Apradh hi Apradh - 32 in Hindi Crime Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | अपराध ही अपराध - भाग 32

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अपराध ही अपराध - भाग 32

अध्याय 32

 

“अभी कुछ दिन पहले एक तेलुगु पिक्चर में मैंने देखा। एक हीरो उड़ने वाले हेलीकॉप्टर को ही, लोहे की जंजीर को फेंक कर उसे नीचे गिरा देता है। सभी लोग कान में फूल रखें तो यह लोग फूलों के हार को ही रख लेते हैं।”

कुमार आराम से बात करते हुए कार को चल रहा था उसे धनंजयन ने घूर कर देखा।

“क्यों रे मेरी बातें ‘डिस करेजिंग’ है क्या?”

“फिर…यह सिनेमा के बारे में बात करने का समय है?”

“मुझे लगा तो मैंने बोला। मैंने जो बोला उसमें क्या गलती है?”

“अबे, चुपचाप मुंह बंद कर गाड़ी को चला। तुम्हें कुछ सूझें तो अपने अंदर ही रख।”

“फिर वह बड़े अधिकारी हमें पता भेज देंगे तब फिर हम वहां जाकर पूछताछ करेंगे। ठीक है?”

“वही बात।”

धनंजयन बोल कर अपना मुंह बंद किया तो उसका मोबाइल भी बज उठा। उसकी अम्मा का फोन था।

“अम्मा”

“धना कहां हो तुम?”

“ऑफिस में ही हूं क्यों अम्मा?”

“बीच में थोड़ा घर आकर जा सकते हो क्या?”

“क्या बात है अम्मा कोई समस्या है?”

“नहीं, अच्छी बात ही है। शादी करने वाले ब्रोकर वैयापुरी शांति के शादी के बारे में एक अच्छा वर लेकर आए हैं।”

“आप विवरण को पूछ कर रखिए। मैं दोपहर को खाने के समय आऊंगा तब बात करेंगे?”

“ठीक है बेटा। परंतु एक बात है शादी दस दिन के अंदर शादी होनी चाहिए। आराम से सोने के लिए समय नहीं है बेटा।”

“ऐसी क्या जल्दी है अम्मा?”

“दामाद अमेरिका में है। एक महीने की छुट्टी लेकर आए हैं। इसके पहले ही एक जगह से शादी पक्की होकर पिछले हफ्ते शादी भी हो जानी चाहिए थी।

“परंतु आखिरी शादी के समय वह लड़की ‘मैं जिससे प्रेम करती हूं उसी से शादी करूंगी’ कहकर भाग गई। दामाद को जैसे सर पर बादल फट गया ऐसे लगा। इसलिए

इस छुट्टी में आया तो शादी किए बिना नहीं जाना है। ऐसा उनके अप्पा अम्मा ब्रोकर से कह दिया है।”

“क्यों अम्मा तुम जो भी कह रही हो कुछ भी ठीक नहीं लग रहा है।”

“वह लड़की भाग गई तो बेटा वह लड़का क्या करेगा? इस जमाने में कौन सी लड़की अप्पा-अम्मा की बात को मानकर चलती है?”

“ठीक है शांति क्या कह रही है?”

“उसने तो सब बातें तुम्हारे ऊपर छोड़ दिया। तुम देखकर जो कहोगे वही ठीक है, कहती है।”

“ऐसा क्या?”

“हां बेटा। थोड़ा जल्दी आ जाओ बेटा। बैठ कर बात कर एक अच्छा फैसला लेना है।”

“ठीक है अम्मा। आकर आमने-सामने बात करते हैं” कहकर उसने फोन काट दिया। गाड़ी चलाते हुए कुमार ने मुड़कर देखा।

“अब देख कर गाड़ी चला। मुझे क्या देख रहा है?”

“शादी ऐसा कुछ मेरे कानों में सुनाई दिया?”

“हां रे शांति के लिए एक बार आया है। दामाद अमेरिका में है।’

“ऐसा है क्या?तो अच्छी बात ही है?”

“क्या अच्छी बात है? उसके लिए देखकर पक्की की हुई लड़की किसी के साथ शादी के पहले भाग गई। इसलिए जल्दी से एक लड़की को देखकर 10 दिन के अंदर शादी करने की इच्छा कर रहे हैं।”

“इसे तुम गलत सोच रहे हो क्या?”

“तुम क्या अहा ! अमेरिका का है ठीक है बोलने के लिए कह रहा है क्या?”

“मैं ऐसा नहीं कह रहा। इस समय एक अच्छे मौके को हमें हाथ से गवाना नहीं चाहिए ना?”

“इसीलिए अम्मा, तुरंत घर आने के लिए कह रही है।”

“फिर गाड़ी को घर की तरफ मोड़ूं?”

“नो नो…ऑफिस चलो; मैडम इंतजार कर रही होगी। जिनको हम लोग ढूंढने गए उसके बारे में तुरंत जाकर बोलना चाहिए।”

“इससे ज्यादा जरूरी वह शादी की बात है रे।”

“अभी तुम क्या कह रहे हो?”

“ढूंढ के आ रहे एक अच्छी बात को छोड़ना नहीं चाहिए। हम जिस युवा को ढूंढ रहे हैं उसको थोड़ा इंतजार करने दो” अधिकार के साथ कुमार बोला।

धनंजयन आधे मन से सर हिलाया तो धना के अपार्टमेंट की तरफ कुमार ने गाड़ी को मोड़ दिया।

हाल के सोफा पर ब्रोकर वैयापुरी बैठे हुए थे। धनंजयन के आते ही वे मुस्कुराए और नमस्कार किया। उनके सामने अम्मा सुशीला बैठी हुई थी। शांति एक अलग कमरे में ए.सी. चला कर ठंडे कमरे में छोटी बहन श्रुति और कीर्ति के साथ शर्माती हुई बैठी थी।

हाल में आकर बैठकर “क्यों भैया दस दिन में शादी करना है, ऐसा कहकर हमें असमंजस में डाल दिया?” ऐसे धना में बात शुरू की।

“हालत ऐसी है भैया। शादी कहकर आया था वह नहीं हुआ। लड़के के मम्मी पापा को यह बात बूरी लगी। लड़का आईटी कंपनी में एक बड़ी नौकरी में है। महीना $10000 उसकी तनख्वाह है। खुद का मकान है। कार है। कोई कमी नहीं है।

“लड़का भी राजा जैसे है। फोटो देखिएगा। आप हां बोले तो आज शाम को ही अपने घर में लड़के और सब परिवार वालों को बुला कर ले आऊंगा।”

लड़के की फोटो को लेकर धना ने देखा।

उसी समय ब्रोकर का फोन बजा। वह उठकर एक तरफ जाकर बात करने लगे।

दूसरी तरफ कृष्णा राज के कंपनी के हिस्सेदार उसके विरोधी दामोदरन का था।

“क्या बात है, मछली कपड़े में फंसी या नहीं?” उनका प्रश्न था। आगे पढ़िए…