कितना अजीब आदमी है। नाम देखे बिना कोई कैसे फोन रिसीव कर सकता है...
काव्या ने थोड़ा चलना शुरू कर दिया था। वो अपनी बालकनी में बैठी हुई थी। और अपने फोन पे धीमी सी आवाज में गाने सुन रही थी और साथ में गुनगुना रहीं थी।
बहती रहती नहर–नदियां सी तेरी दुनिया में
मेरी दुनियां है तेरी चाहतों में
मैं ढल जाती हूं तेरी आदातों में
’गर तुम साथ हो
तेरी नजरों में हैं तेरे सपने
तेरे सपनों में है नाराजी
मुझे लगता है के बातें दिल की
होती लफ्जों की धोखेबाजी
तुम साथ हो या न हो, क्या फर्क है?
बेदर्द थी जिंदगी, बेदर्द है
अगर तुम सा...
अचानक उसने गुनगुना न बंध कर दिया जब उसने एक आदमी को अपने घर में आता देखा। जींस और ब्लैक टी–शर्ट पहना आदमी अंदर आ रहा था।
काव्या तुरंत नीचे लिविंग रूम में गई। वो आदमी जाने ही वाला था कि काव्या ने उसे रोकते हुए कहा, "वेइट। कौन हो तुम?"
"नथिंग बच्चे.. वो आकाश का कोई पार्सल देने आया था।" मिसेज अहूजा ने पार्सल काव्या के हाथ में देते हुए कहा।
"ओह.. तो तुम आदित्य वर्मा के आ.. साथ काम करते हो?" काव्या ने अपनी आई ब्रो ऊपर करते हुए उसकी तरफ देखा।
"यस माम।" उस आदमी ने बिना किसी एक्सप्रेशन से कहा।
काव्या ने अपने मन में सोचा – उसके आदमी भी इसके जैसे ही है। "वेल! अपने बॉस से बोल देना, कभी हमसे से भी मिल लिया करे। काफी इंपॉर्टेंट बात करनी है मुझे उससे। बता देना काव्या सेहगल उससे मिलने के लिए बहुत एक्साइटेड है। जल्द ही मुलाकात होगी।"
अब काव्या की नजरें उस इब्वोलेप पे टिकी हुई थी जो आकाश के लिए खुद आदित्य वर्मा ने अपने आदमी के हाथों भिजवाया था।
उसके जाने के बाद, काव्या ने मिसेज अहूजा को गुड नाइट विश किया और मेड को एक ग्लास दूध अपने रूम में भेजने के लिए कहके चली गई।
"व्हॉट आर यू अप टू, अक्की?" काव्या ने इन्वॉलेप खोला और अपने बेड पे बैठ गई।
अंदर से एक आदमी की फोटो निकली और साथ में लेटर।
"शकल से तो गुंडा लग रहा है।" काव्या ने फोटो साइड में रखी और लेटर खोला?
लेटर 1
डेट – 3 सितंबर
टार्गेट – आकाश अहूजा
प्लेस – होटल पैराडाइज, दिल्ली
लेटर 2
बस, इतना ही मिला, तेरे शिकारी से। विल लेट यू नो। अब तो में सीधा उसे पकड़ने वाला हु। यू विल बी हैविंग हिम ऐझ माई दीवाली गिफ्ट फॉर यू। जस्ट वेइट अ लिटिल। एंड जस्ट डोंट ट्राई टू कॉन्टैक्ट में, में कमिश्नर से छुप रहा हु। मेरे पीछे पड़ा है अभी वो।
~ आदि ।।
"आदि... यू बास्टर्ड।" काव्या ने अपना फोन लिया और आदित्य को कॉल लगाया।
तभी इसके रूम में मेड आई और दूध का ग्लास रखके चली गई। तब तक आदित्य फोन रिसीव कर चुका था। पर काव्या ने कुछ कहा नहीं।
"शांति रखना बे।" काव्या ने फोन पे कहा।
फोन पर —
आदित्य: यू कॉल्ड मी। मेने यह नंबर इमरजेंसी के लिये दिया हैं।
काव्या: व्हाट्स विथ द इन्वॉलेप?
आदित्य: कोनसा इन्वॉलप?
काव्या: डॉन्ट एक्ट स्मार्ट। यू आर नॉट।
आदित्य: दो भाइयों के बीच की बात है, तुम क्यों बीच में पड़ रहीं हो?
काव्या: आदि, मेरा दिमाग मत खराब कर सीधे सीधे बता दे—
आदित्य: ओके। एक आदमी है जिसने तुमपे अटैक होने के बाद आकाश पे अटैक किया था। ईट वास ऑलमोस्ट सक्सेसफुल। तब आकाश ने मुझे कॉल करके बताया था। वी वेर सो राइट, बिकॉज हमे पता था यह तुझसे रिलेटेड है। वो उस राजा नमक प्राणी का कुछ तो फ्रैंड टाइप्स है, जिसकी हमने दो महीने पहले बैंड बजाई थी।
काव्या: उसको अक्की पे अटैक करने में 1 महीना लगा, समझ आता है बट तुझे क्यों 1 महीना लगा उसे ढूंढने में?
आदित्य: आई वास बीट बीजी। में बहुत फेमस डिटेक्टिव हु पता है ना...!
