क़ायनात में दिलों से नफ़रतों को मिटाते चलो l
प्यार मोहब्बत के धर धर दिये जलाते चलो ll
हरएक की अपनी मुसीबत अपना फ़साना है l
जीनेकी राह दिखे वो फ़साना गुनगुनाते चलो ll
अश्कों में तबस्सुम ओ होंठों पे तरन्नुम लेके l
सदाकत की राह पर चल हौंसला बढ़ाते चलो ll
खुद की क़िस्मत पर गुरूर अच्छा नहीं होता l
साथ सभी के क़दम से क़दम मिलाते चलो ll
लोग चले जाते है प्यार अमर रहता है हमेशा l
जिंदगी की राह में आतेजाते मुस्कराते चलो ll
१-११-२०२४
जिंदगी आसान हो जाती है जब आश का दिया जलता रहता हैं l
मुकम्मल साथ हौसलों के संग जीने का ज़ज्बा पलता रहता हैं ll
कल किसी औ का था आज तेरा है कल किसी और का होगा l
गुरूर मत करना कभी भी वक़्त का चक्र फिरता रहता हैं ll
तड़प और तरस इस तरह बढ़ जाती है कि
कई बार तो l
एक झलक दीदार हो जाए तो फ़िर सुकून
मिलता रहता हैं ll
२-११-२०२४
प्यार मोहब्बत में धारियाँ नहीं चलती l
महफिल में तो सरदारर्याँ नहीं चलती ll
कोई भी बड़ी से बड़ी बात हो भी जाए l
मुलाकात में मक्कारियाँ नहीं चलती ll
हम सफ़र हमनवां बनकर रहना ताउम्र l
प्रियजन के साथ ख़ुद्दारियाँ नहीं चलती ll
मटकियों के साथ पनघट से जाते वक्त l
मटक मटक के पनहारियाँ नहीं चलती ll
कमाल का ताना दिया है नजरों ने भी l
अब निगाहोंसे तरफ़दरियाँ नहीं चलती ll
३-११-२०२४
गुज़रे हुए वक्त की तसवीरें दिखाना चाहते हैं l
जीने के वास्ते फ़िर वहीं ज़माना चाहते हैं ll
वक्त एक लम्हाभर भी कहीं ठहरता ही नहीं l
बीते लम्हों से रिश्तों को निभाना चाहते हैं ll
ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त नसीब होनी चाहिए l
याद करना, औरों को याद आना चाहते हैं ll
मौसम की अदा देखकर उमड़ती तमन्ना को l
एक हसीन मुलाकात का बहाना चाहते हैं ll
जैसी भी है मोहब्बत करने वाले बसते है l
यहि बेहतरीन आशियाना बनाना चाहते हैं ll
दुनिया है कोई रकीब है तो कोई नदीम है l
लोग हरबात को बनाना अफ़साना चाहते हैं ll
सिकंदर की तरह दुनिया नहीं जीतनी है l
एक खूबसूरत दिल में ठिकाना चाहते हैं ll
४-११-२०२४
आज सोचते हैं कि निगाहों से निगाहें छुपाएँ कैसे?
प्यारी निगाहों को ज़माने की निगाहों से बचाएँ कैसे?
यार दोस्तों की महफिल सजी हुई है, ऐसे में कोई l
नज़रों से दूर जाकर बेठे हुए की नजरों में आएँ कैसे?
ज़माने की तीखी नज़रों से बचते बचाते हुए आज l
इशारों से बातेँ करती हुई निगाहों को झुकाएँ कैसे?
सरे आम देख रहे प्यार भरी नशीली मादक निगाहों से l
मुकम्मल ताकतें रहते हैं तो नज़रों से दूर जाएँ कैसे?
इस बड़ी खूबसूरत क़ायनात में एक हसीन नजरें l
निगाह में बसी है, निगाहों को यकीन दिलाएँ कैसे?
ऐसे देखते रहोगे तो नशा हो जाएगा नशीली नजरों का l
नजरों ने किये वादे को पाक निगाहें निभाएँ कैसे?
