Momal :Diary ki gahrai - 36 in Hindi Horror Stories by Aisha Diwan books and stories PDF | मोमल : डायरी की गहराई - 36

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मोमल : डायरी की गहराई - 36

पिछले भाग में हम ने देखा की फीलिक्स ने वो सारी बातें सुन ली थी जो गुरू जी ने उसे शैतान बनने से रोकने के लिए बताई, और ये भी के वो एक शैतान का अंश है।जिस कारण वो बहुत उदास था। अब्राहम बड़े भैया भाभी को एयरपोर्ट तक विदा करने गया था। मोमल पूरी बात नही जानती थी और इस लिए उसका मन ज़्यादा बेचैन था। 

अब आगे :__

फीलिक्स कमरे में गया तो वोही गुमसुम बैठा रह गया। मोमल ने उसे दरवाज़े के पास खड़े हो कर देखा फिर उसके लिए खाना लेने चली गई। 
रात का खाना कमरे में लाई और पास बैठ कर बोली :" फीलिक्स ये लो खाना खा लो! इतने उदास क्यों हो बताओ मुझे !"

वो अब भी पलकें झुकाए खामोश बैठा था। मोमल ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा :" बेटा जिस दिन इंसान पैदा होता है उस दिन से उसका एक सफर शुरू हो जाता है! ज़िंदगी का सफर" ज़रूरी नहीं के इस सफर में अच्छे और पक्के रास्ते ही मिलेंगे, हो सकता है आगे चल कर उबड़खाबड़ वाले रास्ते हों, कहीं गड्ढे हों,कहीं सड़क टूटी हुई मिले, कहीं कोई कमज़ोर ब्रिज आ गया हो जिसके नीचे निगलने वाली नदी हो और कभी कभी तो अंधेरा छाया हुआ टनल भी आ जायेंगे !.... यही ज़िंदगी है। हमे इन सब को पार करना होता है। कभी कभी किसी के ज़िंदगी में देर से बुरे रास्ते आते हैं लेकिन कोई कोई चलना सीखता ही है के उसे उबड़खाबड़ रास्तों पर चलना पड़ता है। हम इसी उम्मीद से चलते रहते हैं के बस थोड़ा आगे चलकर अच्छा रास्ता मिलेगा! और हम चलते रहते हैं। तुम्हे पता है अच्छाई के रास्ते बहुत कठिन होते हैं इस लिए कुछ लोग इसे छोड़ कर बुराई का रास्ता अपना लेते हैं लेकिन अच्छाई का रास्ता अच्छे मंजिल और जन्नत की ओर ले जाता है और बुराई के रास्ते बुरे और जहन्नुम की ओर ले जाता है। अगर तुम ने अच्छाई और ईमानदारी से इन रास्तों को पार कर लिया तो एक दिन तुम्हारे कदमों के नीचे फूल बिछे होंगे! बुराई पर चलने वालों के कदमों के नीचे आग बिछा दिए जाते है। बस तुम्हे हिम्मत नही हारना है।"

ये सब सुनने के बाद फीलिक्स ने मोमल की ओर मायूस आंखों से देखते हुए कहा :" मॉम!... क्या आप के ज़िंदगी में भी बुरे रास्ते आए थे?

मोमल ने मुस्कुरा कर जवाब दिया :" हां, बहुत बुरे और गलत रास्ते आए थे लेकिन मैं चलती रही! मुझे नही मालूम था के मुझे कभी अच्छा रास्ता मिलेगा की नही लेकिन चलते चलते एक दिन मैं तुम्हारे डैड से मिली! वो भी मेरे ही तरह भटक रहे थे जब हम मिल गए तो महसूस हुआ के साथ मिलकर चलेंगे तो चाहे रास्ते बुरे ही क्यों न हों फिर भी खुश रहेंगे और एक दूसरे की ताक़त बनेंगे! अगर तीस दिन की खुशी में एक दिन गम का आ गया तो हमे बाकी खुशी के उन्नतिस दिनों को भूलना नहीं चाहिए और उनके लिए गॉड को थैंक्स कहना चाहिए!"

फीलिक्स को मोमल की बातों से मानो एक एनर्जी मिली और उसके मायूस आंखों में थोड़ी सी चमक आ गई। उसने हिम्मत हौसला बुलंद कर के कहा :" ठीक है मॉम मैं समझ गया! मैं आपकी बातों को हमेशा याद रखूंगा! मुझे हिम्मत नही हारना है और सिर्फ अच्छाई के रास्ते पर ही चलना है।"

मोमल ने उसे गले लगा कर पीठ थपथपा कर कहा :" शाबाश मेरे बच्चे ! चलो अब खाना खा लो।"

वो फीलिक्स को अपने हाथों से खिलाने लगी तभी लूना रोते हुए कमरे में आई। 
उसे रोता हुआ देख वे दोनों परेशान हो गए, मोमल ने फीलिक्स को खाने का प्लेट दे कर लूना का हाथ पकड़ कर पूछने लगी :" क्या हो गया मेरी गोलू मोलु को ? क्यों रो रही है मेरा बच्चा?

