भाग 2: खतरे की दस्तक
गौरवनगर – रात के 11 बजे
शहर का माहौल ऐसा था जैसे कोई बड़ा तूफान आने वाला हो। सड़कों पर सन्नाटा था, लेकिन हर गली और चौराहे पर तानाशाह की सेना तैनात थी। हर घर पर नजर रखी जा रही थी। इसी बीच, पियाली और आर्यन ने गुप्त ठिकाने पर बैठक बुलाई थी। उनके पास समय कम था, लेकिन योजनाएँ बड़ी थीं।
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पियाली और आर्यन की बैठक
“हम जो कर रहे हैं, वह जान की बाजी लगाने जैसा है,” आर्यन ने कहा।
“यह लड़ाई आसान नहीं है। तानाशाह के पास ताकत भी है और हर कोने में उसके जासूस भी। हमें हर कदम संभलकर उठाना होगा।”
पियाली ने दृढ़ता से जवाब दिया,
“मेरे पिता ने अपनी जान देकर ये फाइलें इकट्ठा कीं। अगर हम इन्हें जनता तक नहीं पहुँचाएंगे, तो उनकी कुर्बानी व्यर्थ हो जाएगी। मैं हर खतरा उठाने के लिए तैयार हूँ।”
बैठक में आर्यन के दो पुराने साथी—कृष्णा और सुमित—भी शामिल हुए। कृष्णा ने सुझाव दिया,
“फाइल के हिस्से बनाकर अलग-अलग समूहों में बाँटते हैं। इस तरह अगर एक समूह पकड़ा भी जाए, तो पूरी जानकारी लीक नहीं होगी।”
सुमित ने समर्थन किया,
“और हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि संदेश सही जगह तक पहुँचे। पत्रकार, गुप्त क्रांतिकारी समूह, और यहाँ तक कि सेना में छुपे कुछ वफादार लोग—ये सभी हमारे सहयोगी हो सकते हैं।”
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राजभवन में आकाश ठाकुर की साजिश
राजभवन में तानाशाह आकाश ठाकुर अपने मंत्रियों और सुरक्षा प्रमुख के साथ बैठक कर रहा था। उसके हाथ में नंदिता की तस्वीर थी।
“यह महिला विद्रोहियों से जुड़ी हुई है। इसे हर हाल में पकड़ो। और अगर कोई इसके साथ मिले, तो उसे भी खत्म कर दो,” उसने ठंडे स्वर में कहा।
सुरक्षा प्रमुख राजेश ने आश्वासन दिया,
“हमने गुप्त एजेंट शहर के सभी प्रमुख स्थानों पर तैनात कर दिए हैं। जल्द ही हमें इन विद्रोहियों का ठिकाना मिल जाएगा।”
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नंदिता का पीछा
उसी रात, नंदिता ने महसूस किया कि कुछ लोग उसका पीछा कर रहे हैं। उसने तुरंत अपने पत्रकार मित्रों को अलर्ट किया और पियाली को संदेश भेजा,
“मैं खतरे में हूँ। वे मेरे करीब हैं। मुझे खुद को छुपाने की ज़रूरत है।”
नंदिता के पास फाइल का एक छोटा सा हिस्सा था, जिसे वह अपने भरोसेमंद साथी को सौंपने वाली थी। लेकिन पीछा करने वाले एजेंट उसके बहुत करीब पहुँच चुके थे।
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आर्यन का निर्णय
जब पियाली को नंदिता के खतरे का संदेश मिला, तो वह घबरा गई।
“हमें नंदिता को बचाना होगा। अगर वे उसे पकड़ लेंगे, तो हमारी सारी योजना खत्म हो जाएगी।”
आर्यन ने शांत रहते हुए कहा,
“हम नंदिता को बचाने के लिए दो लोगों को भेजते हैं। कृष्णा और मैं वहाँ जाएँगे। तुम यहीं रहकर योजना को आगे बढ़ाओ। अगर हम पकड़े गए, तो भी योजना चलती रहनी चाहिए।”
पियाली ने थोड़ी झिझक के बाद हामी भरी,
“ठीक है, लेकिन सावधान रहना। हमें तुम्हारी ज़रूरत है।”
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तानाशाह का नया आदेश
इस बीच, राजभवन से आदेश जारी हुआ कि शहर में कर्फ्यू लगाया जाए। जो कोई भी बिना अनुमति बाहर दिखे, उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाए। आकाश ठाकुर ने कहा,
“अब वक्त आ गया है कि इस बगावत को जड़ से उखाड़ फेंका जाए। डर ही हमारा सबसे बड़ा हथियार है।”
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भाग 2 का अंत:
कृष्णा और आर्यन ने नंदिता को बचाने के लिए गुप्त रास्तों का इस्तेमाल किया। लेकिन क्या वे समय पर पहुँच पाएंगे?
