Shubham - Kahi Deep Jale Kahi Dil - 25 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 25

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 25

शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल ( पार्ट -२५)

अब तक आपने पढ़ा कि डॉक्टर शुभम युक्ति के भाई रवि से मिलने जाते हैं और रवि ने बताया कि अपनी बहन कैसी है और क्यूं उसका स्वभाव बिगड़ गया ।

अब आगे 

रवि:-' युक्ति ने पिताजी को बताया कि यदि उसकी शादी हरि से नहीं कर देते वह आत्महत्या कर लेगी और एक चिट्ठी भी लिखेगी कि उसने अपने पिता के कारण आत्महत्या की है। वह यह भी लिखेगी कि मेरे पिता ने प्रसाद में धंतूरा के बीज मिलाये थे।  इस धमकी से पापा डर गए और...और...उन्होंने योजना बनाई कि....वह...''


यह सुनकर डॉक्टर शुभम हैरान रह गए।
कहा:- "तुम्हारे पिता ने क्या किया। वह हरि को मारने की कोशिश करने वाले थे?"

रवि गंभीर हो गया.
कहा:- "मेरे पिता काले जादू के जानकार थे। उन्हें किसीको वश करना और किसी तरह से उसे हानि पहुंचाना आता था। काले जादू से मारना भी आता था। यह बात हरि को भी पता थी। घर में हम सब भी जानते थे। वह काले जादू से भी पैसा कमाते थे।"

डॉक्टर शुभम:- "ओह...आज के जमाने में भी ऐसे अंधविश्वास हैं? काला जादू या तंत्र-मंत्र जैसा कुछ नहीं। इंसान के कमजोर दिमाग पर असर करने वाले प्रयोग होंगे।"

रवि:- "आप एक डॉक्टर हैं, एक मनोचिकित्सक हैं, इसलिए इस पर विश्वास न करें। लेकिन गाँव में, साथ ही छोटे शहर में भी लोग इस पर विश्वास करते हैं। यहाँ तक कि बड़े शहर में भी, ऐसे कई लोग हैं जो इस तरह के ज्ञान को जानते हैं .वे भी इस पर विश्वास करते हैं।"

डॉक्टर शुभम:- "ओह..मुझे नहीं पता लेकिन जादू-टोने वाली एक फिल्म देखी थी। फिर क्या हुआ?"

रवि: - "मेरे पिता ने हरि के हाई स्कूल के पते पर एक पत्र लिखा था। हरि के हाई स्कूल से हरि का ऐड्रेस पता किया ।और स्कूल के चपरासी को थोड़ा रुपए दिए और उसके साथ एक चिट्ठी हरि को पहुंचाने के लिए दी। पिताजी ने लिखा था कि हरि को अपनी पत्नी को तलाक देना चाहिए और युक्ति से शादी करनी चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं, तो युक्ति आत्महत्या कर लेगी और दोष उन पर मढ़ा जाएगा। तुम्हारे पर पुलिस केस कर दूंगा।तुम यहां पर आ जाओ।लेकिन हरि ने कोई उत्तर नहीं दिया, शायद पत्र उसके हाथ में न आया होगा। हरि संवेदनशील इन्सान था।"

रवि बोलते-बोलते रुक गया।

डॉ.शुभम:-"फिर क्या हुआ? हरि तुम्हारे घर आया था? क्या वह सच में युक्ति से प्यार करता था? या युक्ति एक तरफ़ प्यार में पागल हो गई थी? आपने पहले ही कहा था लेकिन मैं पुष्टि करना चाहता हूं। आपको यह सब कैसे पता चला?" ? या आप कहानी करते हैं?"

रवि:-"डॉक्टर साहब, आपको अभी भी मुझ पर भरोसा नहीं है? अगर ऐसा है तो आप जा सकते हैं। मेरा संपर्क हरि के साथ था। एक बार मैं उस शहर में गया और हरि से भी मिला था।"

डॉक्टर शुभम:- "ठीक है..ठीक है..मुझे गलत मत समझो। यह अच्छा है कि तुम हरि के संपर्क में थे। एक अच्छे आदमी के साथ रहना जरूरी है। फिर क्या हुआ?"

रवि:-"यह अच्छा हुआ कि आपने मुझ पर भरोसा किया। हरि ने कोई जवाब नहीं दिया तो युक्ति की टेंशन बढ़ गई। वह फिर से जिद करने लगी। आखिरकार पिता ने एक नई योजना बनाई। उनका मानना था कि शाम ,दाम ,डंड ही सब कुछ करना है। येन केन प्रकार से हरि को बुलाना है।उन्होंने दूसरी बार लिखा एक धमकी भरा पत्र। अगर वह इस दिन रात के एक बजे गांव के श्मशान में नहीं आया, तो मैं उसे और उसके परिवार को एक तांत्रिक अनुष्ठान से नष्ट कर दूंगा। तुम्हें अपनी पत्नी को तलाक देना होगा और युक्ति से शादी करनी होगी। पत्र युक्ति को दिखा दिया ।  लेकिन युक्ति गुस्से से पागल हो गई थी। मैंने अपने पिता को यह समझाने की कोशिश की। लेकिन पिताजी ने मेरी एक बात नहीं मानी।और  मुझे अपमानित कर दिया। स्कूल छूट गई थी और चपरासी अकेला था तब पिताजी वहां गये। चपरासी को फिर से रुपए दिए और हाई स्कूल के फोन से हरि को फोन किया।और बताया कि पहले तुम्हारी जो हालत हुई थी उसके जिम्मेदार मेरे पिताजी थे।उसने तुम्हें  प्रसाद में धतुरे के बीज को पीसकर कर खिलाया था इसलिए तुम्हारी मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी।यदि तुम आज रात गाँव के श्मशान घाट पर नहीं आये तो मैं तुम्हें एक अनुष्ठान द्वारा नष्ट कर दूँगा। आगे की बातें बहुत भयानक है। मुझे कहने से भी घबराहट होती है।आज भी जब मैं उस घटना को याद करता हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं।”

बोलते समय रवि को पसीना आ रहा था।  बोला:-"मैं कुछ मिनटों में फ्रेश होकर आता हूं। आप बैठिए। चाय पानी पीना हो तो बताइए।"

डॉक्टर शुभम:- "ठीक है..ठीक है..आप फ्रेश होकर आएं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि आपने घटना को प्रत्यक्ष देखा है इसलिए आप पसीने से तर हैं। मैं चाय पीना नहीं चाहता। मेरे पास थोड़ा पानी है।मैं इसे स्वयं ले लूँगा।  मेरी चिंता मत करो।”       
( आगे की कहानी जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- कौशिक दवे