Apradh hi Apradh - 21 in Hindi Crime Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | अपराध ही अपराध - भाग 21

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अपराध ही अपराध - भाग 21

अध्याय 21

 

पिछला सारांश-

धनंजयन को मिले सेकंड असाइनमेंट के लिए वह अपने दोस्त कुमार के साथ कीरनूर गांव जाता है।

‘कार्तिका इंडस्ट्रीज’ कंपनी के कार्तिका से कहकर कुमार को भी इस कंपनी में ड्राइवर के नौकरी में रखवा दिया। उसने विवेक के बारे में कुमार को बता दिया और उसे उसे सतर्क भी कर दिया।

कीरनूर गांव के शिव मंदिर के धार्मिक कर्ताधर्ता सदा शिवम कुमार के मामा थे। इस बात को जानकर धनंजय उनसे मिलने गया तो इस समय उनके घर में एक नाग आ गया।

 

कुमार के मामा सदा शिवम ने उसे नाग देवता को कपूर जलाकर उसकी आरती उतारी तो नाग ने फन निकाल कर नाचने लगा। इसे देखकर धनंजयन को बहुत आश्चर्य हुआ।

कपूर को नीचे रखकर वैसे ही सदा शिवम ने नाग देवता को नीचे गिरकर साष्टांग नमस्कार किया।

नाग भी बिना डरे भागा नहीं, फुंकारा नहीं, उनके नमस्कार करने को देखकर पीछे की तरफ धीरे-धीरे रेंगता हुआ निकल गया।

‘अरे बाप रे….’ सदाशिव मामा ने दीर्घ श्वास लिया।

“यह क्या है मामा यह बड़ा विचित्र है। उस समय रामायण महाभारत सिनेमा में देखने जैसा है?” कुमार बोला।

“होगा बेटा। तुम तो देखो शहर में रहने वाले हो। इस गांव के बारे में तुम नहीं जानते” कहकर कुर्सी में बैठे सदाशिवम।

“मैं तो नाग सांप के बारे में पूछ रहा हूं तो आप शहर के बारे में कह रहे हो मामा” कुमार बोला।

“यह हमारे शिव मंदिर का सांप है। इस गांव के अंदर इसे कहीं भी देख सकते हैं। यह किसी को भी कुछ नहीं करेगा। प्रदोष के दिन शाम को मंदिर में लिंग के ऊपर चढ़कर यह अपनापन फैलता है। यही सांप अभी यहां पर आया था। इसीलिए मैंने कपूर की आरती उतार कर उसको प्रणाम किया” मामा बोले।

“सचमुच में मामा?” कुमार ने पूछा।

“अपनी आंखों से सामने प्रत्यक्ष में देखने के बाद ऐसा क्या पूछे तो क्या मतलब?”

“ऐसा है तो टीवी वाले अपने कमरे को उठाकर न्यूज़ में बार-बार दिखाकर रेटिंग अपना बढ़ा लिया होता।”

“आए थे बेटा। परंतु जब वे आते हैं तो सांप नहीं आता है। उनके जाने के बाद आता है।”

“सांप के कान नहीं होता। अपने जैसे 6 ज्ञानेंद्रिय भी उनके नहीं होता। वह दूध भी नहीं पीते। परंतु आप तो उसे सब कुछ मालूम है ऐसे बोल रहे हो ना मामा” कुमार बोला।

“हां कुमार। मैंने भी किताबों में पढ़ा है। परंतु, अभी तुमने प्रत्यक्ष में देखा मैं साष्टांग उसे नमस्कार किया तो वह डरा, क्या फुंकारा क्या? चुपचाप ही चला गया” सदाशिवम बोले।

मां के प्रश्न का क्या जवाब दें समझ में ना आने से कुमार सोचने लगा।

“साहब , ऐसे नाग आकर जाने वाले मंदिर में ही से तो नटराज की मूर्ति चली गई थी?” धनंजयन बोला।

“हां जी। परंतु उसके हुए 5 साल हो गए। हां तो आपने क्यों पूछा?” मामा ने पूछा।

“नहीं, यह सांप उसे समय नटराज की मूर्ति के पास होता तो चोर चोरी कर सकता था क्या? इसीलिए पूछा” धना बोला।

“अच्छा प्रश्न पूछा आपने। अभी आपके पूछते ही मैं सोचता हूं। उस समय यह सांप वहां होते तो, पर अभी कुछ समय से ही इनका आना जाना है” मामा बोले।

“ठीक है। फिर उसे मूर्ति का क्या हुआ?” धना ने पूछा।

“चोरी चले गए वह मिल गया। परंतु एक बात…. उसे उसे मूर्ति को चुराने वाले का हाथ सड़ जाएगा”सदाशिवम बोले।

मां के जवाब से धनंजयन के दिल में चोट लगी।

“इतनी शक्ति वाले भगवान के मंदिर से कैसे चोरी कर सका ?” अगला प्रश्न पूछा धना।

“उसका मैं क्या जवाब दूं मुझे मालूम नहीं, इसी प्रश्न को मंदिर में आए एक स्वामी जी से हमने पूछा। उन्होंने जो जवाब दिया वह हमारे लिए बहुत ही आश्चर्य की बात है” मामा जी ने बताया।

“ऐसी क्या कहा उन्होंने?” धना ने पूछा।

“वह चोर, भगवान की मूर्ति को बहुत ही सम्मानित कीमती समझ कर ही उसने चोरी की। चोरी कर सकते हैं उसे पूरा विश्वास था। उसके विश्वास के कारण ही भगवान उसके पास चले गए। परंतु, यहां उन्हें रखकर जीने की सोची।

“भक्तों को अपने अलग-अलग करके, जो पैसा दे रहा था वह पहले जा सकते हैं पूजा करने नहीं तो दूर से खड़े होकर ही पूजा करना पड़ेगा ऐसा व्यापार आप लोगों ने किया। इसीलिए चोरी अच्छा है यह सोचकर मैं उसके साथ चले गए।

“हम लोगों को चप्पल से मारे जैसे लगा। क्योंकि उनके कहने बच्चे एक सच्चाई थी ना?

“इसी समय आप लोग सुधर जाओ तो भगवान की मूर्ति फिर से आ जाएगी ऐसा भी उन्होंने कहा, मंदिर के पीछे जो बिल बने हुए हैं उसे तरफ जाकर वे अंतरध्यान हो गए। वे इस सांप के रूप में आ जा रहे हैं ऐसे एक विश्वास यहां पर है” मामा बोले।

“फिर वह मूर्ति वापस आ जाएगी आप लोग विश्वास कर रहे हैं?” धना ने पूछा।

“मैं विश्वास करता हूं। वैसे ही जब से वे इस गांव में आने लगे तब से बराबर हार्ट अटैक से और करोना से ऐसे कई तरह से गलत लोग मर गए। इस मंदिर को बना अपना जीवन यापन करने वाले कई लोग अभी नहीं हैं। इसलिए मेरे अंदर एक विश्वास है,” ऐसा कहकर सदाशिव मां ने खत्म किया।

धन के सिर्फ मूर्ति के बारे में क्यों बात किया कुमार के समझ में नहीं आया।

“हम आए थे उसे काम को देखें” कुमार ने बीच में बोला।“हंसते हुए वह काम पूरा हो गया कुमार” धना बोला। आगे पढ़े ….