"मुझे अभी पता चल रहा है.. वो कमीना बड़ौदा जा रहा है। वो भी गरबा खेलने। उसने मुझे बताया भी नहीं कुछ। तू नहीं बताती तो मुझे कैसे पता चलता।" आकाश ने रॉनित पे गुस्सा करते हुए कहा, "और तो और... वो अपने अपार्टमेंट पे प्रैक्टिस कर रहा था। कुछ नहीं बताया। कर क्या रहा है?"
"चिल ब्रो... उसने मुझे भी नहीं बताया।" उसके सामने व्हीलचेयर पे बैठी काव्या ने कहा।
काव्या की फिजियोथेरेपी चालू हो गई थी। उसके बैठने के लिए कंफर्टेबल व्हीलचेयर डॉक्टर ने रिकमेंड की थी। लंबे वक्त तक नहीं लेकिन फ्री मूवमेंट्स के लिए। वो फ्रेश होने के लिए आकाश के साथ अपने घर के गार्डन में बैठी थी। गार्डन में एक जुला था और एक टेबल। आकाश चेयर लेके उसकी व्हील चेयर के पास बैठा था। डॉक्टर उसे धीरे धीरे चलने की प्रैक्टिस करवाना चालू। जिससे उसके सर्जरी पर कोई असर न हो। लेकिन ज्यादा वक्त के लिए उसे चलने फिरने से और व्हीलचेयर का उपयोग करने के डॉक्टर ने साफ मना किया था।
"उसने तुझे भी नहीं बताया। ये थोड़ा शॉकिंग है मेरे लिए।" आकाश को लगा कि शायद काव्या उसे बता नहीं रही, पर उसे पता है।
"वो मुझसे मिलने ही नहीं आया है। जनाब बहुत बीजी है आज कला।"
काव्या की बात सुन आकाश ने कहा, "तुझे बुरा नहीं लग रहा?"
"शायद अब मेरी लाइफ ही ऐसी है। आई एम फ्री, नॉट एवरीबॉडी। आई नो.. यू गाइस हैव लॉट टू डू। इसीलिए में ज्यादा सोचना नहीं चाहती।" काव्य की आंखो में मायूसी साफ झलक रही थी।
आकाश काव्या के मन की बात समझ रहा था। उसने खड़े होके काव्या को हग कर लिया। अपने दोनो हाथों को उसके गालों के पास रखते हुए कहा, "डोंट यू डेयर टू थिंक धात।" हम हमेशा तेरे लिए ही है। हम.. मम।"
काव्या का सिर आकाश के कंधे के ऊपर था। दोनो की आंखो में एक अंजानी सी परेशानी थी।
हॉस्पिटल
"क्या हुआ डॉक्टर? आज आप थोड़े से खोए हुए से लग रहे है।" जय के साथ ऑपरेशन थियेटर से बाहर आते हुए दूसरे डॉक्टर ने कहा।
"नहीं तो.. कुछ नहीं।" जय ने अटकते हुए कहा।
जय फ्रेश होने के बाद काव्या को टेक्स्ट करना चाहता था। जब उसने टेक्स्ट लिखते वक्त टाइम देखा तो रात के तकरीबन डेढ बज रहे थे। उसने अपना लिखा हुआ टेक्स्ट मिटा दिया। [मुझे आपसे कुछ कहना था... कैन वी]
1 अक्टूबर, हॉस्पिटल
जय फिजियोथेरेपी डिपार्टमेंट के बाहर खड़ा था, जहां पेशेंट को एक्सरसाइज रिलेटिड ट्रीटमेंट दी जाती है। उसकी नजर सिर्फ काव्या के ऊपर थी। जो धीरे धीरे अपनी इंज्युरी पर कोई असर न हो वैसे चलने की कोशिश कर रही थी। डॉक्टर उसे धीरे से चलने की सलाह दे रहे थे लेकिन उसे बस एक ही बार में ठीक हो जाना था।
जय अपने मन में सोच रहा था। " पागल तो है यह थोड़ी सी। सब बस एक झटके एम करना है इन्हें.. । जय को अचानक से काव्या के साथ इंस्टिट्यूट में हुई बहस का दिन आ गया। शी हेज अ नाईस वॉक। शायद... इसी वजह से...।" जय अब धीरे धीरे अंदर जा रहा था। काव्या का ध्यान अभी भी उसपे नहीं गया था, जय उसके थोड़े ही दूर खड़ा था।
जैसे ही काव्या का बैलेंस बिगड़ने लगा, जय ने तुरंत आके उसे पकड़ लिया। जय के इस एक्ट से काव्य के साथ फिजियोथैरेपिस्ट डॉक्टर अमन भी हैरान थे। जय पेशेन्ट की चिंता तो करता था लेकिन इस तरह किसी पेशेंट को उसकी थैरेपी के दौरान कभी मिलने नहीं आता था।
"थैंक्स। बट.. आप यहां?" काव्या ने उसके सामने देखते हुए कहा।
"हाई डॉक्टर।" जय ने काव्या की नजरों से नजरे हटाके उसको ठीक से खड़ा होने में मदद करते हुए कहा।
"हेलो डॉक्टर राजशेखर। आप यहां? कुछ काम था।"
काव्या ने डॉक्टर की बात बिचमे काटते हुए कहा, "में भी तो वहीं पूछ रही हु।"
जय ने काव्या को फिरसे इग्नोर करते हुए कहा, "आर यू गाइस डन? या टाइम लगेगा?"
"नो. वी आर नॉट डन येट।" काव्या ने अपनी एक्सरसाइज कंटिन्यू करते हुए कहा।
डॉक्टर अमन ने उसे रोकते हुए कहा, "यस डॉक्टर। कम ऑन मिस सेहगल, ज्यादा एक्सरसाइज भी सेहद के लिए हानिकारक होता है।"
"कम ऑन मिस सेहगल, मुझे आपसे बात करनी है। वेरी इंपॉर्टेंट।"
काव्य का कोई रिस्पॉन्स न देखके जय ने कहा, "आपके दोस्त के बारे में बात करनी है।"
जय की बात सुन काव्या ने हाइपर होके बोला, "आप बात करने के नाम पे हमेशा टाइम पास करके चले जाते है।"
"मुझे मेरी दोस्त के बारे में भी बात करनी है।" जय ने खुद को स्पष्ट करते हुए कहा।
"ठीक है।" काव्या को लगा कि शायद श्रेया के बारे में भी बात करने के लिए जय रेडी हुआ है तो इस बार शायद कुछ हो सकता है। "चलिए, मुझे इस चार पपईयों वाली गाड़ी पे बिठाकर ले चलिए।" उसने अपनी व्हीलचेयर की तरफ इशारा करते हुए कहा।
जय काव्या को व्हीलचेयर के साथ अपने केबिन लेके चला गया।
Continues in the next episode....
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