Swayamvadhu - 27 in Hindi Fiction Stories by Sayant books and stories PDF | स्वयंवधू - 27

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स्वयंवधू - 27

सुहासिनी चुपके से नीचे चली गई। हवा की तरह चलने का गुण विरासत ले, वो बिना किसी की नज़र पड़े नीचे गयी। उसने उन पर ध्यान देना शुरू किया। कवच कहीं नहीं दिखा।
"वृषाली, एक पेट कैफ़े कैसा रहेगा?", उसने पूछा,
उसने अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, शहरों में तो यह बहुत आम बात है।",
"सही कहा। मैं अपना पहला प्रोजेक्ट शहर में नहीं करना चाह रहा था।", उसने थोड़ी देर दिमाग लगाकर, "अगर हम अपना कैफ़े वहाँ खोले जहाँ कोई और कंपनियाँ ना गयी हो?!",
"ज़मीन के नीचे, आसमान के पार और बादलो की गोद में कहाँ अपनी नौकरी खोना चाहते हो विषय नीर?", वृषाली ने अपने लैपटॉप में बटन दबाते हुए कहा,
"छे! तुम में कोई कल्पना ही नहीं है।", उसने शिकायत करते हुए कहा,
"हाँ, हाँ। वैसे तुमने ये देखा ना, सावर बेल्ट से गुलदस्ता।", उसने उसे दिखाया। तीस सेकेंड की वीडियो को वो बार-बार, बार-बार देखे जा रहे थे और अंत में एक साथ कहा, "टार्गेट कस्टमर- बच्चे!",
"यस! एक डी.आई.वाई कैंडी स्टोर जहाँ बच्चों से लेकर बड़े सब अपनी पसंद के मिठाई बना सकते है।", विषय,
"जहाँ माता-पिता अपने बच्चों के चीनी सेवन को नियंत्रित कर सकते हैं और एलर्जी वाले बच्चे भी दूसरों की तरह मौज-मस्ती कर सकते हैं।", वृषाली,
"हाँ! छोटी और कम खतरनाक एलर्जी को नियंत्रित किया जा सकता है! हम कैंडी पार्टियों की मेज़बानी भी कर सकते हैं। चॉकलेट किसे पसंद नहीं होते?", विषय ने उछलकर कहा,
"हम्म!", वृषाली उसके हाँ में हाँ मिला रही थी, "और रात को तुम्हारे जैसे जो दिन-भर काम कर कुछ मज़े करना चाहते हो।",
"अगर ये हिट रहा तो कपल्स भी यहाँ आऐंगे और ये बच्चो के लिए ठीक नहीं रहेगा।", विषय ने चिंता जताते हुए कहा,
"तो...क्यों ना हम इसे एडवेंचर थीम पर बनाए?", वृषाली ने कहा,
"कैसे?", विषय,
"बच्चे आते साथ एक सीक्रेट डोर से उनके लिए बनाई जगह पर जाऐंगे। जहाँ हर एक लेवल पर उनकी पसंद के मिठाई की सामग्री होगी जिसे अंत में अपने साथ जीत की तरह ले जाऐंगे। चाहो तो उन्हें प्यारे हीरो प्रमाणपत्र भी दे सकते है।", उसने कहा,
"और कपल? और हमे पता कैसे चलेगा वो किस लिए आए?", विषय ने पूछा,
"हम्म... टोकन! लाल ऐडवेंचर के लिए और पीला कपल्स के लिए। लाल गुप्त दरवाज़ा, पीला गुप्त दरवाज़ा। सेल्स भी हिट होगी और बच्चे भी इन चीज़ो से बच जाएंगे।", उसने सोचते हुए कहा,
"अगर कोई अड़चन आए तो?", विषय ने पूछा,
"बच्चों के मुस्कान को बचाना। बच्चे हमारे प्राथमिक है। यह कैफे उनके और उनकी बची-कुची मासूमियत बचाने के लिए है। पहले ही उनके ऊपर बहुत भार है। यहाँ वो अपने परिवार के साथ वापस जुड़ सकते है।", उसने बिना दिमाग लगाए कहा, "तुम बताओ, तुम्हारा बचपन कैसा था?",
