अग्निहोत्री हाउस
विराट तूफान की तेजी से गाड़ी ड्राइव कर 30 मिनट का रास्ता 12 या 13 मिनट में तय करके अग्निहोत्री हाउस पहुंच गया था । वो गाड़ी से उतरकर बिना श्लोक के और देखें अंदर चला गया ।वहीं श्लोक अभी तक बुत बने सीट से चिपक कर बैठा हुआ था ।जिस तेजी से विराट गाड़ी चला रहा था, श्लोक को पूरी दुनिया मेरीगो राउंड जैसा फील हो रहा था ।जब उसे पेट में कुछ अजीब सा फील हुआ उसे एहसास हुआ की गाड़ी रूक चुकी है।हॉल में अनुपमा जी (विराट और श्लोक की मां )सारे नौकरों को इधर-उधर काम समझाने में व्यस्त थी। विराट सबको इग्नोर कर तेजी से ऊपर की ओर जाने लगा। हाल में बने सीडीओ से होते हुए वो अपने कमरे के और बढ़ रहा था।"विराट"अनुपम जी उसे जाते हुए देखकर आवाज देते हैं।विराट बिना उनके तरफ देख सीढ़ियां चढ़ते हुए,"मां परि दी की डॉक्टर आजाए तो मुझे बुला देना। मैं अपने कमरे में हूं।""लेकिन बेटा हुआ क्या? तू..."इससे पहले के अनुपमा जी अपनी बात पूरी कर पाते विराट वहां से जा चुका था ।और उसके पीछे-पीछे श्लोक भी भागते हुए गया ।"अरे तुम तो बता दो हुआ क्या है?"श्लोक को भागते हुए देख कर अनुपम जी थोड़ा तेज आवाज में गुस्से से पूछने लगे।श्लोक रुकते हुए उल्टी जैसी मुंह बनाकर बोला,"ये गुस्सा थोड़ी देर पहले भाई के सामने क्यों नहीं दिखाई? उनसे इतनी चिड़कर क्यों नहीं पूछते आप?"श्लोक मुंह बनाते हुए पूछा ।"तू अपने मुंह से बात बता देगा तो कद छोटा हो जाएगा क्या तुम्हारा ?तुझे पता तो है वो गुस्से में होता है तो किसी की बात नहीं सुनता। शिवाय पीहू के ।और पीहू इस वक्त स्कूल में है ।"इस से पहले के अनुपमा जी कुछ और बोल पाती श्लोक भाग कर किचन की ओर गया और किचन में काम करते हुए नौकरों को धक्का देकर बेसिन में उल्टी करने लगा ।उसकी ये हालत देखकर अनुपमा जी उसके पीछे-पीछे भागते हुए भारी आवाज में बोले,"कितनी बार कहा है बाहर का अनाव-शनाब मत खाया कर। और शराब से दूर रहे ।पर तू सुने तब ना। देख अब पेट खराब हो गया ना ।तुझे विराट को समझने की संभालने की जिम्मेदारी दी हे।। तू तो खुद को ही संभाल नहीं पा रहा है। तो उसे क्या खाक संभालेगा।"" मेरी मां प्लीज चुप हो जाओ ।"अनुपम जी की बातों को आधे में काटते हुए श्लोक ने उनके सामने हाथ जोड़कर बोला।"क्या गलत कहा हे मेने?"अनुपमा जी ने वापस से उसे घूरते हुए पूछा। उनकी बात सुनकर श्लोक उनके आंचल से चेहरा पोंछ ते हुए बोला,"मेरी ये हालत आपके लाडले ने की है ।