*!! दृढ़ निश्चय !!*
*एक बार एक संत महाराज किसी काम से एक कस्बे में पहुंचे। रात्रि में रुकने के लिए वे कस्बे के एक मंदिर में गए। लेकिन वहां उनसे कहा गया कि वे इस कस्बे का कोई ऐसा व्यक्ति ले आएं, जो उनको जानता हो। तब उन्हें रुकने दिया जाएगा।*
*उस अनजान कस्बे में उन्हें कौन जानता था ? दूसरे मंदिरों और धर्मशालाओं में भी वही समस्या आयी। अब संत महाराज परेशान हो गए। रात काफी हो गयी थी और वे सड़क किनारे खड़े थे। तभी एक व्यक्ति उनके पास आया।*
*उसने कहा, “मैं आपकी समस्या से परिचित हूँ। लेकिन मैं आपकी गवाही नहीं दे सकता। क्योंकि मैं इस कस्बे का नामी चोर हूँ। अगर आप चाहें तो मेरे घर पर रुक सकते हैं। आपको कोई परेशानी नहीं होगी।*
*संत महाराज बड़े असमंजस में पड़ गए। एक चोर के यहां रुकेंगे। कोई जानेगा तो क्या सोचेगा ? लेकिन कोई और चारा भी नहीं था। मजबूरी में वो यह सोचकर उसके यहां रुकने को तैयार हो गए कि कल कोई दूसरा इंतजाम कर लूंगा।*
*चोर उनको घर में छोड़कर अपने काम यानी चोरी के लिए निकल गया। सुबह वापस लौट कर आया तो बड़ा प्रसन्न था। उसने स्वामी जी को बताया कि आज कोई दांव नहीं लग सका। लेकिन अगले दिन जरूर लगेगा।*
*चोर होने के बावजूद उसका व्यवहार बहुत अच्छा था। जिसके कारण संत महाराज उसके यहां एक महीने तक रुके। वह प्रत्येक रात को चोरी करने जाता। लेकिन पूरे माह उसका दांव नहीं लगा। फिर भी वह प्रसन्न था। उसे दृढ़ विश्वास था कि आज नहीं तो कल मेरा दांव जरूर लगेगा। पूरे एक माह बाद उसे एक बड़ा मौका हाथ लगा।*
*महात्मा जी ने सोचा कि यह चोर कितना दृढ़निश्चयी है। इसे अपने ऊपर अटूट विश्वास है। जबकि हम लोग थोड़ी सी असफलता से विचलित हो जाते हैं। अगर इसकी तरह दृढ़ निश्चय और विश्वास हो तो सफलता निश्चित मिलेगी।*
*शिक्षा:-*
*यह प्रेरक प्रसंग हमें सिखाता है कि हमें असफलताओं से विचलित और निराश नहीं होना चाहिये। दृढ़ निश्चय और निरंतर प्रयास से सफलता अवश्य मिलती है।*
🍇कहानी 🍇
*"जीवन की नदी और ज़िम्मेदारियों का सफर"*
*एक फ़कीर नदी के किनारे बैठा था किसी ने पूछा बाबा क्या कर रहे हो?*
*फ़कीर ने कहा इंतज़ार कर रहा हूँ की पूरी नदी बह जाएं तो फिर पार करूँ।*
*उस व्यक्ति ने कहा कैसी बात करते हो बाबा पूरा जल बहने के इंतज़ार मे तो तुम कभी नदी पार ही नही कर पाओगे।*
*फ़कीर ने कहा यही तो मै तुम लोगो को समझाना चाहता हूँ कि तुमलोग जो सदा यह कहते रहते हो की एक बार जीवनकी* *ज़िम्मेदारियाँ पूरी हो जाये,*
*तो मौज करूँ, घूमूँ फिरू, सबसे मिलूँ, सेवा करूँ.*
*जैसे नदी का जल खत्म नही होगा।*
*हमको इस जल से ही पार जाने का रास्ता बनाना है,*
*इस प्रकार जीवन खत्म हो जायेगा पर जीवन के काम कभी खत्म नही होंगे.*
उपरोक्त प्रसंग से मिलने वाली शिक्षाएं हैं:
*1. वर्तमान में जीने का महत्व: ज़िंदगी को टालने के बजाय वर्तमान में खुशियों और अवसरों का आनंद लेना चाहिए।*
*2. समस्याओं का सामना करना: जैसे नदी के जल को पार करने का रास्ता बनाना पड़ता है, वैसे ही जीवन की ज़िम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।*
*3. काम कभी खत्म नहीं होते: जीवन में ज़िम्मेदारियाँ हमेशा रहेंगी, इसलिए उनका इंतज़ार करने के बजाय उनके साथ ही जीवन का आनंद लेना सीखें।*
*4. समय का सदुपयोग: जीवन सीमित है, इसे सार्थक और उपयोगी कार्यों में लगाना चाहिए।*
*5. सकारात्मक दृष्टिकोण: चुनौतियों को अवसर मानकर आगे बढ़ें।*
आशिष
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