"क्या कहूँ, पढ़ाई, खेल, डांट, माँ के हाथ का खाना, मस्ती सब एक मज़ेदार फिर रहते-रहते सब व्यस्त होते गए और अब तो कुछ नहीं हुआ।", उसने मिश्रित भावना से कहा,
"और ये उनका बचपन है। अकेले फोन पर। ज़्यादातर घर की एक ही कहानी है। एक रविवार भी उनके जीवन में खुशी घोल दे तो काफी है।", उनकी स्नेह भावना से कहा,
"कैंडी कैफे या डी.आई.वाई कैंडी स्टोर! खासकर कैंडी स्टोर। चलो एक और प्रस्ताव बनाते हैं क्योंकि पिछले प्रस्ताव को समीर सर ने कूड़ेदान में फेंक दिया था।", उन्हें शर्मिंदगी से हँसते हुए कहा,
"वाह! मुझे नहीं पता मुझे क्या कहना चाहिए? पर यह बहुत असभ्य है।", वह पूरी तरह उलझन में थी कि क्या कहे,
उन्होंने कृतज्ञता के साथ कहा, "वृषा सर ने मेरे लिए वह किक ली।",
"क्या!", वृषाली
(क्या!), सुहासिनी
दोनों बहनें चिल्लाईं,
उसने अपने हाथों से मुँह बँद कर लिया जैसे उसे ये बोलने की अनुमति नहीं थी।
"चिंता मत करो तुम कुछ नहीं बोलोगे। मैं जो पूछूँगी उसका 'हाँ', 'ना' में जवाब देना।", उसकी बहन अचानक उसे अलग दिखने लगी।
वृषाली: वृषा ने मना किया?
विषय: हाँ।
वृषाली: मुझसे?
विषय: हाँ।
वृषाली: कब?
विषय: दो-तीन हफ़्तो पहले।
वृषाली: धन्यवाद। वृषा से कुछ मत कहना।
विषय हिचकिचाकर: प-पर...सर?
वृषाली: उन्हें मैं संभाल लूँगी।
सुहासिनी ऊपर चली गयी और ऊपर से देखने लगी। थोड़ी देर में कवच आया। उन्होंने अपना काम कुछ ही घंटों में पूरा कर लिया। शिवम आया, "तुम यहाँ क्या कर रही हो, प्रिय?",
उसने अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए उसे गले लगा लिया, "ऐसा लग रहा है जैसे मैं भावनात्मक रोलर-कोस्टर में हूँ। ये चुप्पी का इस घर और वृषा से क्या नाता है? उसके पास इस घर की चाबी कैसे आई? इस प्रतियोगिता की विजेता कायल राज है ना तो ये यहाँ कैसे?",
"यही मैं जानना चाहती हूँ। मेरी गृहस्थी में तुम्हारी बहन कैसे घुस गयी?", कायल वहाँ आई,
"मतलब?", उसने अपने पति को छोड़ते हुए पूछा,
"तुमसे वापस मिलकर बहुत अच्छा लगा और आश्चर्य भी। मुझे नहीं लगा, सुहासिनी राय जैसे काबिल स्त्री की बहन गोल्ड डिगर निकलेगी।", उसने उसे नीचा दिखाते हुए कहा,
सुहासिनी ने दांत पीसते हुए पूछा, "तुम्हारा मतलब क्य-", इससे पहले वो पूछ सके दिव्या ने उसे टोककर कहा, "तुम्हारा मतलब क्या है?! तुम उसकी तुलना अपने से करने की हिम्मत कैसे कर सकती हो? यहाँ केवल वही शुद्ध है! इसीलिए तुमने उसे कलंकित करने कि कोशिश की और अब उसके परिवार के सामने पीड़ित बन रही हों! शर्म करो! तुम्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए, यह प्रतियोगिता तुम्हारी और समीर बिजलानी की उपच है। अगर तुम जीत नहीं सकती तो हार मानना सीख लो!",
