"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल "( पार्ट -२८)
रवि डॉक्टर शुभम को अपने पिताजी की हत्या के बारे में बताता है।
अब आगे
डॉक्टर शुभम:-"लेकिन रवि तुम्हें सच बताना चाहिए था। ऐसी घटना में खुद को बचाने के लिए किसी को बलि का बकरा नहीं बनाना चाहिए। तुम तो कह रहे थे कि हरि भी तुम्हारा दोस्त था। क्या तुम्हें दया नहीं आई,उसकी पत्नी और बच्चे पर?"
रवि:- "डॉक्टर साहब, मुझे दया आ गई लेकिन मुझे घर पर माँ की देखभाल भी करनी थी। मैंने सोचा कि मैं पोस्टमार्टम रिपोर्ट और चाकू और छड़ी पर फिंगरप्रिंट रिपोर्ट के बाद बताऊंगा। पुलिस इंस्पेक्टर ने मुझसे पूछा कि आपके पिता आधी रात को श्मशान में क्यूं गये थे?उस वक्त गहने लेकर क्यों गई थे?और तुम गहने के लिए श्मशान में गये थे?मेरी मां ने कहा कि इसी टोटके के कारण वह हरि को वश में करना चाहते थे। यह सुनने के बाद पुलिस ने मुझसे पूछताछ की पुलिस को मुझ पर शक हो गया था। मैं क्यूं पीछे पीछे गया था और सब बातें कैसे मालूम थी?पुलिस के जाने के बाद हम रात भर जागते रहे। माताजी ने युक्ति पर आरोप लगाते हुए झगड़ा करना शुरू कर दिया,जिसमें मैंने सुना कि पापा श्मशान जा रहे थे। मुझे झगड़े में दिलचस्पी नहीं थी। जो हुआ था अच्छा नहीं हुआ था।धमैं दूसरे कमरे में सोने चला गया लेकिन मेरी माँ युक्ति को धमका रही थी इसलिए मैंने दरवाजे के पास रहकर बातें सुनने की कोशिश की क्योंकि पुलिस हरि को पकड़ कर ले गई थी । युक्ति बता रही थी कि मेरे हरि को मारने के लिए पिताजी ने छुरी उठा ली, इसलिए पिता को अपने कर्मों का फल मिल गया । मेरा हरि किसीको मार नहीं सकता।वह निर्दोष होगा. मैं उस पर दोष देना नहीं चाहतीं। हरि निर्दोष है, शायद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नींबू पानी से मौत होना दर्शाया जाएगा तो ? उससे पहले मैं कल पुलिस स्टेशन जाना चाहती हूं। ये सुनकर मैं सुन्न हो गया।मुझे गुस्सा भी आया और हैरानी भी। नींबू पानी में युक्ति ने क्या डाला होगा? युक्ति क्यूं परेशान हो रही थी? क्या उसने हरि को बचाने के लिए पिताजी को कुछ पिलाया होगा?"
इतना कहकर रवि सिर पर हाथ रखकर बिस्तर पर बैठ गया।
यह सुनकर डॉ. शुभम भी सोच में पड़ गए कि फिर हत्या चाकू से की गई थी या युक्ति ने नींबू पानी में डाले हुए कोई पदार्थ से?
डॉक्टर शुभम:- "रवि, इस तरह शोक मत मनाओ। जो हुआ उसके बारे में और बात करो। तुम मानते हो न कि हरि निर्दोष है।शायद मैं मदद कर सकूं।"
कुछ ही मिनटों में रवि ठीक हो गया.
बोले:- "डॉक्टर साहब, आप बहुत भावुक और परोपकारी हैं। आप मेरी दीदी की मदद के लिए आये हो। अच्छा ही किया, लेकिन अब मुझे मेरी दीदी से कोई ताल्लुकात रखने नहीं है। शायद आप अपील करके दीदी की सज़ा कम करवा सकते हो। मैं जो बता रहा हूं उससे ज्यादा मैं आपकी सहायता नहीं कर सकता।अब आपको पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बारे में बताता हूं। हां.. एक बात कहनी बाकी रह गई थी। उस रात जब पुलिस घर आई और पिता की हत्या के बारे में बताया, तो उन्होंने मेरी जांच की और मेरी फिंगर प्रिंट का नमूना लिया। मैं घबरा गया था क्योंकि छड़ी पर मेरे फिंगर के निशान थे।इसलिए मुझे लगता था कि मेरी जान खतरे में है।और हुआ भी ऐसा छड़ी पर मेरे निशान मिले इसलिए पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर लिया था। मौत का कारण अत्यधिक रक्तस्राव भी था। इसके अलावा उन्हें किसी पानी या शरबत में जहर दिया गया था। मैं हेरान हो गया था।मौत के दो मुख्य कारण थे। चाकू पर हरि के फिंगरप्रिंट और एक अज्ञात व्यक्ति के फिंगरप्रिंट पाए गए थे। हरि के फिंगर प्रिंट मिला और वारदात पर रंगे हाथों पकड़ा गया था इसलिए हरि को ही गुनहगार मानते थे। पुलिस ने बताया कि आपके सोना और रींग आभूषणों की चोरी की सूचना अन्य पुलिस स्टेशनों को दे दी गई है, इसलिए चोर पकड़ा जाएगा। हम चोर के फिंगर प्रिंट के साथ-साथ चाकू पर भी फिंगर प्रिंट लेंगे। पुलिस मुझे हिरासत में लाठियों से मारती थी लेकिन मैंने हत्या नहीं की थी। फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि जब मेरे पिता की हत्या हुई तो उन्होंने क्या खाया-पीया। मैं कहना नहीं चाहता था लेकिन मेरी माँ ने कहा कि युक्ति ने जाते समय नींबू पानी दिया था। इस बात का पता चलते ही युक्ति को भी गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। चार दिन बाद, पास के शहर से एक चोर पकड़ा गया, उसने कबूल किया कि उसे सोना चांदी आभूषण एक श्मशान में मिले थे। पुलिस की लाठियों की मार से उसने कबूल किया कि एक अधेड़ उम्र का आदमी श्मशान घाट में अनुष्ठान कर रहा था । मैं गांव के श्मशान घाट की ओर से चोरी की नियत से गांव में घुस आया था। मैंने देखा कि वह आदमी कम रोशनी में कुछ कर रहा था, शायद किसीका इंतजार भी।"
( क्रमशः)
- कौशिक दवे