Nafrat e Ishq - 9 in Hindi Love Stories by Sony books and stories PDF | नफ़रत-ए-इश्क - 9

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नफ़रत-ए-इश्क - 9

रायचंद हाउस

चित्रा जी तपस्या को देखने उनके कमरे में आती है ।और उसे सोफे पर ही बाथरोब पहनकर टेडी को बाहों में भरकर सोता हुआ देखती हैं।

"इतनी बड़ी हो गई है ।10 दिनों में शादी है ,और अभी तक बचपना नहीं गया इस लड़की का ।"

कहते हुए वो बेड से ब्लैंकेट लेकर उसे कवर कर देती है ।और वहीं उसके पास बैठ जाती है ।और उसका माथा सहलाने लगी।

तपस्या कुनमुनाते हुए उनके गोद में सिर रखकर वापस से सो जाती है ।चित्रा जी उसके बाल सहलाते हुए प्यार से बोली,

"आप खुश तो हैं ना बेटा ,इस शादी से? मतलब आपको सिद्धार्थ पसंद तो है ना?"

तपस्या निंदियाती  आवाज में बोलि,

"नहीं पता हमें मम्मा ।कुछ भी नहीं पता। सिद्धार्थ पसंद है नहीं है । इस शादी से खुश हैं, नहीं है, कुछ नहीं पता।ना ही हम उस बारे में कुछ सोचना चाहते हैं ।वैसे भी हमें तो पहले से ही पता था ना कि दादू ने हमारी शादी सिद्धार्थ के साथ तय करदी है ।तो अभि उस बारे में क्या ही सोचना।"

तपस्या ने कहा और खामोश हो गई। इससे पहले की चित्रा जी कुछ और बोलती तपस्या थोड़ा चिढ़ ते हुए,

"मम्मा प्लीज । हमें अपनी शादी के बारे में कुछ और नहीं सुनना है ।इस पल को हमने बहुत मिस किया है ।तो अभी हमें इस पल को महसूस करने दीजिए।"

बोलकर वो चित्रा जी के गोद में अपना सर छुपा लेती है ।और चित्रा जी थोड़ा झुक कर उसके माथे को चुनते हुए बोलि ,

"आपको दुनिया की सारी खुशियां मिले बच्चा। आपकी खुशियों को किसी की नजर ना लगे ।"

बोलकर वो तपस्या की बलाएं लेने लगी।

वहीं दूसरे और अग्निहोत्री हाउस में,

विराट बाथरूम में घुटनों के बल बैठा हुआ था। और पूरा फर्श खून से भरा हुआ था । विराट के हाथों से लगातार खून बह रहे थे । कांपते हुए वो एक टक लाल रंग से भरे फर्श को घूर रहा था। आंखों में लाली उतर आई थी। शावर का पानी लगातर उसके ऊपर गिर रहे थें। कांपते हुए उसके दिल में दफन बेहिसाब दर्द आंसू बनकर आंखों से बह रहे थे ,जो शायद शावर के गिरते पानी के बजे से दिखाई नहीं दे रहे थे।

तभी श्लोक उसके कमरे में आता है । पूरे रूम में एक नजर डालकर वॉशरूम की ओर देखता है ।जो हल्की खुली हुई थी और अंदर से पानी गिरने की आवाज आ रही थी।

"ये भाई अभी तक वॉशरूम में क्या कर रहे हैं ?"

श्लोक फिक्र भरी आवाज में खुद से बोलकर तेज कदमों से वॉशरूम की तरफ गया। अंदर का नजारा देख कर वो एक पल केलिए सुन पड़ गया। पुरा फर्श खून से लतपत ता। और विराट घुटनों के बल बैठकर फर्श को घूरे जा रहा था।

विराट की हालत देख कर वो दौड़कर उसके पास गया। और शावर बंद करके वही घुटनों के बल उसके पास बैठ गया ।

"तू जा यहां से इस वक्त श्लोक ।"

विराट के सर्द आवाज सुनकर वो एक पल के लिए सहम गया। फिर भी उसके पास बैठा रहा ।और अपने कांपते हाथों से उसके खून से लत पत हाथों को जैसे ही थामने चला विराट अपने अंदर के सारे गुस्से को अपने मुट्ठी में भरकर जोरों का धक्का श्लोक को मार ते हुए तेज आवाज में बोला ,

"जा वरना आज मेरे हाथ से मरजाएगा तू । इस बक अकेला छोड़ दे मुझे और जा यहां से।"

उसकी हालत देखकर श्लोक भी डर गया था । वो मन ही मन सोचने लगा,

"इससे पहले भी जब परणिति दी के ट्रीटमेंट होते थे भाई खुद को संभाल नहीं पाते थे। लिकिन खुद की ऐसी हालत उन्हों ने पहले कभी नहीं की थी।"