और शराब को शराब के ही तरह पीता हूं मैं। आपके लाडले की तरह पानी समझकर नहीं पीता। उनके तो नसों में खून कम और शराब ज्यादा होगी।"बोलते बोलते ही वो झल्ला ते हुए सीडीओ की तरफ बढ़ने लगा। श्लोक को जाता देख अनुपमा जी थोड़ा चिंता व्यक्त करते हुए बोले,"तू तो जानता है ना परी के थेरेपी और चेकअप के वक्त उसे दर्द में देखकर क्या हालत होती है विराट की ?फिर उसे घर लाने की जरूरत क्या थी? एक भी काम ढंग से नहीं होता तुझ से।बोला था ना श्याम तक उसे घर से दूर रखना।"उनकी बात सुनकर श्लोक अपने माथा पीटते हुए बोला,"मां , तब से क्या समझा रहा हूं आपको? यही के मैं उन्हें नहीं बल्कि वो मुझे लाए हैं । यो भी 30 मिनट का रास्ता 12 मिनट में तय करके और आपको पता है ना स्पीड ड्राइव से मुझे उल्टी होती है ।"कहते हुए वो मुंह बनाकर ऊपर चला गया। और अनुपमा जी वही हाल में सोफे पर उदास होकर बैठ गए ।और मन ही मन सोचने लगे ,"न जाने कब इसकी जिंदगी में थोड़ा सुकून भरा पल आएगा।
रायचंद हाउस
तपस्या फ्रेश होकर वॉशरूम से निकलती है । उसने एक बेबी पिंक बाथरोब पहना था।जो उसके थाई तक कवर कर रही थी। भीगे बाल ,गुनगुने पानी से नहा कर हल्के गुलाबी पड़े उसकी स्क्रीन ,उसके हल्के पिक ग्लौसी लिप्स। गहरी आंखें इस वक़्त क़यामत ढा रही थी। कोई उसे यूं देखकर ना बहके ऐसा तो हो ही नहीं सकता था ।
तपस्या मिरर के पास आकर खड़ी हो गई और ड्रायर से बाल सुखाने लगी ।ड्रायर की हल्की गर्म हवा उसके चेहरे को छूते ही , उसने अपनी आंखें बंद कर ली ।
उसे विराट का अपने करीब आना ,उसके सांसों से अपनी सांसों का टकराना ,उसके कानों को अपने होठों से छूना याद आने लगा ।उसकी धड़कने वापस से तेज होने लगी थी । उसने ड्रायर बंद करते हुए अपना एक हाथ दिल पर रखा। और अपनी धड़कनों को महसूस किया ।
"ये हमें क्या हो रहा है ?"
उसने अपनी बिखरे सांसों को समेट ते हुए बोला और उन पलों को याद करने लगी।
"कौन है वो अजनबी जो इतना जाना पहचाना सा लग रहा है। मेरी इतनी करीब.....
खुद से बोलते हुए ही वो रुक गई ।
किसी के हाथों का दबाव वो अपने कमर पर महसूस करने लगी ।
तपस्या ने नज़रें उठाकर मिरर में दिखा। विराट के बाहों में खुद को देख कर चौंक ते हुए,
"दूर रहिए हमसे ,प्लीज ।"
तपस्या बिखरते सांसों को समेटने की कोशिश करते हुए बोली ।और उसके हाथों को अपनी कमर से हटाने की कोशिश करने लगे ।
"Shhhhh....,बिल्कुल खामोश। एक बार बस अपनी धड़कनों की शोर सुनिए।अपनी बहके सांसों की आवाज सुनिए।फिर कहिए कि क्या सच में मुझसे दूर जाना चाहती हैं?"
