Momal :Diary ki gahrai - 39 in Hindi Horror Stories by Aisha Diwan books and stories PDF | मोमल : डायरी की गहराई - 39

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मोमल : डायरी की गहराई - 39

पिछले भाग में हम ने देखा के वे तीनों लोग अब्राहम मोमल और लूना सब फीलिक्स की याद में उदासी से अपना समय काट रहे थे लेकिन मोमल को ऐसा लगता है की फीलिक्स बस आसपास ही है और वो लौट कर आ जायेगा। उसका दिल नही मानता के वो हमेशा के लिए चला गया है। उसने जब अपनी डायरी में उस से बात करते हुए कुछ बातें लिखी तो कुछ देर बाद डायरी से फीलिक्स की आवाज़ आने लगी। वो मॉम कह कर आवाज़ लगा रहा था। 

अब आगे :__

अब्राहम और मोमल रात के सन्नाटे में डायरी से आती हुई फीलिक्स की आवाज़ को बहुत साफ साफ सुन सकते थे। वे दोनों हैरत में एक दूसरे को देखते हुए डायरी के पास खड़े हुए। फीलिक्स अब भी मॉम डैड कह कर आवाज़ लगा रहा था। जब अब्राहम ने डायरी के उस पन्ने को खोला जिस पर कुछ देर पहले ही मोमल ने लिखा था तो कुछ देर इंतज़ार करने के बाद पता चला के अब आवाज़ नही आ रही है। उसने जैसे ही फिर से बंद किया वैसे ही आवाज़ आई "मॉम" डैड"
अब्राहम ने फिर से खोल कर देखा तो आवाज़ बंद हो गई। मोमल ने आंसु बहाते हुए हैरत में कहा :" मतलब जब डायरी बंद रहेगी तभी फीलिक्स की आवाज़ आएगी! अगर डायरी खुली हुई हो तो आवाज़ बंद हो जाएगी?.... ओह गॉड समझ नही आ रहा है ये क्या हो रहा है।"

अब्राहम ने उसे संभालते हुए कहा :" शायद तुम्हारे लिखने की वजह से ये हो रहा है! या फिर उसकी शक्तियों में से एक शक्ति ये भी है की हमे उसकी आवाज़ इस डायरी के ज़रिए सुनाई दे रही है!.... मोमो तुम परेशान मत हो उसकी आवाज़ गौर से सुनो, उसकी आवाज़ में एक सुकून है। ऐसा लग रहा है वो बिलकुल शांत है जैसा हम उसे देखना चाहते थे। बिल्कुल एक मासूम से आम बच्चे की तरह!"

मोमल ने आंसु पोंछ कर कहा :" हां कम से कम हम उसकी आवाज़ सुन सकते हैं! क्या वो वहां ठीक होगा अब्राहम ?"

अब्राहम :" हो सकता है वो ठीक हो! अगर वो वहां खुश हो तो हमे और क्या चाहिए ! भले ही हमे वो भूल गया हो।"

मोमल अफसोस करते हुए :" हमे भूल जायेगा और एक शैतान की ज़िंदगी जिएगा! काश हमे भूल जाने से पहले वो वहां से भाग कर आ सकता !"

कुछ देर बाद आवाज़ें आनी बंद हो गईं। 

अब्राहम ने उसे सो जाने के लिए कहा। 

इसी इंतज़ार में उनके दिन गुज़र रहे थे। मोमल रोज़ रात को डायरी के सामने बैठ जाती और उसमे से फीलिक्स की आवाज़ का इंतज़ार करने लगती। कभी आंसू बहाती तो कभी उसके तस्वीर को निहारते रहती। लूना भी अक्सर उसे याद करती रहती थी। उसे खाली पन सताता रहता था। अब्राहम दोनों मां बेटी को संभालता रहता था। उसने इस बात को कबूल कर लिया था के अब फीलिक्स उनकी ज़िंदगी में कहीं भी नहीं है अगर कुछ है तो सिर्फ उसकी यादें, इस लिए वो बस इसे किस्मत का खेल मान कर आगे बढ़ रहा था लेकिन मोमल को अब भी लगता था के वो उनसे अब भी जुड़ा हुआ है। यही वजह थी के वो उसके खयाल को नज़रंदाज़ नही कर पाती थी। उसकी नज़रें जैसे उसे तलाश करती रहती और एक उम्मीद पनपती रहती। 

