जुबान खामोश हैं पर कलम बोलती हैं l
हृदय में उठते लब्जों को खोलती हैं ll
दिल की बात सुनके दिल की कहतीं है l
वो सदाकत का साथ देकर डोलती हैं ll
उमड़ते भावों ओ उर्मि को किताबों में l
लिखने से पहले शब्दों को मोलती हैं ll
खुद ही न्यायालय की खुर्शी में बैठकर l
न्याय को लिखते वक्त अक्षर तोलती हैं ll
अपने अरमान और जज्बातों को लेकर l
ही बेज़ान कोरे काग़ज़ को टटोलती हैं ll
१६-११-२०२४
नाराज है पर इतना मलाल नहीं हैं l
आँखें रोने की बजह से लाल नहीं हैं ll
पास रखने के लिए दिक्कतें है तो l
दूर जाने का कोई ख्याल नहीं हैं ll
कभी नाप ना पाओगे चौड़ाई क्यूँकी l
समंदर हृदय जितना विशाल नहीं हैं ll
महफिल में कई अच्छी ग़ज़लें बज़ी l
सुनो तो इसमे कोई जमाल नहीं हैं ll
हर खुशी फोटो में कैद कर लेना कि l
वहीं प्रसंग फ़िर से बहाल नहीं हैं ll
१७-११-२०२४
सपनों से रिश्ता दिल से निभाना चाहिये l
पुरे करने के वास्ते वक्त बिताना चाहिये ll
जहां हो जैसे भी हो गुलज़ार कर सको तो l
माहौल खुशग्वार करना सिखाना चाहिये ll
जिदगी को जिंदादिली से जीकर हमेशा l
क़ायनात में सभी को जिताना चाहिये ll
बड़ी जरूरत आन पडी आज के दौर में l
दिलों के फासलों को मिटाना चाहिये ll
ज़माने की फ़िक्र न करते हुए हर बार l
ग़म हो या खुशी जाम पिलाना चाहिये ll
कारवाँ के संग गर मिल भी जाए कोई तो l
भटकते राही को रास्ता दिखाना चाहिये ll
हौसलों और सदाकत के साथ साथ ही l
नफ़रतों की दीवारों को गिराना चाहिये ll
१८-११-२०२४
यादें आने से चमक-दार नज़र आते हैं l
गुल खिलने के आसार नज़र आते हैं ll
रिश्तों की नजाकत जानने लगे हैं कि l
आज दिवाने समझदार नज़र आते हैं ll
महफिलों में उखड़े उखड़े रहनेवाले अब l
मोहब्बत के तरफ़-दार नज़र आते हैं ll
मिलन की तड़प है फ़िर भी न मिलनेवाले l
दिलों को जोड़ते हुए तार नज़र आते हैं ll
प्यार के इज़हार ए इक़रार में छोड़े हुए l
अर्श में गुब्बारे लगातार नज़र आते हैं ll
१९-११-२०२४
ग़म में भी मुस्कुराते रहेना जीना इसका नाम है l
सब कुछ ठीक है कहेना जीना इसका नाम है ll
सफ़र ए जिंदगी की राह में अपनों से मिले हुए l
दर्द को खामोशी से सहेना जीना इसका नाम है ll
हर रिश्ता अपने हिस्से की खुशी या ग़म देता है l
वक्त की रफ़्तार संग बहेना जीना इसका नाम है ll
देनेवाला कोई ना कोई तो कमी दे ही देता है तो l
किस्मत का फैसला पहेना जीना इसका नाम है ll
क़ायनात में किसी के दिल में जगह मिलना ही l
ताउम्र की दोस्ती का गहेना जीना इसका नाम है ll
२०-११-२०२४
अच्छा हो या बुरा जैसा भी हो समय बीत जाएगा l
एक रोज़ वो जरूर सुख का सूरज साथ लाएगा ll
