आकाश और श्रेया को गाड़ी तक एस्कॉर्ट करने के बाद राशशेखर परिवार अपने अपार्टमेंट में वापिस चला गया। श्रेया के पैर में अभी भी दर्द था, जो आकाश उसके चेहरे पर साफ देख पा रहा था।
"तुम्हे जय के घर रुक जाना चाहिए था।" आकाश ने धीमी आवाज में कहा।
"अगर तुम्हे लेट हो रहा है तो मुझे यही उतर दो, में टैक्सी से चली जाऊंगी।" श्रेया ने नाराजगी में गुस्से से दबी हुई आवाज में कहा।
"मेरा वह मतलब नहीं है.. श्रेया।" आकाश ने श्रेया की तरफ देखा और फिर रोड की तरफ देखते हुए ड्राइव करने लगा। "यू स्टिल फील द पईन। तुम्हारी आंखों में और चेहरे पे साफ दिख रहा है।"
"मेरी आंखों में ना.., बहुत कुछ है पर तुम्हे शायद उसके अलावा सब दिख रहा है।" श्रेया का गुस्सा पहले से ज्यादा बढ़ गया था।
श्रेया की बात सुन आकाश चुप था।
"मेरा घर राइट साइड में है।" श्रेया ने आकाश की तरफ देखे बिना कहा।
"पता है, में वही रहता हु।"
"तो फिर उल्टे क्यों जा रहे हो..!?" आकाश कुछ कहता उससे पहले श्रेया ने कहा।
"हॉस्पिटल।"
आकाश का जवाब सुनके थोड़ी देर श्रेया चुप थी। "मुझे नहीं जाना।"
"में पूछ नहीं रहा हु।" आकाश की आवाज में अब भारीपन था।
"मेने बोला ना, मुझे नहीं जाना।" श्रेया ने चिल्लाकर कहा।
आकाश ने बिना कुछ कहे बिना गाड़ी रोकी। अपना सीट बेल्ट खोला और उसकी तरफ झुकते हुए आकाश ने अपनी मेनली डॉमिनेटिंग आवाज में उसकी आंखो में देखते हुए धीरे से कहा, "लिसन, श्रेया। आई आम नोट इन अ मूड टू आर्ग्यु विथ यू, राइट नाऊ। सो चुप चाप बैठो। मन तो मेरा भी बहुत कर रहा है कि तुम्हे गाड़ी से नीचे उतारदू। आकाश अहूजा किसके टेंटरंप्स नहीं उठता।" श्रेया उसकी आंखो की गर्मी महसूस कर पा रही थी। आकाश ने अपनी नजरे हटाए बिना उसके और करीब जाते हुए कहा, "अच्छा नहीं लग रहा होगा नहीं तुम्हे। आई वास ट्राईंग... टू मेक यू कंफर्टेबल। अटलीस्ट नोट.. ऑक्वर्ड विथ मी। आफ्टर व्हॉट यू डिड। बट ऐसा लग रहा है जैसे... तुम्हे.. मेरा तुम्हारे आसपास रहना बर्दास्त नहीं हो रहा। डू यू रियली, हेट मी.. घिस मच?" श्रेया की आंखे नम हो गई थी आकाश साफ समझ पा रहा था।
"जस्ट से श्रेया व्हॉट डू यू फील?" आकाश ने अपने मन में सोचा।
श्रेया कुछ कह पाती उससे पहले ही आकाश की फोन की रिंग बजी जो कार से कनेक्टेड था। "आदि द कुत्ता" नाम कार की स्क्रीन पे था। आकाश पीछे हट के अपनी सीट पे बैठ गया। उसने कार चलाना चालू किया और ब्लूटूथ पे ही बात कर रहा था। जो श्रेया को भी सुनाई दे रही थी।
फोन पर
आकाश: भौंक।
आदित्य: काव्या कोल्ड मी, उसे सब पता चल गया। तू अपने अपार्टमेंट चला जा। आज रात के लिए।
आकाश: तुझे जो भी कहना है टेक्स्ट करले, में अभी कुछ भी सुनने के मूड में नहीं हु।
इतना कहके आकाश ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया।
श्रेया ने उनकी बातो पे ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। अभी भी वह आकाश की बातो में कोई हुई थी। वो अपने ख्यालों से बाहर आई जब आकाश ने कार को पार्क किया और ब्रेक लगाई।
"आकाश.." श्रेया की आवाज को अनसुना करके कार से नीचे उतरते हुए आकाश ने कहा, "हॉस्पिटल आ गया है। चलो उतारो अब।"
श्रेया ने अपने दाएं पैर में हल्की सी लूस रहे ऐसे सैंडल पहनी और नीचे पैर रखा। "आह.." वो दर्द में कहरा उठी।
आकाश ने उसे सीट पे बैठने का इशारा किया। श्रेया जैसे सीट पे बैठी, आकाश ने नीचे झुक कर उसकी दोनो सैंडल उतारदी और कार में रख दी। श्रेया कुछ समझ नहीं पा रही थी। आकाश ने देखते ही देखते बिना कुछ कहे श्रेया को अपनी बाहों में उठा लिया। और उसे हॉस्पिटल के अंदर ले गया।
श्रेया का अपार्टमेंट
श्रेया फिरसे अपने सैंडल पहनने जा रही थी कि आकाश ने अपने दाईंने हाथ से उसके सैंडल पकड़ लिए और श्रेया को कहा, "लॉक यौर हैंड्स। टाइटर।" बात सुनके वो खड़ी हो गई। उसने आकाश का हाथ पकड़ लिया।
"श्रेया क्या कर रही हो? आईं एम गोना कैरी यू, होल्ड मि, अराउंड माय नेक।" श्रेया कुछ रिएक्ट कर पाति उससे पहले आकाश ने उसे एक हाथ से अपनी बाहों में उठा लिया। जिसकी वजह से श्रेया ने उसे पकड़ लिया अपने सपोर्ट के लिए।
वो उसे उसके अपार्टमेंट में छोड़ने के लिए लिफ्ट की तरफ उसे अपनी बाहों में उठाएं आगे बढ़ गया।
Continues in the next episode....
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