Nafrat e Ishq - 6 in Hindi Love Stories by Sony books and stories PDF | नफ़रत-ए-इश्क - 6

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नफ़रत-ए-इश्क - 6

अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज

आसमान को छू ती हुई एक बड़ी सी इमारत के एंट्री गेट पर ब्लैक एंड गोल्डन कांबिनेशन में लिखा हुआ था, अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज । उसी बड़ी इमारत के एक आलीशान केबिन के ग्लास विंडो के पास खड़ा हुआ एक सक्स एक टक बाहर की ओर देखे जा रहा था। उसके एक हाथ में काफी का मग था और दूसरे हाथ में आधी जली सिगरेट का टुकड़ा। उसके उस एक्सप्रेशनलेस चेहरे को देख कोई नहीं बता सकता था कि, इस वक्त उसके दिमाग में क्या चल रहा है । वो सक्स और कोई नहीं बल्कि अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज का सीईओ विराट अग्निहोत्री था। जो कि पिछले 5 सालों में बिजनेस वर्ल्ड में एक जाना माना नाम बन चुका था ।अगर पिछले 3 सालों में कोई एशिया के टॉप मोस्ट बिजनेस मैन यशबर्घान रायचंद को चैलेंज कर सकता था तो वह बस विराट अग्निहोत्र ही था।विराट अपनी सोच में गुम सिगरेट के कस भरें जा रहा था, तभी कोई केबिन का दरवाज़ा खटखटाने लगा ।विराट बिना मुड़े सर्द आवाज में,"तुझे कब से परमिशन लेने की जरूरत पड़ने लगी श्लोक?"उसने कहा और जैसे दरवाजे के बाहर खड़ा श्लोक यही सुनने के इंतजार में था । वो दुबक कर अंदर आया और भाग कर विराट के गले से लग गया।श्लोक हद से ज्यादा खुशी बयां करते हुए बोला ,"यू मेड इट भाई। यू आर ग्रेट।"विराट उसे खुद से दूर धकेल कर अपने कोल्ड और एक्सप्रेशनलेस आंखों से उसे घूर कर ,"सुबह सुबह कोई सस्ता नशा करके आया हे क्या?"फिर अपने कपड़े ठीक करते हुए बोला,"क्या हुआ? एसा क्या कर दिया मेने?"बोलकर विराट सिगरेट के टुकड़े को अपने कदमों तले रौंद कर जाकर अपने चेयर पर बैठ गया।और लैपटॉप में नजर डालें कोल्ड बॉयस ने बोला,"अब बोल ,ऐसा भी क्या तोप उखाड़ दिया मैंने, जो मुझे ही नहीं पता ?"उसकी बात सुनकर श्लोक उसके सामने चेयर पर बैठ जाता है ।और प्राउड भरी आवाज में बोला,"क्या तोप उखाड़ा है मतलब ?ये आप पूछ रहे हैं भाई? अरे पिछले 3 सालों से आप ने तांडब मचाकर रखा है उन रायचंद के सिर पर। बौखला कर रख दिया है उन लोगों को। और आज तो हद हो गई है।"बोलते हुए खुशी और एक्साइटमेंट से विराट के और देख ने लगा। और विराट को देख कर उसकी सारी एक्साइटमेंट जेसे गायब ही हो जाति है। विराट उसकी बात पुरी तरह से इग्नोर करते हुए अपने लैपटॉप स्क्रीन में सिद्दत से घुसे हुए था। श्लोक ये देख कर मुं बना देता है।श्लोक को ख़ामोश होता हुआ देख विराट लैपटॉप में नजर गाढ़े ही बोला," हम्म्म;तुम कुछ बोल रहे थें। आज क्या हद हो गया?"श्लोक बोरियत भरी सकल और आवाज में,"आपने तो सारा एक्साइटमेंट ही खतम कर दिया भाई। थोडा तो एक्साइटमेंट दिखाना था ना। पता है कितना बडा वाला न्यूज था।"उसकी बात सुनकर विराट बिना किसी भाव के लैपटॉप के कीबोर्ड पर सलीके से उंगलियां थिरकाते हुए,"वो तो न्यूज सुनकर ही पता चलेगा ना, के मेरे एक्साइटमेंट के लायक हे भी या नहीं।""आप को इस साल का बेस्ट बिज़नेस मेन ऑफ द ईयर का अवार्ड मिलने वाला है। और आप के सामने अभय रायचंद था ।जिसे आप ने बुरी तरह से पछाड़ा है।"श्लोक की बात सुन कर विराट अपने लैपटॉप से नज़रें हटाकर एक सर्द नजर श्लोक पर डालता है।"