विराट बहके आवाज में फुसफुसाते हुए उसके कंधे पर अपना चीन रख देता है ।उसके भीगे वालों को अपने चेहरे में महसूस करने लगा है । तपस्या विराट के हाथों जो उसके कमर पर थे कसकर थाम लेती है।
"हम ... कुछ... वो
वो कुछ कहना चाहती थी ।लेकिन जिन एहसासों में वो डूबी हुई थी, लफ्ज उसका साथ नहीं दे पा रहे थे ।विराट के करीब होने का एहसास से वो अजीब सा सुकून महसूस कर रही थी। लिकिन क्यों ये उसे खुद भी नहीं पता था ।इस वक्त दिल के इलावा उसके सारे सेंसेज काम करना बंद कर चुके थे।
विराट एक झटके में उसे खुद के और पलटा देता है। और झुक कर उसके कानों में इंटेंस वॉइस में बोला ,
"आपके एहसास आपकी जुबान का साथ नहीं दे रहे हैं मिस रायचंद।"
कहकर वो उसके भीगी वालों को चेहरे से हटा कर कानों के पीछे करने लगा। तपस्या उसे अपने इतने करीब महसूस कर आंखें कसकर बंद कर लेती है ।विराट की नजर उसकी होठों के ऊपर गिरी पानी के एक बूंद के ऊपर ठहर जाती है ।अपनी उंगलियों से वो पानी के उस बूंद को छू कर उसके होठों के करीब बढ़ने लगा । उसकी उंगलियां लगातर उसके होठों को सहला रही थीं। और उसकी आँखें तपस्या के कांपती होठों को काफ़ी डिजायर के साथ निहार रही थीं।
वो तपस्या के बंद आंखों को और कांपते हुए होठों को देख उसके होठों के करीब अपने होंठ को बढ़ा ते हुए दबे लफ्जों बोला ,
"चूम लूं होंठ तेरे दिल की ये ख्वाहिश है ,
बात ये मेरी नहीं तेरे होठों की फरमाइश है ।
काशिस भरी आवाज में बोलते हुए उसने अपने होठों को तपस्या के होठों के करीब छू कर रोक लिया। विराट के सांसों की गर्मी और होठों के हल्के छूने से तपस्या पिघलने लगी थी ।उसके हाथ खुद ब खुद ही विराट के गले में लिपट गए। विराट अपने होठों से उसके होठों को हल्का छू ते हुए ही ,इंटेंस voice में गहरी सांस लेते हुए बोला,
"योर लिप्स स्मेल्स लाइक स्ट्रॉबेरी , मिस रायचंद। कैन आई टेस्ट योर लिप्स??
कहते हुए विराट के हाथ तपस्या के क़मर के ऊपर कस रहे थें। तपस्या अपने बाहों को विराट के गले में जोरो से लिपटा ते हुए बहके आवाज में ,
"हम्मम"
विराट हल्के मुस्कुराते हुए उसके होठों को अपने होठों में भर लेता है। उसे अपने और करीब खिंच कर इंटेंसली चूमने लगता है।
"दीदी ,दीदी"
इंटेंस किस्स के बीच में एक आवाज तपस्या को परेशान करने लगी ।उसने झट से अपनी आंखें खोल दी ।और आंखें बड़ी कर सामने खड़ी लड़की को घूर ने लगी । जो उसे और भी बड़ी बडी आंखों से घूरे जा रही थी।
तनु (तनुजा रायचंद तपस्या की बहन )अपने हाथों में पकड़े कॉफी को मग को एक साइड में रखकर उसके कंधे को जोर-जोर से हिला ने लगी। और बोली ,
"दीदी क्या हुआ ?यूं घूर कर हमे क्या देख रही हो? हम ही हैं आपकी इक लौती छोटी बहन तनुजा रायचंद।"
तनु के जोरों से हिलाने पर तपस्या होश में आती है। और गौर से तनु को देखती है।जो उसे ही अजीब नजरों से देख रही थी।
तपस्या तनु को पूरी तरह से इग्नोर करते हुए कमरे को अपने नजरों से स्कैन करने लगी। तनु को साइड कर वो कमरे के एक-एक कोने को छांट ने लगती है। और अचानक से मायूस होकर सोफे पर बैठ गई। और बेचैन हुए खुद से ही बड़बड़ाने लगी ,
"क्या हम पागल हो गए हैं ?कैसे हम एक अजनबी को अपने इतने पास महसूस करने लगे हैं ?और वो भी किस्स करते हुए...