यक़ीन है मुमकिन हो वक्त मेहरबान हो जाए और l
मुक़द्दर में लिखा हुआ अपने साथ लेकर आएगा ll
ईश्वर जो भी, जितना भी, जैसे भी और जब भी देगा l
किस्मत का फैसला समझ दिलों दिमाग को भाएगा ll
पूरी क़ायनात में खुद को खुशनसीब मान कर l
महकी फ़िज़ाओं में दिल खुशियों के नगमें गाएगा ll
छोटी ही सही प्यारी, नशीली, रसीली सी महकती l
मुलाकात होने से चैन और सुकूं के लम्हें पाएगा ll
२१-११-२०२४
अपनों के साथ दिल का रास्ता अख्तियार करना चाहिए l
अपनों के बीच हुई तकरारों को मिस्मार करना चाहिए ll
२२ -११-२०२४
लब्ज़ भीगे हैं l
जब्ज़ भीगे हैं ll
मिलन के बाद l
नब्ज भीगे हैं ll
हसीनों के साथ l
बज़्म भीगे हैं ll
आलिंगन से ही l
कम्ज भीगे हैं ll
प्यार में मिले l
ज़ख्म भीगे हैं ll
ग़ज़लों में आज l
शब्द भीगे हैं ll
इंतज़ार में देख l
रब्त भीगे हैं ll
२३ -११-२०२४
जीवन एक संघर्ष यात्रा हैं जिसे हसते हुए पूरी करनी हैं l
तक़दीर के हाथों से तदबीर चुराके खुशियाँ भरनी हैं ll
तेज रफ्तार से भागे जा रहीं हैं जीवन की गाड़ी l
वो तो हर पल हर लम्हा आगे बढ़के आगे ही सरनी हैं ll
जिंदगी की कटु सच्चाई को जानकर और स्वीकार के l
मीठी नशीली मुस्कान से टेड़ी मेडी डगर को छलनी हैं ll
संघर्ष को जीवन का हिस्सा जान ले अपनी मस्ती में l
आगे बढ़ जा जितना हो सके जिन्दगी तो चलनी हैं ll
जो भी करना हैं, पाना है, जीना है, खुशी से जी ले आज l
न रुकी है न रुकने वाली है कभी भी उम्र तो बढ़नी हैं ll
२४-११-२०२४
नई कलम नया कलाम l
नई आवाज़ नया धमाल ll
एकता दिखाकर एक मंच पर l
जुड़े रहने के लिए सलाम ll
हर रोज़ नये नये शब्द पर l
लिखनेवाले सभी को प्रणाम ll
मंच की गरिमा को बनाये रखने l
शब्द की खींची रखना लगाम ll
स्थापना करने के लिए शुक्रिया l
एसे उच्च विचार करते कमाल ll
२४-११-२०२४
इश्क़ का रंग चढ़ाकर पिया ने ओढ़नी भेजी हैं l
काला टीका लगाकर पिया ने ओढ़नी भेजी हैं ll
रूबरू मुलाकात अभी मुमकिन नहीं इस लिए l
यादों को लिखाकर पिया ने ओढ़नी भेजी हैं ll
बड़े चाव और दिलचस्पी से जहाज में आज l
रगबेरंगी बनाकर पिया ने ओढ़नी भेजी हैं ll
हुस्न की ख्वाइशों और पसंद के मुताबिक l
खूबसूरत सजाकर पिया ने ओढ़नी भेजी हैं ll
बेपन्हा, बेइंतिहा, नशीली सी मोहब्बत के l
जाम में भिगाकर पिया ने ओढ़नी भेजी हैं ll
२५-११-२०२४
हर सवाल का जवाब होना जरूरी नहीं हैं l
जवाब को तलबगार होना जरूरी नहीं हैं ll
कई कम जबानी लोग होते है क़ायनात में l
इस में तअल्लुक़ात खोना जरूरी नहीं हैं ll
मानते है मुकम्मल आज़ादी होनी चाहिए l
पाबंदियाँ है पर सोना जरूरी नहीं हैं ll
उम्मीद पर कोई खरा न उतरे तो भी l
