Apradh hi Apradh - 27 in Hindi Crime Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | अपराध ही अपराध - भाग 27

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अपराध ही अपराध - भाग 27

अध्याय 27

 

पिछला सारांश:

धनंराजन ने उसे दिए दूसरे असाइनमेंट की मूर्ति जिसे कृष्णराज ने कीरन्नूर के मंदिर से चुराई थी उस नटराज की मूर्ति को मंदिर में ले जाकर रख दिया। इस काम को नहीं करने देना है इसलिए बहुत रुकावट विवेक ने उत्पन्न किया पर काम हो जाने से वह बहुत गुस्से में आ गया। अगली बार धनंजयन को अच्छा पाठ पढ़ाना पड़ेगा ऐसा उसने फैसला किया।

दूसरा असाइनमेंट के पूरा होते ही बहुत प्रसन्न होकर कार्तिका ने धनंजयन की तारीफ की।

आंखों आंसू के साथ धनंजय को कार्तिका ने देखा। स्पीकर फोन में बात करने की वजह से कुमार ने भी विवेक की धमकी सुनी थी। उसके चेहरे पर भी दहशत थी।

"मैडम आप डरो मत। जैसे हमने दो गलतियों को ठीक किया, वैसे ही अब हम दूसरों को भी ठीक कर देंगे।" धनंजय ने सांत्वना दी। 

"वही कैसे धनंजय? दो बातों में हम जीत गए वह ठीक.... तीसरी बार निश्चित रूप से ऐसा नहीं होगा। वह दो बातों में हमसे हार गया। इसीलिए वह भयंकर गुस्से में है।"

"फिर क्या करें.... इसी के साथ बस करें ऐसा सोच रहे हो क्या?"

"नहीं मैं ऐसा कहने नहीं आ रही। हमें बहुत ज्यादा सर्थक होना पड़ेगा यही मैंने कहना चाहा।"

"सथर्क रहने की वजह ही तो हमने दोनों कार्यों में जीते?"

"हां, फिर भी..."

"बस। आप कुछ ना कहिएगा, 'तीसरे असाइनमेंट' के बारे में बताइए। अभी मैं अकेला नहीं हूं। मेरे साथ मेरा दोस्त कुमार भी है। हम अपने काम को करते जाएंगे।"

"आपके परिवार को कुछ हो तो?"

"वह वहीं पर हाथ रखेगा। हमारे घर में जैसा बोलना है वैसे मैं बोल कर सबको सर्तक कर दूंगा। आप तीसरे असाइनमेंट के बारे में बताइएगा।"

"पहले अप्पा के पास जाकर नटराज की मूर्ति को सुरक्षित मंदिर में रख दिया बताते हैं। फिर वे ही तीसरी असाइनमेंट के बारे में बोलेंगे।"

कार्तिका कार के अंदर से ही बोलते समय, उनके कार को कई टीवी चैनल वालों के वेन उनको क्रॉस करके जा रहे थे।

"मूर्ति के बारे में टी.वी. चैनलों को पता चल गया ऐसा लगता है। इसीलिए वे लोग दौड़ लगा रहे हैं। अब कीरंन्नू के मंदिर बहुत प्रसिद्ध हो जाएगा।

"सबसे बड़ी बात नाग सांप के मूर्ति पर फन निकलने वाली बात है।" धनंजयन के बोलते ही कार्तिका ने उसे संतोष के साथ देखा।

विवेक के बंगले में घुसते ही उसके अप्पा दामोदर गुस्से मेंउबल रहा था। 

उनके सामने कीरंन्नूर के मंदिर में नटराज की मूर्ति फिर से मिल गई, यह समाचार टी.वी.में आ रहा था। तभी उनके सामने आकर विवेक सर झुका कर खड़ा हुआ।

उससे गुस्से से, "आगे क्या करने वाले हो?" दामोदरन बोले।

"पता नहीं अप्पा.... वह कृष्ण राज कौन-सा असाइनमेंट दे रहे हैं देखते हैं" विवेक बोला।

"वह कुछ भी हो तुम्हें इस बार धोखा नहीं खाना चाहिए।"

"निश्चित रूप से धोखा नहीं खाऊंगा इस समय उसे धनंजय को मैं छोड़ूंगा नहीं।"

"वह बहुत ही होशियार है। इसलिए अब उससे बात करते समय धमकी मत देना । नहीं तो वह उसे रिकॉर्ड करके पुलिस को भेज देगा। फिर हमारे 'सोशल इमेज' खराब हो जाएगी।"

"एक ट्रक से हिट करके उसकी कहानी ही खत्म कर देता हूं।"

"यह तो बहुत पुरानी तकनीक है कोई दूसरी बात सोचो।"

"उसके पूरे परिवार को ही किडनैप करके ले आऊं?"

"यह सब कचरे वाले 'टीवी' सीरियल्स तकनीक है। उनके साथ 'ट्रेकिंग पंच' में रहें .... तो वह मंगल ग्रह में रहें तो भी दिख जाएगा।"

"ऐसा सब मिलिट्री में रहने वाले लोग ही करते हैं। इन लोगों को यह 'पंचशीटर' मिलना संभव नहीं डैडी।"

"ऐसा सब तुम 'अंडर एस्टीमेट' मत करो। वह धनंजयन सी.बी.आई., 'रा' वाले जगह में रहने लायक आदमी है। उसके अगेंस्ट जीतना नहीं हो सकता।"

"मैंने तो उसका दाम लगाया, पर वह नहीं माना!"

"वह अब 'हीरो' है! वह ऐसा ही चलेगा। उसको जीरो कर देंगे तो ही अपने आप रास्ते में आएगा।"

"कैसे डैड?"

"पहले उसका तीसरा असाइनमेंट क्या है मालूम होने दो; बादमें बताऊंगा। तब तक शांति से रहकर तमाशा देखो...." इस तरह दामोदरन ने अच्छी तरह बोल दिया तो विवेक के चेहरे में एक झुंझलाहट हुई।

सामने आकर खड़े धनंजयन को, लड़खड़ाते हुए कर उठकर आकर कृष्णराज ने गले लगाया।

उन्हें बहुत खुशी हुई।

"धना, बहुत बड़ा पुण्य का काम किया है तुमने। अब मेरे मन का भार कम हुआ है ।और एक शांति मेरे मन में हो रही है।" वे बोले।

"मेरे काम के लिए आप मुझे धन्यवाद क्यों दे रहे हैं सर? आप अगला असाइनमेंट मुझे बताइए।"

"'अगला असाइनमेंट'? घास के डेर में सुई ढूंढने के षसमान विषय है। वह हो जाएगा ऐसा विश्वास तो मुझे भी नहीं है। फिर भी बताता हूं।"

"बताइए सर.... उसको भी देख लेंगे। आप 'असाइनमेंट' बताइए सर।"

"बताता हूं। वह बहुत ही जघन्य धोखा देने की कहानी..." कहकर शुरू करने के पहले ही उनकी आंखों से आंसू बहने लगे।

" बिलखते हुए शुरू हुए....

"शारदा नामक एक स्टेनो मेरे पास नौकरी कर रही थी। बहुत ही अच्छी लड़की थी" कहकर कार्तिका को देखने लगे। आगे पढ़िए....