सुबह के वक़्त था विराज जॉगिंग से रिवान के साथ वापस
आया । विराज जल्दी तैयार हो जाना हमें आज ऑफिस के काम से बाहर जाना है पापा ऑफिस में चले जाएंगे रिवान बोला । ठीक है भाई बोलकर वापस अपने कमड़े में
चला जाता है ।
कमड़े में जाने के बाद विराज अपने फोन को इधर उधर ढूंढ़ता है यही तो रखा था पता नहीं कहां चला गया ???
फिर विराज को याद आया वो फोन को पिलो
के नीचे रखा है ।
फोन निकालकर स्क्रीन पर देखा तो 20 मिस कॉल थे बहुत सारे मैसेज भी ' अब कैसे समझाऊं इसे मैं मितल खानदान का वारिस नहीं हूं वो तो उस दिन मैं रिवान के जगह इवेंट्स में गया था क्योंकि उसे देखना था मेरे ऑफिस के कलिक कैसे हैं ? उस दिन मुझे इवेंट्स में देखकर मुझसे प्यार कर बैठी यह भी बात सच है उसे मैं पहली नजर में पसंद कर लिया था । गलतफहमी तो हम दोनों को हुई मैं उससे मिलकर सब कुछ बता दूंगा मैं मितल खानदान का वारिस नहीं हूं अगर ये जानने के बाद मुझसे प्यार करेगी तो ठीक है वरना मै ख़ुद को संभालने की कोशिश करूंगा । अगर मेरा उससे सच्ची मोहब्बत है तो खुदा मुझे उससे जरूर मिलाएगा ।
आज ही उसे मिलकर सारी सच्चाई बता दूंगा । मैं अब और झूठ नहीं बोल सकता हूं । थोड़ा सा डर भी लग रहा है वो एक बिजनेस मैन की एकौलती बेटी है और मैं कहां ??
सुबह के 8 बजे सभी नाश्ता करने के लिए डाइनिंग टेबल के पास आकर बैठे थे , अरुण मित्तल बेटा जल्दी लाओ ऑफिस मुझे बहुत जल्दी पहुंचना है । बहुत दिन के बाद आज ऑफिस जाऊंगा ।
लाई पापा बस आप 2 मिनट दे दीजिए ।
विराज को ना देखकर रिवान आवाज़ लगाता है , विराज झटके में टेबल के पास पहुंचा ।
" रिवान " कहां रह गया था भाई ? याद है न हमें कही जाना है ऑफिस के काम से । हम्म याद है भाई मैं तैयार हूं जाने के लिए ।
अदिति सबको आलू के परांठे पड़ोस देती है जिसको दही खाना था उसे दही दे देती है और बाकी सब को रायता देती है ।
नाश्ता करने के बाद मितल साहब ऑफिस के लिए निकल गए । रिवान और विराज शहर से बाहर जाने के लिए निकल पड़े ।
" विराज " भाई इस गांव के रास्ते पर क्यों चल पड़ा ??
हमें तो ऑफिस के काम से जाना था । वो तो सिर्फ बहाना था भाई , पता चला है उस घर में कोई रहने आया है इसीलिए मैं तुम्हे लेकर अा गया शायद मेरी आदिया भी हो । वैसे भी झूठी शादी का दिखावा कर के थक गया हूं अब और झूठ नहीं बोल जा रहा है मुझसे । वैसे उसे भी कब तक इस बंधन में बांध के रखूं मैं सिर्फ अपने स्वार्थ के वजह से रिवान बोला ।
" विराज " लेकिन भाई उससे शादी किए हो तुम , ऐसे कैसे तुम उसे छोड़ दोगे । फिर कहां जाएगी वो उसका तो अब कोई भी नहीं है इस दुनियां में । कभी सोचा है उस पर समाज कितने सवाल उठाएंगे । शादी तो किया था मैंने लेकिन वो सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट के बेस पर शादी हुआ था जो उसका मेरे नजरों कोई मतलब नहीं है । मैंने उससे साफ - साफ कह दिया था जब मेरी बचपन का प्यार मिल जाएगा तो मैं तुम्हें तलाक दे दूंगा ।
उसे इस बात से कोई आपत्ती नहीं है और उसे सब कुछ पता है उससे मैंने कुछ नहीं छिपाया है । मैं आदिया को नहीं खो सकता यार , मैंने उससे बचपन में वादा किया था वो भूल भी जाएगी तो मैं उसे याद रखूंगा । अपनी जिंदगी का हर लम्हा उसके साथ बिताऊंगा ।
भाई तुझे जो करना है कर लेकिन अदिति भाभी से ज्यादा खूबसूरत कोई और लड़की नहीं मिल सकती और वो बहुत अच्छी भी है । तू जैसे बोलता है आदिया के बारे में बचपन में ऐसी - वैसी थी कभी - कभी तो ऐसा लगता है अदिति
भाभी ही आदिया है ।
अदिति और सांवरी जी मार्केट गई , मार्केट से आने के बाद घर के सांवरी अंदर आती है तो आश्चर्य से " आप कब अाई ?? " जब तुम अपनी बहू के साथ घर से बाहर थी ।
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