काव्या: व्हाटेवर ।
इतना कहके काव्य ने फोन रख दिया।
काव्या बहुत गुस्से में थी। उसने सीधा आकाश को फोन किया।
जय का घर
आकाश
हे भगवान। सबके सामने ऐसे कौन बोलता है। धात टू... 'विथ हार्ट'। मेरी नजर भी सीधा श्रेया पे पड़ी, उसके चेहरे पे एक ही एक्सप्रेशन था - ‘आई डोंट केयर’। माय हार्ट हर्ट अ लिटिल।
विद्या ने फोन स्पीकर कर दिया। और में कुछ कर पता उससे पहले काव्या स्टार्टेड, "व्हॉट द हेल डू यू थिंक ऑफ योरसेल्फ...? तूने मुझसे क्यूं छिपाया?"
"एक मिनिट, मेने कुछ नहीं छिपाया तुझसे, वाय आर यू एंग्री?" इतना गुस्सा...
सबका ध्यान काव्या की बातो पे था। "फर्स्ट, हक बनता है मेरा गुस्सा करने का। बिकॉज यू डिजर्व ईट। और रही बात छुपाने की तो, पिछले महीने, दिल्ली में... यू वर अटैक्ड। राइट?"
मेने फोन स्पीयर से फोन मोड पे कर दिया क्योंकि में नहीं चाहता था किसको कुछ पता चले, नोट एवन कावू। पर अब उसे पता चल गया है। में उसे कैसे कन्वींस करूंगा, आई डोंट नो। में डाइनिंग टेबल से खड़े होके लिविंग रूम में चला गया।
"कावू.. में घर आके बात करता हु। प्लीज... में डॉक्टर राजशेखर के घर पे हु अभी.. डिनर करके आता हर घर। फिर बात करते है।"
"शीट! में भूल गई.. हाऊ कैन आई?" उसने इतना बोलके फोन रख दिया। मानो जैसे उसने कोई गलती करदी हो... उसका गुस्सा लेट–रियलाइजेशन की फीलिंग में बदल गया।
जब में अंदर गया तो सबसे पहले मेरी नजर श्रेया पे गई। वो आंटी से बाते कर रही थी, शी वास स्माइलिंग।
"कुछ हुआ है क्या?" इस जय को हरबार बीच में क्यों आना होता है...?
"या.." तभी प्यारी सी आवाज में किसीने सॉरी कहा, "सॉरी.., आकाश भाई।" विद्या ने पाउट करते हुए कहा।
"इट्स ओके।" आई गैस, इसे डांट पड़ गई है। और मुझे घर जाके पड़ेगी।
"आकाश बेटा, सब ठीक है ना?" अंकल ने पूछा।
"यस अंकल, शी इस..."
"..अटैक?" अब में अंकल को क्या बताऊ...
"जस्ट, बिजनेस मेटर।" मेंने बात टालने कि कोशिश की।
"बेटा, प्लीज टेक केयर ऑफ योरसेल्फ। अटैक इस अ बिग थिंग। उसको चिंता तो होगी हीं ना।" सरस्वती आंटी ने प्यार से कहा।
"तभी तो उससे छुपा रहा था। वैसे भी अब यह पुरानी बाते है।"
"मम्मी पापा कैसे है?" मिस्टर राजशेखर ने पूछा।
"मॉम तो यहीं पे है। कावू के एक्सीडेंट के बाद वो चंडीगढ़ नहीं गई। सेहगल हाउस में। एंड डैड.." आकाश की आंखे नम हो गई थी। "..हमारे ट्वेल्थ के रिजल्ट्स आने से पहले ही डैड चल बसे थे।"
"वी आर सो सॉरी बेटा। हम नहीं जानते थे।" सरस्वतीने आकाश से हमदर्दी जताते हुए कहा। जय और श्रेया भी इस बारे में कुछ नहीं जानते थे।
जय
फोन पर
जय: व्हॉट द हेल हैव यू डन?
काव्या: में भूल गई थी.. ।
जय: ओह! सीरियसली.?
काव्या: उसने किया ही ऐसा है...
जय: मेरे प्लान पे पानी फेर दिया है आपने...
काव्या: यू हेड डिनर टुगेदर।
जय: आज रात में उसे यही रोकने वाला था, ताकि हम बात कर सके।
काव्या: जस्ट लीव धाम अलोन डॉक्टर।
जय: हा, ताकि दोनो बात ही न करे। जैसे अभी गए।
काव्या: साथ में गए?
जय: ज्यादा एक्साइटमेंट मत दिखाइए। श्रेया को चोट लगी थी, इसका अभी घर जाना पता नहीं क्यों इतना इंपॉर्टेंट था, तो मौका देखकर मेने आकाश से कहा उसे ड्रॉप करने के लिए।
काव्या: मतलब वो लेट आयेगा।
जय: आर यू, रियली सीरियस?
काव्या: कुछ बाते होती है सीरियस होने के लिए।
जय: व्हाट..एवर। कल लंच टाइम पे में आपको लेने आ रहा हु। हम बाहर जा रहे है। मुझे आपसे बात करनी है।
काव्या: आपका ज्यादा नहीं हो रहा वैसे... बिना मेरी परमिशन के, एक तो मुझे ऑर्डर भी दे रहे हो।
जय: ईट इस अर्जेंट। नाऊ गुड नाइट।
काव्या: गुड नाइट।
Continues in the next episode....
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