हर रोज़ की तरह मोमल और अब्राहम कॉलेज में थे। दोपहर का समय था। मोमल लाइब्रेरी में थी और लूना स्कूल से आ कर वोही खेल कूद कर रही थी। 
मोमल कुछ किताबों को देख रही थी। उसके हाथ में चार पांच मोटी मोटी किताबें थीं। अचानक उसे गशी छाने लगी। तेज़ चक्कर सा आया और वोही फर्श पर गिर पड़ी। उसके साथ किताबे भी इधर उधर बिखर कर गिर गई। उसके गिरने की आवाज़ से लाइब्रेरियन मिस्टर मेलो और लूना घबरा कर उसके पास दौड़े। लूना रोते हुए उसे जगाने लगी :" मम्मा मम्मा! मम्मा उठो!"

मिस्टर मेलो ने जल्दी से अब्राहम को कॉल किया। वो दूसरे बिल्डिंग पर था। जैसे ही उसने सुना के मोमल फेंट हो कर गिर पड़ी है बेतहासे भागने लगा। जिस जिस ने उसे भागते हुए देखा सब अचंभित हो रहे थे की ऐसा क्या हो गया जो अब्राहम सर इस तरह भागे जा रहे हैं। 
दौड़ते हुए लाइब्रेरी पहुंचा। तब तक मोमल को होश आ गया था लेकिन चक्कर अब भी आ रहे थे। कुर्सी पर एक हाथ सर पर टिकाए बैठी हुई थी और लूना चिंतित हो कर उसके दूसरे हाथ को पकड़ कर पास में खड़ी थी।

अब्राहम घबराहट में हांफते हुए बोला :" मोमो! क्या हो गया तुम्हे तुम ठीक तो हो ना? फेंट कैसे हो गई?

मोमल ने दबे दबे आवाज़ में कहा :" पता नहीं ज़ोर का चक्कर आया था और अब भी चक्कर आ रहे हैं।"

अब्राहम ने उसके बाजुओं को पकड़ कर कुर्सी से उठाते हुए कहा :" चलो हॉस्पिटल चलते हैं!"

मोमल मुरझाई हुई सी बोली :" इतनी सी बात के लिए हॉस्पिटल जायेंगे? शायद ब्लड प्रेशर लो हो गया होगा।"

अब्राहम नाराज़गी से :" शायद ये, शायद वो !... ये सब कह कर बात को टालने से कुछ ठीक नहीं होगा! मैं देख रहा हूं कुछ दिन से तुम कमज़ोर सी लगने लगी हो, चुप चाप चल रही हो तुम!... लूना आ जाओ!"

उसने लूना को बुलाया और मोमल का हाथ पकड़ कर कार के पास ले गया। कार का दरवाज़ा खोल कर उसे बैठने के लिए कहा। वो दोनों पास के हॉस्पिटल में गए, उसका चेक अप शुरू किया गया। पहले ब्लड और यूरिन टेस्ट हुआ फिर डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड करने को कहा।

कुछ देर इंतज़ार करने के बाद एक नर्स आई और लेडी डॉक्टर के केबिन में उन्हें बुला कर ले गई। डॉक्टर ने मुस्कुरा कर उन्हे बैठने के लिए कहा। 

डॉक्टर ने रिपोर्ट्स को देखते हुए कहा :" आप दोनों की पहले से एक बेटी है, राइट?

अब्राहम :" हां एक बेटी है। लेकिन मेरी वाइफ को क्या प्रोब्लम हो गई है? सब ठीक तो है न?"

डॉक्टर ने मुस्कुरा कर कहा :" गुड न्यूज़ है! She is pregnant !"