दिल में कटुता को बोना जरूरी नहीं हैं ll
किसीको मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता l
तमन्ना से हाथ धोना जरूरी नहीं हैं ll
ना मिलने वाली नशीली मुलाकातों की l
ख्वाइशों का बोझ ढोना जरूरी नहीं हैं ll
कभी कभी हँसकर भी बिदाई करते रहो l
बिछड़ते समय पर रोना जरूरी नहीं हैं ll
२६-११-२०२४
जीने का सहारा बन गया है तेरा उपहार l
तेरी मोहब्बत में मिला बाहों का आधार ll
आश का दिया जलाया है तेरे प्यार ने l
ताउम्र पहने रखगे तेरी चाहत का हार ll
साथ जीने और मरने की कसमें खाई है l
सपने जो देखे हैं मुकम्मल होगे साकार ll
जिस मकाम की तमन्ना की वही पहुंचेगे l
जिंदगी को नहीं होने देगे कभी निराकार ll
हर लम्हे में चरागों की रोशनी को भरकर l
तेरे उपहार ने जीवन को दिया आकार ll
२७-११-२०२४
सिर्फ़ ख़ुदा की सिफारिश चाहिए l
इस के लिए साफ़ मन को लाइए ll
आधा अधूरा नहीं चलेगा आना तो l
आश ओ यकीन के साथ आइए ll
देने वाला देता है छप्पड़ फाड़ के तो l
तमन्नाओं की झोली भर के जाइए ll
जिन्दगी जिंदादिली सी जिए जाओ l
दूसरों को नहीं ख़ुद ही को भाइए ll
हेसियत से ज्यादा ही दिया है कि l
सदा ही कृपा के गुणगान गाइए ll
बात करने की निगाहों ने की सिफारिश l
वर्ना होने लगेगी आँखों से तेज़ बारिश ll
महफिल में यार दोस्तों से छुपाकर भी l
हर हाल में करेगे मुकम्मल ख्वाहिश ll
बहुत हो चुका अब आँख मिचोली खेलना l
दो पल की मुलाकात को करेगे साज़िश ll
मोहब्बत की डोर को टूटने न देगे कभी l
रिश्तों को ताउम्र करते रहेंगे पालिश ll
मंदिर, मस्जिद ओ गुरुद्वारा पर जाकर l
खुदा की करनी पड़े तो करेगे मालिश ll
२८-११-२०२४
अपनों से रिश्तों का दिखावा करना छोड़ दो l
जुठी शान औ शौकत का दम भरना छोड़ दो ll
जीवन में सब का साथ सब का विकास होता है l
जिंदगी की रेस में सबसे आगे सरना छोड़ दो ll
वैसे भी उपरवाला का सदा आशीर्वाद हो और l
अपनों का साथ हो तो फ़िर ड़रना छोड़ दो ll
एक अकेले दूर तलक नहीं जा पाओगे तो l
खुद की जड़ों से जड़े रहो खरना छोड़ दो ll
खुद के साथ खुद के लिए जीना भी सीख लो l
मीठी भावनाओ के बहाव में तरना छोड़ दो ll
२९-११-२०२४
हृदय वेदना किसी को भी दिखा ना पाये l
दिल के गहरे ज़ख्म मुकम्मल मिटा ना पाये ll
अपनों की साज़िशो को तारीख में ठीक से l
मोहब्बत का महाभारत लिखा ना पाये ll
उम्रभर अपनों की रंजिशें सही जैसे तैसे l
दो लम्हे भी चैन ओ सुकूं से बिता ना पाये ll
जुठ ओ सदाकत के खेल में ख़ुद को कभी l
सच साबित करके ज़माने से जिता ना पाये ll
प्रेम और ममता की तेज बारिश बरसाती l
नशीली आँखों से जाम को पिला ना पाये ll
३०-११-२०२४