I can see you - 36 in Hindi Love Stories by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 36

Featured Books
Categories
Share

आई कैन सी यू - 36

अब तक हम ने पढ़ा के लूसी और रोवन की शादी की पहली रात थी और कमरे में दोनो अपने बिस्तर पर बैठे बातें कर रहे थे। रोवन अपनी आप बीती बता रहा था के कैसे वो श्रापित हुआ और कमेला नाम की मुसीबत उसके सर पर आ पड़ी।

मां ने मुझे दोस्तों के साथ बर्थडे पार्टी सेलिब्रेट करने के लिए बाहर जाने की परमिशन दे दी और मैं आज़ाद पंछी की तरह निकल पड़ा लेकिन मेरे दोस्त वो शिकारी कुत्ते थे जिन्होंने पंछी को जाल में फंसाने के लिए दाना डाला था क्यों के उस दिन किसी का बर्थडे नही था। ये बात मुझे बाद में पता चली पहले हम एक रेस्टोरेंट गए जो यहां से काफी दूर थी। मैने कहा भी के इतनी दूर आने की क्या ज़रूरत थी तो मेरे दोस्तों ने डरपोक और नाज़ुक कली और न जाने क्या क्या कह कर मुझे चिढ़ाया। मुझे दूर इस लिए लगा क्यों के हम असल में स्टेट बॉर्डर क्रॉस कर के बंगाल में कदम रख चुके थे जिसकी खबर मुझे नहीं थी। बंगाल के हर छोटे मोटे रेस्टोरेंट और ढाबों में शराब मिलना आम सी बात है। मैं भोले पन में उनकी चालाकी को समझ नही पाया। पता नहीं किसी लड़के को बिगाड़ कर ये लोग कौन सी खुशी महसूस करना चाहते थे। खाने के साथ साथ लड़कों ने शराब मंगाया। मैने अपनी ज़िंदगी में कभी शराब की बोतल तक नहीं देखी थी सिर्फ टीवी पर ही देखा था। अपने सामने शराब की बोतल देख कर मेरे हाथ पैर कांपने लगे और घबराहट में उठ खड़ा हुआ। मैं जनता था के इस बात की खबर पापा को हुई तो जो भरोसा वो मुझ पर करते हैं वो एक पल में टूट कर चूर हो जाएगा साथ ही पापा का दिल भी मुझसे उचाट हो जायेगा। 
मुझे खड़ा होते देख मेरे दोस्त भेड़ियों की झुंड की तरह मुझ पर झपट पड़े और जबरदस्ती अपने साथ बैठा दिया। 
मैं ने अपने मन में सोच तो लिया था के मैं नहीं पिऊंगा लेकिन आखिर उनकी ज़िद ने मुझे मजबूर कर दिया और कुछ घूंट उन्होंने मेरे मुंह में डाल दिए और कहा के इतना सा पीने में कुछ नहीं होता। लेकिन मेरे साथ वोही बात हो गई के जिसे चोट की आदत नही उसे चींटी का डंक भी सांप के डसने जैसा लगता है। 
मेरा खून नशा से बिलकुल अंजान था इस लिए जल्दी असर होने लगा। मेरा सर भारी होने लगा तो मैं ने उन सब से घर वापस चलने को कहा पर उन लोगों ने कहा के वो तो पूरी रात वोही बिताएंगे, नाच गाना करेंगे मस्ती करेंगे! ये सब सुन कर मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मैं अपने मां बाप को धोखा दे रहा हूं। मुझे मेरे ज़मीर ने कोसना शुरू किया और मैं वाशरूम जाने के बहाने वहां से उठ कर गाड़ी के पास आ गया। चाबी मेरे पास ही थी इस लिए मैंने किसी के बारे में नहीं सोचा और गाड़ी स्टार्ट कर के अपने रास्ते चल पड़ा। मेरे आंखों के सामने सब कुछ झिलमिला रहा था। कभी धुंधला दिखाई देता तो कभी लगता मेरे सामने कई रास्ते बन गए हैं। रात के अंधेरे में मुझे ये मालूम नही था के मैं कितनी दूर पहुंचा हूं बस लगातार तेज़ी से आगे बढ़ता ही जा रहा था। 
मैं अपनी रफ्तार में था की अचानक मेरी गाड़ी से कोई बड़ी तेज़ी से टकरा गया। मुझे पता नहीं था के कौन और कब कोई मेरी गाड़ी के सामने आ गया था। मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मेरी गाड़ी पलट कर फिसलते हुए एक पेड़ से टकरा कर रुक गई। इसके बाद मुझे कुछ पता नहीं था के आगे क्या हुआ। मैं ने हॉस्पिटल में आंखें खोली। मुझे ज़्यादा चोटें नहीं आई थी लेकिन जिस्म के कई जगह से चमड़ी उतर गई थी। होश आने के बाद मुझे पता चला के जहां एक्सीडेंट हुआ था वहां पास ही मिलिट्री कैंप था। वोही के कुछ गार्ड्स ने मेरे चाचू को यानी रौशनी के पापा जो डीआईजी हैं उन्हें खबर दी और फिर इस तरह मुझे ढूंढा गया। मुझे याद आया के मेरी गाड़ी से किसी की ज़ोर दार टक्कर हुई थी। जिसके टकराने से गाड़ी के सामने का शीशा भी टूट गया था। मैने जल्दी में उसके बारे में पूछा तो पता चला उसकी मौत हो गई है। सीसीटीवी ना होने की वजह से कोई सबूत नहीं मिल पाया जिस से मुझे दोसी ठहराया जा सके और फिर मेरे चाचू ने मुझ पर पुलिस केस होने से बचा तो लिया लेकिन मेरे मन में वह हादसा एक चोट बन कर रह गया। जब मैं हॉस्पिटल से निकल रहा था तब मैं ने देखा के बाहर खड़ी एक औरत दूर से मुझे घूर रही है। वो बहुत ज़्यादा गुस्से में दिख रही थी। उसका चहरा बिलकुल लाल हो गया था। देखते देखते अचानक वह मेरी ओर दौड़ पड़ी लेकिन मेरे जीजू ने उसे मेरे करीब आने से पहले पकड़ लिया। वो मुझे घायल शेरनी की तरह घूरते हुए फटे आवाज़ में चिल्ला कर कहने लगी :" तू मुझे खा गया डायन की औलाद! नौ साल, नौ साल के इंतज़ार के बाद हमारी शादी हुई और दूसरे ही दिन तूने मुझे विधवा बना दिया! तेरे टुकड़े टुकड़े कर के भी मुझे सुकून नहीं मिलेगा! मेरी बात याद रखना! तू हमेशा अपने प्यार के लिए तड़पेगा! घूट घूट कर मरेगा तू!"