डॉक्टर की बात सुन कर दोनो की आंखो में चमक आ गई। दिल में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। अब्राहम से ज़्यादा मोमल खुश दिख रही थी। एक वक्त था जब उसे बच्चा नहीं चाहिए था। दो एडोप्टेड बच्चों की मां बन कर ही खुश थी लेकिन अब वो खुश हो रही है क्यों के उसे लग रहा है ये बच्चा फीलिक्स की जगह आया है।

डॉक्टर ने कहा :" आप लोगों को एक बेबी का एक्सपीरियंस है तो मुझे ज़्यादा कुछ समझाने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन एक बात मैं क्लियर कर देना चाहती हूं!... मिस्टर विल्डर! मिसेज मोमल का यूट्रस थोड़ा वीक है इस लिए जैसे जैसे दिन ढलते जायेंगे इन्हे प्रोब्लम ज़्यादा होने लगेगी! आपको इनका खास खयाल रखना होगा। ध्यान रहे सीढ़ियों में न चढ़े और ज़्यादा ट्रैवल ना करे! खाने पीने पर खास ध्यान दीजिए खास कर पानी की कमी नहीं होनी चाहिए!... और अगर कोई प्रोब्लम हो तो सीधा आ कर मुझसे मिल लीजिएगा!" 

अब्राहम और मोमल ने डॉक्टर को थैंक्स कहा और बाहर आ गए, लूना उन दोनों को मासूमियत से देखते हुए बोली :"पापा!... क्या हुआ है मम्मा को ! डॉक्टर आंटी ने क्या कहा मुझे तो कुछ समझ नहीं आया।"

अब्राहम ने खुश हो कर उसके गालों को छूते हुए कहा " तुम्हारे लिए एक बेबी आने वाला है। मम्मा के पेट में एक छोटा सा बेबी है।"

लूना आंखे बड़ी बड़ी कर के मोमल की ओर देखते हुए बोली :" wow क्या सच में!... तो डॉक्टर ने बेबी को बाहर क्यों नहीं निकाला? मम्मा आप उल्टी कर दो बेबी बाहर आ जायेगा।"

मोमल उसकी बाते सुन कर कई दिनों बाद आज खुल कर हंस रही थी। 
अब्राहम ने हंसते हुए कहा :" बेटा उल्टी से बेबी बाहर नहीं आता! अभी नौ महीने लगेंगे बेबी को आने में, जब बेबी पेट में बड़ा हो जायेगा तब डॉक्टर उसे बाहर निकाल लेंगे! अभी तुम्हे इंतज़ार करना पड़ेगा।"

लूना मुंह फूला कर बोली :" नाइन मंथ!.... ओके मैं वेट कर लूंगी!"

रात को वापस घर आने के बाद मोमल फिर डायरी के पास बैठ गई। बैठने के कुछ देर बाद उसे आवाज़ आई " मॉम " 

आवाज़ सुनते ही मोमल के आंखों में खुशी के आंसु झिलमिलाने लगे। जैसे फीलिक्स को देखती थी उन्हीं  आंखों से डायरी को देखते हुए बोली :" पता है फीलिक्स मेरे पेट में एक नन्हीं सी जान आ गई है। मैं दुवा करूंगी के उसमे तुम्हारी रूह बस जाए और मुझे यकीन है गॉड मेरी प्रेयर ज़रूर एक्सेप्ट करेंगे!" 

अब्राहम थोड़ा चिंतित था इस बात को लेकर की मोमल का बच्चादानी कमज़ोर है। बुरे बुरे खयाल भी मन में सेंध मार रहे थे। उसने मोमल को डायरी के पास बैठ कर बाते करते सुना तो पास आया और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला :" मोमो तुम बस आने वाले बच्चे के बारे में सोचो और ये मत सोचो के लड़का ही होगा और उसमे फीलिक्स की रूह होगी। लड़की भी हो सकती है ना!"

मोमल कुर्सी से उठ कर बोली :" हां मैं ने कब कहा के लड़की नही हो सकती! फीलिक्स की रूह एक लड़की में भी तो बस सकती है ना!"

अब्राहम थके हुए लहज़े में :" तुम फीलिक्स के रिबीर्थ के लिए ज़िद क्यों कर रही हो मोमो?