"तुम्हें ऐसा लगता है? पिछले दो राउंड उसके कारण रद्द कर दिए गए थे। उसके जैसी कमज़ोर लड़की के साथ कचरे जैसा व्यवहार होना चाहिए।", उसने उसे नीचा दिखाते हुए मुस्कुराई, "उसे तो हमारा अहसानमंद होना चाहिए कि हम जैसे लोगों द्वारा उसके साथ कूड़े की तरह व्यवहार किया जाएगा। एक महिला जो किसी अन्य लड़की के आदमी के साथ फ़्लर्ट करती है, उसके साथ कचरा जैसा व्यवहार ही किया जाना चाहिए। वह शायद एक से संतुष्ट नहीं होगी, मुझे यकीन है कि वह पहले से ही वृषा को चुस...", चूसने की आवाज़ निकाल, "चूस लिया होगा। और एक अन्य पुरुष की तलाश में होगी- ओह!", ताली मार, "ओह! यह शायद उसकी तलाश बहुत पहले ही खत्म हो गयी है, याद है रोने वाला वो आदमी, मैं उसका नाम भूल गयी, क्या था उसका नाम? आ! विषय! अब पीछे मुड़कर देखें तो, वह उसकी नौकरी बचाने के लिए कुछ ज़्यादा ही बेताब थी? और अब देखो, दोंनो प्यारे हँसो के जोड़े जैसे किचन में पता नहीं क्या कर रहे होंगे? पहले वृषा बिजलानी के बच्चे की माँ बनेगी फिर अपने आशिक के साथ-", इससे पहले वो आगे कुछ बोले और सुहासिनी अपनी बहन का अपमान करने वाली की चोंटी खींचती, उससे पहले सरयू ने उसे कसकर एक थप्पड़ मारा। पूरा घर उस आवाज़ से भर गया।

"-! तुम्हारी हिम्म-", कायल काउंटर कर पाये उससे पहले उसने चेतावनी देते हुए कहा, "चुप करो! अपनी बकवास बातें बंद करो! इससे पहले मैं ये भूल जाऊँ कि तुम एक स्त्री हो चुप हो जाओ! वो तुम्हारी तरह नहीं है पैसे, ताकत और शोहरत के पीछे पागल। तुम यहाँ अपनी मर्ज़ी से आई हो, यहाँ सब अपने मकसद, मतलब और मर्ज़ी से आए है जबकि उसे यहाँ उसके मर्ज़ी के बिना, डरा धमकाकर उसके परिवार के सामने अपहरण कर लाया है। तुमने सुना तो होगा जब सुहासिनी ने वृषा को कटघरे में खड़ा किया था। उसे किस-किस नाम से बुलाया जा रहा है?", आर्य उसे रोकने आया,
कायल घायल गुस्से से गुर्राते हुए, "तो क्या? हर किसी पर डोरे डालते फिरे? पहले वृषा, नहीं प्राइम शिकार, वृषा बिजलानी, असली आशिक, विषय और बैकअप शिकार, राज रेड्डी या उसका बड़ा भाई, सरयू?", उसने सुहासिनी को तंस वाली मुस्कान दी और सरयू को घूरते हुए कहा, "क्या लगा, उस दिन का कांड तुम सबसे छिपा लिया? कभी कुछ नहीं छिपता!", सरयू का खून उबल गया था। आर्य ने उसका मुँह बँद कर दिया। अगर आर्य ने उसे पकड़कर ना रोका होता तो वो ज़रूर उस दिन एक खून कर देता।
"और अपने दोस्त को समझा देना, यदि वो अपनी वासना जगज़ाहिर करने के लिए इतना बेताब है, तो मैं भी उसे जगज़ाहिर करने में पीछे नहीं हटूँगी। याद रखना दुनिया किसके पीछे घूमती है!", जाते-जाते उसने सुहासिनी से कहा, "ये तो सिर्फ तीन थे। देखते है आगे और कितने नाम जुड़ते है? तुम्हारी बहन तुमसे कही गुना आगे निकली। बदनामी के लिए गुड लक!"