लूना ने आंखे मलते हुए कहा :" मम्मा मुझे यहां नही रहना! एलेक्स मुझे मारता है। मम्मा घर चलो।"

ये सुनते ही फीलिक्स ने गुस्से में कहा :" उसने मेरी बहन को मारा मैं अभी जा कर खबर लेता हूं उसकी।"

वो जाने लगा तो मोमल ने उसका हाथ पकड़ लिया और दोनों को सामने खड़ा कर के कहा :" देखो बच्चो! खेलने में मार पीट झगड़ा हो जाता है कभी कभी! जब झगड़ा हो जाए तो उस जगह से दूर हो जाओ लेकिन वापस मारने की मत सोचो ऐसे में झगड़ा बढ़ जाता है!.... फीलिक्स अभी मैं ने तुम्हे क्या समझाया था" अच्छाई का रास्ता अपनाना है और यही अच्छाई है की के बुरे के साथ भी बुरा न करो फिर उसमे और तुम में कोई फ़र्क नही रहेगा।"

दोनो ने उसकी बातें गौर से सुनी फिर सर झुका कर हां कहा। लूना ने सिसक कर कहा :" लेकिन मम्मा हम घर कब जायेंगे?

मोमल :" बस दो दिन में चले जायेंगे ओके, तब तक तुम दोनों ही साथ में खेलना अगर एलेक्स मारता है तो उस के साथ मत खेलो।"

लूना शांत हो कर :" ओके मम्मा !... पापा कब आयेंगे ?

दरवाज़े के से आते हुए अब्राहम ने कहा :" पापा आ गए !"

आ कर लूना को गोद में उठा लिया उसके आंखो में आंसू देख कर पूछा :" क्या हो गया मेरी प्रिंसेस को ? गिर गई थी कहीं?

उसके पूछने से लूना गले से लिपट कर और भी रोने लगी। मोमल ने बताया के एलेक्स के साथ खेलने में झगड़ा हो गया है इस लिए कह रही है घर जाना है।

अब्राहम ने उसे प्यार करते हुए कहा :" हां बेटा बस दो दिन और फिर हमारा घर सुंदर हो जायेगा तब हम चले जायेंगे यहां से !"

कुछ देर उनके कमरे में रह कर दोनों बच्चों को सुला दिया और फिर दबे पांव वहां से आ गए।

रात को अब्राहम खुली हुई खिड़की के सामने खड़ा वैक्सिंग ( waxing) चांद चमकता हुआ देख रहा था। वो बिना पलकें झपकाए एक तरफ नज़र टीका कर किसी सोच में खोया हुआ था। मोमल बिस्तर ठीक कर के उसके पास हाथ पकड़ कर खड़ी हुई। उसने चांद की ओर देखते हुए कहा :" क्या इस चांद से रिलेटेड कोई बात है जो फीलिक्स को ठीक कर सकता है?

अब्राहम ने उसे अपने बाहों में लेकर एक सुकून भरी सांस ली और फिर वो सारी बातें बताई जो कुछ गुरु जी ने कहा था। 
मोमल ने ओवरथिंक कर के पहले ही अंदाज़ा लगा लिया था के ऐसी ही कुछ बात होगी इस लिए वो ये सब सुन कर खामोश थी। अब्राहम ने लंबी आह भरते हुए कहा :" मेरा दिल गवारा नहीं कर रहा है की एक बच्चे को रात भर पिंजरे में अकेले छोड़ दूं! इसके अलावा कोई रास्ता भी नहीं है!.... जब तक ये चांद चमक रहा है तब ही फीलिकस सेफ है। अमावस की दो रातों में उसे बहुत खतरा होगा।"

मोमल ने अब्राहम के दिल पर हाथ रख कर कहा :" हमे दिल मज़बूत करना होगा! अगर हम ने इस समय ये नही किया तो बाद में हम बाकी लोगों को भी खतरे में डाल देंगे और फिर फीलिक्स को भी!.... वो लूना के लिए भी बहुत अग्रसिव हो जाता है क्यों के वो उसे दिल से बहन मानने लगा है। अभी से वो अपने इमोशन पर काबू नहीं कर पाता तो बड़े हो कर क्या हो जायेगा इसका अंदाज़ा भी नही लगा सकते। उसे अपने ऊपर काबू रखना होगा और हमारा प्यार ही उसे एक अच्छा इंसान बनाएगा। मुझे यकीन है।"

अब्राहम ने अपने दिल को तसल्ली देते हुए कहा :" हां तुम सही कह रही हो! हमे उसे इस मुश्किल घड़ी में डालना ही होगा।"

