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न काम के न काज के. घन्टा बजाते रहो बस

नेता लोग काम करें या न करें, पर जनता को यह महसूस होना चाहिए कि वे काम कर रहे हैं। यह बात कुछ ऐसी है जैसे किसी फिल्म में हीरो का दिखना जरूरी है, चाहे वह असल में कुछ करे या न करे। आइए, इस पर एक हास्य व्यंग्य रूप में नजर डालते हैं।

   नेता जी का दिन

नेता जी सुबह उठते ही सबसे पहले अपने सोशल मीडिया टीम को बुलाते हैं। "भाई, आज कौन सा नया प्रोजेक्ट शुरू करना है?" टीम जवाब देती है, "साहब, आज एक नया पुल बनाने की घोषणा करनी है।" नेता जी मुस्कुराते हुए कहते हैं, "अरे वाह! चलो, फोटो खिंचवाने चलते हैं।"

  उद्घाटन और फीता काटना

नेता जी का सबसे पसंदीदा काम है फीता काटना। चाहे वह पुल हो, सड़क हो, या फिर कोई पार्क, नेता जी हर जगह फीता काटने पहुंच जाते हैं। एक बार तो उन्होंने अपने घर के गार्डन में भी फीता काट दिया, यह कहते हुए कि "यहां भी विकास हो रहा है।"

   भाषण और वादे

नेता जी के भाषणों में वादों की भरमार होती है। "हम हर घर में बिजली पहुंचाएंगे, हर गांव में सड़क बनाएंगे, और हर व्यक्ति को नौकरी देंगे।" जनता तालियां बजाती है, और नेता जी मन ही मन सोचते हैं, "वाह, क्या भाषण दिया है!"

    जनता के साथ संवाद

नेता जी जनता के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनते हैं। एक बार एक व्यक्ति ने कहा, "साहब, हमारे गांव में पानी की समस्या है।" नेता जी ने तुरंत जवाब दिया, "चिंता मत करो, हम जल्द ही यहां एक नदी लाएंगे।" जनता हंसते हुए सोचती है, "वाह, नेता जी का जवाब भी गजब है!"
मंदिर में घंटा बजाना एक पुरानी परंपरा है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। लेकिन अगर हम इसे व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण से देखें, तो यह जनता को फंसाने का एक फंदा भी हो सकता है। आइए, इस पर विस्तार से चर्चा करें।

   धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

मंदिर में घंटा बजाना एक धार्मिक अनुष्ठान है। इसे बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। भक्तों का मानना है कि घंटा बजाने से भगवान का ध्यान आकर्षित होता है और वे प्रसन्न होते हैं। यह एक प्रकार का आह्वान है, जिससे भक्त और भगवान के बीच का संबंध मजबूत होता है।

   जनता को फंसाने का फंदा

अब अगर हम इसे व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण से देखें, तो मंदिर में घंटा बजाना जनता को फंसाने का एक तरीका भी हो सकता है। नेता और धर्मगुरु इस परंपरा का उपयोग जनता को अपनी ओर आकर्षित करने और उन्हें अपने प्रभाव में रखने के लिए कर सकते हैं। 

  नेता जी का खेल

नेता जी जब भी किसी मंदिर में जाते हैं, तो सबसे पहले घंटा बजाते हैं। इससे जनता को यह संदेश मिलता है कि नेता जी धार्मिक और आस्थावान हैं। वे अपने भाषणों में भी इस बात का जिक्र करना नहीं भूलते कि "मैंने आज सुबह मंदिर में घंटा बजाया और भगवान से आपके लिए प्रार्थना की।" जनता इस पर विश्वास करती है और नेता जी के प्रति उनकी आस्था और बढ़ जाती है।

   धर्मगुरु और आस्था

धर्मगुरु भी इस परंपरा का उपयोग अपने अनुयायियों को बांधे रखने के लिए करते हैं। वे कहते हैं, "घंटा बजाने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।" जनता इस पर विश्वास करती है और नियमित रूप से मंदिर में जाकर घंटा बजाती है। इससे धर्मगुरु का प्रभाव और बढ़ता है और वे अपने अनुयायियों को अपने अनुसार चलाने में सफल होते हैं।

   मीडिया और प्रचार

मीडिया भी इस परंपरा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब भी कोई बड़ा नेता या धर्मगुरु मंदिर में घंटा बजाता है, तो मीडिया इसे बड़े पैमाने पर कवर करती है। इससे जनता को यह संदेश मिलता है कि उनके नेता और धर्मगुरु कितने धार्मिक और आस्थावान हैं। 

निष्कर्ष 1

मंदिर में घंटा बजाना एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, लेकिन इसे व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण से देखें तो यह जनता को फंसाने का एक फंदा भी हो सकता है। नेता और धर्मगुरु इस परंपरा का उपयोग अपने प्रभाव को बढ़ाने और जनता को अपने अनुसार चलाने के लिए कर सकते हैं। 

आखिरकार, राजनीति और धर्म दोनों ही एक प्रकार की कला हैं, और जो इस कला में माहिर हैं, वे जनता को अपने अनुसार चलाने में सफल होते हैं। 


   निष्कर्ष..2

नेता जी का काम करना जरूरी नहीं, पर जनता को यह महसूस होना चाहिए कि वे काम कर रहे हैं। आखिरकार, राजनीति भी एक तरह की कला है, और नेता जी इस कला में माहिर हैं।