ये था तेरा सुपर एक्साइटमेंट वाला न्यूज?"विराट उसे अजीब नज़रों से देख पुछने लगा।विराट का सर्द नजर और ठंडा रिस्पॉन्स देख श्लोक सढ़ी सी सकल बनाकर बोला,"नहीं ये बडी एक्साइटमेंट वाली न्यूज नहीं है। न्यूज तो ये है के आप को अवार्ड खुद यशबर्घन रायचंद देनेवाला है।"बात करते हुए उसकी नजरों में खुशी और चमक के साथ साथ हल्की नमी भी थी। और विराट वो सबकुछ महसूस भी कर पा राहा था।विराट उठकर खिड़की के तरफ़ चला गया। और बाहर झांक ते हुए शांत आवाज में एक व्यंग भरी मुस्कान लिऐ बोला,"अब तो मुझे पुरा यकीं होगया है के कोई सस्ता नशा ही करके आया है तु।"श्लोक अपनी जगह से उठकर उसके करीब जाकर खड़ा हो गया ।और मासूम सी सकल बनाकर विराट को देखते हुए बोला ,"क्या मतलब सस्ता नशा करके आया हुं,भाई?"विराट उसके गाल थप थापा कर हलका मुस्कुरा कर,"इतना भी मासूम मत बन। दुनिया जीने नहीं देगी। और तूझे खोना विराट अग्निहोत्री अफोर्ड नहीं कर सकता।"कहकर, विराट उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में भरकर समझाते हुए बोला "क्या तूझे सच में लगता है के यशबर्धन रायचंद के हाथों से एक अवॉर्ड लेकर, या अभय रायचंद के हाथों से एक ट्रॉफी छीन कर, में अपना बदला पुरा करलूंगा?"विराट की बात सुनकर श्लोक उसके गले लगकर बोला,"नहीं भाई, जानता हूं के आप का बदला पुरा नहीं होगा। लेकिन सायद आप के दिल को थोडा सुकुन मिल जाए?"बोलकर वो विराट को कस कर गले लगा लेता है।विराट उसे खुद से अलग कर उसके कन्धे को पकड़  गुस्से और नफरत भरी आवाज से बोला,"मेरा बदला तब पुरा होगा, और मुझे सुकुन तब मिलेगा जब वो अभय रायचंद परी दी के सामने घुटनों के बल बैठ कर अपनी ज़िन्दगी की भीख मांगेगा, और जब उस यशबर्चन रायचंद की अकड़ और इज्जत उसी के प्यारी प्रिंसेस के हाथों अपने पैरों तले रौदूंगा।"कहकर वो श्लोक को झटके के साथ खुद से दुर करता है। श्लोक भी उसके चेहरे के भाव और आंखों की लाली को देख खुद कुछ पलों केलिए सहम जाता है।विराट एक नजर श्लोक के तरफ़ डाल कर चेयर पर से अपना कोट उठाकर कैबिन से बाहर जाने लगा।"कहां जा रहे हैं भाई?"उसे इतने गुस्से से बाहर जाता देख श्लोक फिक्र भरे भाव से पुछा।"परी दी की चेक अप और थेरेपी है आज। घर जा रहा हूं।"सर्द आवाज में बोलकर विराट बाहर निकल गया।इससे पहले के वो कैबिन से बाहर जा पाता श्लोक उसे रोकने की कोशिश करते हुए ,"आप का तो बैक टू बैक मर्टिंग्स है ।आप आफिस में रहिए। घर पर में चला जाऊंगा।"विराट पीछे मुडकर गुस्से से बोला,"मेने कहा ना में जा रहा हूं। तू जा और अपना काम कर।"श्लोक उसके सामने आकार खडा होगया। और उसे रोकते हुए बोला,"अपना काम ही तो कर रहा हुं।"कहते हुए वो विराट का हाथ जोरों से पकड़ लेता है। और उसे अन्दर खिंच कर मुंह बना कर बोला "आप वहां जाएंगे परी दी को तकलीफ़ में दिखेंगे, और खुद से आपा खोकर खुदको ही चोट पहंचाएंगे। जो में नहीं चाहता के हो।"विराट उसे धक्का देकर दांत पीस कर गुस्से से बोला,"बोलने का हक दिया हे तो कुछ ज़्यादा ही ज़ुबान चल रही है तुम्हारी। छोटा हे छोटा बनकर रह।चुप चाप जाकर अपना काम कर। अकेले खुद को भी संभाल सकता हुं और परी दी को भी।"कहकर वो एक जलती नजर श्लोक पर डालकर बाहर चला गया।श्लोक उसे जाते हुए देख खुद से ही बड़बड़ाने लगा,"चलिए में भी देखता हुं कितना खुद को संभालते है।"श्लोक बोला और विराट के पीछे पीछे भागने लगा।

