declare a war in Hindi Anything by ABHAY SINGH books and stories PDF | ऐलान ए जंग

Featured Books
Categories
Share

ऐलान ए जंग

क्या यह ऐलान ए जंग है?खरगे साहब ने कहा कि वे बैलट पेपर से चुनाव चाहते हैं। ऐसी बयानी बातें पहले भी आई, पर कोई ठोस रणनीतिक कदम नही । क्योकि ये करना आसान भी नही।  ●●कांग्रेस इस मांग पर कैसे बढ़ेगी?? क्या वह संसद में मांग करेगी?कोर्ट में पिटीशन करेगी? रस्मी धरने प्रदर्शन करेगी?या आर पार का देशव्यापी आंदोलन करेगी, जो बैलट की वापसी तक न रुके? आंदोलन कांग्रेस का होगा, या पूरे इंडिया गठबंधन का??छोड़िए, अभी तो यह भी नही पता कि यह बयान, खरगे साहब का भाषण भर है,या गाँधीयो सहित कांग्रेस पार्टी एकमेव उद्घोष.. ●●क्योकि हर आसान विकल्प,एक डेड इंड पर जाकर टिकता है। संसद में स्पीकर पूरे विपक्ष को संस्पेंड कर देंगे, लेकिन EVM पर बहस रखना मंजूर न करेंगे। बहस हुई भी, तो संख्या बल विपरीत है।फिर मशीन संसद या सरकार का दायरा नही, चुनाव आयोग का है। और कायदे से सुप्रीम कोर्ट की तरह, चुनाव आयोग को भी सरकार या संसद कोई आदेश नही दे सकती। ●●आयोग में सीधे, या सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन का हाल तो दसियों बार देख चुके। आयोग जवाब तक नही देता। और कोर्ट ऐसी याचिकाएं, देर तक खींचने के बाद, एक दिन चुपके से डस्टबिन में फेंक देता है।तो सड़क की लड़ाई और जंगी आंदोलन ही मार्ग है। जो खतरनाक रास्ता है। ●●जनसमर्थन तो उम्मीद से बेहतर मिलेगा। पर कुछ सवालों के जवाब तय करने होंगे। जैसे- जब तक बैलट वापस न आये, क्या तब तक सभी चुनावों का बहिष्कार होगा?ये रिस्की ट्रेप है..  जब आप मशीन के खिलाफ आंदोलन कर रहे हों, तब उससे चुनाव भी लड़ रहे हों, बड़ा विरोधाभास है। आंदोलन डाइल्यूट होगा। न लड़ें, तो चुनाव फिर भी होंगे। भाजपा, उसके उसके स्लीपिंग पार्टनर्स आपसे बहिष्कार ही तो चाहते हैं।चटपट दस प्रॉक्सी उतार देंगे।  रालोसपा केरल में लड़ लेगी, चिराग असम में, तो सुहेलदेव समाज पार्टी को कर्नाटक लड़ लेगी। अभी TMC, AAP, BSP, YSR की बात नही की। तब लड़ने के इक्छुक कांग्रेसी, या सहयोगी दलों के कार्यकर्ता भी, आंदोलन छोड़, निर्दलीय या दूसरों के टिकट पर लड़ जाएंगे। सरकार बनेगी। विपक्ष विहीन सदन होगा।●●यह फेज 2 होगा। आप मजबूरन उसे इलेजिटमेट सरकार कहेंगे। इस्तीफा मांगेंगे, बैलेट से चुनाव मांगेंगे। अब ये EVM विरोध नही, फुल फ्लेज सिविल नाफरमानी का आंदोलन होगा।यह फेज लम्बी, उबाऊ, थकाऊ होगी। सरकार से सीधा टकराव होगा। कुछ गलतियां भी होगी, खिलाफ प्रोपगंडा भी होगा।जनसमर्थन भी घटेगा। कार्यकर्ता पीटे जाएंगे, जेल जाएंगे। घरों पर बुलडोजर चलेगा। तब उनके पक्ष में बोलने को कोई भी प्रतिनिधि सदन में न होगा। ●●आंदोलन जमीन पकड़ता दिखे, तो तय मानिए की कुछ और मस्जिदों के सर्वे होंगे। एक के बाद एक संभल, और धड़ाधड़ मणिपुर होंगे। दोष इस आंदोलन पर आयेगा। लाशें गिरेंगी, हेडलाइंस बदल जाएंगी।  याद रखिये, मशीन में उसके प्राण हैं।इसकी रक्षा वे प्राणों से बढ़कर करेंगे। ऐसी सारी चालें खेलेंगे। जिन लोमहर्षक चालों का नक्शा बालाकोट से अहमदाबाद, पुलवामा से इम्फाल तक बिखरा हैं। ●●अर्थात ये लड़ाई, आजाद हिंदुस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक लड़ाई होगी। बड़ी क्रूर, खूनी और डरावनी होगी।रेजीम का सबसे अनैतिक, क्रूर स्वरूप देखने को मिलेगा। समाज, घर, संस्थान, शहर, गांव, दो धड़ों में धड़ो में जाएंगे। सोच लीजिए जनाब। तभी पूछा- यह महज बयान है, या एलान-ए-जंग है? ●●क्योकि मैनें अभी तक राहुल के मुंह से नही सुना। वह वाहिद शख्स है, दूरंदेश है। उसे पता है कि इस लड़ाई में उतरने के मायने क्या हैं।उसे मालूम है कि स्टेक पर महज पार्टी या पॉलिटकल करियर नही, हिंदुस्तान का मुस्तकबिल है। एक गलत कदम, और सब कुछ स्वाहा। वह ये भी जानता है कि इस लड़ाई का अगुआ उसे ही होना है। मशीन हटे, तो भी चुनाव दूसरे तमाम कारणों से भी हारे जा सकते हैं। याने नया कुछ न होगा। लेकिन आंदोलन गलत गया, तो बहुत कुछ टूटने का दोष उसके माथे होगा। ●●पर वह उठेगा, लड़ेगा। उसका जन्म ही इस बलि का बकरा, इस यज्ञ की आहुति बनने के लिए हुआ है। पर हम,आम जनता के हाथ मे बस वही एक इक्का है। तो मैं उसके, खुद से तैयार होने की राह देख रहा हूँ। जब वो तैयार हो, हमे तैयार होना है। वो बढ़कर सड़को पर निकले, तो उसका घेरा बनना है। बस गोडसे की फौज से बचाना है, आवाज में आवाज मिलानी है। इतना काफी होगा। ●●क्योकि इतिहास गवाह है, कि ये कायर जमात जिनकी शिक्षा धोखे, डबल स्पीक, कुचक्र और हमले तक है, इनकी अंतरात्मा बड़ी हल्की है। एक अहिंसक, अडिग, भारत के सामने ये अंततः घुटने टेकेंगे। माफीनामा लिखेंगे। लेकिन फिर, इतिहास के कूडेदान में फेंक दिए जाएंगे। ●●लेकिन पहले तय तो कीजिए खरगे साहबक्या ये ऐलान ए जंग है?