५-११-२०२४
शीशा ए दिल पत्थर बन गया है पिघलता नहीं l
चाहे कुछ भी हो जाए अपना रूप बदलता नहीं ll
मजबूती ओ सदाकत को अपनी जड़े बनाकर l
आँधी और तूफान आने से भी वो मचलता नहीं ll
बहुत ही अङ्ग अविचलित मन का मालिक है l
अंधाधुंध उफानी बरसात आनेसे छलकता नहीं ll
हर मुशिकलों के वास्ते हमेशा तैयार रहता है कि l
सामने कड़ी से कड़ी परीक्षा में भी तड़पता नहीं ll
जो है जैसा भी है अपना लेता है पूरी सिद्दत से l
किसी के मृदु औ सरकता के लिए त्तरसता नहीं ll
६-११-२०२४
खुशियाँ नदीमो के साथ हैं l
यार का हाथों में हाथ हैं ll
जिसकी खुशी में ख़ुशी मिले l
दोस्ती में याराना खास हैं ll
खुलने लगे दिल के दरवाजे l
यारों से चमकती ये रात हैं ll
फैला हुआ बाहों का दामन l
आज बहक रहे जज़्बात हैं ll
मोहब्बत के मज़े मिलने पर l
महकते जा रहे लम्हात हैं ll
७-११-२०२४
मोहब्बत से खुद को न बचाया कर l
खुद को खुद के लिये सजाया कर ll
जिंदगी का लुफ्त उठा ले जी भरके l
प्यार भरे लम्हात को ना जाया कर ll
एहतियात की हद्द में रहकर जरा l
अरमानों को रूह से बहाया कर ll
जिंदगी के हर पहलू को अपना के l
तमाशा समझकर मुस्कुराया कर ll
जरा सी देर में क्या से क्या होगा l
रूठ जाने से पहले ही मनाया कर ll
नया सफ़र बहुत अनजान निकला l
वक्त रहते बात दिल की बताया कर ll
ज़माने की नज़रे बड़ी खराब होती है l
हर रोज काले टिके को लगाया कर ll
बड़ा खूबसूरत हसीन नज़ारा लगे हैं l
पेड़ों से तितलियां ना उड़ाया कर ll
रोशनी के लिए तरसते हुए सभी के l
अँधेरे घरों में दिये जगमगाया कर ll
हर कोई अपने गम है डूबा हुआ तो l
कायनात को खुशहाल बनाया कर ll
बेकार की छोटी छोटी बात पर l
रूठे हुए दिलों को मिलाया कर ll
८-११-२०२४
बार बार प्यार का यकीन दिलाए क्यूँ?
रोशन महफिल में चरागों को जगाए क्यूँ?
मोहब्बत इक नज़र में पहचानी जाती हैं l
दिल की लगी को इशारों में जताए क्यूँ?
ये तो सरासर तौहीन ओ गुस्ताखी होगी l
नजरों से पिलाते हैं तो जाम पिलाए क्यूँ?
और भी ग़म है ज़माने में इश्क़ के सिवा l
बेकार की बातों में समय बिताए क्यूँ?
अपने दम पर जो कर सकते हो करो l
और के गहनों से ख़ुद को सजाए क्यूँ?