सोच ते हुए ही श्लोक रुक गया। और बस विराट के ओर देखने लगा । उसे देख कर धिमी आवाज में बोला,

" प्लीज़ संभालिए खुद को भाई। सब ठीक हो जाएगा।"

"नामर्द हूं में। वो वीर कश्प्य भी नामर्द था। और विराट अग्निहोत्री भी नामर्द है। नाहीं वो कुछ कर पाया था और नाही में कुछ कर पा रहा हुं। नामर्द ही तो हूं में। कुछ नहीं कर सकता हूं। बस कमजोर पड़ ने के इलावा।"

विराट फर्श पर पड़े खून को देखते हुए खुद से ही बड़बड़ाने लगा।

"ये क्या बोल रहे हैं भाई? कुछ समझ भी रहे हैं? पागल हो गया है क्या आपा ?"

श्लोक उसके कंधे को थाम कर बोला ।

विराट अपने कंधे से उसके हाथ झटक कर उसे सर्द नजरों से घूर ते हुए सनकी आवाज में,

"समझ में आ रहा है ना। अच्छी तरह से समझ में आ रहा है। चल तुझे भी समझाता हूं । समझाना क्या है चल तुझे दिखाता हूं ।"

कहते हुए वो श्लोक के हाथ को घसीट कर खींचते हुए वॉशरूम से बाहर ले जाता है।।

वहीं दूसरी तरफ परिणीति के कमरे में,

अनुपमा जी परिणिती के पास बैठकर उसकी चोट पर ऑइंटमेंट लगा रहे थे ।(अक्सर उस दर्दनाक रात को याद करके गुस्से और नफरत से परणिति खुद के बॉडी को ही अपने नाखून से खरोच ने लगती थीं। जेसे उस दर्द भरी एहसासों को खुद के जिस्म से निकालना चहती हो।)

किसी के छोटे-छोटे कदम उस अंधेरे और शांत कमरे में पड़ती है। उस कमरे में इतनी शांति थी कि उन नन्ही कदमों की हल्की सी आवाज भी कमरे में सुनाई पड़ रही थी। पीहू बेड के पास खड़ी होकर एक टक परिणीति को मसूमियत भरी नजरों से देखने लगी। अनुपमा जी ऑइंटमेंट का ट्यूब उसके और बढ़ा कर परिणीति को लगाने के लिए इशारों में कहने लगी।

पीहू हल्का मुस्कुरा कर अनुपमा जी के पास खड़ी हो जाती है। और उनके हाथों से ऑइंटमेंट लेकर सहमे हुए अपने हाथों में हल्के हल्के से परी के चोट पर लगाने लगती है । अनुपमा जी उसके कानों में फुसफुसाते हुए बोलि,

"फिक्र मत करो पीहू अभी डॉक्टर ने कहा ना की तीन चार घंटे तक मम्मा को होश नहीं आने वाला है ।तो आप बेफिक्र हो जाइए।"

"हम मम्मा के पास थोड़ी देर बैठ जाएं?"

पीहू सहमे हुए पुछने लगी। अनुपमा जी उसके माथे पर हाथ फेरते हुए प्यार से बोलि ,

"बिल्कुल बैठ जाइए। और बेफिक्र होकर बैठ जाइए।"

कहते हुए अनुपमा जी परिणीति की तरफ एक नजर डालकर कमरे से बाहर जाने लगीं। और दरवाजे के पास ही चुपचाप खड़े होकर मां बेटी को देखने लगती हैं। पीहू ऑइंटमेंट निकाल कर हल्के हाथों से परिणीति के चोट पर लगाने लगती है। उसके हाथों को अपने छोटे-छोटे हाथों में भरकर चूम लेती है। और धीमी आवाज में बोली ,

"आई लव यू मम्मा।हमें आपकी बातों से बिल्कुल बुरा नहीं लगता। जब आप हमें गुस्से से देखती हैं हमें मारनेके लिए अति हैं सच में हमें बिल्कुल बुरा नहीं लगता।"

कहते हुए उसकी आंखें भर अति है ।

दूर खडी अनुपमा जी भी अपने आपको संभाल नहीं पाती हैं और रोते हुए वहां से चली गईं। पीहू जल्दी से अपने आंसू पूछ कर खुद को संभालते हुए खुद से ही बोलती है,

"हमें रोना नहीं है । पार्टनर से प्रॉमिस किया है हमने ,कि हम कभी नहीं रोएंगे ।हमें तो स्ट्रांग बनकर आप को ठीक करना है ।"

