Love Contract - 25 - (Last Part) in Hindi Love Stories by Manshi K books and stories PDF | Love Contract - 25 - (Last Part)

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Love Contract - 25 - (Last Part)

सांवरी : दीदी मैं आज विराज को सारी सच्चाई बता दूंगी ... मुझे भी अच्छा नहीं लगता आखिर कब तक मैं उससे सच्चाई छुपा कर रखूंगी ।।।
बिल्कुल सही सोचा है भाभी .... यही सही रहेगा ।।

उधर अदिति रिवान के दिल में कौन है ?? उसकी बचपन की जादू उसके दिल में रहती है या नहीं यह जानने की कोशिश कर रही थी ।
आखिर रिवान को खुश देखकर उससे पूछ लेती है..
आपकी बचपन का प्यार मिला या नहीं ??
नहीं उसका कुछ पता नहीं चला ... लगता है मेरी किस्मत में नहीं लिखी है मेरी जादू ... फिर उदास हो जाता है ।।
अगर आपके सामने वो खुद अा गई तो आप क्या करेंगे ??
तुम सोच भी नहीं सकती मैं कितना खुश हो जाऊंगा ... वो दिन मेरे लिए बहुत खास होगा ।।

वैसे नाम क्या है ?? आपकी जादू का ??
वो किसी परी से कम नहीं थी ...एक दम जादू थी .... बहुत प्यारी थी मेरी आदिया ।।।

अदिति मन ही मन खुश थी क्या सच में रिवान जी मुझे ही 
ढूंढ़ रहे है ।।।
फिर अदिती खुश होते हुए ... फिर अपने जादू को क्यों नहीं पहचान पाए रीनू ??
रीनू आश्चर्य से बोलते हुए रिवान बोला . ।।
ये नाम तुम्हे कैसे पता ??? ये तो सिर्फ मुझे आदिया बुलाया करती थी . ।। 
कही तुम ही तो नहीं हो मेरा बचपन का प्यार मेरी आदिया ।। 
बिल्कुल सही कहा आपने मैं ही हूं आपकी आदिया ।।
खुश हो ते हुए रिवान आदिया को गले लगा लिया ।।
मैंने तुम्हे कहां - कहां नहीं ढूंढा ??? 

दूसरी तरफ ... सांवरी जी पूरे परिवार के सामने 
सबको विराज की सच्चाई बता देती है ... विराज इसी घर का बेटा है ... हमारी ऐसी मजबूरी थी जिससे हमें विराज को इस घर से दूर रखना पड़ा ।
एक महा गुरु थे जिन्होंने विराज की कुंडली बनाई थी उन्होंने कहा था अगर आपका बेटा आपके घर में पला बढ़ा तो उसकी मृत्यु निश्चित है और हमें यह सुझाव दिया कि विराज को घर से दूर रखा जाए जब तक वो शादी योग्य न हो जाए ।
अब तुम्हारे भाई की शादी हो चुकी है अब तुम्हारी भी मैं जल्द से जल्द करवा देना चाहती हूं 27 साल होने से पहले 
वरना कुछ अनहोनी हो सकता है तुम्हारे साथ ।।।

मां मैं सचमुच इसी घर का बेटा हूं ....मुझे यकीन नहीं हो रहा है ....मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है मैं तो इसी बात से खुश हूं कि मैं मितल खानदान का खून हूं।।
मां आपने मुझे क्यों नहीं बताया विराज मेरा अपना भाई है ?? कम से कम मुझे तो बता देती रिवन बोला .... मैं 
मजबुर थी बेटा इसीलिए तुमको भी नहीं बताया ।।।
खैर बीते दिनों को छोड़ो ।।।

अब विराज की शादी की तैयारियां करो ..... दुल्हन तो मैंने पहले से ही ढूंढ़ लिया है मां .... बहुत प्यारी भी है ।।
मेरी दोस्त सोनाक्षी जो विराज जी बहुत प्यार करती है ।।।
भाभी आपको कैसे पता चला ??? आप क्या सोच रहे थे मुझे पता नहीं चलेगा ???
मैंने तो सोना के परिवार वालों को घर पर बुला लिया है .... पता है मां आपको विराज जी ने सोना का नाम लड़के के नाम से सेव किया था ... फिर उसके निक नेम सेव किया था ..... लेकिन मुझे पता चल ही गया ।।
याद है मां उस दिन मार्केट में एक लड़की मिली थी .... 
हां ... याद आया वो थी वो तो बहुत खूबसूरत है .... मुझे तो पसंद है ।।।

फिर चट मंगनी पट ब्याह हो गया विराज और सोनाक्षी का ... । । साथ ही साथ रिवान और अदिति ( आदिया ) का भी ।।।

पूरा परिवार  बहुत खुश था ..... 


2 साल बाद 
___________

सांवरी जी घर में नन्हे - नन्हे बच्चों का आगमन हुआ और पूरा घर बच्चों के किलकारियों से गूंजा रहता था ।।।
अदिति एक बेटी की मां बनी थी जो बिल्कुल अपने मां पर गई थी उसका नाम भी बेहद खूबसूरत आकांक्षी रखा गया था और दूसरी तरफ सोनाक्षी 
एक बेटे की मां बनी थी जो अपने पापा के तरह लग रहा था उसका नाम दीप्त रखा गया था  ।।।


परिवार में अब सिर्फ खुंशियां ही खुशियां थी .... धीरे धीरे वक़्त बीतता गया और खुशियां भी बढ़ती गई ।।।।



" जिसका दीदार चाहा वो हम नशी मेरी थी
तभी तो पूरी कायनात साजिश करने लगी थी "

समाप्त ,,,
*********


कहते हैं न अगर आप किसी को शिद्दत से चाहो उससे मिलवाने की साज़िश पूरी कायनात करती है .....
हमारी इस कहानी में भी ऐसा ही हुआ।।।।
माना यह कहानी काल्पनिक थी लेकिन कहीं न कहीं हमें
यह एहसास होता ही है कायनात साजिश करती है , समझने में थोड़ा वक़्त लगता है ।।।।।

आशा है आपको यह कहानी अच्छी लगी होगी ।।।।
अपना प्यार बनाए रखे ।।।।


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