Stories in Hindi Short Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | कहानियाँ

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कहानियाँ

1.

शेर और चूहाएक जंगल था। जंगल का राजा शेर था। वह पेड़ की छाया में सो रहा था। वहाँ एक चूहा आया। चूहा शेर के ऊपर चढ़ गया। वह शेर के ऊपर उछलने-कूदने लगा। शेर जाग गया। चूहा भागा। शेर ने चूहे को पंजे में दबा लिया। चूहा माफी मांगने लगा। शेर को दया आ गई। उसने चूहे को छोड़ दिया। कुछ दिन बाद एक शिकारी आया। उसने जाल बिछाया और चला गया। शेर जाल में फँस गया। वह दहाड़ने लगा। तभी चूहा आया। उसने शेर से कहा घबराओ मत। चूहे ने धीरे-धीरे जाल कुतर दिया। शेर जाल से बाहर आ गया।

2.

दो बिल्लियों का झगड़ा

दो बिल्लियां एक रोटी का टुकड़ा चुरा लाईं और अपने भाग के लिए झगड़ने लगीं। दोनों बटवारे के लिए बंदर के पास गईं। बंदर ने रोटी के दो टुकड़े किये तथा अपने तराजू में दोनों ओर एक-एक टुकड़ा डाला। जिस ओर से पलड़ा भारी होता, बंदर उसी ओर से बड़ा सा टुकड़ा काट कर खा जाता। इस प्रकार करते रहने से अंत में तराजू में एक छोटा सा टुकड़ा बच गया। बंदर उसे भी यह कहते हुए खा गया कि यह तो मेरे श्रम का फल है और भाग गया बिल्लियाँ निराश होकर लौट गईं।

 संदेशः झगड़ने से निराशा ही प्राप्त होती है।

3.

तीन मित्र

एक व्यक्ति था जिसके तीन मित्र थे। वो तीनों मित्र हमेशा उसके आस पास ही रहते थे। उस व्यक्ति को जिंदगी के हर मोड़ पर उन तीनों की किसी ना किसी तरह से जरूरत पड़ती रही। उस व्यक्ति का जब अंतिम समय आया तो:

उसके पहले मित्र ने उससे कहा, " मैं तुम्हारी मृत्यु को टाल नहीं सकता। मैंने हर स्तिथि में तुम्हारा साथ निभाया। मैं सिर्फ तुम्हें इस बात का भरोसा दे सकता हूं की तुम्हारी मृत्यु के बाद तुम्हारा अंतिम संस्कार ठीक से होगा।"

दूसरा मित्र ने कहा, "तुम्हारे बचपन से लेकर आज तक मैंने किसी ना किसी तरह से तुम्हारा साथ निभाया है। मेरे होने से तुम दुनिया की कुछ भी चीज को पा सकते हो लेकिन मैं तुम्हें फिर से जीवन नहीं दे सकता। मैं अब बेबस हूं और तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता।"

तीसरे मित्र ने कहा, "मित्र, तुम अपनी इस स्तिथि से चितित मत रहो। मैं हमेशा से तुम्हारे साथ हूँ और मृत्यु के बाद भी तुम्हारे साथ ही रहूंगा। तुम इसके बाद जिस भी रूप में, जहां भी जाओगे, मैं तुम्हारे साथ ही रहूँगा।" मतलब उस व्यक्ति के और हम सभी के वो तीनों मित्र हैं, "परिवार, पैसा और कर्म।"

सीख:- अपनी जिंदगी को अगर सुधारना है तो सबसे

पहले हमें अपने कर्मों को सुधारना होगा।


4.

ईमानदारी


एक आदमी समुद्री जहाज में यात्रा के लिए निकला। आदमी विद्वान था व अपनी ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध भी। उसने अपने पास एक हजार मुद्राओं की एक पोटली भी रख ली।


यात्रा के दौरान उस आदमी की एक यात्री से अच्छी दोस्ती हो गई। एक दिन बात-बात में आदमी ने साथी यात्री को साथी को लालच आ गया। एक दिन सुबह-सुबह उसने चिल्लाना शुरू कर दिया कि हाय मेरा पैसा चोरी हो गया। उसमें एक हजार मुद्राएं थी।


कर्मचारियों ने कहा, 'तुम घबराते क्यों हो, चोर यहीं होगा। हम सबकी तलाशी लेते हैं। चोर है तो यहीं पक्का मिल जाएगा।'


यात्रियों की तलाशी शुरू हुई। जब बारी विद्वान आदमी


की आई तो कर्मचारी बोले, 'अरे साहब, आपकी तलाशी क्या ली जाए? आप पर तो शक करना ही गुनाह है।' लेकिन, विद्वान आदमी ने कहा, 'आप तालाशी लीजिए। वरना, साथी यात्री के दिल में एक शक बना रहेगा।' तलाशी ली गई, पर कुछ न मिलदन बाद साथी यात्री ने उदास मन से पूछा, 'आपकी वो पोटली कहां गई ?'


आदमी ने मुस्करा कर कहा, 'उसे मैंने समुद्र में फेंक दिया। मैंने जीवन में दो ही दौलत कमाई है, एक ईमानदारी व दूसरा, विश्वास। अगर मेरे पास मुद्राएं मिलती तो हो सकता है कि लोग मुझ पर यकीन कर लेते, पर शक बना ही रहता। मैं दौलत गंवा सकता हूं अपनी प्रतिष्ठा नहीं।'