९-११-२०२४
इतने हेरा क्यूँ हो रहे हो सामान देखकर l
यूँ तो कभी नहीं मचले नुकसान देखकर ll
मुद्दतों से जुदाई में काट रहे दिन जैसे तैसे l
आज हड़बड़ाहट हुए दिल विरान देखकर ll
मुद्दतों से आँगन में चाँद भी उतरता नहीं l
एक टीस सी उठ रहीं हैं परेशान देखकर ll
बड़ी चीड़ आ जाती है जब देखते हैं कि l
हर बार मुलाकात पर पशेमान देखकर ll
बड़े चाव से सम्भाल कर रखा था कब से l
रूह चिड़चिड़ी हो गई गुलिस्तान देखकर ll
वैसे तो दिल उखड़ा उखड़ा रहता है पर l
रूहानी सुकुनियत मिली जान देखकर ll
१०-११-२०२४
ताउम्र हँसकर जिये तुम्हारे लिए l
अश्क छुपकर पिये तुम्हारे लिए ll
जुल्मों सितम चुपचाप सहकर भी l
होठ बारहा सिये तुम्हारे लिए ll
बेपन्हा बेइंतिहा इश्क़ है पर l
इज़हार से बिये तुम्हारे लिए ll
आज ग़ज़लों में प्यार का इशारा l
महफिलों में किये तुम्हारे लिए ll
तुम्हारे बाद किसी को ना देखा l
ज़हन ए सुकूं दिये तुम्हारे लिए ll
११-११-२०२४
होश ओ हवास को बहका रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे l
तन मन के मोर को दहका रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll
मस्तानी शाम का मंजर सुहाना दिवाना बना
रहा l
दिल की चिड़िया चहका रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll
ठंडी के मौसम में नशीली सर्द रातों में पहाड़ों पर l
बहती पुरवाइयाँ को महका रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll
कुदरत ने बख्शें हुए नयनाभिराम दृश्य मन को लुभाए के l
पागल दिवाने को बहला रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll
रसीली रमणीय प्रकृति की सुषमा के जाम को पीकर l
मस्ती में झूमने को समझा रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll
जश्म ए निगाहें हेरा है कहाँ कहाँ किधर किधर देखे l
दावत ए नज़ारा तड़पा रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll
गूँजती फिझाएं नशीली वादियाँ ये बहते
झरने l
प्रिय मिलन को तरसा रहे हैं खूबसूरत ये नज़ारे ll
१२-११ -२०२४
जो भी हो जैसे भी हो बस मुस्कुराते रहिए l
ख़ुशी से प्यार भरे नगमें गुनगुनाते रहिए ll
हर कोई यहाँ अपने ही ग़म में गुम है l
होठों पर नशीली मुस्कान सजाते रहिए ll
न जाने कल फ़िर मौक़ा मिले या ना मिले l
हर पल त्यौहारों की तरह मनाते रहिए ll
खुल्ला दरवाज़ा भी खटखटाना पड़ता है l
ग़र फ़िक्र है तो बार बार जताते रहिए ll
लोग बड़े ही लालची ओ मतलबी हो चले हैं l
क़ायनात को जीने लायक बनाते रहिए ll
१३-११-२०२४
दिल ही तो है शीशा नहीं है कि टूट जायेगा l
कमजोर नहीं की हाथों से हाथ छूट जायेगा ll
ज़माना है कुछ ना कुछ तो छीन लेगा पर l
इतने बेध्यान नहीं बैठे बिठाए लूट जायेगा ll
भले ही धड़कन मेरी हो धड़कता तेरे लिए है l
सुनो धड़कनों का ख़ज़ाना न खूट जायेगा ll
थोड़ी सी जिंदगी और ढ़ेर सारे ग़म मिले हैं l
ऐसे ही नहीं साँसों का गुब्बारा फूट जायेगा ll
देखकर चहरे पर थोड़ी सी खुशियां आज l
फ़िर लोग नये हथियर लेकर जूट जायेगा ll
१४-१२-२०२४
आज हल्की सी झलक देखी किस्मत की बात हैं l
दिलरुबा से हुई इशारों में बातेँ हैरत की बात हैं ll
सरे आम बीच बाजर में लोगों के सामने एक बार l
पर्दा उठाकर दीदार करवाया हिम्मत की बात हैं ll
दुनिया वालों की परवाह छोड़कर सिर्फ़ हमारा ही l
बड़े प्यार से हालचाल पूछा निस्बत की बात हैं ll
भीड़ में बड़ा अकेलापन महसूस कर रहे थे कि l
दो चार लम्हे की मुलाकात हुई जरूरत की बात हैं ll
वक्त का लिहाज़ और नजाकत को देखते हुए आज l
जो भी कहा ख़ामोशी से सुना इज्जत की बात हैं ll
१५-११-२०२४