शीर्षक - "मैजिकल वर्ल्ड"
By - Shweta Pandey
रात के बारह बजे अचानक मेरी नींद खुलती है कुछ आवाज़ से, मैं उठकर बैठी ये जानने के लिए की ये आवाज़ कैसी ?
मुझे ये आवाज़ हमारे किचन की तरफ से आ रहा था, तो मैं उस तरफ ही बढ़ गयी,जैसे मैने अपने कमरे का दरवाजा खोला तो मैंने पाया कि ये तो मेरा घर नही है लेकिन ये कमरा तो मेरा ही है मैं सोच में पड़ गयी कि आखिर ये हो क्या रहा है आखिर मैं ये कहा आ गयी और मेरा घर कहाँ गया?
मैं धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी ये देखने की आखिर ये जगह है कौनसी?, मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो जो सामने दिखा वो तो मैं देखती ही रह गयी,
बहोत ही रोशनी था और रोशनी में खिलखिलाते फूलों की वादी, रंग बिरंगी तितलियां, हर तरह ले पंछी चहचहा रहे थे,ये बिल्कुल अलग ही दुनिया थी,किसी सपने की दुनिया की तरह।
अचानक मेरे सामने एक छोटी सी तितली उड़कर आती है मैं उसे हाथ आगे करके लेने गयी तो मैंने जो देखा मैं तो चौक ही गयी,
क्योंकि वो एक तितली नही वो एक बहोत ही खूबसूरत और प्यारी एंजेल थी,मैं तो दंग ही रह गयी मुझे थोड़ा डर भी लड़ने लगा और साथ ही अचम्भा भी,की तभी मुझे एक आवाज़ आयी ,"डरो मत" मैंने यहाँ वहाँ देखा , फिर मैंने उस एंजेल की तरफ देखा ये आवाज़ उस एंजेल की थी,
उसने आगे कहाँ," ये एक जादुई दुनिया है जो कि तुम्हारी सोच से बना है, तुम जैसा सोचोगी ये दुनिया तुम्हे वैसा ही दिखेगा"
मैं ये सुनकर चौक गयी मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था कि ऐसा कैसे हो सकता है तो उस एंजेल ने मुझसे फिरसे कहाँ,"अगर यकीन नही होता तो आजमा कर देख लो"।
मैने भी सोचा क्यों ना आजमा कर देखा जाए, जो अगले ही पल मेरे सर पर था एक ताज, क्योंकि मैंने वही तो सोचा था,पहले तो मैं बहोत अचंभित हुई फिर मैं ये जान गई कि "सच मे ये दुनिया तो मेरी सोच पर बनी है "।
उस एंजेल ने मुझे कहाँ तुम इस दुनिया को जैसा चाहो वैसा बना सकती हो, "कैसा बनाना चाहोगी?"
मैं थोड़ा मुस्कायी और फिर मैंने कहा,"मैं इस दुनिया को बहोत खूबसूरत बनाना चाहती हूँ, जहाँ -
"हर लड़की एक प्रिन्सेस हो,
उसे मान मिले सम्मान मिले,
ना हो तिरस्कार उसका,
हो सुरक्षित हर पल वो ,
न कोई हो डर उसे,
एकता हो हर शख्स में यहाँ,
हो आपसी भाई चारा,
ना हो कोई सरहदे ,
न हो कोई लड़ाई,
एक खूबसूरत सा जहां मैं बनाऊ ।"
ये सुन मुस्का दिया उसने और कहाँ,"ऐसा जहाँ कभी होता था धरती , क्या तुम कल्पना करती हो वही की?"
तो मैंने कहाँ,"तुमने ही तो कहाँ ना ये दुनिया मेरी सोच पर टिकी है, तो शायद मैं जहाँ से आई हूं वहाँ मुझे अपनी सोच सुधारने की आवश्यकता है, तब शायद जिस दुनिया की कल्पना मैं कर रही हूँ वो मुझे वही मिल जाये अपनो के संग,अपने जहाँ में"।
ये सुन उस एंजेल के चेहरे पर आई थी एक मुस्कान कहाँ,"खुश हुई मैं तुम्हारे इस व्यवहार से,आज से तुम कभी भी आ सकती हो इस संसार मे, ये मैजिकल वर्ल्ड तुम्हारे सोच में हमेसा रहेगा "।
और दूसरे ही पल मेरी नींद खुली और मैने खुद को अपने घर मे पाया, मेरे अपने जहा में,
चाहे कही भी चले जाओ अगर आप चाहो तो आप बना सकते हो इसी दुनिया को अपना एक "मैजिकल वर्ल्ड" क्योंकि अपनो के बिना तो हर दुनिया अधूरी है ।
~Shweta Pandey
तो कैसी लगी ये कहानी हमे अपने comment द्वारा जरूर बताएं ।
धन्यवाद ।