वो मुझे चाकू लेकर मारने आई थी लेकिन ये सब कहने के बाद उसने अपना गला काट लिया। लोगों की भीड़ जमा हो गई और देखते ही देखते छटपटाते हुए उसकी मौत हो गई। खून की लंबी धारियां बह गई थी। वो मर तो गई लेकिन मेरी आत्मा झिंझोड़ कर चली गई। मुझे बिलकुल इस बात का अंदाज़ा नहीं था के उसने क्या खोया है। 
दरअसल उस औरत का नाम कमेला था। नौ साल के जिद्दोजहद के बाद अगले दिन ही उसका प्रेम विवाह हुआ था। उसने कितने सपने सजाए होंगे अपने पति के साथ जो कल रात मेरी गाड़ी से टकराने की वजह से सब टूट कर बिखर गया था। मैं अपने आप को हर दम कोसता रहता था के आखिर मैं ही क्यों! मैं ही क्यों किसी की बर्बादी का कारण बना! 
वो तो शुरुआत थी फिर आगे जो हुआ वो सहने के काबिल नहीं था। कमेला का श्राप मुझे लग गया और मैं घुट घुट कर जीने लगा!....तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं होगा लूसी के मैं उस घड़ी कैसा महसूस कर रहा था जब पुलिस कातिल कह मुझे हथकड़ी पहना कर ले जा रही थी और पूरे मुहल्ले वाले मुझे कातिल कह रहे थे। ये दो बार सहा मैंने!... मैं शायद कब का अपनी जान ले लेता लेकिन हर बार मां का चहरा देख कर रुक जाता! मैं ने दुनिया से खुद को अलग कर लिया। सोशल मीडिया के ज़माने में भी मैं सिर्फ कॉलिंग के लिए मोबाइल रखता हूं। मैने हमेशा सब से खुद को दूर रखा ताकि न किसी को देखूं न ही मुझे प्यार हो! मैं कई बार जीते जी मर चुका हूं लेकिन जब से तुम मेरी इस मुरझाए ज़िंदगी में आई तब से लगने लगा जैसे मेरा फिर से जन्म हुआ है। तुम्हें ज़िंदा रहना पड़ेगा लूसी!... मेरे लिए तुम्हें लड़ना पड़ेगा!"

लूसी ने उसकी कहानी सुनी और सिसक सिसक कर रो पड़ीं। रोवन ने उसे गले लगा लिया। दोनों की आंखें बह रही थी। 

" तबीब नहीं तुम नायाब मरहम हो।
    पास बैठो के दर्द को राहत हो।
ज़ख़्म गहरा है भरने में वक्त लगेगा...
  कुछ देर और गले लगाए रहने दो।"

उन्होंने अभी एक दूसरे को गले लगाए ही रखा था के कमरे में जल रही दोनों मोमबत्तियां बुझ गई। उन दोनों का बदन सिहर उठा ये सोच कर के कमेला आ चुकी है।

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)