औरकिसकन्ध्या लौट आये थे।यहाँ पर मधुबन में रुके और हनुमानजी ने मुक्के मारकर रक्षकों को भगा दिया और फल तोड़कर खाने लगे।रक्षकों ने सुग्रीव के पास जाकर कहा
"हनुमानजी ने हमे मारकर भगा दिया और मधुबन में फल तोड़कर खा रहे हैं।
"क्या हनुमान लौट आये?"सुग्रीव ने पूछा था।
"हां महाराज।"
"वह मधुबन में फल खा रहे हैं?"
"हा महाराज।"
"मतलब वह काम मे सफलता पाकर लौटे हैं?,सुग्रीव समझ गए कि हनुमान माता सीता का पता लगा आये हैं।तभी खुश हैं और मधुबन के फल खा रहे हैं।अगर उन्होंने सीता का पता न लगाया होता तो फल न खाते।
और वह अपने अंगरक्षकों के साथ चल दिये।वह मधुबन पहुंचे औऱ हनुमानजी से सारे समाचार लिए थे।अब ये समाचार राम को देने थे।सब लोग समाचार देने के लिय रवाना हुए राम और लक्ष्म।ण सिला पर बैठे थे
"प्रभु
हनुमान ,राम के चरणों मे गिर पड़े।राम उन्हें उठाते हुए बोले,"क्या समाचार लाये हो
"सीता मैया को रावण ने अशोक वाटिका में कैद कर रखा है
हनुमान उन्हें समाचार सुनाने लगे।राम सीता के समाचार सुनकर भावुक हो गए।उनकी आंखें भर आयी
"माता सीता ने यह निशानी दी है
हनुमान ने सीता द्वारा दी गयी चूड़ामणि राम को दी थी।उसे हाथ मे लेकर सीने से लगाते हुए बोले,"सीत मैं आ रहा हूँ उस दुष्ट का सर्वनाश करने
काफी देर तक राम,सीता को याद करके भावुक मुद्रा में बैठे रह रहे तब हनुमान बोले
प्रभु अब हमें देर नहीं करनी चाहिये।लंका पर आक्रमण कर देना चाहिए
"हनुमान यह बताओ लंका की जनता कैसी है।वहाँ कि सुरक्षा कैसी है
हनुमान लंका कि व्यस्था के बारे में बताने लगे।कैसे लंका को रावण ने अभेद्य दुर्ग में तब्दील कर रखा है।उसकी सुरक्षा कवच को भेदना आसान नही है।कैसे हनुमान ने लघु रूप धरा फिर भी लंकनी ने पकड़ ही लिया।
हनुमानजी ने लंका के लोगो का जिक्र करते हुए रावण के भाई विभीषण के बारे में भी बताया।रावण के दरबार औऱ वहाँ के योद्धाओं कि भी जानकारी दी।हनुमानजी से सारी बाते जान लेने के बाद राम,सुग्रीव से बोले,"लंका प्रस्थान की तैयारी करो।
राम अपने भाई लक्ष्मण औऱ पत्नी सीता के साथ आये थे।लंका पर आक्रमण के लिय उन्होंने अयोधया से सेना नही बुलाई थी।बल्कि सुग्रीव की सेना ने युद्ध के लिए प्रस्थान किया था।उस सेना मे कुशल योद्धाओं कि कोई कमी नही थी।सुग्रीव,हनुमान, अंगद,जामवंत, नील,नल जैसे एक से बढ़कर एक वीर थे।
एक लाख से ज्यादा कि फ़ौज थी।उस फ़ौज को तैयार किया गया।उस फौज में केवल वानर जाति के ही नही प्रशिक्षित बन्दर अन्य प्राणी भी थे मौसम आदि का भी ध्यान रखा गया।बरसात ।के मौसम में सेना को आसानी से ले जाया भी नही सकता और युद्ध लड़ा भी नही जा सकता।अगर बरसात में युद्ध लड़ा जाए तो हानि ही हो सकती है।
मौसम अनुकूल होने पर सेना ने प्रस्थान किया।वर्तमान मे वह जगह कर्नाटक में है।राम के नेतृत्व वाली सेना कोडिकराई में पहुंची थी।लेकिन यहाँ उन्हें कोई ऐसा स्थान नहीं मिला जहाँ पर समुद्र में पुल बनाया जा सके।फिर सभी मे विचार विमर्श हुआ और सेना को रामेश्वरम लाया गया।इस जगह से लंका की दूरी कम थी और यहा पर समुद्र में टापू भी थे।जिन को आधार बनाकर समुद्र मे पुल बनाया जा सके
पुल बनाने का जिम्मा नल व नील को दिया गया