बडबडाते हुए वो अपने होठों को उंगलियों से छूं ने लगी। तनु अजीब और सवालिया नजरों से उसे देख रही थी। और उसके करीब बढ़ते हुए उसके पास ही बैठ जाती है।
"आप ठीक तो है दीदी ?खुद से ही क्या बड़बड़ा रही है?"
तपस्या उसकी सवालों को इग्नोर करते हुए ,खोए हुए बोली,
"तनु ,क्या हम अभी भी वैसे ही दिख रहे हैं जैसे 12 /13 साल पहले दिखते थे ?"
तनु उसे अजीब से देखते हुए पूछी,
"अब ये किस टाइप का सवाल हुआ ?
तपस्या उसके और घुर ते हुए देखती हे।और सोफे की एक कोने में रखे हुए पिंक कलर की बड़ी सी टेडी को गोद में उठाकर बाहों में थाम कर बोली,
"तू सवालों की कैटेगरी सेट मत कर ।बस जवाब दे ।"
तनु उसे गौर से देखते हुए,
"हम्मम ,वैसे ही हैं ।वैसे ही दिख रहि हैं। बल्कि और भी ज्यादा खूबसूरत हो गई है ।"
बोलकर वो उठने लगी ।
"तो फिर वो भी तो वैसे ही दिखता होगा ना, जैसे वो 12 साल पहले दिखता था ?आई मीन जैसा वो बचपन में दिखता था ?"
तनु कॉफी का मग हाथों में उठाकर वापस उसके पास बैठ गई और कॉफी के मग उसके और बढ़ा कर बोली ,
"कौन दी किसकी बात कर रही है ?"
तपस्या बाहों में भरे टेडी को गौर से देखते हुए गहरी सांस लेकर,
"हमारा डफर..., I मीन वीर।"
तनु एक बार उसे गौर से देखती है ।जिसे कुछ याद करने की कोशिश कर रही हो ।और झट से याद करते हुए एक्साइटमेंट में बोली,
"वो जो परिणीति दी कि भाई है ?कश्यप अंकल का बेटा वीर कश्यप ?आपके बचपन का दोस्त?"
पूछ कर वो सवालिया नजरों से तपस्या को देखने लगी।
तपस्या उसे चिढ़ते हुए घूर कर देख बोली ,
"इतना लंबा इंट्रोडक्शन देने की जरूरत नहीं थी। बस वीर ही बोल देती तो भी चलता।"
तनु धीरे से बोली ,
"दी ,आपको पता है ना उन लोगों का नाम तो क्या उन लोगों के बारे में सोचना भी इस घर में मना है ?अगर हिटलर रायचंद को पता चल गया तो खैर नहीं ।"
उसकी बात सुनकर तपस्या थोड़ा मायूसी भरे & आवाज में बोलि,
"उसके यादों को तो अपने ख्यालों से कब का निकाल चुकी थी। अपने जेहन से धुंधली कर चुकी थी उसके बातों को।लेकिन पता नहीं क्यों आज एयरपोर्ट में उसे अजनबी से टकराकर उसकी याद फिर से ताजा होने लगी ।"
"आप आज वीर कश्यप से मिली थी?"
तनु चीख पड़ी ।
तपस्या उसके मुंह बंद करते हुए गुस्से और दबे आवाज में बोली,
"अब तेरी चीखने से दादू को पता नहीं चलेगा?"
ये सुनकर तनु थोड़ा रुक गई ।और दरवाजे की तरफ गौर से देख कर फिर बोली ,
"दरवाजा बंद हे दी। वो सब छोड़ो आप। पहले हमें बताइए और हमारे सवालों का जवाब दो ।"
बोलकर तनु तपस्या के थोडा और क़रीब खिसक गई। और बोलि,
"आप वीर कश्यप से मिली थी ?उसे आप ने पूछा नहीं उसकी फैमिली ने हमारी फैमिली के साथ ऐसा क्यों किया? क्यों आपसे कुछ कहे बगैर ही चला गया वो?परि दी ने भाई के साथ धोखा क्यों किया ?"