पीहू ने खुद को ही समझाते हुए कहा और परिणीति के थोड़ा और करीब आकर उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में भरकर मुस्कुरा देती है ।और करीब आते हुए उसके माथे को चूम लेती है। पीहू अपने दोनों पैरों को बेड के ऊपर उठा कर परिणीति के सीने में अपना सर छुपाए उसे बाहों में थामैं अपनी आंखें बंद कर लेती है।

विराट के कमरे में,

विराट श्लोक को घसीट कर अपने कमरे में लाता है। और खिंच ते हुए बेड पर पटक देता है। श्लोक एक ही झटके में ही बेड पर मुं के बल गिर जाता है। विराट उसके करीब बैठ जाता है। और अपने फ़ोन से अभय और तपस्या के फोटोज निकालकर एक एक कर श्लोक के चेहरे के सामने स्क्रोल करने लगा।

श्लोक एक नजर विराट को देख कर फिर उसके हाथों से फ़ोन लेकर खुद ही एक एक पिक्चर दिखने लगा। तपस्या और अभय के ब्रो सीस बॉन्डिंग के कई सारे तस्वीरें थीं।

श्लोक एक एक तस्वीर देख रहा था और एक तिरछी नजर विराट के ऊपर डाल रहा था। जो अपने ही फोन को किसी सनकी इन्सान के तरह घूर रहा था। जेसे फोन को नहीं बल्के तपस्या और अभय को ही घुर रहा हो।

श्लोक फोटोज देखते हुए कन्फ्यूजन में बोला,

"अभय रायचंद के साथ ये लडकी तपस्या रायचंद है?"

कहते हुए वो सावलिया नजरों से विराट को दिखने लगा। विराट ख़ामोश था।

"भाई ये तपस्या रायचंद है ना? ये तो कल आनेवाली थी ना लंदन से, फिर आज......

कहते हुए ही वो रूक गया।

अब उसे विराट का यूं बदला हुए रवईया कुछ कुछ समझ में आने लगा था।

सवालिया नजरों से विराट के तरफ़ देखते हुए वो पुछा,

"तपस्या रायाचंद से मिलकर आए हैं?"

उसके सवालों को इग्नोर करते हुए विराट उसके हाथों से अपना फ़ोन छीन कर उसपर कुछ करने लगा।

"कुछ पुछा मैने आप से भाई। आप को पहले से ही पता था के तपस्या रायचंद आज आनेवाली थीं?"

श्लोक के सवालों को इग्नोर करते हुए वो अपने फ़ोन को घूरते हुई अजीव सा फेस बनाए पागलों की तरह बिहेव करते हुए बोला,

"दिखा श्लोक भाई बहन के इस अटूट बंधन को?so sweet, so cute, so adorable।"

कहते हुए ही वो खुद से हस लगा। और शांत होकर कुछ पल बैठ गया। उसके पैर लगातर जमीन को टैप कर रहे थें। और साथ साथ उसके चहरे के भाव भी हर एक टैप के साथ बदल रहे थें।

श्लोक को विराट के चहरे की ये शांति तूफान के पहले की शांति लग रही थी। विराट का ये रूप उसके दिल में डर पैदा कर रहा था।

"भाई".... उसने कांप ते हुए धीरे से बुलाया।

विराट उसे इग्नोर करते हुए वापस से सनकी अंदाज़ में बोला,

"फूलों का तारों का सबका कहना है

एक हजारों में मेरी बहना है

सारी उमर हमे संग रहना है।"

आखिर के दो लाइन उसने लफ्ज़ों को दबाकर दांत पीसते हुए कहा। जिससे उसके अंदर का गुस्सा और नफ़रत साफ़ झलक रही थी। अभि तक उसकी नजर फोन पर ही टिकी हुई थी। और पैर अभि भी थिरक रहे थें।

श्लोक उसके हाथ से फ़ोन छीन , बात बदलने की कोशिश करते हुए बोला,

"चलिए छोड़िए ये सब। देखिए क्या हालत बनादि है आप ने खुद की। चलिए कपड़े बदल दीजिए। आप को फिर परी दी से मिलना भी तो है?"

विराट उठकर खडा हो गया। और एक सर्द नजर श्लोक पर डाल कर बोला,

"क्या बात कर रहा है तु? देख नहीं रहा भाई बहन की खुशी? देख एक साथ कितने खुश हैं दोनों। देख ना कितना मुस्करा रहे हैं।"

कहते हुए उसने फॉन बिलकुल श्लोक के चेहरे के सामने कर दिया।

श्लोक अब बस उसके पागलपन को डर और सहमे नजरों से देखे जा रहा था।






कहानी आगे जारी है ❤️❤️

क्या श्लोक रोक पाएगा विराट के पागलपन को?

या विराट का गुस्सा पागलपन के हद पार करजाएंगे?

जानने केलिए पढ़ते रहीं  और लाइक एंड कमेंट प्लीज कर दें ❤️ ❤️