रायचंद हाऊस

अभय की गाड़ी रायचंद हाऊस के गेट के बाहर आकर रुकती है। अभय पार्किंग में गाडी पार्क कर, तपस्या के ओर देख ते हुए,"आप अंदर जाइए सब बेसब्री से इंतज़ार कररहे हैं आप का। हम आप से रात को मिलते हैं।"कहते हुए वो गाडी से बाहर निकलकर नौकरों को आवाज देने लगा।तपस्या गाडी से बाहर निकल कर उसे असमंजस से देखकर,"आप ठिक तो हैं ना भाई?"अभय सर्वेंट से नज़रें हटाकर तपस्या के तरफ़ देखते हुए,"क्यों हमे क्या होगा? I am perfectly alright."बोलकर वो सर्वेंट से तपस्या के लगेज निकालने केलिए कहता है।"आप अन्दर नहीं आयेंगे तो दादू गुस्सा करेंगे।"तपस्या अभय को देखते हुए बोलि।अभय बंग भरे अंदाज़ में मुसकुराते हुए,"वैसे भी हिटलर रायचंद हम से खुश कब होते हैं? अब तो आप आ गए है, उनका मूड अछा ही रहेगा।"कहकर वो तपस्या को गले लगाकर उसके माथे को चूमते हुए बोला,"Missed you so much छोटी।""Missed you too bhai."हल्के नमी भरी नजरों से बोलते हुए तपस्या उसे मुस्कुराकर देखने लगी ।अभय उसके नाक हलका सा खींचकर,"अब जाइए वर्ना मां बाहर तक अजाएंगी।""जी भाई।"बोल कर तपस्या घर के अन्दर चली गई।रायचंद हाऊस के पार्किंग के पास सर्वेंट के यूनिफॉर्म में खडा एक सक्स भाई बहन के उन प्यार भरे पलों को अपने फ़ोन में कैप्चर कर , किसी को सेंड कर देता है। और तपस्या का सारा सामान लेकर अन्दर चला गया।

रायचंद हाऊस के पार्किंग के पास सर्वेंट के यूनिफॉर्म में खडा एक सक्स भाई बहन के उन प्यार भरे पलों को अपने फ़ोन पर कैप्चर कर , किसी को सेंड कर देता है। और तपस्या का सारा सामान लेकर अन्दर चला गया।




