dialogue in Hindi Anything by Kishanlal Sharma books and stories PDF | संवाद

Featured Books
Categories
Share

संवाद

(नैतिकता अनैतिकता के प्रश्नों को रेखांकित करती पौराणिक प्रसंग पर आधारित काल्पनिक कथा)
मैं सुहागसेज पर घूँघट निकालकर बैठी पति के आने का इन तजार कर रही थी।प्रथम मिलन की रात्रि मन मे उत्सुकता, कौतूहल था।न जाने क्या होगा?वह कैसा व्यवहार करेगा।स्वभाव कैसा है, उसका।एक तरफ मन मे अनेक प्रश्न उठ रहे थे।दूसरी तरफ मन पिया से प्रथम मिलन के लिए बेचैन था।ज्यो ज्यो रात सरक रही थी।अधीरता बढ़ती जा रही थी।
और बेचैनी भी।क्या प्रथम मिलन की रात्रि को ही कोई अपनी प्रियतमा को इतना तड़पाता हैं।आखिर इन तजार की घड़ियां खत्म हुई और उसने सुहाग कक्ष में प्रवेश किया था।उसके कदमो की आहट सुनते ही मैं छुईमुई सी सिमट गई थी।वह मेरे पास आया।सुहागसेज पर बैठ गया और उसने धीरे से मेरा घूँघट उठाया था
"सुंदर।अति सुंदर,"मेरे चेहरे को देखकर वह बोला फिर अपने दोनों हाथों में मेरा चेहरा लेते हुए उसने कहा,"तुम चांद से भी ज्यादा सुंदर हो।"
",फिर?
"उसने अपने होठ मेरे होठो पर रख दिये।'
"हाय,"यमी ओली,"फिर वह पागलो की तरह मुझे चूमने लगा।मेरे अंग प्रत्यंगों को सहलाने लगा।उसकी हरकतों ने मेरे अंग प्रत्यंगों में वासना का संचार कर दिया।उसकी हरकते बर्दास्त से बाहर ही गई तब मैं बोली,"अब बस करी।मुझसे सहन नहीं हो रहा।"
"तो फिर तेरे प्रियतम ने छोड़ दिया?"रम्भा की बात सुनकर यमी बोली थी।
"अरी नही।पहली रात थी।वह क्या मानने वाला था।"
"तो फिर उसने क्या किया तेरे साथ?"
",उसने मेरे शरीर से सारे कपडे उतार फेके फिर अपने भी
"फिर क्या हुआ?"
"फिर क्या होता है।उसने अपने शरीर को मेरे शरीर से
रम्भा अपनी सहेली यमी को अपनी सुहागरात के बारे में विस्तार से बताने लगी।
सहेली की बातों ने नवयौवना यमी की रगों में दौड़ रहे खून को गर्म कर दिया।इससे उसके शरीर मे रोमांच का संचार हो गया।उसका मन मचलने लगा।किसी पुरुष के लिए इच्छा होने लगी।किस मर्द के पास जाकर वह प्रणय निवेदन करे।यह सोचती हुई वह अपने घर आ गयी।
यम कमरे में बिस्तर में आंखे बंद करके सोचने की मुद्रा में लेटा था।यम को देखकर यमी कद मन मे विचार आया।आदमी उसके घर मे ही मौजूद हैं फिर बाहर ढूढ़ने की क्या जरूरत है।यह विचार मन मे आते ही उसके दिल के किसी कोने से आवाज आयी।
"यम तेरा भाई है, उससे शारीरिक सम्बन्ध कैसे बना सकती है?"
"नियम,क़ानून, प्रतिबंध ये सब समाज के बनाये हुए हैं"।वासना का वेग बड़ा तीव्र होता है उस वेग की अवस्था मे आदमी या औरत को कुछ सुझाई नही देता।यमी ने भी दिल की आवाज को ठुकरा दिया।उसने अपने होंठ यम के होठों से छुआ दिए ।
यम ने हड़बड़ाकर आंखे खोल दी।यमी को देखकर बोला,"यह क्या कर रही हो तुम?"
"प्यार"
"कैसा प्यार?"
"यम मेरा तन बेचैन हो रहा है।मैं चाहती हूँ तू मेरे साथ दोस्त जैसा व्यवहार करके मेरी मदद कर।"
"मदद"यम बोला,"कैसी मदद?"
"तू मेरे से शारीरिक सम्बन्ध बनाकर मेरे शरीर की वासना की आग को शांत कर,"यमी,यम को आमंत्रण देते हुए बोली,"तू भी जवान है और मैं भी।"
"मैं ऐसा दोस्त नही बन सकता जो तेरी शारिरिक इच्छा की पूर्ति करे।"यमी के आमंत्रण का अर्थ सनझते हुए वह बोला था।
"क्यो नही बन सकता?"यमी ने प्रश्न किया था।
"मेरी और तेरी रगों में एक ही माँ बाप का खून है।हम भाई बहन है।इसलिय मैं ऐसा मित्र नही बन सकता जो तेरे शरीर की प्यास बुझाए।भाई बहन के बीच स्थापित शारीरिक सम्बन्ध, अनैतिक है।पाप है,"यम उसे समझाते हुए बोला,"अगर तू अपने शरीर की भूख मिटाना ही चाहती है, तो किसी दूसरे आदमी को अपना मित्र बना ले।"
"अगर तू हनारे शारीरिक मिलन को पाप मानता है, तो इसे छोड़।तू मुझे सन्तान प्राप्ति में मेरी मदद कर।"
"कैसे?"
"वीर्यदान करके।"
"तू मेरे साथ शारीरिक सम्बन्ध को पाप मानता है तो रहने दे।मुझे सन्तान प्राप्ति में मदद कर,"यमी,यम से बोली,"नियोग द्वारा सन्तान प्राप्ति का नियम देवताओं ने ही बनाया है।"
"जब भाई बहन के बीच शारीरिक सम्बन्ध वर्जित है, तो नियोग कैसे हो सकता है?"
"ईश्वर ने हमे एक दूसरे के लिये ही बनाया है।इसलिए जुड़वा पैदा किया है"
"यमी तेरे पर इस समय वासना का बहुत सवार है इसलिए इतने तर्क वितर्क कर रही है।"
"ऐसा करते हैं।हम कही दूर चलते हैं, जहाँ हमे कोई न जानता हो।वहाँ हम पति पत्नी बनकर रहेंगे।""
"समाज की नजरों से बचकर हम वासना का खेल खेल सकते हैं।परंतु ईश्वर की नजरों से नही बच सकते,",यम बोला,"इसलिए तू मुझे छोड़कर चाहे जिस आदमी को अपना बन ले”।