I can see you - 40 in Hindi Love Stories by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 40

Featured Books
Categories
Share

आई कैन सी यू - 40

अब तक हम ने पढ़ा की रोवन और लूसी की रिसेपशन खत्म हुई और वो दोनो लूसी के मायके आए जहां रोवन लूसी के कमरे में अकेले बोर हो रहा था फिर जब लूसी आई और उसने कैंडल जलाया तो वो फौरन बुझ गई। लूसी को झुमकी की आवाज़ आई जो दीदी कह कर पुकार रही थी। 
लेकिन ये आवाज़ रोवन को तो सुनाई नहीं दी इस लिए कैंडल को बुझते देख वो घबरा गया और जल्दी से लूसी को बाहों में छुपाने लगा। उसे बचाने के लिए उसने जेब से गन निकाली और हवा में निशाना कर के कहा :" कहां है कमेला! कहां है वो बताओ मुझे!"

सामने झुमकी खड़ी थी। वो डर कर टेबल के नीचे जा कर घुस गई और सिकुड़ कर बैठ गई। 

लूसी ने रोवन के मज़बूत पकड़ से खुद को छुड़ाते हुए कहा :" ओहो ये आप क्या कर रहे हैं! कमेला नही झुमकी है वो! आप ने बच्चे को डरा दिया!"

लूसी ने जा कर झुमकी को टेबल के नीचे से निकाला और उसके बालों पर हाथ फेरते हुए प्यार से कहा :" डरो मत! वो तुम्हें देख नहीं सकते हैं इस लिए उन्हें लगा के कोई शैतान आ गया है।"

रोवन का मुंह अचंभे से खुला था। उसने हैरानी में लूसी को देखते हुए कहा :" तुम्हारे कितने भूत दोस्त हैं! अब ये झुमकी कौन है?

लूसी उसकी हैरतजदह आंखों देख कर अपनी हंसी रोकते हुए बोली :" क्यों डर गए क्या?....बस कुछ दिन पहले ही ये बच्ची मुझे मिली! ग्यारह साल की है।"

फिर उसने रोवन को झुमकी के बारे में सब कुछ बताया। झुमकी ने रोवन को सहमी नज़रों से देखते हुए कहा :" दीदी ये भैया कौन है?....ये मुझे परेशान तो नहीं करेंगे न?

लूसी ने उसे प्यार से समझा कर कहा :" बिलकुल नहीं ये तुम्हें परेशान नहीं करेंगे!... मेरी इनसे शादी हुई है तो ये मेरे हसबैंड हैं।....मुझे दीदी कहती हो तो तुम इन्हें जीजू कह सकती हो! वैसे भी वो तुम्हें देख और सुन नहीं सकते!...अच्छा ये बताओ अब तुम्हें बेचैनी तो नहीं हो रही है ना?

झुमकी पहले से बेहतर और शांत दिख रही थी। उसने मायूसी में कहा :" हां दीदी अब मुझे थोड़ा सा अच्छा लग रहा है लेकिन मुझे फिर भी भगवान जी के पास जाना है। क्या आप मुझे उनके पास नहीं भेज सकते?"

लूसी ने उसे बिस्तर पर बैठाते हुए कहा :" मैं और तुम्हारे जीजू इसी बारे में बात करने वाले हैं। हम कोई ना कोई रास्ता निकाल लेंगे अभी तुम सो जाओ बहुत रात हो चुकी है।"

लूसी ने उसे चादर ओढ़ा दिया। रोवन अब भी सन्नाटे में खामोश खड़ा था। लूसी उसका हाथ पकड़ कर बिस्तर के पास लाई और बैठते हुए बोली :" क्या हो गया आपको?...मुझे आप से एक ज़रूरी बात करनी है।"

झुमकी बिस्तर पर सो रही थी पर रोवन के लिए बिस्तर तो खाली था इस लिए उसने बिस्तर को घूरते हुए कहा :" क्या वह बच्ची यहां सो रही है ?....मेरा मतलब है की क्या वो हमारे साथ सोने वाली है?"

लूसी उसके चहरे को दोनों हाथों से पकड़ कर हंसते हुए बोली :" जी हां वो सो चुकी है!...आप पहले मेरी बात सुनिए!"

   " हां बोलो मैं सुन रहा हूं!

