की कुछ लोग जा कर पूजा का सामन ले कर आओ मैं यहाँ पर हवन करूंगा और अपने शिष्य से कहा की तुम इस कुए मैं अन्दर जा कर उस डायन का अंत करोगे और अमीन तुम्हे कुछ ध्यान मैं रखने वाली बाते बताता हूँ कि इस कुए मैं उतरने से पहले तुम्हे सच्चे मन से भगवान् का स्मरण करके बिना मुंह मैं पानी जाये हुए नीचे पहुंचना पड़ेगा और तुम्हें इस कुए की गहराई यानी पातळ तक पहुँचाना पड़ेगा ध्यान रहे यह काम सूरज डूबने से पहले ख़तम करना पडेगा क्यूंकि दिन के डूबते ही बुरी आत्माओ की शक्ति बढ़ जाती है!ध्यान रहे की सबसे पहले डायन के बाल काटने हैं जिससे वह कमजोर पड़ जायेगी जब वह पूरी तरह से कमजोर पड़ जाए तब भगवान् का नाम लेकर यह खंज़र जो मैं तेरे को दे रहा हूँ इससे उसको मार देना और उसके सरीर को जला देना और मैं यहाँ यज्ञ करके तुम्हारी मदद करूंगा!उनका शिष्य तो समझ गया पर कुछ गाँव वालों ने पुछा बाबा इस कए मैं पानी मैं कैसे उसकी लाश को जलाओगे तब बाबा ने बताया कि वह पाताल लोक मैं अपने घरों की तरह रह रही है वहां भी आत्माओ और भूत प्रेतों के घर हुआ करते हैं!तब गाँव वालों को समझ मैं आया!बाबा ने अपने शिष्य से कहा की अब देर मत करो तुम जल्दी जाओ! तब उनका शिष्य ने भगवान् का नाम लेकर उस कुए मैं कूद गया!
और इधर बाबा मन्त्रों से यज्ञ करने लगे!जब विराट वहां पहुंचा तो क्या देखता है काफी बड़ा खंडर है और कहीं से मन्त्रों की आवाजें आ रही हैं तो वो वह जाकर क्या देखता की एक बाल फकेरे हुए एक औरत आहुत्ति आग मैं दीये जा रही है! जैसे ही वह उसके पास पहुंचा तो उसे पता चल गया और वह पीछे मुड़कर देख के बोली कौन हो तुम और यहाँ क्योँ आये हो वह बोला मैं विराट हूँ और गांव वालों की तरफ से मैं तुम्हें यहाँ मारनेके लिए आया हूँ! वह हँसी हा हा हा हा तुम मरोगे मुझे साधारण मनुष्य गांव वालों ने तुझे भेजा और तू मरने चाला आया लौट जा और अपने प्राण बचा ले मुझसे नहीं तो वह बोला नहीं तो क्या मुझे मार डालोगी वह बोली समझदार हो वह बोला तू अपने प्राण बचाना चाहती है तो इस गांव और इस कुए को छोड़कर चली जाओ नहीं तो मुझे मारना होगा!
उसने इतना कहकर जैसे ही उसके ऊपर उसे मारने को झपटा वह एक दम गायब हो गई और उसका बार खाली निकल गया अब बस उसे उसकी आवाज सुनाई दे रही थी अब वह क्या करे उसके पीछे से उसे एक बार उसने उसे ऐसा मारा की उसका सिर दीवार से टकराया और बेहोश हो गया तभी उसे उसके गुरु की आव्वाज सुनाई दी बेटे अपनी आत्मा की शक्ति से देख और भगवान् क्या ध्यान लगा तुझे सब कुछ नज़र आएगा! उसने भगवान् का ध्यान करके आंखें खोली तो उसे वह डायन दीवार से छुपी हुई नज़र आई और उसके बाल दिख रहे थे तभी उसको गुरु की बात का ध्यान आया तो उसने झट से उसके बाल काट दिए और वह झट से उसको मारने के लिए खंज़र उठाया तो वह गिडगिडाने लगी की तुम आदमी हो मैं औरत और मैं निहत्थी हूँ तुम मुझे छोड़ दो और रोने लगी बाल काटने से उसकी सारी शक्ति कमज़ोर पड़ गयी पहले तो उसे उस पर दया आई पर जब गाँव वालों के दुःख को याद किया तो उसने देर न करते हुए वह खंज़र उसके सीने के बीच उतार दिया और उस अग्नि कुंड मैं उसके शरीर को जला दिया उसकी आत्मा चीखती चिल्लाती हुई मैं वापस आऊँगी मैं वापस आऊँगी उस कुए से ऊपर से निकल गयी जब गांव वालों ने वह आत्मा देखी तो वह लोग डर गए तब बाबा ने कहा अब कोई डरने की बात नहीं है
अब इसका शरीर खत्म हो चुका है!अब यह तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती तभी विराट कुए से बाहर आया तब गांव वालों ने उस बधाई दी और कहा की अगर तुम ना होते तो पता नहीं हमारा क्या होता तब विराट ने कहा यह सब तो भगवान् की कृपा है!तब बाबा ने गांव वालों से कहा अब तुम ख़ुशी ख़ुशी से इस कुए का पानी पी सकते हो! सभी गांव वालों ने पानी पिया और बाबा का आदर सत्कार किया!
तभी जोर-जोर से बदल हुए और पानी बरसने लगा और गांव वाले ख़ुशी से झूम उठे तब उस गांव मैं फिर से खुशहाली छा गयी! दोस्तों तो यह थी काली डायन की कहानी यह तो आपको पता होगा कि आप लोगों को कैसी लगी! पर मनुष्य एक ख़ुशी के लिए इतनी हथ्याएँ करे तो वह ख़ुशी नहीं खुद-ख़ुशी है क्यों कि ऐसे लोगों को भगवान् भी अपनी शरण भी नहीं देता!क्या पता वह बाबा जी ही भगवान् ही बन कर आये हों