मोमल :" क्यों के उस बच्चे के साथ कभी कुछ अच्छा नही हुआ! उसने पैदा होते ही सिर्फ तकलीफों का सामना किया! और आखिर में क्या हुआ हम उसे बचा भी नही पाए! मैं बस उसे दुनिया में वापस चाहती हूं।"

ये कहते हुए वो रो पड़ी। अब्राहम ने उसे गले लगा कर शांत किया और पीठ सहलाते हुए बोला :" ठीक है रो मत! ऐसी हालत में तुम्हे सिर्फ खुश रहना चाहिए!....हम प्रे करेंगे की वो रिबॉर्न हो कर हमारे पास आए!"

मोमल को शांत करने के बाद उस ने कहा :" तुम्हे अब कॉलेज नही जाना है। मैं ने एक काम वाली बाई को जॉब पर बुलाया है। वो कल से आयेंगी तुम्हे कुछ भी नहीं करना है।"

मोमल :" मैं आप दोनो के लिए नाश्ता तो बना ही सकती हूं!"

अब्राहम :" बिलकुल नहीं! वो मैं बना लूंगा तुम इन सब की फिक्र छोड़ दो।... समझ नहीं आ रहा है तुम्हे अकेला छोड़ कर मैं कॉलेज कैसे जाऊंगा।"

मोमल :" कोई बात नहीं मैं अपना पूरा खयाल रखूंगी और अब तो काम वाली बाई भी रहेगी ही, लूना दोपहर में आ जाएगी और आप कॉलेज से सीधा घर आ जाना।"

अब्राहम ने उसे बच्चों की तरह समझा कर कहा :" देखो मोमो! जब तक तुम अपना खयाल नहीं रखोगी तब तक कोई तुम्हारा खयाल नहीं रख सकता! तुम्हे समझाने के बाद भी अगर तुम किचन में या कपड़े धोते हुए दिख गई तो मैं सख्त नाराज़ हो जाऊंगा!"

मोमल " हां मैं समझ गई! मैं कुछ नहीं करूंगी मैं जानती हूं मेरा यूट्रस कमज़ोर है।"

मोमल अब खुश रहने लगी थी। डायरी से अब भी रोज़ एक दो बार आवाज़ आती थी। जब भी वो आवाज़ सुनती उसका चहरा और भी खिल उठता था। अब्राहम हमेशा उसकी खातिरदारी के लिए तैयार रहता। वो अगर बाथरूम भी जाती तो खुद भी बाथरूम के बाहर खड़ा रहता। रोज़ सोने से पहले पैर के तलवे पर मालिश कर देता ताकी सूजन न हो जाए। काम वाली बाई सुबह शाम आती थी और सारा काम कर के चली जाती थी। मोमल कभी कोई किताब पढ़ती तो कभी अपनी बड़ी जेठानी और मीनल से फोन पर बातें करती। कभी रैन और अपने मायके में मां बहन से बातें करती। जब तक अब्राहम घर नही आता तब तक उसका दिन ऐसे ही गुजरता था। 

इसी तरह उसके नौ महीने बीते और दसवां महीना शुरू होने के पहले दिन ही उसे दर्द होने लगा। सुबह के ठीक उस समय जब सूरज निकलने ही वाला होता है लेकिन उस के निकलने से पहले उसकी रौशनी फैल जाती है। ज़्यादा दर्द नहीं था लेकिन वाटर डिस्चार्ज होने के कारण काफी तनाव बढ़ गया था। उसे जल्दी से हॉस्पिटल ले जाया गया। अब्राहम को हॉस्पिटल में अकेले घबराहट हो रही थी। इस समय का सामना उसने पहली बार किया था इस लिए उसने मोमल के घर वालों को बुला लिया। मोमल की मां, बड़े भाई और रैन वहां पहुंच गए। डॉक्टर मयंक वोही था उसने आकर बताया के " यूट्रस वीक है और पानी की कमी भी हो गई है। हालत कुछ ठीक नहीं है इस लिए नॉर्मल डिलीवरी नही हो सकती है! हमे ऑपरेट करना पड़ेगा।"

अब्राहम ने घबराहट में कहा :" जो भी करना है करो! लेकिन मोमो को कुछ भी नहीं होना चाहिए!"

