How to have healthy, beautiful, virtuous, long-lived and divine children? - 7 in Hindi Women Focused by Praveen kumrawat books and stories PDF | स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 7

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स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 7

गर्भ संस्कार — 2 (गर्भवती माँ द्वारा बच्चे से बातचीत)

(शिशु में भावनात्मक और आध्यात्मिक गुणों का विकास) 
मेरे प्यारे शिशु, मेरे बच्चे, मैं तुम्हारी माँ हूँ …… माँ!

★आज मैं तुम्हे तुम्हारे कुछ महानतम गुणों की याद दिला रही रही हूँ जो तुम्हें परमात्मा का अनमोल उपहार हैं

★ प्रेम स्वरूप परमात्मा का अंश होने के कारण तुम्हारा हृदय भी प्रेम से भरपूर है, तुम्हारी हर अदा में परमात्मा का प्रेम झलकता है।

★ तुम्हारे हृदय में सम्पूर्ण मानवमात्र के प्रति समभाव है।

★ तुम्हारा हृदय सबके लिए दया और करुणा से भरपूर रहता है।

★ क्षमाशीलता के गुण के कारण सभी तुम्हारा सम्मान करते हैं, जिससे तुम्हारा स्वभाव और विनम्र हो जाता है।

★ नम्रता तुम्हारा विशेष गुण है।

★ मेरे बच्चे। तुम्हारा प्रत्येक कार्य सेवा-भाव से परिपूर्ण होता है।

★ सहनशीलता तुम्हारा स्वाभाविक गुण है

★ धैर्यपूर्वक प्रत्येक कार्य को करना तुम्हारी महानता है।

★ तुम्हारा मन आंतरिक रूप से स्थिर और शांत है।

★ मेरे बच्चे ! तुम बल और साहस के स्वामी हो।

★ तुम अनुशासन प्रिय हो।

★‌ कृतज्ञता का गुण तुम्हारे व्यवहार की शोभा बढ़ाता है।

★ तुम अपने से बड़ों को सम्मान और छोटों को प्रेम देते हो।

★ तुम भाव से बहुत भोले हो लेकिन जरूरत पड़ने पर अपनी कठोरता भी दिखाते हो।

★ तुम अपने से छोटों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हो।

★ तुम सत् और असत के पारखी हो।

★ तुम्हारा व्यवहार चन्द्रमा के समान शीतल है।

★ तुम सबसे इतना मीठा बोलते हो कि सभी तुम पर मोहित हो जाते हैं

★ तुम्हारा व्यक्तित्व परम प्रभावशाली है

★ तुम हमेशा सत्य बोलना ही पसंद करते हो।

★ तुम हाजिर जवाबी हो।

★ तुम्हारे मुख से निकला एक-एक शब्द मधुर और आकर्षक होता है।

★ तुम मन, वचन और कर्म से पवित्र हो।

★ घर के सभी सदस्यों का आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ है। तुम्हारे रूप में मुझे जैसे दिव्य संतान प्राप्त हो रही है, तुम्हे पाकर मैं बहुत प्रसन्न हूँ। जल्द ही इस सुन्दर संसार में तुम्हारा आगमन होगा। तुम्हारा स्वागत करने के लिए सभी बेचैन हैं।

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★आज मैं तुम्हे तुम्हारे कुछ महानतम गुणों की याद दिला रही रही हूँ जो तुम्हें परमात्मा का अनमोल उपहार हैं

★ प्रेम स्वरूप परमात्मा का अंश होने के कारण तुम्हारा हृदय भी प्रेम से भरपूर है, तुम्हारी हर अदा में परमात्मा का प्रेम झलकता है।

★ तुम्हारे हृदय में सम्पूर्ण मानवमात्र के प्रति समभाव है।

★ तुम्हारा हृदय सबके लिए दया और करुणा से भरपूर रहता है।

★ क्षमाशीलता के गुण के कारण सभी तुम्हारा सम्मान करते हैं, जिससे तुम्हारा स्वभाव और विनम्र हो जाता है।

★ नम्रता तुम्हारा विशेष गुण है।

★ मेरे बच्चे। तुम्हारा प्रत्येक कार्य सेवा-भाव से परिपूर्ण होता है।

★ सहनशीलता तुम्हारा स्वाभाविक गुण है

★ धैर्यपूर्वक प्रत्येक कार्य को करना तुम्हारी महानता है।

★ तुम्हारा मन आंतरिक रूप से स्थिर और शांत है।

★ मेरे बच्चे ! तुम बल और साहस के स्वामी हो।

★ तुम अनुशासन प्रिय हो।

★‌ कृतज्ञता का गुण तुम्हारे व्यवहार की शोभा बढ़ाता है।

★ तुम अपने से बड़ों को सम्मान और छोटों को प्रेम देते हो।

★ तुम भाव से बहुत भोले हो लेकिन जरूरत पड़ने पर अपनी कठोरता भी दिखाते हो।

★ तुम अपने से छोटों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हो।

★ तुम सत् और असत के पारखी हो।

★ तुम्हारा व्यवहार चन्द्रमा के समान शीतल है।

★ तुम सबसे इतना मीठा बोलते हो कि सभी तुम पर मोहित हो जाते हैं

★ तुम्हारा व्यक्तित्व परम प्रभावशाली है

★ तुम हमेशा सत्य बोलना ही पसंद करते हो।

★ तुम हाजिर जवाबी हो।

★ तुम्हारे मुख से निकला एक-एक शब्द मधुर और आकर्षक होता है।

★ तुम मन, वचन और कर्म से पवित्र हो।

★ घर के सभी सदस्यों का आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ है। तुम्हारे रूप में मुझे जैसे दिव्य संतान प्राप्त हो रही है, तुम्हे पाकर मैं बहुत प्रसन्न हूँ। जल्द ही इस सुन्दर संसार में तुम्हारा आगमन होगा। तुम्हारा स्वागत करने के लिए सभी बेचैन हैं।