रोवन ने उसकी ओर देखते हुए कहा।

लूसी :" दुलाल ने मुझे बताया था की फुलवारी में एक तांत्रिक बाबा रहते हैं। वह अपने तंत्र मंत्र से आत्माओं और अदृश्य शक्तियों को अपने वश में कर लेते हैं! हमे वहां जाना होगा और कमेला का परमानेंट इंतजाम करना होगा। जब वो मुझे ज़िंदा देखेगी तो फिर कोई न कोई मंसूबा बनाएगी मुझे मारने के लिए लेकिन पिछा नही छोड़ेगी!"

रोवन ने सोच कर कहा :" मुझे बाबाओं पर यकीन तो नहीं है लेकिन इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने के लिए मैं सारी कोशिशें करूंगा जो भी तुम कहो!....हम जल्द फुलवारी चलेंगे!....पर ये बताओ क्या ये बच्ची हमारे बीच सोने वाली है?

लूसी हंस कर बोली :" आपको सब से ज़्यादा इसी बात की चिंता होने लगी है की झुमकी हमारे बीच सोएगी या नहीं!...चिंता मत कीजिए मैं बीच में सो जाऊंगी और एक तरफ झुमकी, एक तरफ आप!"

रोवन झट से बोला :" और अगर मैं कुछ करना चाहूं तो?....है तो ये बच्ची भूत ही न अगर जाग उठी तो मैं इसे देख भी नहीं सकता!"

लूसी ने तिरछी आंखों से देखते हुए कहा :" आज कुछ नहीं करना है। चुप चाप सो जाइए!....चलिए आइए सो जाते हैं।"

रोवन मुस्कुरा कर उसके पास लेट गया और उसके सर को अपने बाजुओं पर रख कर बालों को सहलाने लगा।

रात के तीसरे पहर में क़रीब साढ़े तीन बजे जिस समय नींद सब से ज़्यादा गहरी होती है। ये ऐसा समय है की देर तक जागने वाले लोग भी इस समय सो ही जाते हैं। घनी अंधेरी रात और ऐसा सन्नाटा की सांस लेने की आवाज़ भी साफ सुनाई दे इसी दौरान लूसी के कमरे का परदा फड़फड़ाया। हवा की तरह कमरे में कमेला दाखिल हुई। उसके आते ही जल रही दोनों मोमबत्तियां बुझ गई। उसने जब देखा के रोवन के बाहों में घुस कर कोई लड़की सो रही है जिसके बालों पर हाथ फेरते हुए रोवन भी गहरी नींद में सो गया है। कमेला हैरत में आंखे फाड़ कर उसे देखने लगी फिर पहचाना की ये तो लूसी है। उसने गुस्से से कांपते हुए कहा :" ये ज़िंदा कैसे हो सकती है! मैने इस पर गहरा वार किया था फिर ये बच कैसे गई?...ये नामुमकिन है! लेकिन मेरी आंखे जो देख रही है उस पर यकीन तो करना ही होगा!....कोई बात नही रोवन! तब नही तो अब मैं तुमसे तुम्हारी मुहब्बत छीन लूंगी!"

अपने आप ने बड़बड़ा कर उसने झुमकी को देखा और कुछ सोच कर शैतानी मुस्कान के साथ उसकी ओर बढ़ी। उसने सोचा के झुमकी के शरीर में प्रवेश कर के लूसी को मारने की कोशिश करेगी लेकिन जब उसने झुमकी के शरीर में हवा बन कर घुसने की कोशिश की तो उस से टकरा कर फर्श पर गिर पड़ी। अचंभित हो कर वो उसे गौर से देखने लगी। उसने झुमकी को पहचानने के बाद गुस्से की फुफकार भरते हुए कहा :" ये तो कोई रूह है! ये क्या मज़ाक है आखिर ये लड़की कैसी इंसान है! ये लूसी मेरी समझ से बाहर है। इसने अपने पास किसी भूत को सुला कर रखा है। मुझे एक दमदार तरकीब सोचना होगा इसे मारने के लिए!.....मेरा इंतज़ार करना मिस्टर और मिसेज पार्कर!"

कमेला उन तीनों को घूर ही रही थी के कोई हवा की रफ्तार में आया और उसका गला दबोच कर किसी शिकार की तरह बाहर की ओर खींच कर ले गया। 

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)