lazik ya maizik in Hindi Philosophy by Er.Vishal Dhusiya books and stories PDF | लाजिक या मैजिक

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लाजिक या मैजिक

लाजिक या मैजिक

प्रस्तावना

मैं इस किताब के माध्यम से किसी धर्म की बुराई नहीं कर रहा और नहीं उनके आस्था को ठेस पहुंचाने की कोई मंशा है। मैं तो बस उस धर्म में जो बुराईयां हैं जो हमको, हमारे बच्चों, समाज और देश को दूषित कर रहे हैं। उस धूमिल वस्तु को रोकने का प्रयास किया गया है।

- धन्यवाद
निष्कर्ष-

लाजिक- लाजिक का मतलब है तर्कशास्त्र या तार्किक का सिद्धांत। तर्कशास्त्र में तर्कों का अध्ययन किया जाता है। तर्कों में अधरों का समूह होता है। जो निष्कर्ष की ओर ले जाता है। आपको वैज्ञानिक सोच की तरफ ले जाता है तथा आपको तार्किक बनाता है


मैजिक- मैजिक का अर्थ होता है जादू, इसमें तर्क का कोई मतलब नहीं रह जाता बल्कि यह तार्किक आँखों पर अंधविश्वास की काली पट्टियां बांध देती है और हमें सही और गलत पहचानने से रोकती है। जैसे आज भारत के अंदर देखने को मिल रहा है। मुझे भारत से कोई समस्या नहीं क्योंकि भारत मेरा घर है। मुझे भारत के लोगों से परेशानी है जो फर्जी बाबाओं, और फर्जी नेतागण पर विश्वास कर अपने वैज्ञानिक सोच पर पत्थर मार रहे हैं।