दूसरे ओर विराट की गाडी अग्मिहोत्री हाऊस के तरफ़ बढ रही थी। विराट पीछे के सीट पर सिर टिकाए आँखें बन्द किए बैठे हुए था। हमेशा की तरह उसका चेहरा एक्सप्रिशन लेस ही था। लिकिन उसके अन्दर क्या चल रहा था और कुछ देर बाद क्या होने वाला था ये आगेकी पैसेंजर सीट पर बैठा श्लोक अछी तरह से जानता था।उसकी सेहमी हुई और फिक्र भरी नजर रह रह कर विराट पर ही ठहर रही थी। वो बस कुछ बोलने ही जा रहा था के विराट के फ़ोन पर बीप की आवाज से विराट अपनी आँखें खोलता है, ओर उसकी नजर सीधे श्लोक के सहमी नजर से मिलती है।विराट अपनी आँखें छोटी करते हुए इशारों में,"क्या?"श्लोक हड़बड़ाकर सिर लेफ्ट राइट हिलाते हुए,"कुछभी नहीं।"विराट उसे नजर फेर कर अपना फ़ोन चेक करता है। और जेसे ही फ़ोन के स्क्रीन को स्क्रॉल करने लगा उसके चहरे के भाव बदल कर डार्क होने लगे।अचानक से वो अपने फ़ोन को एक साइड में फेंक कर गुस्से से चीख कर,"गाडी चला रहे हो या बेल गाडी?"उतरो निचे।"जहां विराट की बात सुनकर श्लोक शॉक में उसे देखने लगा, वहीं ड्राइवर की हालत ढीली हो चुकी थी।( यूं तो विराट कभी भी उसके साथ या निचे काम करने वाले लोगों को नहिं अपनी एटीट्यूड दिखाता था और नाहीं उन्हे नीचा दिखाता था, बल्के वो उनका खाश खयाल रखता था। और उसके तरकी की शायद ये एक बहत ही बडी वजह थी। लिकिन फिरभि उसकी इस डार्क साइड से हरकोई वाकिफ था।)उसकी बात सुनकर ड्राइवर बीना एक पल की देरी किए गाडी साइड में कर खुद गाडी से उतर जाता है। विराट बिना ड्राइवर के तरफ़ देखे सीधे ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है। और गाडी स्टार्ट करते हुए एक सर्द नजर श्लोक पर डालने लगा,जो अभिभी पत्थर की तरह सीट से टिका हुआ था।विराट कोल्ड voice में ,"तूझे क्या अलग से बोलना पड़ेगा? जस्ट गेट लॉस्ट?"श्लोक नाही कुछ बोला और नहिं उसकी बातों का कुछ रिएक्शन दिया। चुप चाप चेविंगम की तरह सीट से चिपका रहा।विराट गुस्से से अपनी आँखें बन्द कर देता है। और स्टीयरिंग को एक मुक्का मार कर फास्ट्रेटेड आवाज में,"फाइन, आज यू विश।"बोलकर ही वो गाड़ियों से भरी बिजी सड़क पर भी तूफान की तेज़ी से अपनी गाडी भगाने लगा। उसे अच्छी तरह से पता था के श्लोक को स्पीड ड्राइव से डर लगता है। और वही सोचकर ही उसके होठों पर डेवल स्माइल आ जाति है। गाडी की स्पीड वो और भी तेज़ कर देता है।वहीं तूफान से भी ज्यादा तेजी से गाड़ी चलने की वजह से श्लोक अन्दर ही अन्दर कांप रहा था। लिकिन फिर भी उसे इस बात का यकीन था के चाहे जो भी हो, विराट उसे खरोच तक आने नहीं देगा। यही सोचकर वो अपना डर अपने अन्दर दबाकर स्माइल करते हुए खुद से ही बोला,"डोंट वरी श्लोक बेटा, बड़े बड़े हस्तियों ने कहा हे,डर के आगे जीत है।"




रायचंद मेंशन....



