Shubham - Kahi Deep Jale Kahi Dil - 24 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 24

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 24

"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -२४)

अपराधी कौन है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है
नेक इरादे से मदद करना भी जरूरी है
सामाजिक जीवन में बाधाएं आती रहती है 
यह बताना मुश्किल है कि कौन सही है और कौन गलत...

शुभम युक्ति के भाई रवि के साथ बातचीत करता है।
युक्ति ने क्यूं अपने पिताजी की हत्या की थी?

अब आगे..

बात करते-करते रवि की आँखें गीली हो गईं।
उसने बोलना बंद कर दिया

डॉक्टर शुभम ने उसे पानी पिलाया और रवि को शांत कराया

डॉक्टर शुभम को लगा कि रवि को हरि का साथ अच्छा लगता होगा और लगता है कि उसके मन में उसके लिए अच्छी भावनाएँ हैं।

डॉक्टर शुभम:-"लेकिन हत्या का मामला कहां से आया? आप इसमें कैसे शामिल हुए?"

रवि डॉक्टर की भावनाओं को समझ रहा था।
कहा:-"अभी निर्णायक मोड़ आना बाकी है। इस केस की पिछली भूमिका बताई। हत्या की घटना के लिए युक्ति की जिद भी जिम्मेदार थी। मैं भी उसके स्वभाव से तंग आ चुका था। युक्ति को कोई अच्छा लड़का नहीं मिला। मेरी मां की वजह से और युक्ति का स्वभाव अच्छा नहीं था इसलिए घर में ज्यादा नहीं रहता था और ज्यादा बोलता नहीं था।युक्ति के लिए बिरादरी में से लड़के वालों की कोई पूछ-परख नहीं आ रही थी।”

डॉक्टर शुभम:-"लेकिन फिर हरि को क्या हुआ था? क्या हरि भी हत्या में शामिल था? हरि अब कौन-से शहर में रहता है?"



रवि:-"हरि को अस्पताल में अच्छा इलाज मिला इसलिए वह धीरे-धीरे ठीक हो गया। लेकिन उसकी याददाश्त कम होती जा रही थी। ऐसा लग रहा था कि वह कुछ भूल रहा है। वह अपने परिवार के साथ पंद्रह-सत्रह दिनों के लिए आया था। और मैं उसकी पत्नी से मिला। हरि की पत्नी बात करते-करते रो भी रही थी, हरि की हालत देखकर युक्ति ने भी सहानुभूति के कुछ शब्द कहे.. लेकिन... लेकिन..''

डॉक्टर शुभम:-"लेकिन क्या हुआ?  हरि को कोई परेशानी हुई थी?

रवि:-"हरि  कई बार बेहोश हो जाता था और उसकी पत्नी भी हमारे घर में नहीं रहना चाहती थी। हरि बेहतर इलाज के लिए शहर जाना चाहता था।हरि की पत्नी को भी युक्ति के बारे में पता चल गया था। हरि ने पास के शहर में स्थानांतरण के लिए आवेदन किया। यह भी बताया एक और बात। क्योंकि उनकी पत्नी  गर्भवती थी, उन्होंने इन सभी कारणों से स्थानांतरण के लिए कहा।"

डॉक्टर शुभम:- "फिर हरि का ट्रांसफर हो गया? युक्ति और आपके पिता की प्रतिक्रिया कैसी थी?"


रवि:-"डॉक्टर साहब, लगता है आप जल्दी में हैं। मैं बात कर रहा हूं। अभी तो शुरुआत है। जल्दी मत कीजिए। मैं आपको पानी देता हूं।"

रवि ने डॉ. शुभम को पानी दिया और खुद भी पानी पी लिया।

तब रवि ने कहा:- "पिताजी को एक तरह से अच्छा लगा। अच्छा है वह चला जाना चाहता है। युक्ति का दिमाग खराब होना बंद हो गया था । लेकिन फिर मुझे पिताजी ने कहा कि तुम हरि को समझाओगे कि अब कुछ दिनों तक मत जाओ। हमारा किराये की आमदनी भी ख़त्म हो जाएगी। नया किरायदार खोजना पड़ेगा मेरे पिता ने कहा ।हरि ने कहा कि वह जल्द ही घर खाली कर देंगे। जब मेरी मां को पता चला तो वह भी खुश हो गईं। हरि ने स्कूल से तीन दिन की छुट्टी ली और अपने परिवार के साथ बाहर गया। इसी बीच युक्ति का व्यवहार बदलने लगा। वह बातचीत के दौरान चिढ़ने लगती थी। वह अकेले में फुसफुसाती हुई नजर आती थी।उसे हरि के बिना अच्छा नहीं लगता था।वह हरि के प्यार में पागल हो गई। मुझे लगता था  अच्छा हुआ कि हरि का स्थानांतरण हो गया।''

डॉक्टर को और जानने में दिलचस्पी थी, उसने उत्सुकता से सुना। 
रवि:- "जब हरि अपने परिवार के साथ वापस आया तो खुश लग रहा था। उसने मेरे पिता से कहा कि उसे शहर में किराए पर एक घर मिल गया है और वह इसे तीन से चार दिनों में खाली कर देगा। मुझे कल स्कूल से छुट्टी मिल जाएगी इसलिए मैं मकान खाली कर दूंगा।हरि ने पैकिंग शुरू की। उसने मेरे पिता को पूरे महीने का किराया दिया। जब वह दस दिनों के लिए रुका था ,तो मेरे पिता पूरे महीने का किराया पाकर खुश थे। लेकिन हरि की बातें सुनकर युक्ति का व्यवहार रूखा हो गया। वह मेरी मां से जिद करने लगा कि मैं हरि के साथ शादी करना चाहती हूं। वह घर में कुछ शरारतें करती रहती थी। आखिरकार युक्ति ने मेरे पिता को धमकी दी कि उसे किसी भी तरह से हरि से शादी करनी होगी ऐसा करने के लिए आप कुछ भी करों लेकिन मेरी शादी हरि से करवाओ। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो वह आत्महत्या कर लेगी और एक चिट्ठी भी लिखेगी कि उसने अपने पिता के कारण आत्महत्या की है। वह यह भी लिखेगी कि मेरे पिता ने प्रसाद में धंतूरा के बीज मिलाये थे।  इस धमकी से पापा डर गए और...और...उन्होंने योजना बनाई कि....वह...''

ऐसा बोलते बोलते रवि को पसीना आ गया.
( आगे की कहानी जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- Kaushik Dave