सबसे पहले आप सभी भारतवासियों को मैं यह बताना चाहता हूँ कि मेरी किताब लाजिक या मैजिक का मतलब क्या है, इस किताब का नाम लाजिक या मैजिक क्यों रखा गया है। तो मैं आप सबको आगाह कर दूँ कि मैं इस किताब का नाम लाजिक या मैजिक इसलिए रखा है क्योंकि आज वर्तमान समय में भारत एक बहुत बुरी परिस्थितियों से गुजर रहा है ऐसा इसलिए कि इस देश में इतना धर्म और संप्रदाय उत्पन्न हो गए हैं कि इस देश को आगे बढ़ पाना मुश्किल सा लग रहा है। यहाँ लोगों को धर्म मे मैजिक का अफीम पिलाया जा रहा है। जो आने वाले पीढ़ियों को बर्बाद होना पड़ सकता है। मैजिक का मतलब, आज भारत मे जितने धर्म हैं जैसे हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई। ये लोगों को गुमराह कर रहे हैं जैसे हिन्दू कहता है कि मेरा धर्म सबसे पुराना और अच्छा है इसमें कोई अंधविश्वास नहीं है। और लोगों को गोबर, मूत्र खाने को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि गोबर खाने से सारी बीमारी दूर हो जाती है और मूत्र पीने से शरीर स्वस्थ रहता है। लोगों का भविष्य का पर्चा निकाला जा रहा है। यहाँ मैजिक हुआ यानी जादू या चमत्कार। और इसी के नाम पर महिलाओं का शोषण हो रहा है। बाजार में नए नए बाबा आ रहे हैं और भोली भाली जनता को बेवकूफ बना रहे हैं जैसे गोबर खाने से बच्चा पैदा होता है। यह कहाँ तक सही जरा आप भी इसपर विचार करें। महिलाओं का शोषण भी खूब हो रहा है। जैसे उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में वर्तमान की घटना है जिसमें एक बाबा हैं वो बहुत शक्तिशाली हैं सबका दुख दूर कर रहे हैं। उनके यहाँ श्रद्धालु जाते हैँ और उनका आशीर्वाद पाते हैं। इसमे हैरान वालीं बात यह है कि उनके घर के कमरे में केवल औरत ही प्रवेश कर सकती है मर्द नहीं। कितनी शर्मनाक बात है। इतने कई बाबा जैसे राम रहीम, बाबा रामदेव। तो दूसरी ओर नेतागण धर्म का फायदा उठा रहे हैं। धर्म के आड़ में अपना रोटियाँ सेंक रहे हैं। अपने बच्चों को विदेश पढ़ने भेज रहे हैं तो आपके और हमारे बच्चों को धर्म नाम की अफीम पिलाकर मरने कटने को भेज रहे हैं। जिसमें वो मरता है या मारता है। लेकिन दोनों ओर से नुकसान अपना ही कर रहा है। हम थोड़ा भी यहां लाजिक का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। अभी फिलहाल उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले की घटना है। जिसमें हिन्दू लोग झंडी यात्रा निकालते हैं और मस्जिदों के सामने तरह तरह के बेहूदगी करते हैं। छेड़खानी करते हैं तथा मस्जिदों से उनका झंडी उखाड़ अपना भगवा झंडी लहराते हैं। यहाँ क्या संदेश जा रहा है। यही ना कि हमारा धर्म सबसे ऊपर है बाकी नीचे। तो इससे फायदा क्या, इसमें अपने ही धर्म का मजाक बना रहे हो। भगवान तो नहीं बांटे हैं किसी को और नहीं कहते हैं कि मेरे लिए तुम दूसरे धर्म को मारो काटो। तब मैं खुश रहूँगा। ठीक यही चीज मुसलमानो में भी है। इनका भी कहना है कि जो मुसलमान है वो अल्लाह का प्यारा और दुलारा है बाकी जो गैर मुसलमान हैं वो काफिर हैं तथा मुस्लिम राष्ट्र बनाने पर जोर देते हैं। कितने आतंकवादी तक बनकर मासूमों का घर तबाह करते हैं और कहते हैं कि अल्लाह हमें जन्नत में ले जाएगा। यहाँ अल्लाह को भी बदनाम करने का काम किया जा रहा है। तो वहीं सीख लोग का भी ऐसा ही हाल है। ईसाई भी हैं तो वो लोगों का ब्रेनवास कर, लोभ लालच देकर लोगों को ईसाई बना रहे हैं। तो कहीँ निरंकारी लोगों का भी यही हाल है। और इसी वज़ह से हमारा प्यारा देश आगे बढ़ने की बजाय पिछे खिसकता जा रहा है। वहीं विदेशी लोग मैजिक को कहीँ खूंटी में टांग लाजिक पर ध्यान दे रहे हैं और विकास कर रहे हैं जैसे चीन, रूस, अमेरिका, जापान आदि की महिलाएँ सब चांद पर रिसर्च कर रही हैं । तो यहीँ भारत में कोई चांद को देखकर बकरीद मना रहा तो कोई चांद को देखकर करवा चौथ का व्रत तोड़ रहा है। मेरा लाजिक कहता है कि इस देश में धर्म की क्या जरूरत, धर्म के पीछे लड़ने मरने की क्या जरूरत। क्यों ना हम सभी धर्मों को छोड़कर एक बराबर हो जाएँ और मिलकर भारत को तरक्की के मार्ग पर ले जाएँ। क्योंकि सब इंसान एक है लेकिन धर्म और धर्म के ठेकेदार ही हमें बांटकर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंक रहे हैं। वो तो ए सी में आराम से बैठकर मजे ले रहे हैं। और भुगतना हमको और हमारे देश को पड़ रहा है। यहीँ धर्म की जगह शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, ज्ञान और विज्ञान की बात हो तो हमें विकास करने से कोई रोक नहीं सकता। इस मामले मे मैं गौतम बुद्ध को मानूँगा क्योंकि उनकी सोच विज्ञान की तरफ थी और उनके सोच पर ही भारत मे बड़े बड़े विश्वविद्यालय बने और विदेशी यहाँ पढ़ने और रिसर्च करने आते थे, लेकिन आज बुद्ध को बदनाम कर उनका अस्तित्व मिटाया जा रहा है बल्कि उन्होंने जाती पाती धर्म से ऊपर उठ कर मानवता की कहीं। यहाँ लाजिक की एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आप हिन्दू हो तो मुसलमानो और उनके अल्लाह को गाली दो, ईसाइयों को गाली दो तो आपको अपने भगवान बचा लेंगे लेकिन मुसलमान बनिये और हिन्दू के भगवान को गाली दीजिए तो कुछ नहीं होगा। लेकिन अपने अपने भगवानों को गाली दो तो आप नर्क में चले जाएंगे। ये मसला मेरे समझ के बाहर है। मैं इसमें कुछ समझ नहीं पाता। मुझे एक और बात नहीं समझ नहीं आती कि सबके धर्म ग्रंथो में जीव हत्या पाप लिखा गया है। लेकिन सभी धर्मों में कोई भगवानों या देवी बकरे की बलि मांगते हैं तो कोई गाय या सूअर का। ये क्या है सब। लेकिन एक दूसरे को नीचे दिखाने में लगे हैं। इन बुराईयों को खत्म करने का प्रयास करो। आजकल भारत मे एक नया ट्रेंड चल रहा है भारत को एक धार्मिक राष्ट्र बनाने की जैसे कोई हिन्दू राष्ट्र चाहता, तो कोई मुस्लिम राष्ट्र, कोई सीख राष्ट्र, तो कोई ईसाई। लेकिन जिस दिन भारत कोई धार्मिक राष्ट्र बना उस दिन से देश में भूचाल आ जाएगा। देश के भूतपूर्व कानून मंत्री Dr.Br.ambedkar ji 1940 में बोल दिए थे कि भारत जिस दिन हिन्दू राष्ट्र बना उस दिन भारत के लिए अभिशाप होगा। जो आज कुछ साल पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और श्रीलंका का हाल देखने को मिला। तो मेरा आप भारतवासियों से यही गुजारिश है कि भारत को विकास के मार्ग पर ले जाने का प्रयास करें। आपस में बांटकर भारत को कमजोर ना करें।

- धन्यवाद

- Er.Vishal Kumar Dhusiya