खैर छोड़िए in Hindi Motivational Stories by Manshi K books and stories PDF | खैर छोड़िए..!!

Featured Books
Categories
Share

खैर छोड़िए..!!

हम खुद लगते हैं रेलवे ट्रैक और वक्त के साथ भागती हुई हमारी जिंदगी रेलगाड़ी।
चलती तो रफ्तार से ही है मगर देखने वालों की नज़र में,
खुद की नज़र से देखे तो जहां हम खड़े थे वहीं खुद को पाते हैं।

आसान कहां है तकलीफों से लड़ कर हर रोज मुस्कुराना और बहते हुए आंसुओं से सवाल करना ।
वो क्या है न आपको समझने वाले पल भर में आपको औरों जैसा बोल कर तकलीफ दे देते हैं, और मेरे जैसे मासूम दिल वाले लोग खुद को गलत समझ रोने लग जाते हैं।
पता है उस इंसान के लिए मेरे आंसू कीमती नहीं है फिर भी उसके कहे एक शब्द दिल में घर कर जाते हैं ...!!!

पर बात जो भी हो गलती उस इंसान का नही होता .. 
यकीन मानिए खुद के ऊपर से ही भरोसा हमारा उठ जाता है।
वरना किसी की इतनी हिम्मत कहां जो हमें रुला दे ।


वक्त के कटघरे में खड़ा एक दिन सबको होना है , आप जैसा दूसरों के साथ करेंगे एक दिन लौट कर वापस आपको मिलना ही है ।
पर हम दिन प्रति दिन खुद को इस दलदल में धकेल देते हैं जहां से निकल कर बाहर आना मुस्किल होता है ।


दिलचस्पी और निभाने में बहुत फर्क होता है ।
अगर किसी इंसान में दिलचस्पी ढूंढ कर कोई उनसे जुड़ता है तो यकिन मानिये आपको वो इंसान तकलीफ देने से कभी नहीं घबराएगा।
खुद की मर्जी से जुड़ेगा और खुद की मर्जी से आपको अपना वक्त देगा ।

ख़ैर छोड़िए......!!!

ये दुनियां दिन प्रति दिन पहले से और ज्यादा मतलबी बनती जा रही है।
मैं जानती हूं इस बात से आप भी रूबरू होंगे ।
अगर नहीं है तो किसी उस इंसान का बात मानने और सुनने से इंकार कर दीजिए ,
निश्चित तौर पर उस इंसान के नजरों में गलत साबित हो जायेंगे।
चाहे आपका रिश्ता कितना भी गहरा क्यों न हो??
उस रिश्ते में दरार आना लाज़मी है ।

पर ये भी तो सच है वक्त का पहिया घूमते देर नहीं लगता है , सारे मनुष्य को एक न एक दिन खड़ा होना ही है।

अजीब बात है न आजकल लोग एक दूसरे को इस्तेमाल करते हैं, कभी अपनी खुशियों के लिए तो कभी अपने मतलब के लिए।

जिंदगी अंजान लोगों से मिलकर प्रिज्म लगता है ,
पता है क्यों एक जिंदगी है और इसके कई मायने है ।
बिल्कुल सफेद प्रकाश की तरह जब प्रिज्म से होकर गुजरता है तो वो सात रंगों में विभक्त हो जाते हैं , जिसका जिन्दगी में अलग अलग मायने रखता है ।


समझ नहीं आता मुझे क्यों लोग अच्छाई का मुखौटा पहनकर अच्छे होने का नाटक करते हैं ।
हाथ आगे बढ़ाकर आपका साथ किसी मोड़ पर रोने के लिए छोड़ देते हैं ।

बहुत तकलीफ होती है जब आपका भरोसा टूट जाता है , उस इंसान से जिस पर आप खुद से ज्यादा भरोसा करते हैं .... पर ये भूलना सही नहीं है यहां सब कुछ टेंप्रोररी है।
कोई किसी का नही होता है चाहे आप कितना भी अच्छा क्यों न हो ?
किसी की जिंदगी में आपकी वैल्यू शेयर मार्केट में बढ़ती रेट की तरह ही है ..... कभी भी गिर सकती है ।


खैर छोड़िए....!!!

मैं भी क्या सोच कर बोल रही , आप इतना तो समझदार है ही अपने लिए सही और गलत में सटीकता कर सकते है।
पर एक जगह इंसान हार ही जाता है , दिल के रिश्ते जहां हो ... गलती आपकी न होते हुए भी झुकना पड़ता है ।
और सामने वालें को लगता है हम पागल है कुछ भी समझ रहे ।
बेसक  किसी की यादों में न रहूं पर आंसू जब भी आए उसके आंखों में , उसके होठों की मुस्कुराहट पर मेरा पूरा कभी तो होगा ।

किसी के होठों की मुस्कुराहट बन जाइए क्या पता आपकी तकलीफें उसके आगे कम हो ? आपकी वजह से फिर से हौसला फिर से जुटा पाए।

मजबूरी कोई नही और न ये गलत है सब आपकी सोच पर निर्भर करता है ..... और आपके सोचने के नजरिए पर।

वरना कीचड़ में खिले हुए कमल का दर्जा राष्ट्रीय फुल का न होता ।।।।




Thanks for reading....😊