उधर, तानाशाह की सेना ने पूरे शहर को घेर लिया है। पियाली और उसकी टीम पर खतरे के बादल गहराते जा रहे हैं।
भाग्य का खेल
गौरवनगर – आधी रात के बाद
शहर की गलियों में अब सन्नाटे की जगह सेना के बूटों की गूँज सुनाई दे रही थी। हर कोने में तलाशी चल रही थी। तानाशाह का आदेश था कि कोई भी संदिग्ध न बच पाए।
दूसरी तरफ, नंदिता गुप्त ठिकाने से निकलकर पुराने पुल की ओर भाग रही थी। उसके पीछे जासूस लगे हुए थे। उसके पास फाइल का एक छोटा हिस्सा था, जिसमें तानाशाह की सत्ता को खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण सबूत थे।
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आर्यन और कृष्णा की खोज
आर्यन और कृष्णा ने तय किया कि वे नंदिता को पुराने पुल के पास ढूँढेंगे।
“अगर हम उसे वहाँ समय पर नहीं मिले, तो वह पकड़ी जा सकती है,” आर्यन ने कहा।
कृष्णा ने अपनी बंदूक को कसते हुए जवाब दिया,
“हम हर हाल में उसे बचाएँगे। लेकिन यह मिशन आसान नहीं होगा।”
दोनों ने गुप्त रास्तों का इस्तेमाल किया ताकि वे सैनिकों की निगाहों से बच सकें।
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राजभवन में बढ़ता गुस्सा
उधर, राजभवन में आकाश ठाकुर अब और भी अधिक क्रोधित था।
“अब तक वे विद्रोही पकड़े क्यों नहीं गए?” उसने गुस्से से पूछा।
सुरक्षा प्रमुख राजेश ने जवाब दिया,
“हमने शहर के हर कोने में तलाशी बढ़ा दी है। लेकिन ये लोग बहुत चालाक हैं। उनके पास हमारी गतिविधियों की गुप्त जानकारी हो सकती है।”
आकाश ठाकुर ने आदेश दिया,
“जो भी संदिग्ध दिखे, उसे तुरंत खत्म कर दो। मुझे उनके पकड़े जाने का इंतजार नहीं है। डर और खून ही इस बगावत को रोक सकते हैं।”
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नंदिता का संघर्ष
नंदिता पुल के पास पहुँचने वाली थी, लेकिन तभी उसके सामने एक सैनिक गश्ती दल आ गया। उसने तुरंत झाड़ियों में छुपने की कोशिश की, लेकिन एक सैनिक ने उसकी परछाई देख ली।
“वहाँ कौन है? बाहर निकलो!” सैनिक ने चिल्लाया।
नंदिता ने अपनी सांस रोक ली। उसके दिमाग में सिर्फ एक ही विचार था—अगर वह पकड़ी गई, तो पूरा मिशन खत्म हो जाएगा। उसने अपने फोन से एक आखिरी संदेश पियाली को भेजा:
“अगर मैं नहीं लौटती, तो यह लड़ाई जारी रखना।”
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आर्यन और कृष्णा का सामना
इसी बीच, आर्यन और कृष्णा पुल के पास पहुँच गए। उन्होंने देखा कि सैनिक नंदिता की तलाश कर रहे थे।
“हमें कुछ करना होगा, वरना वे उसे पकड़ लेंगे,” कृष्णा ने कहा।
आर्यन ने योजना बनाई,
“मैं उनका ध्यान भटकाता हूँ। तुम नंदिता को सुरक्षित जगह तक पहुँचाओ।”
आर्यन ने एक पत्थर उठाया और सैनिकों की दिशा में फेंक दिया। पत्थर की आवाज सुनते ही सैनिक उस ओर भागे। इसी मौके का फायदा उठाकर कृष्णा ने नंदिता को झाड़ियों से खींचा और उसे पास के गुप्त रास्ते की ओर ले गया।
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पियाली का अगला कदम
दूसरी तरफ, पियाली ने नंदिता का संदेश पढ़ा। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन उसके इरादे मजबूत थे।
“यह लड़ाई अब और बड़ी होगी। हमें और अधिक सावधान रहना होगा,” उसने खुद से कहा।
उसने तुरंत अपनी टीम को इकट्ठा किया।
“हम अगले कदम के लिए तैयार रहेंगे। अब यह तानाशाही और हमारे बीच की आखिरी लड़ाई होगी।”
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भाग 2 का अंत:
नंदिता, आर्यन और कृष्णा ने बड़ी मुश्किल से सैनिकों से बचकर एक सुरक्षित ठिकाने पर पहुँचने की कोशिश की। लेकिन क्या वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं? उधर, पियाली ने अपने मिशन को और आगे बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी थी।