तपस्या मेंशन के अन्दर अति है। और चित्रा जो पहले से ही आरती की थाल लिए नज़रें बिछाए खडी थी, तपस्या की आरती उतारते हुए उसे एक टक ममता भरी नजर से देखने लगी।"बहू आरती उतारकर प्रिंसेस को अन्दर भी आने देंगी या दरवाजे के बाहर खडा करने का इरादा है?"यशबर्धन जी की कड़वी आवाज सुनकर चित्रा जी सहम कर बोली,"जी पापा, बस हो ही गया।"बोलकर चित्रा जी आरती की थाल सर्वेंट के हाथों में थमा कर नम आंखों से तपस्या को गले लगा लेते हैं। तपस्या भी प्यार से उनके गालों को चुन कर उन्हें गले लगालेती है।और,"i love you मम्मा ।"कहते हुए अन्दर आकर यशबर्धन जी के और बढ़ जाती है। जहां उसके पिता अनिरुद्ध जी भी बैचेनी से उसे गले लगानेके इंतज़ार में खड़े थे।तपस्या दोनों के पैर छुने लगी तो यसबर्धन जी उसे गले लगाकर बोले,"सालों बाद आज इस दिल को इतनी सुकून पहंची है ।हमारी गुडलक जो अभी हमारे साथ है।"यशवर्धन जी ने कहा और कुर्ते के पॉकेट से रुपए निकालकर तपस्या के नजर उतारने लगे।"कैसी है हमारी प्रिंसेस ?"अनिरुद्ध जी ने कहा तो तपस्या उन्हें गले लगा कर बोली,"नाउ,आई एम फाइन पापा ।आप सबके साथ जो है।"अनिरुद्ध जी उसके चेहरे को हाथों में भरकर उसके माथे को चूम कर बोले ,"बहुत-बहुत बहुत मिस किया आपको बेटा ।"उनकी बात सुनकर तपस्या कुछ बोलने को हुई थी कि पीछे से एक आवाज सुनकर उसके होठों पर एक मुस्कान खिल गई ।"एक नजर हम पर भी तो डाल दीजिए राजकुमारी ।हम भी खड़े ही राहों में ।"समर (तपस्या के चाचा ) अपने शायराना अदाज में बोलते हुए सीडीओ से नीचे उतर रहे थें।और साथ में उनके धर्मपत्नी सरगम भी थी। जो तपस्या के और मुस्कुरा कर देख रही थी ।तपस्या दोनों के पैर छूकर बोली ,"सो गुड टू सी यू ।मिस यू सो मच एंड योर शायरी।"उनकी बात सुनकर समर  मुस्कुराते हुए बोले ,"अर्ज किया है .....अभी वो इतना ही बोले थे कि पीछे से यशवर्धन जी ने कर्कश और ताने भरी आवाज में बोले ,"कितनी बार कहा है कि ये सस्ती शायरी अपने उस कोठे वाली के पास ही छोड़ कर आना । ये हमारा घर है ।"उनकी बात कानों में पढ़ते ही , सब कुछ पलों केलिए खामोश हो गए ।और समर की नजर उनके पास खड़ी सरगम के और चली गई, जो के गुस्से और नफरत के साथ साथ दर्द भरी नजरों से उन्हें ही देख रही थीं ।सरगम ने कुछ पल उन्हें देखा फिर अपनी नज़रें फेर ली ।माहौल और मौके की नजाकत को देखकर समर खुद को संभाल कर यशवर्धन जी को इग्नोर करते हुए तपस्या की ओर देख बोले ,"कैसा लग रहा है प्रिंसेस ?12 साल के बाद अपने घर में सांस लेकर ?"समर ने पूछा तो तपस्या उनके गले लग कर बोली,"बहुत सुकून महसूस हो रहा है चाचू।"कहकर वो इधर उधर नजर घुमाने लगी।"लेकिन ये तनु की बच्ची कहां है? जानती है कि हम आने वाली हैं ,फिर भी गायब है।"तपस्या आंखे छोटी करते हुए बोली ।और फिर सरगम के और एक सावलिया नजर डाल दी।सरगम हल्का मुस्कुरा कर ,"कॉलेज गई है।कोई असाइनमेंट सबमिट करना था ।बस आती ही होगी ।"सरगम उसके नजरों के सवालों को समझ ते हुए मुस्कुराकर बोली।"अब जाओ बेटा जाकर फ्रेश हो जाओ। आपको भूख लगी होगी।"चित्रा जी ने तपस्या से कहा और नौकरों को तपस्या के सामान उनके कमरे में पहंचाने के लिए इशारा में बोलने लगे।तपस्या 12 साल के बाद रायचंद हाउस वापस आई थी ।जहां रायचंद हाउस में इसके लिए त्योहारों का माहौल था वही आज अग्निहोत्री हाउस में फिर से पुराने जख्मों को कुरेदे जाने वाला थें।









कहानी आगे जारी है ❤️ ❤️



क्या दुश्मनी है विराट का अभय से?कौन है वो सक्स जो तपस्या और अभय के फोटोज कैप्चर कर रहा था?जानने केलिए आगे पढ़ते रहें।

पढ़ते रहें और रिव्यू , कमेंट्स (बस अच्छे अच्छे) देना न भूले 💗💗