तनु एक ही साथ सवालों की बरसात करने लगी ।
तपस्या अपने हाथों से उसके मुंह बंद करते हुए ,
"चुप एकदम चुप। एक और सवाल पूछा तो जान से मार डालूंगी।"
तनु अपने मुंह से उसका हाथ हटाकर एक्साइटमेंट से उमड़े हुए आवाज में,
"ले लीजिएगा जान।बाद में ले लीजिएगा ।पहले हमारे सवालों का जवाब दे दो। बड़ी दोस्ती निभाता था। जान थी आप उसकी। बोलता था कि आपको देखे बगैर उसकी सांसें नहीं चलती। और आपको छोड़कर रातों-रात कैसे गायब हो गया ?"
तनु थोड़ा नाराजगी भरी भाव से बोलने लगी।
तपस्या आपने ही सोच में गुम होकर ,
"नहीं वो वीर नहीं हो सकता ।कहां वो हैंडसम हंक, स्टाइलिश और एलिगेंट चेहरा। और कहां वो डफर ,भोला भाला और झल्ला सा वीर काश्यप।"
कहते हुए वो खुद से ही मुस्कुरा देती है ।
"तो आपको ऐसा क्यों लगा कि वो वीर होगा ?"
तनु सवालिया लहजे में उसे पूछने लगी ।तपस्या अपने गोद में रखे डैडी के साथ खेल ते हुए बोली ,
"उम्मम...,चेहरे और स्टाइल को थोडा बहत इगनोर कर दूं तो उसका हर एहसास हमें डफर की याद दिलाती है। क्योंकि खुद को हम अपने घर वालों के अलावा अगर किसके साथ इतना सेफ और कंफर्टेबल फील करते थे तो वो बस डफर ही था ।"
कहते हुए वो विराट और वीर के बीच में गुम हो चुकी थी। बेख्याली में ही वो खुद से बोल पड़ी ,
"तू बहुत याद आ रहा है आज डफर आई हेट यू। तू हमेशा बोलता था ना कि हम तुझे दिल से मिस करते हैं तो तेरे दिल को खबर हो जाती है । क्या आज भी ऐसा होता है, या अब हमें पूरी तरह से भूल चुका है?"
खुद से ही बात करते हुए वो बचपन की यादों को याद कर मुस्कुराने लगती हे।
अग्निहोत्री हाऊस
विराट अपने कमरे में बेसूद लेटा हुआ था ।उसकी आंखें बंद थी और एक हाथ आंखों को कवर किए हुए था। शायद दिल और दिमाग के बीच उलझते हुए वो थक चुका था। अचानक से उसके दिल की धड़कनें बढ़ने लगी। अजीब सी बेचैनी में उसका दूसरा हाथ खुद ब खुद अपने दिल को थाम लेती है। और होंठ बड़बड़ाने लगते हैं।
"काफी अर्से के बाद यूं बैचेनी महसूस हो रही है प्रिंसेस। लगता है कि बहुत शिद्दत से अपने डफर को याद किया जा रहा है ।कहते हुए उसके होठों पर एक हल्की सी स्माइल आ जाती है। वो उठकर बैठ जाता है ।और पास में पड़े अपने फोन को स्क्रोल कर वापस से अभय और तपस्या के मुस्कुराते हुए पिक्चर्स को देखने लगता है ।
आंखों में अनगिनत दर्द और नफरत लिए वो फोन पर तपस्या के हंसते हुए तस्वीर को गौर से देखते हुए दबे आवाज में बोला,
"गुमशुदा लम्हों को खोजते हुए,
अक्सर शायद जिक्र हमारा भी हो रहा उधर ।
यूं शिद्दत से हमें याद ना कर ए बेखबर ,
आपकी यादों से अब ये दिल हो चला है बे असर।
आगे पढ़ते रहें ओर रिव्यू देना न भूलें ❤️❤️❤️