मयंक ने उसे दिलासा देते हुए कहा :" घबराओ मत सब ठीक से हो जाएगा! ऐसे केसेज रोज़ आते रहते हैं।"

क़रीब एक घंटे के बाद ऑपरेशन रूम से बच्चे की रोने की आवाज़ आने लगी। अब्राहम की धड़कन तेज़ हो गई थी। दिल में अजीब सी उथल पुथल मची थी। 

एक नर्स बाहर आ कर बोली :" लड़की हुई है मुझे अच्छा गिफ्ट चाहिए! मैं ही उसको गोद में डालूंगी।"

ये कह कर वो फिर से अंदर चली गई। अब्राहम और रैन बहुत खुश थे। रैन ने उसे गले लगा कर बधाई दी। लूना उछल उछल कर तालियां बजा रही थी और ऐसे चुलबुल कर रही थी के अभी अंदर जा कर बच्चे को गोद में उठा लेगी। उसे सबर नही हो रहा था। बस मोमल की मां ने उसे रोक रखा था। 

कुछ दिन तक मोमल को हॉस्पिटल में ही रहना होगा जब तक उसके पेट की सिलाई नही कट जाती। 
कुछ देर बाद बच्चे को गोद में लेकर नर्स बाहर आई और अब्राहम के गोद में देते हुए बोली :" चलिए लाइए मेरा इनाम!"
बच्ची को गोद में लेकर उसे अलग ही खुशी का एहसास हो रहा था। ऐसा लग रहा था सब कुछ जादुई है। बच्ची को देख कर लग रहा था जैसे उन दोनों पति पत्नी की एक प्यारी सी मिश्रण हो।

अब्राहम नर्स को पैसे देने लगा तो मोमल के बड़े भैया ने कहा :" अरे अरे आप क्यों दे रहे हैं! मैं बड़ा मामा हूं मुझे देना चाहिए!"

उन्होंने अब्राहम को पैसे देने से रोका और खुद नर्स को पैसे दिए। नर्स खुश हो कर चली गई। मोमल को ऑपरेशन रूम से निकाल कर अलग रूम में शिफ्ट किया गया। साथ साथ चल कर अब्राहम भी अंदर गया। पास में बच्ची को सुलाया और मोमल के सर पर हाथ फेरते हुए कहा :" तुम ने देखा इसे ? कितनी प्यारी है ना बिलकुल तुम्हारी तरह!"

मोमल के होंठो पर हल्की सी मुस्कान थी। उसने धीमी आवाज़ में कहा :" हां मैं ने देखा! हम इसका नाम क्या रखेंगे ? फीलिक्स से मिलता जुलता हुआ कोई नाम सोचिए !....मैं उसके नाम से मिलता जुलता हुआ नाम रखना चाहती हूं।"

अब्राहम मुस्कुरा कर :" ठीक है हम सच लेंगे! तुम ठीक तो हो ना?

मोमल :" हां मैं ठीक हूं!"

लूना आई और बच्ची को छू छू कर प्यार करने लगी :"ओह मेरी डॉल, मेरी छोटी सी बहन कितनी छोटी हो तुम! कितनी पिंक पिंक कलर की हो! मेरे गोद में आ जाओ।"

सभी लोग उसकी बातें सुन कर हंस रहें थे। मोमल थकी हुई सी थी लेकिन फिर भी उसके चहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी। 
दोपहर होते होते सभी दोस्त रिश्तेदार हॉस्पिटल उनसे मिलने आए, जिन में नीलम और साहिल पहले आए थे। डेनियल आया हुआ था। सब के बीच काफी खुशी का माहौल था। शादी के बाद से शायद सब से ज़्यादा आज उनके लिए खुशी का दिन था। मोमल अपनी बच्ची के चहरे में फीलिक्स को देख रही थी लेकिन फीलिक्स अब भी उसी दुनिया में था जहां उसकी ज़िंदगी के एक एक दिन मुश्किल से कट रहे थे।

To be continued.........