उसके जाने के बाद आर्य ने उसे छोड़ा, "तुमने मुझे क्यों रोका?!",
आर्य ने धैर्य से कहा, "कही तुम खून ना कर देते।",
"तो तुम क्या उम्मीद करते? वृषाली मेरे लिए बहन जैसी- वो मेरी बहन है! अगर कोई मेरे सामने मेरे दोस्त और मेरे बहन को बदनाम कर, मैं नहीं झेल सकता। भला ही वह कोई भी क्यों ना हो।", वो नीचे जान लगा,
"कहाँ चले?", आर्य ने पूछा,
"नीचे! देखे तो क्या अश्लीलता चल रही है?", कह वो नीचे जाने लगा। सब उसका पीछे नीचे गए। वहाँ वृषा बैठा हुआ, विषय रसोई से कुछ लेकर आया और पीछे वृषाली आई। इससे पहले विषय बर्तन नीचे रखता, सरयू आया और पूछा, "क्या चल रहा है?"
विषय और वृषाली ने मुस्कुराते हुए कहा, "आप लोग सुबह से कड़ी मेहनत कर रहे है तो हमने आपके लिए कुछ मीठा बनाया है।",
देखने से उस बर्तन में आइसक्रीम थी।
"इतनी जल्दी...कैसे, किसने बनाई।", सरयू ने रुक-रूककर पूछा,
जिसपर वृषाली ने कहा, "विषय आप सबको उसकी नौकरी बचाने- क्या?, विषय उसे रोकने गया, "वृषाली, नहीं।", लेकिन उसने उसे चिढ़ाते हुए मुस्कान दे, "क्यों? वो आप सबको उस दिन के लिए धन्यवाद कहना चाहता था। और ये अच्छा मौका था।",
"पर तुम्हारे हाथ-पैर पर चोट लगी थी ना? इतनी जल्दी?", सरयू ने पूछा,
"मैंने ज़्यादा कुछ नहीं किया। सूर्य जी ने हमारी मदद की, तरल नाइट्रोजन से।", उसने उत्सुकता के साथ कहा,
"हाँ?", सरयू को समझ नहीं आया वो क्या कहे,
दिव्या उसे देख,"अचानक कैसे? और वो ऊपर क्या है?", उसने कैंडी से बने फूल को दिखाकर पूछा,
वृषाली ने विषय को देखा। विषय ने कहा, "कुछ देर पहले, वृषाली ने सावर बेल्ट कैंडी से गुलदस्ता बनाने की वीडियो देखी। हमने सामान जमाकर बनाने कि कोशिश की, और वृषाली से नहीं बन पाया।", 
"ओए!", वो उससे ज़्यादा कुछ नहीं कह पाई,
"कैंडी ज़्यादा हो गयी और वृषाली को आइसक्रीम खानी थी। सर को मनाने के बाद हमने थोड़ी मेहनत के बाद इसे बनाई। इसे बनाने में शेफ सूर्य ने हमारी बहुत मदद की। और मैं आप सबको धन्यवाद भी देना चाहता था। आप सबकी वजह से मैं आज मेरे पास एक बड़ा प्रोजेक्ट करने का मौका है। आप सभी का दिल से धन्यवाद।", विषय ने इस बार खुद को रोने से रोक लिया,
"बहुत बढ़िया! तुमने खुद को बहुत सुधारा है। चलो अब खाते है! वृषाली के हाथ का खाना मैं मिस नहीं कर सकती।", दिव्या ने सबको जल्दी-जल्दी खाने बिठाया।
खाते-खाते सुहासिनी ने वृषाली से पूछा, "ओए! हमेशा तुम ही सबके लिए बनाती हो?", उसके आवाज़ में गुस्सा था।
वृषाली उस गुस्से से डर गयी। सिर नीचे झुकाकर, हकलाते हुए कही, "ब-स कभी...कभी-",
"और चाबी?",
