसके आंखों में गुस्से के लावे फूटने लगे। वो वापस मुड़ा और उसने ढोंगी बाबा के सारे हड्डी तोड़ डाले। दर्द से वो राक्षस इतना चिल्ला रहा था कि सुनने वालों की रूह कांप उठे लेकिन अफसोस वहां उसकी चीख कोई सुनने वाला नहीं था। जब उसने देखा के रोवन के हाथों से बचना नामुमकिन है तो रोते कराहते विनती करने लगा :" रुक जाओ! बस कर दो अब एक बार में मार दो! गोली मार दो हमको! चलो गोली चलाओ!"
रोवन ने एक ऐसा तेज़ मुक्का उसके नाक में मारा की नाक टूट कर पिचक गई और खून की धारियां बहने लगी। अब वो इतनी मार सह नहीं पाया और बेहोश हो गया।
झुमकी ने किसी तरह खुद को संभाला और वापस उस लड़की के अंदर समा गई। उसके अंदर जा कर उसने रोवन को आवाज़ दिया जो बेहोश हुए बाबा को अब भी लात मार रहा था। " जीजू!...दीदी को हॉस्पिटल ले जाना होगा!"
रोवन ने अब उसे छोड़ा और लूसी के पास आया। उन दोनों की रस्सियों को जल्दी जल्दी में खोला और लूसी को गोद में उठाते हुए कहा :" झुमकी इस लड़की को उसके घर छोड़ आओ और हां किसी के जिस्म में प्रवेश करना गलत बात है! तुम ने इसे भी खतरे में डाल दिया! जाओ जल्दी जा कर इसे छोड़ आओ!"
"सॉरी जीजू मैं बस दीदी की मदद करना चाहती थी!"
झुमकी ने मासूमियत से कहा।
" ठीक है तुम ने बहुत कोशिश की! तुम्हारा शुक्रिया अब जाओ जल्दी और किसी के नज़र में मत आना वरना लड़की के लिए मुश्किल हो जाएगी!"
रोवन ने उसे प्यार से कहा।
झुमकी ठीक है जीजू कह कर दौड़ते हुए चली गई। रोवन लूसी को गोद में उठाए झोंपड़ी के बाहर आया। बाहर उसने सुरंग में पाए मशाल को ज़मीन में गाड़ रखा था। लूसी को एक जगह लेटा कर उसने फूस से बने झोंपड़ी के दीवारों पर जगह जगह आग लगा दी। आग की लपटे इतनी तेज़ उठी के पूरा कब्रिस्तान रौशन हो गया। जो भी बुरी शक्तियां और जीव जंतु थे सब दूर भाग गए रहे थे। क्यों के किसी को आग से डर लगता था तो किसी को रौशनी से।
To be continued.......