इसी तरह तनाव में दिन गुज़रे। दो दिन बाद वे लोग अपने घर चले गए। घर के अंदर का नज़ारा बिलकुल बदल चुका था। अच्छे अच्छे फर्नीचर से और रंग बिरंगे फूलों पौधों से सजाया हुआ था। जो घर के लॉन में पौधे लगे थे वे सब वैसे ही थे बस घर के अंदर सब कुछ बदल दिया गया था। अब्राहम का कमरा लगभग वैसा ही था। उसने ज़्यादा बदलने से मना किया था। लेकिन बच्चों का कमरा बहुत ही खूबसूरती से सजाया था। दो प्यारे प्यारे पलंग लगाए हुए थे। खुबसूरत वॉल स्टिकर्स लगे हुए और खिड़की पर रेशमी परदे लगे हुए थे।


घर देख कर दोनों बच्चे बहुत खुश थे खासकर अपना कमरा देखकर , मोमल को भी घर बहुत पसंद आया। 

अब हर रात को मोमल और अब्राहम दिन-ब-दिन घटते हुए चांद को देखकर चिंता करते हुए सोते थे। फीलिक्स को अब्राहम और मोमल घर पर ही पढ़ा देते थे लेकिन लूना स्कूल जाती थी। इसी तरह चांद पूरा गायब हुआ और अमावस की रात आई, वह भयानक रात जिसमें फीलिक्स को खुद को साबित करना था। 

आज रात फीलिक्स भी बहुत सहमा हुआ था। मोमल और अब्राहम का तो दिल रो रहा था। फीलिक्स को बहुत कुछ सीखा कर और समझा बुझा कर खुद को स्ट्रॉन्ग दिखाने की कोशिश में थे। 
रात के करीब 9:00 बजे उन्होंने लूना को बहला फुसला कर जल्दी सुला दिया ताकि फीलिक्स को पास वाले मैदान में पिंजरे में बंद कर के आए, एक मज़बूत लोहे का पिंजरा वहां पहले ही रखवा दिया गया था। 

दोनों ने फीलिक्स का हाथ पकड़ा और घने अंधेरे में टॉर्च लिए वहां गए। जब पिंजरे के सामने पहुंचे तब फीलिक्स ने उन दोनों की ओर मासूमियत से देखा। दोनों की आंखों से आंसु की धारिया जारी थी। उसने बड़े समझदारी से कहा :" मॉम डैड!.... मुझे कोई नही ले जा सकता, मैं बिल्कुल शांत रहूंगा चाहे कुछ भी हो जाए! मैं ने एक बार अपने मॉम डैड को खोया है अब आप दोनों को नही खो सकता। मुझे ताला लगाओ और आप लोग चले जाओ यहां से।"

अब्राहम ने उसके माथे पर किस कर के कहा :" हिम्मत मत हारना हम तुम्हारे साथ हैं! आज रात तुम्हारी शक्तियां बढ़ जाएगी इस लिए उन्हें काबू में रखना यही सब से बड़ी आजमाइश है।"

मोमल ने सिसकते हुए कहा :" आज की रात ज़्यादा मुश्किल है बस आज तुम्हे जीतना है फिर कल आसान हो जायेगा। जब गुस्सा आए तो हमे याद करना अपने मरे हुए मां बाप को याद करना।"

उसे पिंजरे के अंदर कर के ताला लगाने में अब्राहम के हाथ बुरी तरह कांप रहे थे। उस से ठीक से चाबी नही लगाई जा रही थी तब मोमल ने उसके हाथ पर हाथ रखा फिर किसी तरह उसने ताला लगाया। 
रात के घने अंधेरे में जानवरों और कीड़े मकोड़ों की अजीब अजीब आवाज़ें आ रही थी जो दिल को और भी बेचैनी में डाल रही थी। हाथ पैर में पसीने आ रहा थे। पेट में दर्द सा महसूस हो रहा था। 
वे दोनों वहां से जा तो रहे थे लेकिन जैसे सिर्फ उनका शरीर जा रहा हो और आत्मा जाने के लिए तैयार न हो। जाते जाते बार बार मुड़ कर देख रहे थे लेकिन फीलिक्स ने मुंह फेर लिया था ताकि उसका चहरा देख कर वे लोग और दुखी न हो जाए। वो हिम्मत कर के खड़ा था। ठंडी हवाएं चल रही थी। ज़मीन पर पड़े सूखे पत्तो की सरसारने की आवाज़ें भी आती तो फीलिक्स डर जाता के शायद कोई कीड़ा या सांप होगा। मोमल और अब्राहम के कदम तो नही उठ रहे थे लेकिन उन्हें फीलिक्स की नज़रों से ओझल होना था तभी ये परीक्षा पूरी हो सकती है। जब वे लोग चले गए तो फीलिक्स ने मुड़ कर देखा, अंधेरे में कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था। लेकिन कुछ देर में उसे अंधेरे में देखने की आदत पड़ गई और आसपास की चीज़े धुंधली सी दिखाई देने लगी। कुछ देर खड़ा रहने के बाद वो ज़मीन पर बैठ गया और डरे सहमे नज़र से इधर उधर देखने लगा। अब तक तो उसे कुछ महसूस नहीं हो रहा था लेकिन उसे नही मालूम था के रात के किस हिस्से में उसकी असली आजमाइश शुरू होगी।

To be continued.......