"-वो-", सरयू ने उसे बीच में रोक दिया और कहा, "वृषाली 'स्वयंवधू' की प्रतिभागी और वृषा की सहकारी के रूप में रह रही है। ये प्रतियोगिता सिर्फ नाच-गान का नहीं है। जिस वक्त वो इस घर में कदम रखते, तभी उनकी प्रतियोगिता शुरू हो जाती। वृषा की दाईमाँ उनके साथ रहती और उन्हें इस घर की तौर-तरीके सिखाती। उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। हमने एक नाटक रचाया जिसमे, हमने गलती से उनका सामने वृषा की मेडिकल रिकॉर्ड रख दी। जब उनसे पूछा गया कि वह हमारी मदद करऐंगे, उनमें से कुछ ने कहा कि उन्हें अधिक चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है और नौकर उनके लिए खाना तैयार कर देंगे, जबकि अन्य ने केवल यह पूछा कि, 'उनके पास है?'।",
"डेट्स सिक!", दिव्या ने मुँह बनाते हुए कहा,
"तो...मेरी मेहनत और चिंता पानी में गयी?", वृषाली ने गुस्से में मुस्कुराते हुए पूछा,
उसे देख सुहासिनी भी डर गयी।
"नहीं! तुम्हारे सामने गलती से सही रिपोर्ट पड़ गयी। और तुम्हारे आने के बाद से उसके पैर घर में टिकने लगे।", सरयू ने जल्दबाज़ी में कहा,
"ओह! अच्छा। तो चाबी, उसका मैं क्या करूँ? फेंक दूँ?", उसने चाबी हिलाकर पूछा,
"नहीं! ये अमम्मा का है! ये असली है और दाईमाँ ने अपनी मर्ज़ी से तुम्हें ये दिया है। ये सच है और यह चुनाव दाईमाँ का था जिसपर वो वृषा की ज़िम्मेदारी दे सके।", सरयू ने उसे रोकते हुए कहा,
"हम्म! देखे तो उनकी रिपोर्ट उस वक्त ही तीन महीने पुरानी थी और अब कुल मिलाकर आधे साल के ऊपर हो गए है।", उसने खुद में बड़बड़ाया, फिर कहा, "तो कल आप कल अपना चेकअप करवा कर मुझे रिपोर्ट लाकर देंगे तभी आपको आपकी कड़वी कॉफी मिलेगी, उससे पहले भूल जाइए।", उसने कवच की कॉफी ले ली।
सब उसे देखते रह गए। वृषा सरयू से, "राधिका को कहो।", सरयू उसे देखता रह गया और बाकि सब भी। यह, वही आदमी था जो तीन महीने से इसे टाल रहा था।
"क्यों नहीं?", सरयू ने आखिरकार हँसकर कहा, "हाहा, दाईमाँ ठीक थी।",

फिर आधी रात को-
"मैंने तुमसे पहले ही कहा था, ज़्यादा आइसक्रीम मत खाना। पर तुम्हें तो मेरी बात सुननी ही नहीं थी। अब भुगतो!", कवच ने वृषाली को डांटते हुए पहले दिए दी और अब उसका गला सेक रहा था। वो कुछ कहने के काबिल नहीं बची थी।
"सॉरी।", दोंनो नीचे हॉल में थे तभी उन्हें बहुत सारे कदमों की आवाज़ सुनाई दी। कवच ने उसे अपने पीछे छिपा लिया और अपनी हाथ कमर पर रखे बंदूक पर डाली पर उसे उसके सामने नहीं निकालना चाहता। वह सचेत था, वृषाली उसके पीछे थी। घुसपैठियों की जगह सब, कायल को छोड़कर सब, सहायको समेत वहाँ उसके लिए बर्थ-डे गाना गा रहे थे। पीछे से वृषाली भी निकली।

बर्रर....
कवच के फोन में,
"वृषा, डार्लिंग। जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ। मैं आ रही हूँ। कल साढ़े चार बजे मुझे लेने आ जाना। तुम्हारा तौफाह तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है।
 - तुम्हारी भव्या!",

"धन-धन्यवाद", दोंनो ने एक साथ कहा।

-अगले सप्ताह विनाशकारी जन्मदिन!