शिक्षाप्रद कहानी :- किसान की घड़ी
एक दिन की बात है । एक किसान अपने खेत के पास स्थित अनाज की कोठी में काम कर रहा था । काम के समय उसकी घड़ी कहीं खो गई । वह घड़ी उसके पिता द्वारा उसे उपहार में दी गई थी । इस कारण उससे उसका भावनात्मक लगाव था । उसने वह घड़ी ढूंढने की बहुत कोशिश की । कोठी का हर कोना छान मारा लेकिन घड़ी नहीं मिली । हताश होकर वह कोठी से बाहर आ गया । वहाँ उसने देखा कि कुछ बच्चे खेल रहे हैं । उसने बच्चों को पास बुलाकर उन्हें अपने पिता की घड़ी खोजने का काम सौंपा ।
घड़ी ढूंढ निकालने वाले को ईनाम देने की घोषणा भी की । ईनाम के लालच में बच्चे तुरंत मान गए । कोठी के अंदर जाकर बच्चे घड़ी की खोज में लग गए । इधर - उधर, यहाँ - वहाँ, हर जगह खोजने पर भी घड़ी नहीं मिल पाई । बच्चे थक गए और उन्होंने हार मान ली । किसान ने अब घड़ी मिलने की आस खो दी । बच्चों के जाने के बाद वह कोठी में उदास बैठा था । तभी एक बच्चा वापस आया और किसान से बोला कि वह एक बार फिर से घड़ी ढूंढने की कोशिश करना चाहता था । किसान ने हामी भर दी ।
बच्चा कोठी के भीतर गया और कुछ ही देर में बाहर आ गया । उसके हाथ में किसान की घड़ी थी । जब किसान ने वह घड़ी देखी, तो बहुत ख़ुश हुआ । उसे आश्चर्य हुआ कि जिस घड़ी को ढूंढने में सब नाकामयाब रहे, उसे उस बच्चे ने कैसे ढूंढ निकाला ? पूछने पर बच्चे ने बताया कि कोठी के भीतर जाकर वह चुपचाप एक जगह खड़ा हो गया और सुनने लगा । शांति में उसे घड़ी की टिक - टिक की आवाज़ सुनाई पड़ी और उस आवाज़ की दिशा में खोजने पर उसे वह घड़ी मिल गई । किसान ने बच्चे को शाबासी दी और ईनाम देकर विदा किया ।
शिक्षा :- शांति हमारे मन और मस्तिष्क को एकाग्र करती है और यह एकाग्र मन:स्थिति जीवन की दिशा निर्धारित करने में सहायक है । इसलिए दिन - भर में कुछ समय हमें अवश्य निकलना चाहिए, जब हम शांति से बैठकर मनन कर सकें । अन्यथा शोर - गुल भरी इस दुनिया में हम उलझ कर रह जायेंगे । हम कभी न खुद को जान पायेंगे न अपने मन को । बस दुनिया की भेड़ चाल में चलते चले जायेंगे । जब आँख खुलेगी, तो बस पछतावा होगा कि जीवन की ये दिशा हमने कैसे निर्धारित कर ली ? हम चाहते तो कुछ और थे जबकि वास्तव में हमने तो वही किया, जो दुनिया ने कहा । अपने मन की बात सुनने का तो हमने समय ही नहीं निकाला ।
शिक्षा :- शांति हमारे मन और मस्तिष्क को एकाग्र करती है और यह एकाग्र मन:स्थिति जीवन की दिशा निर्धारित करने में सहायक है । इसलिए दिन - भर में कुछ समय हमें अवश्य निकलना चाहिए, जब हम शांति से बैठकर मनन कर सकें । अन्यथा शोर - गुल भरी इस दुनिया में हम उलझ कर रह जायेंगे ।